एक अत्यंत महत्वपूर्ण अनुरोध – भारत की जनगणना *मार्च 2027* तक पूरी होने जा रही है। जनगणना अधिकारी शीघ्र ही आपके पास आकर जानकारी एकत्र करेंगे।
जब आपसे आपकी *मातृभाषा* के बारे में पूछा जाएगा और फिर आपसे यह पूछा जाएगा कि आप कौन-कौन सी भाषाएं जानते हैं, तो *कृपया “संस्कृत” को उन भाषाओं में अवश्य सम्मिलित करें* जिन्हें आप जानते हैं।
भले ही हर कोई शुद्ध संस्कृत बोल न सके, लेकिन हम इसे निश्चित रूप से * निरंतर प्रार्थना, जप, श्लोक, पूजा और रीति-नीति परंपरा * में उपयोग करते हैं।
*पिछली जनगणना* के अनुसार, पूरे देश में *संस्कृत भाषी लोगों की संख्या मात्र 2000* थी। जबकि *अरबी और फ़ारसी* भाषाएं बोलने वालों की संख्या लाखों में थी और उन्हें *सरकारी अनुदान और समर्थन* भी प्राप्त हुआ।
यदि *संस्कृत को ‘विलुप्त भाषा’ घोषित कर दिया गया*, तो हमारे *प्राचीन धर्मग्रंथ, वेद, पुराण आदि* का *प्रकाशन बंद* हो जाएगा। हम *अपनी जड़ों से कट* जाएंगे और अंत में हमारी पूजा-पद्धतियाँ केवल *डीजे बजाने तक* सीमित रह जाएंगी।
*संस्कृत* भारत की सबसे *प्राचीन और सुंदर भाषा* है। यह *सभी भाषाओं की जननी* है। इस भाषा को *जीवित रखना हम सभी की ज़िम्मेदारी* है।
यदि संस्कृत को ‘विलुप्त’ घोषित कर दिया गया, तो इसके *विकास और विस्तार* के लिए कोई *सरकारी फंडिंग या सहायता* नहीं मिलेगी। शायद हम इसे *हम सदा के लिए खो बैठें*।
केवल हमारा *सचेत प्रयास ही संस्कृत को जीवित* रख सकता है।
*अभी भी देर नहीं हुई है। कृपया यथासंभव संस्कृत सीखना शुरू करें।*
यदि आप इससे सहमत हैं, तो कृपया इस संदेश को *अपने सभी मित्रों के साथ साझा करें।*
🙏🏼 *जय श्री जगन्नाथ* 🙏🙏🙏
*चरक संहिता दूतीय अध्याय – ४५९*:-*
*(नवमोऽध्यायः – उन्माद-रोग)*
नवमोऽध्यायः – अथात उन्मादचिकित्सित व्याख्यास्यामः ॥१॥ इति ह स्माऽऽह भगवानात्रेयः ॥२॥ बुद्धिस्मृतिज्ञानतपोनिवासः पुनर्वसुः प्राणभृता शरण्यः । उन्मादहेत्वाकृति भेषजानि कालेऽग्निवेशाय शशंस पृष्टः ॥३॥
*इसके आगे उन्माद (पागलपन, सनक, मेनिया, मानसिक रोग) की चिकित्सा कहते है । भगवान् आत्रेय ने ऐसा उपदेश किया है ॥१-२॥*
*बुद्धि (अवबोध), स्मृति (स्मरण), ज्ञान (तत्त्वज्ञान), तप (दून्दू सहिष्णुता व्रत, तपश्चरण आदि) इनके निवास आश्रयभूत, प्राणियों की रक्षा मे श्रेष्ठ भगवान् आत्रेय ने उचित अवसर पर, अनिवेश के प्रश्न करने पर उन्माद-रोग के कारण, लक्षण और चिकित्सा का अग्निवेश को उपदेश किया ॥३॥*
विरुद्धदुष्टाशुचिभोजनानि प्रधर्षणं देवगुरुद्विजानाम् । उन्मादहेतुर्भयहर्षपूर्वी मनोऽभिघातो विषमाश्च चेष्टाः ॥४॥
*उन्माद के कारण और सामान्य लक्षण :–*
*उन्माद के कारण और सामान्य लक्षण – विरुद्ध (सयोग – विरुद्ध जैसे – मछली और दूध), विष आदि से दूषित और अपवित्र खान-पान, देव, गुरुजन, (माता-पिता और आचार्य) और द्विजो (ब्राह्मणो) का तिरस्कार, भय या हर्ष के कारण मन पर आघात होना, (इसी प्रकार क्रोध, शोक, चिन्ता आदि से मन पर चोट पहुचना) और शरीर की क्रियाओ का विषम होना, ये सब बाते उन्माद रोग के कारण है ॥४॥*
तैरल्पसत्त्वस्य मलाः प्रदुष्टा बुद्धेर्निवासं हृदय प्रदूष्य । स्रोतास्यधिष्ठाय मनोवहानि प्रमोहयन्त्याशु नरस्य चेतः ॥५॥
*सम्प्राप्ति :–*
*सम्प्राप्ति — उपरोक्त कारणों से अल्पसत्त्व अर्थात् दुर्बल व्यक्ति मे मल (वात आदि दोष) प्रकुपित होकर, बुद्धि, ज्ञान और, स्मृति के आश्रय-स्थान हृदय को दूषित कर देते है और मनोवह स्रोता का आश्रय लेकर पुरुष के चित्त को शीघ्र ही माहित अर्थात् विपरीत ज्ञान वाला और विचलित कर देते है ॥५॥*
वीविभ्रमः सत्त्वपरिवश्व पर्याकुला दृष्टिरधीरता च । अबद्धवाक्त्वं हृदयं च शून्यं सामान्यमुन्माद्गदस्य लिङ्गम् ॥६॥
*लक्षण :–*
*लक्षण – धी-विभ्रम (बुद्धि का भ्रश), सत्त्वपरिक्षव (मन की अति चचलता), आखो मे व्याकुलता (इधर-उधर देखना), अधीरता, असम्बद्ध वाणी, हृदयशून्यता अर्थात् भाव से रहित हृदय होना, ये सब निज और आगन्तुज दोनों प्रकार के उन्मादो के लक्षण है ॥६॥*
स मूढचेता न सुख न दुःखं नाऽऽचारधर्मों कुत एव शान्तिम् । विन्दत्यपास्तस्मृतिबुद्धिसंज्ञो भ्रमत्यय चेत इतस्ततश्च ॥७॥
*इस मूढ चित्तवाले पुरुष को न सुख का, न दुःख का और, न आचार (मर्यादा) का, न धर्म का ज्ञान रहता है, इसलिये चित्त को कही भी शान्ति प्राप्त नही होती । इस व्यक्ति की स्मृति, बुद्धि और संज्ञा सब नष्ट हो जाती है, यह व्यक्ति चित्त को इधर-उधर डोलाता रहता है ॥७॥*
समुद्भ्रमं बुद्धिमनःस्मृतीनामुन्माद मागन्तुनिजोत्थमाहुः । तस्योद्भवं पञ्चविधं पृथक तु वक्ष्यामि लिङ्गानि चिकित्सितं च ॥८॥
*बुद्धि, मन और स्मृति का भ्रश होना ही उन्माद का स्वरूप है । कारण भेद से उन्माद रोग दो (२) प्रकार का है।*
*(१) निज – शरीर के दोष से उत्पन्न और,*
*(२) आगन्तुज ।*
*इस उन्माद की उत्पत्ति पाच (५) प्रकार की है ।*
*(क) वातज, (ख) पित्तज, (ग) कफ़ज, (घ) सन्निपातज और, (ड़) (आगन्तुज) [१]।*
[१] *सुश्रुत और अष्टाग-संग्रह से विषजन्य उन्माद का मान कर छ: प्रकार के उन्माद माने है । वहा कहा है – ‘षडुन्मादा भवन्ति’ । परन्तु क्योंकि विष की मद-सज्ञा होने से इसका निजोन्माद मे ही अन्तर्भाव करना चाहिये । जैसे – ‘यथास्व तत्र भेपजम्’ ।*
सुश्रुत – ‘यश्च मन्यकृत प्रोक्तो विषज्ञो रौधिरश्च य । सर्व एव मदा न वातपित्तकफात् त्रयात् ॥
*प्रत्येक के लक्षण और चिकित्सा पृथक-पृथक कहेंगे ॥८॥*
रूक्षात्पशीरामविरेकधातुक्ष्योपबारे रनिलोऽतिवृद्धः । चिन्ताविष्ट हृदय प्रदूष्य बुद्धि स्मृति चाप्युपहन्ति शीघ्रम् ॥९॥ अस्थाना सस्तिनृत्यगीतवागङ्गविक्षेपणरोदनानि । पोरुषयकाश्योरुणवणताश्च जीर्णे बलं चानिलजस्य रूपम् ॥१०॥
*(१) वातजन्य उन्माद :–*
*वातजन्य उन्माद – रुक्ष अल्प और शीतल अन्न से, वमन या विरेचन-रूप से दोषो का निकालने वाले कर्मों से रस-रक्त आदि धातुओ का क्षय होने से, उपवासों से, बढा हुआ वायु अल्पमत्व (निर्बल) व्यक्ति के चिन्ता, शोक क्रोध, लोन, काम आदि से युक्त हृदय को दूषित करके, बुद्धि, स्मृति का भी शीघ्र ही नष्ट (चंचल, अस्थिर, बेचैन) कर देता है ।*
*लक्षण :–
*लक्षण – इसके कारण से व्यक्ति बिना स्थान (बिना अवसर) ही जोर से हसने लगता है, मुस्कराता है, नाचता है, रोता है, अगो का इधर-उधर चलाता है, रोता है।*
*रोगी का शरीर कठार, कुश, अरुण (लाल) वर्ण का हो जाता है, आहार के जीर्ण (पुराना, बहुत दिनों का) होने पर रोग का बल बढ़ जाता है, ये वातजन्य उन्माद के लक्षण है ॥९-१०॥*
अजीर्णकट्वम्लविदाह्यशीतैर्भाज्येिश्चित पित्तमुदीर्णवेगम् । उन्मादमत्युग्रमनात्मकस्य हृदि श्रितं पूर्ववदाशु कुर्यात् ॥११॥ अमर्षसंरम्भविनन्नभावाः सन्तार्जनाभिद्रवणौष्ण्यरोषाः । प्रच्छायगीतान्नजलाभिलाषाः पीता च भाः पित्तकृतस्य लिङ्गम् ॥१२॥
*(२) पित्तज उन्माद – अजीर्ण (बदहज़मी), कटु, अम्ल, विदाही और उष्ण आहार से कुपित हुआ पित्त अनात्मवान् (अवीर, निर्बल) पुरुष के हृदय में स्थित होकर, हृदय को दूषित करके शीघ्र ही अति भयकर, तीव्र, उन्माद का उत्पन्न करता है ।*
*लक्षण :–*
*लक्षण – बिना अवसर के ही अमर्प अर्थात् अक्षमा, क्रोध करना, सरम्भ (किसी काम मे बहुत जल्दी करना), नगा हो जाना, सतर्जन (भर्त्सना), अभिद्रवण (भागना), शरीर का उष्ण होना, क्रोध करना, छायायुक्त स्थान की चाह, शीतल खान-पान की इच्छा का होना, शरीर मे पिलाई की झलक होना, ये सब पित्तजन्य उन्माद के लक्षण है। इस में रोग का बल भोजन की जोर्ण अवस्था में अधिक होता है ॥११-१२*
संपूरणैर्मन्दविचेष्टितस्य सोष्मा कफो मर्मणि सप्रवृद्धः । बुद्धि स्मृति चाप्युपहत्य चित्तं प्रमोहयन्संजनयेद्विकारम् ॥१३॥ वाकचेष्टितं मन्दमरोचकच नारीविविक्तप्रियताऽतिनिद्रा । छर्दिश्व लाला च बलं चभुक्ते नखाविशौक्ल्यं च कफात्मके स्यात् ॥१४॥
*(३) कफज उन्माद :–*
*कफज उन्माद – मन्द चेष्टाशील (प्राय करके कायन, आसन आदि पर रहने वाले), व्यक्ति के अति भोजन करने से, ऊष्मा अर्थात् उष्णता की इच्छा सहित कफ, मर्म अर्थात् हृदय में बढ कर, बुद्धि और स्मृति का नाश करके चित्त को मोहित कर उन्माद रोग का उत्पन्न करता है [१] ।*
*लक्षण :–*
*लक्षण – वाणी और शरीर की चेष्टा का मन्द होना, अरोचक (अरुचि), स्त्रीसग की चाह, एकान्त, निर्जन स्थान की अभिलाषा, नीद का अधिक आना, छर्दि और लाला-स्त्राव, आहार के खाने पर रोग का बल बढना, नख, त्वचा, मूत्र आदि का श्वेत होना कफोन्माद के लक्षण है ॥१३-१४॥*
यः सन्निपातप्रभवोऽतिघोरः सर्वैः समस्तैः स तु हेतुभिः स्यात् । सर्वाणि रूपाणि बिर्भात तादृग्विरुद्धभपज्यविधिर्विवयः ॥१५॥
*(४) सन्निपातजन्य उन्माद :–*
*सन्निपातजन्य उन्माद – तीनो दोषो से मिलकर उत्पन्न हुआ उन्माद अति दारुण होता है।*
*इसमे वात आदि तीनो दोष कारण रुप ले सम्मिलित रहते है, इसलिये इसमे सब दोषो के लक्षण भी रहते है । इसमे चिकित्सा परस्पर विरोविनी होने के कारण यह असाध्य है ॥१५॥*
देवर्षिगन्धर्व पिशाचयक्षरक्षः पितॄणामभिधर्पणानि । आगन्तुहेतुर्नियमत्रतादि मिथ्याकृतं कर्म च पूर्वदेहे ॥१६॥ अमर्त्यवाग्विक्रमवीर्यचेष्टो ज्ञानादिविज्ञानबलादिभिर्यः । उन्मादकालोsनियतश्च यस्य भूतोत्थमुन्मादमुदाहरेत्तम् ॥१७॥ अदूषयन्तः पुरुषस्य देह देवादयः स्वेश्व गुणप्रभावैः । विशन्त्यदृश्यास्तरसा यथैव च्छायातपो दर्पणसूर्यकान्तौ ॥१८॥
*(५) आगन्तुज उन्माद :–*
*आगन्तुज उन्माद – देवता, ऋषि, गन्धर्व, पिशाच, यक्ष, राक्षस (राक्षस और ब्रह्मराक्षस) और पितर इन आठो ग्रहो का तिरस्कार करना, नियमपूर्वक व्रतादि का आचरण न करना और पूर्वजन्म मे उत्तम कर्म न होना – ये आगन्तुज उन्माद रोग के कारण है ।*
*लक्षण :–*
*लक्षण – (१) जिस उन्माद-रोगी मे अमानुषीय (दैवी), वाणी, पराक्रम, शूरता, शरीर क्रियाये दिखाई दे, जिसका ज्ञान, बुद्धि, स्मृति, विज्ञान (शिल्प सम्बन्धी ज्ञान), और अमानुषी बल (मनुष्य सीमा से अधिक) प्रतीत हो, जिस उन्माद का काल निश्चय न हो (कभी प्रात, कभी मध्याह और, कभी सायकाल हो), इस प्रकार के उन्माद को भूतोन्माद जानना चाहिये ।*
*जिस प्रकार अपने गुणो के प्रभाव से दर्पण में छाया (प्रतिबिम्ब) और सूर्य क्रान्तमणि मे सूर्य की किरणे प्रवेश करती है, परन्तु दिखाई नही देती, उसी प्रकार से देव आदि भी मनुष्य के शरीर को दूषित किये बिना ही अपने गुणों के प्रभाव से अतिवेग से प्रविष्ट हो जाते है । [ ये वात आदि दोषो के समान शरीर को दूषित नही करते ] ॥१६-१८॥*
आघातकालास्तु सपूर्वरूपाः प्रोक्ता निदानेऽथ सुरादिभिश्च । उन्मादरूपाणि पृथडू निबोध कालं च गम्यान्पुरुषाश्च तेषाम् ॥१९॥
*अभिगमनीय पुरुषो पर आघात (आक्रमण) के काल और आगन्तुज उन्माद के पूर्वरूप ये निदान स्थान में प्रथम कह दिये है ।*
*अब देवता आदि आठ (८) ग्रहो के द्वारा उत्पन्न उन्माद के लक्षण, अभिगमन-काल और यह रोग जिन पुरुषों को होता है यह सब पृथक-पृथक सुनो ।*
*[ यद्यपि देव आदि का प्रवेश दिखाई नही देता तथापि ज्ञान, विज्ञान- शीलता आदि लक्षणो से इनका अनुमान करना चाहिये ] ॥१६॥*जय श्री कृष्ण जय धन्वंतरि
यदि शक्कर छोड़ते हैं तो एक सप्ताह में शरीर होंगे ये चमत्कारिक परिवर्तन
अगर आपने फैसला कर लिया है कि अब और नहीं — न कोई कोल्ड ड्रिंक, न मिठाई, न चुपके से खाई गई चॉकलेट — तो आप अकेले नहीं हैं। लेकिन अब आपके मन में सवाल होगा: क्या इससे वाकई कोई फर्क पड़ेगा? और अगर हां, तो कब? शक्कर छोड़ना सिर्फ वजन घटाने का फैसला नहीं है, बल्कि ये एक गहरी बॉडी और माइंड रीसेट की शुरुआत होती है।
सच्चाई यह है कि शक्कर हर जगह छुपी हुई होती है — सिर्फ मिठाई या मिठे ड्रिंक्स में नहीं, बल्कि ब्रेड, टमाटर की चटनी, पैकेज्ड स्नैक्स, यहां तक कि हेल्दी माने जाने वाले दही या एनर्जी बार्स में भी। इसलिए जब लोग कहते हैं कि वे “शक्कर छोड़ रहे हैं”, तो ज़्यादातर वे सिर्फ ऐडेड शुगर यानी खाने में मिलाई गई प्रोसेस्ड शक्कर की बात कर रहे होते हैं। और यही छोटा सा बदलाव, बड़े-बड़े फायदे लाता है।
शक्कर से सिर्फ खाली कैलोरी मिलती है — शरीर को कोई पोषण नहीं मिलता। लेकिन उसका असर बहुत गहरा होता है। ये वजन बढ़ाती है, इंसुलिन को बिगाड़ती है, दांत खराब करती है, हार्मोन्स को असंतुलित करती है, और यहां तक कि त्वचा पर भी असर डालती है। इसके ज़्यादा सेवन से दिल की बीमारी, टाइप 2 डायबिटीज़, सूजन, पाचन की समस्याएं, और मूड स्विंग्स जैसी कई दिक्कतें हो सकती हैं।
लेकिन बात यहीं खत्म नहीं होती। शक्कर छोड़ना जितना जरूरी है, उतना ही मुश्किल भी। पहले कुछ दिन काफी चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। आपके शरीर को शक्कर की आदत होती है, खासकर उस डोपामिन हिट की जो मिठा खाने पर दिमाग को मिलती है। जैसे ही आप इसे बंद करते हैं, शरीर प्रतिक्रिया देने लगता है — थकान, सिरदर्द, चिड़चिड़ापन, भूख और ध्यान भटकने जैसी चीजें महसूस हो सकती हैं। लेकिन अगर आप सिर्फ पहले 7-10 दिन निकाल लें, तो जल्द ही आपके शरीर में जबरदस्त बदलाव शुरू हो जाते हैं।
आपकी कैलोरी इंटेक कम हो जाती है, जिससे वजन कम होना शुरू हो जाता है। कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर में गिरावट आती है, आपकी आंतों का बैक्टीरिया बैलेंस सुधरता है, और आपकी स्किन पहले से ज्यादा साफ व चमकदार दिखने लगती है। यहां तक कि आपकी सांसों की दुर्गंध और मसूड़ों की समस्याएं भी कम हो जाती हैं।
अगर आप मुंहासों या त्वचा की अन्य समस्याओं से जूझते रहे हैं, तो शक्कर छोड़ने से फर्क साफ नजर आएगा। साथ में सही स्किन केयर और हेल्दी डाइट हो, तो चेहरे पर जो निखार आता है वो खुद ही सबको दिखने लगेगा।
शक्कर छोड़ने का असर सिर्फ शरीर पर नहीं, दिमाग और इम्यून सिस्टम पर भी पड़ता है। क्योंकि शक्कर शरीर में क्रॉनिक इंफ्लेमेशन यानी सूजन को बढ़ाती है, जिससे आपकी प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। नतीजा ये होता है कि आप जल्दी-जल्दी बीमार पड़ते हैं और बीमारी जल्दी जाती भी नहीं। लेकिन जैसे ही शक्कर बाहर जाती है, शरीर खुद को रिपेयर करना शुरू करता है। नींद बेहतर होती है, क्योंकि शक्कर सोने वाले हार्मोन्स को बिगाड़ती है — और बिना शक्कर के, आपका शरीर सुकून की नींद ले पाता है।
और हां, आपकी सेक्स लाइफ पर भी असर होता है — पॉजिटिव असर। महिलाओं में हार्मोनल संतुलन बेहतर होता है, जिससे ऊर्जा और इच्छा दोनों बढ़ती हैं। वहीं पुरुषों में इंसुलिन स्पाइक कम होने से इरेक्टाइल डिसफंक्शन जैसी समस्याओं में सुधार होता है। इस एनर्जी के साथ-साथ एक और बड़ा फायदा दिखता है: आपकी त्वचा की उम्र कम दिखने लगती है। शक्कर शरीर में ग्लाइकेशन नाम की प्रक्रिया शुरू करती है, जो कोलेजन और इलास्टिन को खराब करती है — और इससे झुर्रियां जल्दी आती हैं। शक्कर छोड़ने से ये असर धीमा पड़ता है, जिससे आप जवान दिखते और महसूस करते हैं।
लेकिन ये सब होने के बावजूद, शक्कर की तलब पूरी तरह नहीं जाती। क्रेविंग कभी-कभी फिर भी आएगी — डोनट, मिठाई या कोल्ड ड्रिंक आपको लुभा सकते हैं। लेकिन जब आप खुद को बेहतर महसूस करने लगते हैं — नींद में, स्किन में, एनर्जी में — तो ये क्रेविंग कमज़ोर पड़ने लगती है। और अगर आप कभी-कभी गलती से शक्कर खा भी लें, तो कोई बड़ी बात नहीं। जब तक ये रोज़ की आदत नहीं बन जाती, आपका शरीर दोबारा बैलेंस में आ जाता है।
तो क्या शक्कर छोड़ने में कुछ हानि भी हैं? थोड़ा बहुत — खासकर अगर आप एथलीट हैं या बहुत फिजिकल एक्टिविटी करते हैं। क्योंकि शक्कर से शरीर को इंस्टेंट एनर्जी मिलती है, और यदि आपने कोई अच्छा विकल्प नहीं अपनाया, तो शरीर कुछ समय के लिए थका हुआ महसूस कर सकता है। लेकिन धीरे-धीरे आपका शरीर दूसरी चीज़ों से एनर्जी लेना सीख जाएगा — और वो ज्यादा स्थिर और टिकाऊ होगी
आख़िर में, शक्कर छोड़ना सिर्फ एक डाइट का हिस्सा नहीं — ये एक जीवनशैली का बदलाव है। यह आपके शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को गहराई से प्रभावित करता है। शुरुआत के दिन मुश्किल होंगे, लेकिन जो इंसान आप बनते हैं उस प्रक्रिया में — वो ज़रूर आपको पसंद आएगा।
क्या आपने कभी शक्कर छोड़ने की कोशिश की है? अपने अनुभव नीचे कमेंट में अवश्य शेयर करें — क्या सबसे कठिन था, और सबसे अच्छा बदलाव क्या हुआ था
*🙏🏻ॐ विष्णवे नमः🙏🏻*
*पुण्य लाभ के लिए इस पंचांग को औरों को भी अवश्य भेजिए🙏🏻🙏🏻*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌤️ *दिनांक – 03 जुलाई 2025*
🌤️ *दिन – गुरूवार*
🌤️ *विक्रत संवत 2082 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2081)*
🌤️ *शक संवत -1947*
🌤️ *अयन – दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु – वर्षा ॠतु*
🌤️ *मास – आषाढ*
🌤️ *पक्ष – शुक्ल*
🌤️ *तिथि – अष्टमी दोपहर 02:06 तक तत्पश्चात नवमी*
🌤️ *नक्षत्र – हस्त दोपहर 01:50 तक तत्पश्चात चित्रा*
🌤️ *योग – परिघ शाम 06:36 तक तत्पश्चात शिव*
🌤️ *राहुकाल – दोपहर 02:23 से शाम 04:04 तक*
🌤️ *सूर्योदय – 06:02*
🌤️ *सूर्यास्त – 07:23*
👉 *दिशाशूल – दक्षिण दिशा मे*
🚩 *व्रत पर्व विवरण –
💥 *विशेष – अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌷 *चातुर्मास्य व्रत की महिमा* 🌷
➡ *06 जुलाई 2025 रविवार से चातुर्मास प्रारंभ।*
👉🏻 *गताअंक से आगे….*
🙏🏻 *चतुर्मास में ताँबे के पात्र में भोजन विशेष रूप से त्याज्य है। काँसे के बर्तनों का त्याग करके मनुष्य अन्य धातुओं के पात्रों का उपयोग करे। अगर कोई धातुपात्रों का भी त्याग करके पलाशपत्र, मदारपत्र या वटपत्र की पत्तल में भोजन करे तो इसका अनुपम फल बताया गया है। अन्य किसी प्रकार का पात्र न मिलने पर मिट्टी का पात्र ही उत्तम है अथवा स्वयं ही पलाश के पत्ते लाकर उनकी पत्तल बनाये और उससे भोजन- पात्र का कार्य ले। पलाश के पत्तों से बनी पत्तल में किया गया भोजन चन्द्रायण व्रत एवं एकादशी व्रत के समान पुण्य प्रदान करने वाला माना गया है।*
🙏🏻 *प्रतिदिन एक समय भोजन करने वाला पुरुष अग्निष्टोम यज्ञ के फल का भागी होता है। पंचगव्य सेवन करने वाले मनुष्य को चन्द्रायण व्रत का फल मिलता है। यदि धीर पुरुष चतुर्मास में नित्य परिमित अन्न का भोजन करता है तो उसके सब पातकों का नाश हो जाता है और वह वैकुण्ठ धाम को पाता है। चतुर्मास में केवल एक ही अन्न का भोजन करने वाला मनुष्य रोगी नहीं होता।*
🙏🏻 *जो मनुष्य चतुर्मास में केवल दूध पीकर अथवा फल खाकर रहता है, उसके सहस्रों पाप तत्काल विलीन हो जाते हैं।*
🙏🏻 *पंद्रह दिन में एक दिन संपूर्ण उपवास करने से शरीर के दोष जल जाते हैं और चौदह दिनों में तैयार हुए भोजन का रस ओज में बदल जाता है। इसलिए एकादशी के उपवास की महिमा है। वैसे तो गृहस्थ को महीने में केवल शुक्लपक्ष की एकादशी रखनी चाहिए, किंतु चतुर्मास की तो दोनों पक्षों की एकादशियाँ रखनी चाहिए।*
🙏🏻 *जो बात करते हुए भोजन करता है, उसके वार्तालाप से अन्न अशुद्ध हो जाता है। वह केवल पाप का भोजन करता है। जो मौन होकर भोजन करता है, वह कभी दुःख में नहीं पड़ता। मौन होकर भोजन करने वाले राक्षस भी स्वर्गलोक में चले गये हैं। यदि पके हुए अन्न में कीड़े-मकोड़े पड़ जायें तो वह अशुद्ध हो जाता है। यदि मानव उस अपवित्र अन्न को खा ले तो वह दोष का भागी होता है। जो नरश्रेष्ठ प्रतिदिन ‘ॐ प्राणाय स्वाहा, ॐ अपानाय स्वाहा, ॐ व्यानाय स्वाहा, ॐ उदानाय स्वाहा, ॐ समानाय स्वाहा’ – इस प्रकार प्राणवायु को पाँच आहुतियाँ देकर मौन हो भोजन करता है, उसके पाँच पातक निश्चय ही नष्ट हो जाते हैं।*
🙏🏻 *चतुर्मास में जैसे भगवान विष्णु आराधनीय हैं, वैसे ही ब्राह्मण भी। भाद्रपद मास आने पर उनकी महापूजा होती है। जो चतुर्मास में भगवान विष्णु के आगे खड़ा होकर ‘पुरुष सूक्त’ का पाठ करता है, उसकी बुद्धि बढ़ती है।*
🙏🏻 *चतुर्मास सब गुणों से युक्त समय है। इसमें धर्मयुक्त श्रद्धा से शुभ कर्मों का अनुष्ठान करना चाहिए।*
🌷 *सत्संगे द्विजभक्तिश्च गुरुदेवाग्नितर्पणम्।*
*गोप्रदानं वेदपाठः सत्क्रिया सत्यभाषणम्।।*
*गोभक्तिर्दानभक्तिश्च सदा धर्मस्य साधनम्।*
🙏🏻 *‘सत्संग, भक्ति, गुरु, देवता और अग्नि का तर्पण, गोदान, वेदपाठ, सत्कर्म, सत्यभाषण, गोभक्ति और दान में प्रीति – ये सब सदा धर्म के साधन हैं।’*
🙏🏻 *देवशयनी एकादशी से देवउठी एकादशी तक उक्त धर्मों का साधन एवं नियम महान फल देने वाला है। चतुर्मास में भगवान नारायण योगनिद्रा में शयन करते हैं, इसलिए चार मास शादी- विवाह और सकाम यज्ञ नहीं होते। ये मास तपस्या करने के हैं।*
🙏🏻 *चतुर्मास में योगाभ्यास करने वाला मनुष्य ब्रह्मपद को प्राप्त होता है। ‘नमो नारायणाय’ का जप करने से सौ गुने फल की प्राप्ति होती है। यदि मनुष्य चतुर्मास में भक्तिपूर्वक योग के अभ्यास में तत्पर न हुआ तो निःसंदेह उसके हाथ से अमृत का कलश गिर गया। जो मनुष्य नियम, व्रत अथवा जप के बिना चौमासा बिताता है वह मूर्ख है।*
🙏🏻 *बुद्धिमान मनुष्य को सदैव मन को संयम में रखने का प्रयत्न करना चाहिए। मन के भलीभाँति वश में होने से ही पूर्णतः ज्ञान की प्राप्ति होती है।*
🌷 *सत्यमेकं परो धर्मः सत्यमेकं परं तपः।*
*सत्यमेकं परं ज्ञानं सत्ये धर्मः प्रतिष्ठितः।।*
*धर्ममूलमहिंसा च मनसा तां च चिन्तयन्।*
*कर्मणा च तथा वाचा तत एतां समाचरेत्।।*
🙏🏻 *‘एकमात्र सत्य ही परम धर्म है। एक सत्य ही परम तप है। केवल सत्य ही परम ज्ञान है और सत्य में ही धर्म की प्रतिष्ठा है। अहिंसा धर्म का मूल है। इसलिए उस अहिंसा को मन, वाणी और क्रिया के द्वारा आचरण में लाना चाहिए।’*
🌷 *(स्कं. पु. ब्रा. 2.18-19)* 🌷
➡ *शेष कल……..*
🌷 *(पद्म पुराण के उत्तर खंड, स्कंद पुराण के ब्राह्म खंड एवं नागर खंड उत्तरार्ध से संकलित)*
🙏🏻 *स्रोतः ऋषि प्रसाद, जुलाई 2004, अंक 139, पृष्ठ संख्या 14, 15, 16*
📖 *वैदिक पंचांग संपादक ~ अंजनी बहेन निलेश ठक्कर*
📒 *वैदिक पंचांग प्रकाशित स्थल ~ सुरत शहर (गुजरात)*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज दिन के पहले भाग में आप किसी कार्य को लेकर दुविधा में रहेंगे इसके कारण भाग दौड़ भी करनी पड़ेगी परन्तु लाभ होते होते हाथ से निकल जायेगा। भाग्य का साथ आज अन्य दिनों की अपेक्षा कम ही रहेगा। घर का शांत वातावरण आपसी तालमेल की कमी के कारण खराब रहेगा आज घर किसी भी सदस्य को काम के लिये कहना कलह कराएगा। महिलाये धर्य धारण करने का प्रयास करेंगी लेकिन बचते बचते भी कलह होने की संभावना है। व्यवसायिक क्षेत्र पर लाभ के कम ही अवसर मिलेंगे फिर भी आवश्यकता अनुसार धन कही ना कही से मिल ही जायेगा नौकरी पेशाओ से गलत काम होने पर अधिकारी रुष्ट होंगे। स्वास्थ्य में भी थोड़ा बहुत विकार लगा रहेगा।
वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज का दिन मिला-जुला फल देगा दिन के आरंभ में जिस कार्य को करने से डरेंगे दोपहर के बाद उसी में मन लगने लगेगा लाभ के अवसर भी मध्यान बाद से मिलने लगेंगे लेकिन स्वभाव में चंचलता आने से समय पर निर्णय लेने में परेशानी आएगी जिसके परिणाम स्वरूप सीमित लाभ से ही संतोष करना पड़ेगा। आज परिस्थितियां अनुकूल बन रही है मेहनत करने से पीछे ना हटे किसी भी कार्य से तुरंत लाभ नही होगा लेकिन निकट भविष्य में धन के साथ सम्मान भी मिलेगा। धर का वातावरण आज अन्य दिनों की तुलना में आनदमय रहेगा अपनी बचकानी हरकतों से परिजनो का मनोरंजन करेंगे।
मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज दिन के आरम्भ में स्वभाव में नरमी रखने की आवश्यकता है। बेतुकी बाते कर के परिवार का वातावरण खराब करेंगे परिजन भी उकसाने वाला व्यवहार करेंगे लेकिन मौन रहकर दोपहर तक का समय बिताये इसके बाद स्थिति अपने आप शांत बनने लगेगी। कार्य क्षेत्र पर भी मध्यान तक नरम व्यवहार रखें इसके बाद स्वतः ही अपनी गलतियों का आभास होगा जिससे विवेक जाग्रत होने पर दिन का बाकी भाग शान्ति से बीतेगा। धन लाभ की कामना पूर्ति के लिये आज परिश्रम अधिक करना पड़ेगा इसकी तुलना में सहयोग की कमी रहेगी। उधारी के व्यवहार स्वयं ही बढ़ाएंगे समय पर उगाही ना होने पर गुस्सा आयेगा। घर और सेहत की स्थिति आज सामान्य रहेगी।
कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज दिन के आरम्भ में परिस्थितियां आपको लाभ से दूर रखने वाली रहेंगी आलस्य में पड़कर काम से दूर भागेंगे लेकिन धयान रखें प्रातः काल से मध्यान के बीच की गई मेहनत बाद में अवश्य संतोष प्रदान करेगी अन्यथा पश्चाताप रहेगा। कार्य व्यवसाय भी दिन के पूर्वार्ध में ही लाभ के अवसर प्रदान करेगा दोपहर बाद बाजार में उदासीनता आने से धन लाभ के लिये तरसना पड़ेगा। नौकरी वाले जातक आज संतोषजनक कार्य करने के बाद भी अधिकारियों से विशेष प्रयोजन सिद्ध ना कर पाने पर नाराज रहेंगे। परिवार में पूजा पाठ के आयोजन होने से वातावरण मंगलमय रहेगा लेकिन सदस्यों में कुछ ना कुछ मतभेद लगे रहेंगे। स्वास्थ्य संबंधित समस्या आज कम ही रहेंगी।
सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज दिन के आरंभिक भाग में आप किसी महात्त्वपूर्ण कार्य को लेकर उत्साहित रहेंगे लेकिन सेहत में धीरे धीरे नरमी आने से मन का उत्साह भी उदासीनता में बदल जायेगा। काम-धंधा अपेक्षा के अनुसार नही चलने से अतिरिक्त मानसिक बेचैनी रहेगी। अक्समात यात्रा के योग भी बनेंगे यथा सम्भव टालने का प्रयास करें। व्यवसायी वर्ग तुरंत लाभ पाने की कामना से निवेश ना करें अन्यथा निराश होना पड़ेगा धन की आमद आज निश्चित नही रहेगी फिर भी काम चलाने लायक हो ही जाएगी। परिवार में मौसमी बीमारियों का प्रकोप रहने से अव्यवस्था रहेगीं दवाओं पर खर्च करना पड़ेगा।
कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज आप दिन के पूर्वार्ध में उदासीनता से ग्रस्त रहेंगे सर पर दायित्व के कारण कार्य करने का मन करेगा लेकिन कही से कोई सहायता ना मिलने से मन मे नकारत्मक विचार आएंगे अनैतिक कार्यो की ओर मन आकर्षित होगा लेकिन थोड़ा धैर्य रखें मध्यान से स्थिति पक्ष में होने लगेगी आप जिस कार्य की योजना बनाएंगे उससे संबंधित सुविधाएं कही ना कही से स्वतः ही मिल जाएगी। आज जल्दबाजी से बचें अन्यथा निर्णय गलत ही सिद्ध होगा धैर्य से कार्य करने पर आशा जनक लाभ पा सकते है। धन की आमद दोपहर के बाद ही होगी लेकिन व्यवधानों के बाद ही। पारिवारिक सुख में वृद्धि होगी। सेहत कुछ नरम रहेगी फिर भी इस ओर ध्यान नही देंगे।
तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज दिन के पूर्वार्ध को छोड़ शेष भाग कुछ ना कुछ हानि ही देकर जाएगा अतिमहत्त्वपूर्ण कार्य समय रहते पूर्ण कर लें इसके बाद बनते कामो में विघ्न आने लगेंगे। कार्य क्षेत्र पर आज संघर्ष के बाद भी अनुकूल लाभ ना मिलने से मन अनैतिक कार्यो की ओर अग्रसर होगा। आर्थिक मामले अंत समय मे उलझने के कारण व्यवसाय पर असर देखने को मिलेगा फिर भी आज खर्च निकलने लायक धन कही ना कही से मिल ही जायेगा। आज किसी जानने वाले कि बातो पर भी आंख बंद कर भरोषा ना करें। परिवार में कोई अप्रिय घटना घटने से मनव्यथित होगा। सेहत सम्बंधित नई समस्या बनेगी। यात्रा स्थगित करें।
वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन सामाजिक कार्यो में योगदान देने से सम्मान बढ़ायेगा। आज आप कार्यो में जल्दबाजी दिखाएंगे जिससे कोई भी कार्य पूर्ण तो जल्दी हो जाएगा लेकिन इससे संबंधित लाभ के लिये प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। सार्वजिक क्षेत्र पर दान पुण्य के अवसर मिलेंगे लेकिन इससे स्वभाव में अहंकार भी आएगा। कार्य व्यवसाय में आज उन्नति होगी भविष्य के लिये बचत के साथ नई योजनाओं पर भी काम कर सकेंगे। आज आपको कोई लालच देकर ठग सकता है प्रलोभन से बचे अन्यथा आज होने वाला लाभ आते ही व्यर्थ में खर्च हो जाएगा। गृहस्थी चलाने में थोड़ी कठिनाई आएगी फिर भी आपसी तालमेल से विजय पा लेंगे। स्वास्थ्य में छोटे मोटे कष्ट लगे रहेंगे।
धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज आपको सरकारी क्षेत्र से शुभ समाचार की प्राप्ति होगी सार्वजनिक क्षेत्र पर भी मान बढेगा आज लापरवाहि से बचें अन्यथा परिणाम विपरीत भी हो सकते है। कार्य व्यवसाय की स्थिति पहके से बेहतर बनेगी फिर भी आज धन को लेकर अनिश्चितता के दौर से गुजरना पड़ेगा। अपने कार्य नियत समय से थोड़े विलम्ब से करेंगे सहयोग की आज कमी नही रहेगी लेकिन धन लाभ समय पर ना होने के कारण थोड़ी असुविधा बनेगी प्रतिस्पर्धा कम रहने का लाभ नही मिल सकेगा। गृहस्थ में छोटी मोटी नोकझोंक के बाद भी आत्मीयता बनी रहेगी। बुजुर्गो की सेहत संबंधित समस्या अनदेखी के कारण गंभीर हो सकती है।
मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज दिन के आरंभिक भाग में पूजा पाठ में सम्मिलित होने का असर दिन भर मानसिक रूप से शांत रखेंगा लेकिन इसके बाद दैनिक कार्यो की भागदौड़ में शरीर की भी सुध नही रहेगी खान पान में लापरवाही के कारण पुराना रोग फिर से उभरने की संभावना है। कार्य-व्यवसाय में लाभ की संभावना बनेगी लेकिन अंत समय मे कुछ ना कुछ बाधा आने से धन की प्राप्ति आगे के लिये टलेगी। नौकरशाहो के लिये दिन लाभदायक रहेगा अतिरिक्त आय बनाने के अवसर मिलेंगे लेकिन कम से संतोष करे अन्यथा मान भंग होने की स्थिति बन सकती है। परिवार में मांगलिक कार्यक्रम की रूपरेखा बनेगी वातावरण शांत रहेगा। धार्मिक क्षेत्र की यात्रा होगी दान पुण्य पर खर्च करेंगे।
कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज भी दिन के पूर्वार्ध में सेहत संबंधित शिकायत रहेगी। सर में भारीपन अनुभव करेंगे लेकिन मध्यान तक स्वास्थ्य में सुधार आने लगेगा धार्मिक कार्यो में रुचि लेंगे पूजा पाठ एवं अन्य धार्मिक कार्यो में मन लगेगा एकाग्रता भी बढ़ेगी। कार्य व्यवसाय से आज आशा कम ही रहेगी धनलाभ भी आशा के अनुरूप कम ही होगा। आज किसी नए कार्य को आरंभ करेंगे अथवा कार्य क्षेत्र पर नए प्रयोग करेंगे इनसे तुरंत लाभ की आशा ना रखें लेकिन निकट भविष्य में धीरे धीरे अवश्य फलदायक बनेंगे। महिलाये आज किसी ना किसी कारण से बेचैन ही रहेंगी लेकिन कार्यो में बाधा नही आने देंगी। लघु यात्रा में खर्च होगा फिर भी आनंद प्रदान करेगी।
मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज के दिन धर्य धारण करने का लाभ आपको अवश्य ही किसी ना किसी रूप में मिल जाएगा। दिन के आरम्भ से ही कार्य पूर्ण करने में जल्दबाजी करेंगे व्यवसायी वर्ग भी ले देकर सौदे निपटाने के चक्कर में रहेंगे मध्यान तक का इंतजार करें लाभ में वृद्धि हो सकती है। धन की आमद आज निश्चित होगी लेकिन इंतजार करने के बाद ही। दोपहर बाद आपके प्रति लोगो के विचार बदलने लगेंगे कल तक जो आपसे नाराज चल रहे थे वे भी समर्थन करेंगे। पारिवारिक वातावरण में भी दोपहर बाद ही सुधार आएगा परिजन इच्छा पूर्ति होने पर प्रसन्न रहेंगे लेकिन स्त्री वर्ग को आज संतुष्ट रखना मुमकिन नही होगा। स्वास्थ्य में सुधार रहेगा।
〰️〰️🙏राधे राधे🙏〰️〰️
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
🙏🏻🌷🌸🌼☘🌹☘🌼🌸🌷🙏
🚩🚩 *” ll जय श्री राम ll “* 🚩🚩
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰
〰〰🙏*” राधे राधे “*🙏〰〰〰