पेड़ काटे जाने पर गुरू रामराय की ओर से मंतव्य

16 वीं सदी में पंजाब से श्री गुरु राम राय जी महाराज हिमालय की इस द्रोण घाटी में आये और उन्होंने यहां अपना डेरा लगाया

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