गुरूकुल शिक्षा : इंग्लैंड में पहला स्कूल 1811 में खुला उस समय भारत में 732000 गुरुकुल थे, जाने हमारे गुरुकुल कैसे बन्द हुए

भारत और भारतीय संस्कृति बचानी है तो भारतीय सरकारें, शंकरचार्य और भारतीय उद्योगपति संस्कृत शिक्षा के गुरूकुल और विश्वविद्यालयों की स्थापना करें। ✍️हरीश मैखुरी 

इंग्लैंड में पहला स्कूल 1811 में खुला उस समय भारत में 732000 गुरुकुल थे । जाने हमारे गुरुकुल कैसे बन्द हुए ❓

: *गुरुकुल कैसे समाप्त हो गये*❓

आपको पहले ये बता दे कि हमारे सनातन संस्कृति परम्परा के गुरुकुल मे क्या क्या पढाई होती थी ! आर्यावर्त के गुरुकुल के बाद ऋषिकुल में क्या पढ़ाई होती थी ये जान लेना आवश्यक है । इस शिक्षा को लेकर अपने विचारों में परिवर्तन लायें और प्रचलित भ्रांतियां दूर करें !

01 अग्नि विद्या (Metallurgy)
02 वायु विद्या (Flight)
03 जल विद्या (Navigation)
04 अंतरिक्ष विद्या (Space Science)
05 पृथ्वी विद्या (Environment)
06 सूर्य विद्या (Solar Study)
07 चन्द्र व लोक विद्या (Lunar Study)
08 मेघ विद्या (Weather Forecast)
09 पदार्थ विद्युत विद्या (Battery)
10 सौर ऊर्जा विद्या (Solar Energy)
11 दिन रात्रि विद्या
12 सृष्टि विद्या (Space Research)
13 खगोल विद्या (Astronomy)
14 भूगोल विद्या (Geography)
15 काल विद्या (Time)
16 भूगर्भ विद्या (Geology Mining)
17 रत्न व धातु विद्या (Gems & Metals)
18 आकर्षण विद्या (Gravity)
19 प्रकाश विद्या (Solar Energy)
20 तार विद्या (Communication)
21 विमान विद्या (Plane)
22 जलयान विद्या (Water Vessels)
23 अग्नेय अस्त्र विद्या (Arms & Ammunition)
24 जीव जंतु विज्ञान विद्या (Zoology Botany)
25 यज्ञ विद्या (Material Sic)

*ये तो बात हुई वैज्ञानिक विद्याओं की । अब बात करते है व्यावसायिक और तकनीकी विद्या की !*

26 वाणिज्य (Commerce)
27 कृषि (Agriculture)
28 पशुपालन (Animal Husbandry)
29 पक्षिपलन (Bird Keeping)
30 पशु प्रशिक्षण (Animal Training)
31 यान यन्त्रकार (Mechanics)
32 रथकार (Vehicle Designing)
33 रतन्कार (Gems)
34 सुवर्णकार (Jewellery Designing)
35 वस्त्रकार (Textile)
36 कुम्भकार (Pottery)
37 लोहकार (Metallurgy)
38 तक्षक
39 रंगसाज (Dying)
40 खटवाकर
41 रज्जुकर (Logistics)
42 वास्तुकार (Architect)
43 पाकविद्या (Cooking)
44 सारथ्य (Driving)
45 नदी प्रबन्धक (Water Management)
46 सुचिकार (Data Entry)
47 गोशाला प्रबन्धक (Animal Husbandry)
48 उद्यान पाल (Horticulture)
49 वन पाल (Horticulture)
50 नापित (Paramedical)

यह सब विद्या गुरुकुल में सिखाई जाती थी पर समय के साथ गुरुकुल लुप्त हुए तो यह विद्या भी लुप्त होती गयी ! आज मैकाले पद्धति से हमारे देश के युवाओं का भविष्य नष्ट हो रहा तब ऐसे समय में गुरुकुल के पुनः उद्धार की आवश्यकता है।

भारतवर्ष में गुरुकुल कैसे खत्म हो गये ? कॉन्वेंट स्कूलों ने किया बर्बाद । 1858 में Indian Education Act बनाया गया। इसकी ड्राफ्टिंग ‘लोर्ड मैकाले’ ने की थी। लेकिन उसके पहले उसने यहाँ (भारत) के शिक्षा व्यवस्था का सर्वेक्षण कराया था, उसके पहले भी कई अंग्रेजों ने भारत की शिक्षा व्यवस्था के बारे में अपनी रिपोर्ट दी थी। अंग्रेजों का एक अधिकारी था G.W. Luther और दूसरा था Thomas Munro ! दोनों ने अलग अलग इलाकों का अलग-अलग समय सर्वे किया था। Luther, जिसने उत्तर भारत का सर्वे किया था, उसने लिखा है कि यहाँ 97% साक्षरता है और Munro, जिसने दक्षिण भारत का सर्वे किया था, उसने लिखा कि यहाँ तो 100% साक्षरता है ।

मैकाले का स्पष्ट कहना था कि भारत को हमेशा-हमेशा के लिए अगर गुलाम बनाना है तो इसकी “देशी और सांस्कृतिक शिक्षा व्यवस्था” को पूरी तरह से ध्वस्त करना होगा और उसकी जगह “अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था” लानी होगी और तभी इस देश में शरीर से हिन्दुस्तानी लेकिन दिमाग से अंग्रेज पैदा होंगे और जब इस देश की यूनिवर्सिटी से निकलेंगे तो हमारे हित में काम करेंगे ।

मैकाले एक मुहावरा इस्तेमाल कर रहा है – “कि जैसे किसी खेत में कोई फसल लगाने के पहले पूरी तरह जोत दिया जाता है वैसे ही इसे जोतना होगा और अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था लानी होगी।” इस लिए उसने सबसे पहले गुरुकुलों को गैरकानूनी घोषित किया | जब गुरुकुल गैरकानूनी हो गए तो उनको मिलने वाली सहायता जो समाज की तरफ से होती थी वो गैरकानूनी हो गयी | फिर संस्कृत को गैरकानूनी घोषित किया और इस देश के गुरुकुलों को घूम घूम कर ख़त्म कर दिया | उनमें आग लगा दी, उसमें पढ़ाने वाले गुरुओं को उसने मारा- पीटा, जेल में डाला।
1850 तक इस देश में ’7 लाख 32 हजार’ गुरुकुल हुआ करते थे और उस समय इस देश में गाँव थे ’7 लाख 50 हजार’ । मतलब हर गाँव में औसतन एक गुरुकुल और ये जो गुरुकुल होते थे वो सब के सब आज की भाषा में ‘Higher Learning Institute’ हुआ करते थे । उन सबमे 18 विषय पढाया जाता था और ये गुरुकुल समाज के लोग मिलके चलाते थे न कि राजा, महाराजा ।

गुरुकुलों में शिक्षा निःशुल्क दी जाती थी। इस तरह से सारे गुरुकुलों को ख़त्म किया गया और फिर अंग्रेजी शिक्षा को कानूनी घोषित किया गया और कलकत्ता में पहला कॉन्वेंट स्कूल खोला गया । उस समय इसे ‘फ्री स्कूल’ कहा जाता था । इसी कानून के तहत भारत में कलकत्ता यूनिवर्सिटी बनाई गयी, बम्बई यूनिवर्सिटी बनाई गयी, मद्रास यूनिवर्सिटी बनाई गयी, ये तीनों गुलामी ज़माने के यूनिवर्सिटी आज भी देश में हैं !

मैकाले ने अपने पिता को एक चिट्ठी लिखी थी बहुत मशहूर चिट्ठी है वो, उसमें वो लिखता है कि: “इन कॉन्वेंट स्कूलों से ऐसे बच्चे निकलेंगे जो देखने में तो भारतीय होंगे लेकिन दिमाग से अंग्रेज होंगे और इन्हें अपने देश के बारे में कुछ पता नहीं होगा । इनको अपने संस्कृति के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने परम्पराओं के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने मुहावरे नहीं मालूम होंगे, जब ऐसे बच्चे होंगे इस देश में तो अंग्रेज भले ही चले जाएँ इस देश से अंग्रेजियत नहीं जाएगी।” उस समय लिखी चिट्ठी की सच्चाई इस देश में अब साफ़-साफ़ दिखाई दे रही है और उस एक्ट की महिमा देखिये कि हमें अपनी भाषा बोलने में शर्म आती है । अंग्रेजी में बोलते हैं कि दूसरों पर रोब पड़ेगा । हम तो खुद में हीन हो गए हैं जिसे अपनी भाषा बोलने में शर्म आ रही है, दूसरों पर रोब क्या पड़ेगा।

लोगों का तर्क है कि अंग्रेजी अंतर्राष्ट्रीय भाषा है । दुनिया में 204 देश हैं और अंग्रेजी भाषा सिर्फ 11 देशों में बोली, पढ़ी और समझी जाती है, फिर ये कैसे अंतर्राष्ट्रीय भाषा है ॽ शब्दों के मामले में भी अंग्रेजी समृद्ध नहीं दरिद्र भाषा है। इन अंग्रेजों की जो बाइबिल है वो भी अंग्रेजी में नहीं थी और ईशा मसीह अंग्रेजी नहीं बोलते थे। ईशा मसीह की भाषा और बाइबिल की भाषा अरमेक थी। अरमेक भाषा की लिपि जो थी वो हमारे बंगला भाषा से मिलती जुलती थी । समय के कालचक्र में वो भाषा विलुप्त हो गयी।

संयुक्तराष्टसंघ जो अमेरिका में है वहां की भाषा अंग्रेजी नहीं है, वहां का सारा काम फ्रेंच में होता है। जो समाज अपनी मातृभाषा से कट जाता है उसका कभी भला नहीं होता और यही मैकोले की रणनीति थी ! जिसमे लगभग वो विजय पा चुके क्योंकि आज का युवा भारत को कम यूरोप को ज्यादा जनता है । भारतीय संस्कृति को ढकोसला समझता है लेकिन पाश्चात्य देशों को नकल करता है । धर्म की प्रमुखता और विशेषता को न जानते हुए भी वामपंथियों का समर्थन करता है।

सभी बन्धुओ से एक चुभता सवाल हमसभी को धर्म की जानकारी होनी चाहिये । क्योंकि धर्म ही हमे राष्ट्र धर्म सिखाती है, धर्म ही हमे समाजिकता सिखाती है, धर्म ही हमे माता – पिता, गुरु और राष्ट्र के प्रति प्राण न्योछावर करने की प्रेरणा देती है। परंपरा एक आध्यात्मिक विज्ञान है, जिस विज्ञान को हम सभी आज जानते है उससे बहुत ही समृद्ध विज्ञान ही अध्यात्म है… यह बात आत्म समर्पण भाव से डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी राष्ट्रीय विचार मंच भारत में 40 गुरुकुल विश्व महाविद्यालय का निर्माण करवा रहा है। कट्टर हिन्दू नेता श्री सुशील कुमार सरावगी जिंदल राष्ट्रीय अध्यक्ष के नेतृत्व में निर्णायक भूमिका में नजर आ रहे हैं।

*जयतु गुरुकुलम् , जयतु भारतम् …*

वेद-ज्ञान:-

जो भी ऐजेन्डा धारी व्यक्ति भारतीय सनातन धर्म संस्कृति के विरूद्ध आचरण करता है लोगों को वेद च्युत करता है, उन्हें वेद संस्कृति संस्कार गोत्र प्रवर वर्ण, संस्कार और यज्ञ विहीन करता है वह बामपंथियों का चहेता बन जाता है। टूलकिट ज्ञान इसी को कहा गया है। टूलकिट की पहली सीढ़ी सैक्युलरिज्म है जो इस्लामीकरण के लिए मार्ग प्रशस्त करता है। बंगाल और केरल में यह प्रयोग सफल भी रहा है। 
भारतीय सनातन धर्म संस्कृति से विमुख शिखा सूत्र तिलक चंदन यज्ञ हवन 
वेद संस्कृति संस्कार गोत्र प्रवर वर्ण और संस्कार विहीन मानव भी पशुवत ही हैं साक्षात् पशु पुच्छ विहीनम् उन्हे ही कहा गया है।

प्र.1- वेद किसे कहते है ?

उत्तर- ईश्वरीय ज्ञान की पुस्तक को वेद कहते है।

प्र.2- वेद-ज्ञान किसने दिया ?

उत्तर- ईश्वर ने दिया।

प्र.3- ईश्वर ने वेद-ज्ञान कब दिया ?

उत्तर- ईश्वर ने सृष्टि के आरंभ में वेद-ज्ञान दिया।

प्र.4- ईश्वर ने वेद ज्ञान क्यों दिया ?

उत्तर- मनुष्य-मात्र के कल्याण के लिए

प्र.5- वेद कितने है ?

उत्तर- चार 1-ऋग्वेद 

2-यजुर्वेद  

3-सामवेद

4-अथर्ववेद

प्र.6- वेदों के ब्राह्मण 

        वेद ब्राह्मण

1 – ऋग्वेद – ऐतरेय

2 – यजुर्वेद – शतपथ

3 – सामवेद – तांड्य

4 – अथर्ववेद – गोपथ

प्र.7- वेदों के उपवेद कितने है

उत्तर – चार

      वेद उपवेद

    1- ऋग्वेद – आयुर्वेद

    2- यजुर्वेद – धनुर्वेद

    3 -सामवेद – गंधर्ववेद

    4- अथर्ववेद – अर्थवेद

प्र 8- वेदों के अंग हैं 

उत्तर – छः 

1 – शिक्षा

2 – कल्प

3 – निरूक्त

4 – व्याकरण

5 – छंद

6 – ज्योतिष

प्र.9- वेदों का ज्ञान ईश्वर ने किन किन ऋषियो को दिया ?

उत्तर- चार ऋषियों को

         वेद ऋषि

1- ऋग्वेद – अग्नि

2 – यजुर्वेद – वायु

3 – सामवेद – आदित्य

4 – अथर्ववेद – अंगिरा

प्र.10- वेदों का ज्ञान ईश्वर ने ऋषियों को कैसे दिया ?

उत्तर- समाधि की अवस्था में

प्र.11- वेदों में कैसे ज्ञान है ?

उत्तर- सब सत्य विद्याओं का ज्ञान-विज्ञान

प्र.12- वेदो के विषय कौन-कौन से हैं ?

उत्तर- चार 

        ऋषि विषय

1- ऋग्वेद – ज्ञान

2- यजुर्वेद – कर्म

3- सामवे – उपासना

4- अथर्ववेद – विज्ञान

 

प्र.13- वेदों में

 

ऋग्वेद में

1- मंडल – 10

2 – अष्टक – 08

3 – सूक्त – 1028

4 – अनुवाक – 85 

5 – ऋचाएं – 10589

यजुर्वेद में

1- अध्याय – 40

2- मंत्र – 1975

सामवेद में

1- आरचिक – 06

2 – अध्याय – 06

3- ऋचाएं – 1875

अथर्ववेद में

1- कांड – 20

2- सूक्त – 731

3 – मंत्र – 5977

          

प्र.14- वेद पढ़ने का अधिकार किसको है ? उत्तर- मनुष्य-मात्र को वेद पढ़ने का अधिकार है

 

प्र.15- क्या वेदों में मूर्तिपूजा का विधान है ?

उत्तर- बिलकुल भी नहीं

 

प्र.16- क्या वेदों में अवतारवाद का प्रमाण है ?

उत्तर- नहीं

 

प्र.17- सबसे बड़ा वेद कौन-सा है ?

उत्तर- ऋग्वेद

 

प्र.18- वेदों की उत्पत्ति कब हुई ?

उत्तर- वेदो की उत्पत्ति सृष्टि के आदि से परमात्मा द्वारा हुई अर्थात 1 अरब 96 करोड़ 8 लाख 43 हजार वर्ष पूर्व 

 

प्र.19- वेद-ज्ञान के सहायक दर्शन-शास्त्र ( उपअंग ) कितने हैं और उनके लेखकों का क्या नाम है ?

उत्तर- 

1- न्याय दर्शन – गौतम मुनि।

2- वैशेषिक दर्शन – कणाद मुनि।

3- योगदर्शन – पतंजलि मुनि।

4- मीमांसा दर्शन – जैमिनी मुनि।

5- सांख्य दर्शन – कपिल मुनि।

6- वेदांत दर्शन – व्यास मुनि।

प्र.20- शास्त्रों के विषय क्या है ?

उत्तर- आत्मा, परमात्मा, प्रकृति, जगत की उत्पत्ति, मुक्ति अर्थात सब प्रकार का भौतिक व आध्यात्मिक ज्ञान-विज्ञान आदि।

प्र.21- प्रामाणिक उपनिषदे कितनी है ?

उत्तर- केवल ग्यारह।

 

प्र.22- उपनिषदों के नाम बतावे ?

उत्तर-  

01-ईश ( ईशावास्य )  

02-केन  

03-कठ  

04-प्रश्न  

05-मुंडक  

06-मांडू  

07-ऐतरेय  

08-तैत्तिरीय 

09-छांदोग्य 

10-वृहदारण्यक 

11-श्वेताश्वतर ।

 

प्र.23- उपनिषदों के विषय कहाँ से लिए गए है ?

उत्तर- वेदों से।

प्र.24- चार वर्ण।

उत्तर- 

1- ब्राह्मण

2- क्षत्रिय

3- वैश्य

4- शूद्र

प्र.25- चार युग।

1- सतयुग – 17,28000 वर्षों का नाम ( सतयुग ) रखा है।

2- त्रेतायुग- 12,96000 वर्षों का नाम ( त्रेतायुग ) रखा है।

3- द्वापरयुग- 8,64000 वर्षों का नाम है।

4- कलयुग- 4,32000 वर्षों का नाम है।

कलयुग के 4,976 वर्षों का भोग हो चुका है अभी तक।

4,27024 वर्षों का भोग होना है। 

पंच महायज्ञ

       1- ब्रह्मयज्ञ   

       2- देवयज्ञ

       3- पितृयज्ञ

       4- बलिवैश्वदेवयज्ञ

       5- अतिथियज्ञ

स्वर्ग – जहाँ सुख है

नरक – जहाँ दुःख है*जीवन के दो प्राथमिक विकल्प हैं – परिस्थितियों को वैसे ही स्वीकार करना जैसे वे विद्यमान हैं या उन्हें परिवर्तित का दायित्व स्वीकार करना।*

*इसी विचार के साथ आपको प्रणाम। सुख, शान्ति एवम समृध्दि की मंगलमयी कामनाओं सहित व्यस्त रहे,मस्त रहे, स्वस्थ रहे।।*

जय श्रीराम 🚩🙏💐❣️

#सनातन_धर्म_ही_सर्वश्रेष्ठ_है