सबसे शक्तिशाली नवार्ण मंत्र ‘ह्रीं’ मंत्र का महत्व
ह्रीं मंत्र माता भुवनेश्वरी का बिज मंत्र है और माता महालक्ष्मी का प्रतीक है, माता भुवनेश्वरी दास महाविद्याओं में से एक है इनके बारे में हम अलग पोस्ट में जानकारी देंगे। इस मंत्र को माया मंत्र भी कहते हैं और ये शक्तिशाली मंत्र है, इस मंत्र के बारे में देवी भागवत पुराण श्री दुर्गा सप्तशती के सिद्धकुंजिका में भी वर्णन मिलता है।
कुछ साधक इस मंत्र में ह शब्द को प्लुत रख कर बोलते हैं, तो वही कुछ साधक पूरा मंत्र बोले हैं ‘ह्रीं’ लेकिन वास्तव में ह को प्लुत स्वर में रख कर बोलना चाहिए, केवल ह्रीं बोला जाता है।
इस मंत्र में चार शब्द हैं चार शब्द किसी ना किसी का प्रतीक है जैसे –
ह – सदाशिव, र – प्रकृति है
ई की मात्रा – महामाया देवी
अर्धचन्द्रमां – मनोकामना पूरी करने वाला
ह्रीं मंत्र, नवार्ण मंत्र में लग कर मंत्र की महिमा और भी बढ़ जाती है।
यदि आप नवार्ण मंत्र से पृथक केवल ह्रीं का जाप करते हो तो इसे मां भुवनेश्वरी की असीम कृपा होती है, देवीभागवतपुराण में इस मंत्र के बारे में श्री भैरव बाबा नारद ऋषि से बोलते हैं- ह्रीं मंत्र साधु को आनंद और मोक्ष प्रदान करने वाला है यह साक्षात् मां आदिशक्ति भुवनेश्वरी स्वरूप है, भैरव जी आगे बताते हैं कि जो भी मनुष्य इस मंत्र का जाप करता है और उसके बाद कवच पढ़ता है उसपर मां भुवनेश्वरी की असीमित कृपा होती है।
भैरव बाबा आगे भी बताते हैं। जिसके बारे में देवीभागवतपुराण में लिखा हुआ है।
सिद्धकुंजिका में भी ह्रीं मंत्र के बारे में भी लिखा है।
ह्रींकारी प्रतिपालिका – इसका अर्थ मां भगवती ह्रीं के रूप में संसार का पालन एवं पोषण करती है।
ह्रीं मंत्र की महिमा अपार है इसे अवश्य ही जानना चाहिए और जानकर इसकी उपासना करनी चाहिए। इस मंत्र को गुरु से ही लेना चाहिए।
यह जानकरी आपको देवीभागवतपुराण और सिद्धकुंजिका से ली गई है। इसलिए कोई शंका ना करें इसे यथार्थ ही जानना चाहिए
जय माँ भगवती आदिशक्ति जगदम्बा 🚩🙏