उत्तराखंड में एसआइटी करेगी छात्रवृति घोटाले की जांच

देहरादून में समाज कल्याण विभाग द्वारा अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृति में हुए सौ करोड़ से अधिक के घोटाले पर सरकार अब सख्त रुख अपनाती नजर आ रही है। सरकार ने इस मामले की जांच विशेष जांच दल (एसआइटी) से कराने का निर्णय लिया है। सौ करोड़ से अधिक के इस घोटाले की जांच के लिए मुख्यमंत्री ने अनुमति प्रदान करते हुए तीन माह के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं।

समाज कल्याण विभाग से जुड़ा यह मामला बीते वर्ष प्रकाश में आया था। यह बात सामने आई कि उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों में निजी शैक्षणिक संस्थाओं में पढ़ने वाले छात्रों के नाम पर समाज कल्याण विभाग से छात्रों के एडमिशन व पढ़ाई के लिए छात्रवृति दी गई, जबकि इन निजी संस्थाओं में प्रदेश के किसी भी छात्र ने पढ़ाई नहीं की।

आरोप लगाया गया कि समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से ऐसे लोगों को छात्रवृत्ति दी गई, जो अस्तित्व में ही नहीं हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी इसका संज्ञान लेते हुए शासन को इस पर जांच करने को कहा था।

कांग्रेस सरकार ने मामले की जांच कराई तो इसमें विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत की पुष्टि हुई। इस पर मामले की जांच विजिलेंस से कराने की बात भी हुई लेकिन बाद में यह मामला दब गया। इसी वर्ष आचार संहिता के दौरान शासन ने इसकी जांच अपर सचिव वी षणमुगम को सौंपी थी।

उन्होंने यह जांच शुरू ही की थी कि सरकार बनते ही अचानक उनसे यह जांच वापस ले ली गई। इस बीच उन्होंने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट शासन को सौंप दी। उनकी शुरुआती जांच में इस मामले में 15 करोड़ रुपये घोटाले की पुष्टि हुई और इसके और अधिक होने की आशंका जताई गई।

आश्चर्यजनक रूप से इसके बाद यह जांच किसी अन्य को नहीं सौंपी गई। हालांकि, कुछ समय बाद शासन ने समाज कल्याण विभाग की ओर से चलाई जा रही पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजनाओं के तहत राज्य तथा राज्य के बाहर के सहायता प्राप्त व निजी कालेज व विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे लाभार्थियों का सत्यापन करने के साथ ही पुराने मामलों की जांच के लिए वित्तीय वर्ष 2014-15, 2015-16 और 2016-17 के लाभार्थियों के सत्यापन के निर्देश दिए।

इस बीच कांग्रेस ने भी इस मामले को राजनीतिक मुद्दा बनाते हुए सरकार पर दबाव बनाया। सूत्रों की मानें तो इस पर मुख्यमंत्री ने पूरे प्रकरण की फाइल तलब की। प्रकरण को देखने के बाद उन्होंने अब इस मामले की जांच एसआइटी से कराने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने मामले की तीन माह के अंदर रिपोर्ट सौंपने को कहा है।