इसे विज्ञान का युग कहें कि अज्ञान का?

जरा सोचिए – ये विज्ञान हमे कहाँ ले आया?

*पहले :-* लोग खुले कुँए या धारे का पानी पीकर भी 100 वर्ष जी लेते थे
*अब :-*RO का शुद्ध पानी पीकर 40 वर्ष में बुढ़े हो रहे हैं 

*◆◆◆◆ ●●●● ….*

*पहले :-* लोग घाणी का मैला सा तैल खाके बुढ़ापे में भी मेहनत कर लेते थे।
*अब :-* हम डबल-ट्रिपल फ़िल्टर तैल खा कर जवानी में भी हाँफ जाते है

*◆◆◆◆ ●●●● …….*

*पहले :-* लोग  डले वाला नमक खाके बीमार ना पड़ते थे।
*अब :-* हम आयोडीन युक्त खाके हाई-लो बीपी लिये पड़े है

*◆◆◆◆ ●●●● …….*

*पहले :-* लोग नीम-बबूल कोयला नमक से दाँत चमकाते थे और 80 वर्ष तक भी चब्बा-चब्बा कर खाते थे
*अब :-* कॉलगेट सुरक्षा वाले रोज डेंटिस्ट के चक्कर लगाते है

*◆◆◆◆ ●●●● …….*

*पहले :-* लोग नाड़ी पकड़ कर रोग बता देते थे
*अब :-* आज जाँचे कराने पर भी रोग नहीं जान पाते हैं 

*◆◆◆◆ ●●●● …….*

*पहले :-* वो 7-8 बच्चे जन्मने वाली माँ 80 वर्ष की अवस्था में भी खेत का काम करती थी।
*अब :-* पहले महीने से डॉक्टर की देख-रेख में रहते है फिर भी बच्चे पेट फाड़ कर जन्मते है

*◆◆◆◆ ●●●● …….*

*पहले :-* काले गुड़ की मिठाइयां ठोक ठोक के खा जाते थे
*अब :-* खाने से पहले ही सुगर की बीमारी हो जाती है

*◆◆◆◆ ●●●● …….*

*पहले :-* बुजर्गो के भी घुटने नहीं दुखते थे
*अब :-* जवान भी घुटनो और कन्धों के दर्द से कहराता है

*पहले :-* मन की गति से चलने वाले पुष्पक दुर्घटना रहित विमान होते थे जो पूरी तरह पर्यावरण के अनुकूल थे 

*अब:-*  प्रदूषण कारी विमानों में बैठते ही उड़ते ताबुत में बैठने का डर बना रहता है 

*◆◆◆◆ ●●●● …….*

*समझ नहीं आता ये विज्ञान का युग है या अज्ञान का ?*