वनान्दोलनों की अग्रणी रही पद्मभूषण चंडी प्रसाद भट्ट जी की धर्मपत्नी देवेश्वरी के निधन पर पूरे क्षेत्र में शोक

पदम विभूषण और चिपको आन्दोलन के प्रेणता चंडीप्रसाद भट्ट की धर्म पत्नी देवेश्वरी देवी का निधन बहुत दुखद है। मैने ताई जी को जब भी देखा #गाय चराते, गायों के लिए चारा लाते #गो_सेवा करते देखा। #गोपेश्वर गांव में जाने पर तायी जी बिना कुछ भोजन दिए घर से जाने ही नहीं देती थी। आज अत्यंत दुखद सूचना मिली कि वे स्वयं गो लोक धाम सिधार गयी हैं।

वे सुविख्यात पर्यावरणविद् पद्मभूषण से सम्मानित #चंडीप्रसाद_भट्ट जी की धर्मपत्नी थी। विदित हुआ श्रीमती देवेश्वरी देवी जी का देहरादून के एक चिकित्सालय में स्वर्गवास हो गया। वे कुछ समय से वर्धक्य के कारण अस्वस्थ चल रही थी, अपने पीछे वे तीन पुत्र, दो पुत्रियों का भरा-पूरा परिवार छोड़कर गोलोक धाम गई हैं।

वे जनान्दोलन में सदैव आगे बढ़ कर रहीं, 1970 के दशक में उत्तराखण्ड के शराबबंदी आन्दोलन में जेल में रही। । 

 प्रसिद्ध पर्यावरण विद और वनों की रक्षा के लिए विश्व प्रसिद्ध चिपको आन्दोलन के प्रेणता पदम विभूषण चंडीप्रसाद भट्ट की धर्म पत्नी देवेश्वरी देवी का बुधवार को देहांत हो गया। 89 वर्षीय देवेश्वरी भट्ट उत्तराखण्ड के विभिन्न जनान्दोलनों में सदैव आगे रहीं। 1970 के दशक में उत्तराखण्ड में शराबबंदी आन्दोलन में प्रमुख भूमिका निभाने वाली देवेश्वरी भट्ट सहारनपुर और टेहरी जेल में भी रही। अपने पति चंडीप्रसाद भट्ट के साथ गृहस्थी के साथ ही देवेश्वरी भट्ट ने उत्तराखण्ड में सर्वोदय विचार आन्दोलन को आगे बढाने का कार्य किया। वनान्दोलनों में सदैव आगे रहने वाली देवेश्वरी भट्ट धार्मिक विचारों की महिला थीं। उनका निधन इलाज के दौरान हुआ।

 देवेश्वरी देवी 89 वर्ष की उम्र की थी। वनान्दोलनों की अग्रणी देवेश्वरी के निधन पर पूरे क्षेत्र में शोक की लहर छा गयी है।

सामाजिक कार्यों में निस्वार्थ भाव से व्यक्ति तभी कार्य कर पाता है। जब गृहस्थी में उसे पत्नी का सहयोग मिले। गांधी वादी विचार धारा के समर्पित सिपाही अंतर्राष्ट्रीय गांधी शान्ति पुरस्कार से सम्मानित सर्वोदय विचार को गांव गांव तक ले जाने और वनो की रक्षा के आन्दोलन में प्रेरक चंडीप्रसाद भट्ट द्वारा समाज संकल्प की सिद्धि व्रत में सफलता तभी मिल सकी। जब उनकी पत्नी देवेश्वरी देवी ने योगदान दिया। गृहस्थी , खेती, बच्चों की शिक्षा, की जिम्मेदारी भी सम्भाली। और पति से कभी शिकायत भी नहीं कि समय परिवार को दीजिये। सदैव यही कहा पूरा समाज अपना परिवार है। अच्छे विचार यज्ञ हैं। आप इसमे लगे रहिये। मैं हूँ हर समय। 

ऐसी दिव्यमूर्ति का धराधाम को छोड़ कर देवलोक गमन निजी रूप से मेरे लिए अत्यंत कष्टकारी है। भावभीनी श्रद्धांजलि और नमन्💐💐✍️हरीश मैखुरी