देवताओं के उत्तर आगमन और शुभारंभ की तिथि है वसंत पंचमी

बसन्त पंचमी पर बिशेष – देवताओं के उत्तर आगमन और शुभ कार्यों का समय है वसंत पंचमी 

आचार्य डा०सन्तोष खन्डूडी
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माघ माह की शुक्ल पंचमी को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है. इस माह में गुप्त नवरात्रि भी मनाई जाती है. बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है. माना जाता है इस दिन मां देवी सरस्वती का आविर्भाव हुआ था. यह तिथि वागीश्वरी जयंती और श्री पंचमी के नाम से भी जानी जाती है.

क्या है बसंत पंचमी

सरस्वती जी ज्ञान, गायन- वादन और बुद्धि की अधिष्ठाता हैं. इस दिन छात्रों को पुस्तक और गुरु के साथ और कलाकारों को अपने वादन के साथ इनकी पूजा अवश्य करनी चाहिए.

इस दिन किसी भी कार्य को करना बहुत शुभ फलदायक होता है. इसलिए इस दिन नींव पूजन, गृह प्रवेश, वाहन खरीदना, नवीन व्यापार प्रारंभ और मांगलिक कार्य किए जाते हैं  इस दिन लोग पीले वस्त्र धारण करते और साथ ही पीले रंग के पकवान बनाते हैं.

इस दिन से बच्चों को विद्यारंभ करानी चाहिए साथ ही उनकी जिह्वा पर शहद से ॐ और ऐं बनाना चाहिए, जिससे बच्चा ज्ञानी और मधुरभाषी होता है.

यदि बालक 6 माह का पूर्ण हो चुका है तो अन्न का पहला दाना  इसी दिन खिलाना चाहिए.

बसंत पंचमी संबंधी खास मुहूर्त्त

बसंत पंचमी पर्व: 22 जनवरी 2018

पंचमी तिथि प्रारंभ: 21 जनवरी 2018 दिन रविवार को 3:33 बजे (सुबह) से

पंचमी तिथि अंत: 22 जनवरी 2018 दिन सोमवार को 4:24 (शाम) तक

अमृत चौघड़िया: 7:11-8:33

शुभ चौघड़िया: 9:55-11:17 (इस चौघड़िया में हवन करना श्रेष्ठकर है)

अभिजित मुहूर्त्त: 12:17-13:00

जो विद्यार्थी विद्या प्राप्त कर रहे तथा जो प्रारंभ करने जा रहे वह 07:11 बजे से 8:06 बजे के मध्य पूजन करें. जो व्यक्ति और विद्यार्थी संगीत सीख रहे या जो कलाकार है वो अपने वाद्य यंत्रों के साथ 12:39 से 01:00 बजे (दोपहर) के मध्य पूजन करें. अन्न प्राशन 7:30 से 08:10 बजे (सुबह) के मध्य करें. इस दिन उत्तर दिशा की ओर देवता आगमन करते हैं इसी लिए उनके आगमन की तैयारियों में प्रकृति भी बासंती रंग में रंग जाती है और लोग अपने दरवाजे खिड़कियों पर जौ की हरियाली भी लगा कर उनका स्वागत करते हैं 

|| सरस्वती वंदना श्लोक ||

या कुंदेंदु तुषार हारधवला ,या शुभ्र वस्त्रावृता 
या वीणा वर दण्डमंडितकरा , या श्वेत पद्मासना 
या ब्रह्मा- च्युत शंकर -प्रभृति -भिः देवैःसदा वन्दिता 
सा मांपातु सरस्वती भगवती निः -शेष जाड्यापहा|
अर्थात :
जो चंद्रमा के समान उज्जवल स्वच्छ है, जो शुद्ध सफेद वस्त्रों को धारण किये हुए है, जिसके हाथ में वीणा और वर देने से युक्त स्फटिक की माला सुशोभित हो रही है, जो सफेद कमल के आसन में आसीन है, जिसकी ब्रह्मा, विष्णु और शिव आदि सभी देवता भी उपासना करते हैं वह माँ सरस्वती हमारी जड़ता को दूर करे औए हमें निर्मल बुद्धि प्रदान करें।
???????????”इस मंत्र से  नित्य प्रति प्रातः-सायं सरस्वती वंंदना करें तो निश्चित ही बुद्धि निर्मल होती है और मेधा की वृद्धि होती है।
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