मुख्यमंत्री ने अनेक स्कूल एवं तहसील भवनों, कपीरी छांतेश्वर मंदिर सौन्दर्यीकरण, के लिए की धनवर्षा, हरिद्वार में बनेगा दो हजार बेड का हास्पिटल, वनाग्नि प्रबंधन के लिए जल्द इन्टीग्रेटेड फायर कमांड एण्ड कन्ट्रोल सेंटर की स्थापना

*स्कूल भवनों के निर्माण हेतु धनराशि स्वीकृत*
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने राजकीय इंटर कॉलेज बगियाल विकास खण्ड थौलधार एवं राजकीय इंटर कॉलेज क्यारी में 2 कक्षा कक्षों के निर्माण हेतु कुल 84.56 लाख की धनराशि स्वीकृत की है।

*तहसील भवनों के निर्माण हेतु मुख्यमंत्री ने स्वीकृत की धनराशि*
मुख्यमंत्री ने तहसील कीर्तिनगर की 6 राजस्व उप निरीक्षक चौकियों की मरम्मत एवं अवशेष निर्माण कार्यों हेतु 30.93 लाख की धनराशि स्वीकृत की है। इसके साथ ही तहसील रानीखेत के क्षतिग्रस्त आवासों के पुनर्निर्माण, मरम्मत एवं तहसील के कॉफ्रेंस हॉल के निर्माण हेतु 4.14 करोड़ की वित्तीय स्वीकृति प्रदान करने के साथ ही प्रथम किस्त के रूप में एक करोड़ की स्वीकृति प्रदान की है।
मुख्यमंत्री ने बंजारावाला में शहीद जीत बहादुर की स्मृति में निर्मित किये जाने वाले शहीद द्वार के निर्माण हेतु 28.99 लाख की धनराशि स्वीकृत की है। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री ने श्रीनगर गढ़वाल में पार्किंग एवं ऑडिटोरियम के निर्माण हेतु 9.76 लाख की धनराशि स्वीकृत की है। मुख्यमंत्री ने कपीरी छाँतेश्वर महादेव के सौन्दर्यीकरण एवं पैदल मार्ग निर्माण हेतु 46.15 लाख की धनराशि स्वीकृत की है।

*मुख्यमंत्री ने अनुमोदित किये टनकपुर नगरपालिका को स्वच्छता हेतु 4.70 करोड़*
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने नगर पालिका परिषद टनकपुर कलस्टर की ठोस अपशिष्ट प्रबंधन परियोजना एवं विकेन्द्रीकृत सेग्रीगेशन हॉल निर्माण हेतु 4.70 करोड़ की धनराशि स्वीकृत की है।

*औद्योगिक आस्थान रूद्रपुर एवं काशीपुर में अवस्थापना सुविधाओं हेतु 3.97 करोड़ स्वीकृत*
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने औद्योगिक आस्थान रूद्रपुर एवं काशीपुर से अवस्थापना विकास कार्यों हेतु 3.97 करोड़ की धनराशि स्वीकृत की है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री द्वारा मेगा इंडस्ट्रियल व मेगा टेक्सटाईल नीति के तहत सिडकुल को 6 करोड़ की धनराशि भी स्वीकृत की है।

*मुख्यमंत्री ने ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन हेतु भारतीय रेल को भूमि हस्तान्तरण की दी स्वीकृति*
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना हेतु जनपद रूद्रप्रयाग के ग्राम रतूड़ा में सुरंग/पोर्टल के निर्माण हेतु 1.455 हेक्टेयर भूमि भारतीय रेल को हस्तान्तरित करने की स्वीकृति प्रदान की है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने उक्त योजना हेतु जनपद टिहरी गढ़वाल के अन्तर्गत ग्राम लक्षमोली की 0.110 हेक्टेयर एवं रानीहार की 0.041 हेक्टेयर की अधिसूचना निर्गत करने की भी स्वीकृति प्रदान कर दी है।

*कोविड-19 के दृष्टिगत कुम्भ मेले में डी.आर.डी.ओ. बनायेगा 2 हजार बेड का अस्पताल*

• * इससे सम्बन्धित एम.ओ.यू को भी मुख्यमंत्री ने किया अनुमोदित*
कुम्भ मेला 2021 में कोविड-19 के दृष्टिगत दो हजार बेड का हास्पिटल डी.आर.डी.ओ. द्वारा निर्मित किया जायेगा। इसकी सहमति रक्षा मंत्रालय भारत सरकार से भी प्राप्त हो गयी है। इस सम्बन्ध में होने वाले एमओयू को मुख्यमंत्री द्वारा अनुमोदित कर दिया गया है। इस हॉस्पिटल के निर्माण से कुम्भ में आने वाले श्रद्धालुओं के बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने चिकित्सा प्रबन्ध समिति के अधीन क्रियाधीन चिकित्सालयों के लिये आवश्यक व्यवस्थाओं के लिये 10 करोड़ की धनराशि अनुमोदित की है।

*वनाग्नि प्रबंधन के लिए जल्द इन्टीग्रेटेड फायर कमांड एण्ड कन्ट्रोल सेंटर की स्थापना की जायेगी-सीएम*

• *वनाग्नि को बुझाने में जान गंवाने वाले फ्रंटलाईन फॉरेस्ट स्टॉफ के आश्रितों को दी जाने वाली धनराशि की सीमा 2.5 लाख से बढ़ाकर 15 लाख रूपये की जायेगी।*
• *वनाग्नि प्रबंधन के लिए राज्य स्तर पर अपर प्रमुख वन संरक्षक को जिम्मेदारी दी जाए।*
• *वन कर्मियों के लिए आवासीय फॉरेस्ट लाईन्स का निर्माण किया जाय।*
• *वनाग्नि बुझाने के दौरान दो कार्मिकों के निधन पर दो मिनट का मौन रखा गया।*

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने वन मुख्यालय देहरादून में वनाग्नि प्रबंधन एवं सुरक्षा की बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिये कि वन मुख्यालय पर तत्काल इन्टीग्रेटेड फायर कमांड एण्ड कन्ट्रोल सेंटर की स्थापना की जाय। वनाग्नि प्रबंधन के लिए यह देश का पहला सेंटर होगा। इस सेंटर के माध्यम से सैटेलाईट से सीधे फायर संबंधित सूचनाओं को एकत्रित कर फील्ड लेबल तक पहुंचाने की व्यवस्था की जायेगी। इसमें फॉरेस्ट टोल फ्री नम्बर 1926 की व्यवस्था के साथ ही अन्य आधुनिक व्यवस्थाएं की जायेंगी। 15 फरवरी से 15 जून तक फायर सीजन के दृष्टिगत सभी व्यवस्थाएं तैयार रखी जाय। वनों एवं वन्यजीवों की रक्षा करना सबका दायित्व है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कैम्पा मद से प्राप्त बाईकों को हरी झण्डी दिखाई एवं स्टेट फायर प्लान प्रति का अनावरण भी किया।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि वनाग्नि को बुझाने में जान गंवाने वाले फ्रंटलाईन फॉरेस्ट स्टॉफ के आश्रितों को दी जाने वाली धनराशि 2.5 लाख से बढ़कार 15 लाख रूपये की जायेगी। गढ़वाल वन प्रभाग, पौड़ी के वनकर्मी श्री हरिमोहन सिंह एवं फॉरेस्टर श्री दिनेश लाल को वनाग्नि बुझाते समय कार्यों के निर्वहन के दौरान अपनी जान गंवानी पड़ी। बैठक शुरू होने से पूर्व इन दोनों कार्मिको के निधन पर दो मिनट का मौन रखा गया।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने निर्देश दिये कि वनाग्नि प्रबंधन के लिए एक अपर प्रमुख वन संरक्षक स्तर के अधिकारी को जिम्मेदारी दी जाय। राज्य में वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए इनके द्वारा मॉनिटरिंग की जायेगी। वनाग्नि प्रबंधन हेतु समय कंट्रोल बर्निंग (पहाड़ के टॉप से नीचे की ओर) तथा फॉरेस्ट फायर लाइंस के रख-रखाव पर विशेष ध्यान दिया जाय। इसमें आ रही बाधाओं का जल्द निराकरण किया जाय। मुख्यमंत्री ने कहा कि फ्रंटलाईन फॉरेस्ट स्टॉफ वन सुरक्षा एवं प्रबंधन की महत्वपूर्ण कड़ी हैं। उनके लिए आवासीय फॉरेस्ट लाईन्स का निर्माण किया जाय।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने प्रमुख सचिव वन एवं प्रमुख वन संरक्षक को निर्देश दिये कि एक सप्ताह में कैंपा परियोजना से सबंधित कार्ययोजना तैयार कर उसका प्रस्तुतीकरण दिया जाय। टोंगिया ग्रामों का प्रस्ताव भी एक सप्ताह में दिया जाय। वन्य जीवों से सुरक्षा के लिए सुरक्षा दीवार के बजाय सोलर फेंसिंग पर अधिक ध्यान दिया जाय। यह कम लागत पर अधिक परिणामकारी है। वनाग्नि को रोकने के लिए लगातार प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं जागरूकता के कार्यक्रम किये जाए। स्थानीय लोगों को भी वनाग्नि को रोकने के लिए भागीदार बनाया जाय। वन पंचायतो को सक्रिय रखा जाय।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जुड़े सभी जिलाधिकारियों एवं डीएफओ को निर्देश दिये कि वनाग्नि प्रबंधन के लिए सभी व्यवस्थाएं तैयार रखी जाय। आवश्यक उपकरणों की पूर्ण व्यवस्था के साथ ही एसडीआरएफ मद से भी उपकरण ले सकते हैं। वनाग्नि को रोकने के लिए पिरूल एकत्रीकरण की व्यवस्था की जाए एवं समय-समय पर जिलाधिकारी के स्तर पर बैठकें आयोजित की जाय। यह सुनिश्चित किया जाय कि वनाग्नि में जान गंवाने वालों को शीघ्र मानकों के अनुसार मुआवजा मिल जाय। उन्होंने जिलाधिकारियों को निर्देश दिये कि फायर सीजन के दौरान वन विभाग के नियंत्रणाधीन वाहनों को अधिग्रहण न किया जाय।
बैठक में वन पंचायत सलाहकार परिषद के अध्यक्ष श्री वीरेन्द्र सिंह बिष्ट, ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एस.एस. नेगी, प्रमुख सचिव श्री आनन्द वर्द्धन, प्रमुख वन संरक्षक श्री राजीव भरतरी, पीसीसीएफ वन पंचायत श्रीमती ज्योत्सना शितलिंग, अपर प्रमुख वन संरक्षक श्री डी. जे.के शर्मा, श्री कपिल राज, श्री आर के. मिश्रा, मुख्य वन संरक्षक श्री रमेश चन्द्रा, श्री बी. के. गांगटे, श्री सुशांत पटनायक, मुख्यमंत्री के विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते एवं वन विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

*15 भूकंप सेंसर के लिए 45 लाख की मंजूरी*
देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्य में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की के सहयोग से भूकंप पूर्व चेतावनी तंत्र के संचालन पर होने वाले व्यय के लिए 45 लाख जारी करने पर सहमति दी है। मुख्यमंत्री की सहमति के बाद आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सचिव एस.ए. मुरूगेशन की ओर से इसका जीओ भी जारी कर दिया गया है।
उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के माध्यम से यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री को भेजा गया था। राज्य में भूकंप पूर्व चेतावनी तंत्र के क्रियान्वयन के लिए भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान रुड़की द्वारा 15 भूकंप सेंसर लगाए गए थे। जो वर्तमान में खराब हो गए हैं। इन्हें बदलने के लिए 45 लाख का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था। इसमें यह साफ किया गया है कि इस धनराशि का गलत उपयोग होने पर निदेशक आईआईटी रुड़की का उत्तरदायित्व होगा।

*अति संवदेनशील गांवों के प्रभावित परिवारों के पुनर्वास को मुख्यमंत्री ने दी हरी झंडी*

देहरादून। चार जिलों में आपदा के दृष्टिगत अत्यधिक संवेदनशील प्रभावित परिवारों को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सुरक्षित स्थानों पर विस्थापन और पुनर्वास की अनुमति दी है। इसके लिए आपदा प्रबंधन की ओर से भेजे गए प्रस्ताव के अनुसार मानक मदों के अनुसार धनराशि भी जारी करने की मंजूरी दी है।
टिहरी जिले के अत्यधिक संवेदनशील ग्राम बेथाण नामे तोक के चार प्रभावित परिवारों के विस्थापन-पुनर्वास नीति के तहत विस्थापित करने के राज्य स्तरीय पुनर्वास समिति की बैठक में पारित प्रस्ताव को मुख्यमंत्री ने अनुमोदित कर दिया है। इसके तहत चार परिवारों को नए स्थान पर पुनर्वास किया जाना है। इन परिवारों के भवन निर्माण, गौशाला निर्माण और विस्थापन भत्ता के लिए मुख्यमंत्री ने 17 लाख की धनराशि की संस्तुति की है। इनमें से दो परिवार वर्तमान में संयुक्त रूप से एक ही मकान में रहते हैं लेकिन विस्थापन में इन्हें अलग-अलग पुनर्वास की सुविधा मिलेगी।
बागेश्वर जिले के तहसील कपकोट के अंतर्गत अत्यधिक संवेदनशील ग्राम मल्लादेश के चार परिवारों के आवासीय भवनों को खतरा उत्पन्न होने के कारण पुनर्वास किए जाने के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री ने अनुमोदित कर दिया है। जिलाधिकारी बागेश्वर की ओर से 2018 की बरसात के दौरान इन परिवारों के मकान अतिवृष्टि और भूस्खलन के कारण अत्यधिक संवेदनशील की श्रेणी में आ गए थे। पुनर्वास नीति,2011 के अनुसार शासन को भेजे प्रस्ताव पर राज्य पुनर्वास समिति की बैठक में मुहर लग चुकी है।
चमोली जिले के तहसील थराली के आपदा प्रभावित अति संवेदनशील ग्राम फल्दिया गांव के 12 परिवारों को अन्यत्र सुरक्षित स्थान पर पुनर्वासित किए जाने के लिए 51 लाख की धनराशि के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री ने सहमति दी है। इसमें पुनर्वास नीति के तहत मानक मदों के अनुसार प्रति परिवार भवन निर्माण के लिए 4 लाख रुपए, गौसाला निर्माण के लिए 15 हजार तथा विस्थापन भत्ता 10 हजार रुपए की संस्तुति की गई है।
चमोली जिले के ही तहसील गैरसैंण के आपदाग्रस्त ग्राम सनेड लगा जिनगोडा के प्रभावित परिवार के पुनर्वास के प्रस्ताव को भी उचित पाया गया। राज्य आपदा पुनर्वासन समिति की बैठक में पहले ही इस पर अनुमोदन दिया गया है।