‘लोक की बात’ पुस्तक का बच्चों द्वारा विमोचन

जगमोहन आजाद द्वारा लिखित अपनी तरह की पुस्तक का विमोचन भी उन्ही के अंदाज में हुआ। वे हर काम को अपने ही अंदाज में करते हैं। इस पुस्तक से उत्तराखंड का सांस्कृतिक पक्ष और निखरेगा और दुनियाभर  में विखरेगा। जिस गहन शोध के बाद यह पुस्तक आई है कहा जा सकता है कि ऐसा कार्य बच्चों का खेल नहीं, अपितु अपनी माटी की महक और अपने वतन का दर्शन है। एक पठनीय और संग्रहणीय पुस्तक।  – – हरीश मैखुरी 

मित्रों प्रणाम आज नवमी के शुभ अवसर पर मेरी दस साल की लोक यात्रा, ‘लोक की बात’, संस्कृतिकर्मियों से बातचीत, का विमोचन मेरे निवास पर हुआ। जिसका विमोचन देवी स्वरूप कन्याओं ने हमें आशीर्वाद प्रदान कर किया। 

यह पुस्तक मेरा शोध कार्य ही नहीं। बल्कि उत्तराखंड के लोक संस्कृतिकर्मियों के जीवन परिवेश की वह यात्रा भी है। जिस पर चलते हुए इन्होंने हमारे लोक परिवेश को सींचा और उसे फलित-फूलित कर विश्व सांस्कृतिक मंच पर अलग पहचान दिलाई।
मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि इस पुस्तक की भूमिका जन कवि गिरिश तिवाड़ी ‘गिर्दा’ ने लिखी है।
मेरे इस शोध में, झूसिया दमायी, जीत सिंह नेगी, रतन सिंह जौनसारी, चंद्र सिंह राही, नरेंद्र सिंह नेगी, जीवन सिंह बिष्ट और हरदा सूरदास जी के साथ-साथ उत्तराखंड की कई और लोक थाती भी मौजूद हैं। जिन्होंने मुझे अपने आशीर्वाद के साथ-साथ पहाड़ी लोक संस्कृति को जानने समझने का मौका दिया।
पुस्तक के विमोचन के लिए आज नवमी के अवसर पर हमारे निवास पर पधारी सभी कन्याओं का हम हृदय से आभारी हैं। साथ ही अपनी पत्नी सुनीता जी का विशेष आभार, उनके सहयोग के बिना शायद मैं यह कार्य नहीं कर पाता।
मेरे इस शोध कार्य को प्रकाशित करने के लिए मैं संस्कृति विभाग उत्तराखंड और विनसर पब्लिशिंग कं. देहरादून के प्रबंधक कीर्ति नवानी जी विशेष तौर पर आभारी हूँ कि उन्होंने मेरे कार्य को गंभीरता से लेते हुए इसे पुस्तक रूप दिया।
अंत में उन सभी आदरणीय मित्रों और शुभचिंतकों का विशेष आभार, जिनको में अपने इस शोध कार्य के सिलसिले में वक्त बेवक्त परेशान करता रहा।

….. जगमोहन आजाद