चमोली की लक्ष्मी राणा की दर्दनाक घटना रूलाती भी है और अपनी सांस्कृतिक मान्यताओं का महत्व भी समझाती है

 

12 मई को पिंकी की शादी खुशहाल सिंह पुत्र गोपाल सिंह निवासी कोटग्वाड़ किमनी, थराली से होनी थी। विवाह समारोह में रिश्तेदारों और ईष्टमित्रों को न्योता भी भेज दिया था। शादी में शामिल होने के लिए रिश्तेदार गांव पहुंचने शुरू हो गए थे। 

 रविवार 8 मई को ऋषिकेश- बदरीनाथ हाईवे पर कौड़ियाला से करीब पांच किलोमीटर आगे तोता घाटी के पास हुए भीषण कार दुर्घटना में पांच लोगों की घटना स्थल पर ही मृत्यु हो गई थी। मृतकों में होने वाली दुल्हन पिंकी राणा पुत्री त्रिलोक सिंह राणा भी शामिल हैं। बताया गया है कि पिंकी शादी  के समान लेने लिए मेरठ में रहने वाले अपने मामा प्रताप सिंह के घर ग‌ई हुई थी। प्रताप मेरठ की एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते थे। मेरठ से खरीददारी करने के बाद पिंकी अपने मामा के पूरे परिवार के साथ शनिवार को ऋषिकेश पहुंची, जहां से उसने अपनी पसंद का शादी का जोड़ा व अन्य जरूरी सामान भी खरीदा। जिसके बाद रविवार सुबह सभी लोग गांव की ओर निकाल ग‌ए। लेकिन गांव पहुंचने से पहले ही हुए इस भीषण सड़क दुर्घटना में सभी की मौत हो गई। पिंकी के मामा का पूरा परिवार ही इस हादसे में खत्म हो गया। प्रताप सिंह के साथ ही उनकी पत्नी भागीरथी देवी, बेटे विजय एवं बेटी मंजू की घटना स्थल पर ही मृत्यु हो गई। बताते चलें कि पिंकी दो भाइयों की इकलौती बहन थी। उसका बड़ा भाई 27 साल का जबकि छोटा भाई 25 साल का है। इस दर्दनाक घटना के समाचार से जहां पिंकी के माता-पिता कमला देवी व देव सिंह सदमे में हैं और उनकी आंखों से अश्रुओं की धारा थमने का नाम नहीं ले रही हैं वहीं पिंकी के दोनों भाइयों का भी रो-रोकर बुरी दशा है। इस भीषण दुर्घटना से पूरा चमोली जनपद आहत है। हर कोई इस मर्मांतक वेदना से अवाक रह गया, सबकी संवेदना पीड़ित परिवार के साथ है। शोशल मीडिया पर जनप्रतिनिधियों सहित जिले भर के लोगों की संवेदनायें लक्ष्मी राणा सहित सभी मृतकों के परिजनों के प्रति देखी गयी है। 

       हमारे सनातन धर्म संस्कृति में शास्त्रों में शादी से पांच दिन पहले से यात्रा वर्जित है और बहुत ही कोई आत्म रक्षा से बढ़कर कार्य ना हो तो गाड़ गदने और लम्बी यात्रा नहीं करनी चाहिए ऐसी मान्यता है। इसीलिए जानकार पंडित शादी से पांच दिन पहले ही आज भी अपने यजमान की केर बांध देते हैं। शादी से ठीक चार दिन पहले हुई यह दुर्घटना बताती है हमारी मान्यता और परंपराओं का महत्व और महात्म्य कितना अधिक है। इसीलिए मंगल कार्यों में विशेष रूप से विवाह के दिनों में दुल्हा दुल्हन को पांच दिन पहले से ही न्यूत देते थे और उनकी केर बांध दी जाती थी कि कोई भी दुल्हा दुल्हन इस केर से बाहर गाड़ गदने पार ना करे बड़ी यात्रा ना करें। ऐसा ही चूड़कर्म संस्कार में भी किया जाता था। कहीं ना कहीं हम हमारी परम्पराग मान्यताओं को संज्ञान लें तो बहुत सीमा तक अनहोनी से बचा जा सकता है।