उत्तराखंड में संस्कृत महाविद्यालयों और संस्कृत विद्यालयों का वर्गीकरण 17 फरवरी 2021 को हो गया, लेकिन इसके उपरांत भी आज तक संस्कृत महाविद्यालय के प्रवक्ताओं को उनका वेतनमान नहीं दिया गया है संस्कृत महाविद्यालयों में शिक्षण रत प्रवक्ता आज भी इंटरमीडिएट और हाईस्कूल शिक्षकों के वेतनमान पर ही संस्कृत महाविद्यालयों में अध्यापन कार्य कर रहे हैं।
इसी क्रम में संस्कृत शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डा रामभूषण विजल्वाण व डा0 प्रदीप सेमवाल ने भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट से भेट कर संस्कृत शिक्षा की उक्त समस्या से अवगत कराया और निराकरण हेतु ज्ञापन दिया। प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट जी ने तत्काल शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत से दूरभाष पर बात कर यथोचित कार्यवाही करने हेतु निर्देशित करने हेतु कहा। समझा जा रहा है कि वेतन विसंगति पर तत्काल कार्यवाही सुनिश्चित होगी। इस हेतु संस्कृत शिक्षकों मा0 अध्यक्ष जी के प्रति कृतज्ञता के साथ आभार व्यक्त किया।
बताया गया कि उत्तराखंड में कतिपय संस्कृत महाविद्यालय और संस्कृत विद्यालय वित्तीय सहायता और स्टाफ की कमी से भी जूझ रहे हैं। विशेष रूप से बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अधीन संचालित संस्कृत महाविद्यालयों में बहुत सी विसंगतियां और जटिलताएं हैं एक तरह से संस्कृत विद्यालय भगवान भरोसे ही चल रहे हैं। कतिपय संस्कृत विद्यालयों की भूमि अतिक्रमण की चपेट में है। संस्कृत महाविद्यालय जोशीमठ, कमेड़ा, सिमली, मंडल संस्कृत महाविद्यालय कमेड़ा में भवनों व स्टाफ की कमी है। संस्कृत महाविद्यालय सिमली में कतिपय स्टाफ पिछले पांच छ वर्ष से केवल दो तीन हजार रूपये मासिक वेतन पर कार्य कर रहा है। उखीमठ संस्कृत विद्यापीठ और आयुर्वेदिक फार्मेसी में भी वित व भवन संबधित समस्यायें हैं। चमोली ग्राम प्रधान संगठन के पूर्व अध्यक्ष ने सिमली महाविद्यालय के कर्मचारियों का अति न्यून वेतन प्रकरण भी प्रदेश अध्यक्ष श्री महेंद्र भट्ट के सम्मुख रखा।
बता दें कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा संस्कृत महाविद्यालयों व विद्यालयों के कर्मचारियों का वन टाइम सेटलमेंट भी घोषणा की गयी है लेकिन इस पर भी अभी कार्यवाही अपेक्षित ही है।