इजराइल में “हमास” के आतंकियों से “लोहा” लेते भारतीय मूल की तीन “वीरांगनाओं का हुआ बलिदान

*पढ़े…कैसे हमास फिलिस्तीन ने मोसाद और इजराइल को चकमा दिया…..*

#मोसाद संस्था समय से पहले खबर जुटाने और पहले आक्रमण में चूक गई ।

#नेतन्याहू को पहले #इजराइल विरोधी शक्तियों ने घेराव किया , भ्रष्टाचार के आरोप लगाए , वहां के #सुप्रीम_कोर्ट को भी मैनेज किया जिसके जवाब में नेतन्याहू ने #सुप्रीमकोर्ट की शक्तियों पर अंकुश लगाने के लिए कानून बनाया ।

*उसके बाद पूरे देश में #आंदोलन शुरू हो गए कानून बदलने के विरोध में । जनता का ध्यान , सरकार का ध्यान जब इस सब में लगा था , हमास और #ईरान बड़ी लड़ाई की तैयारी कर रहे थे।*

साथ में इजराइल की #तुर्की, #अरब और #यूएई आदि देशों से *मित्रता का शिगूफा भी इसी दौरान छेड़ा गया जिससे हिंदी चीनी भाई भाई वाला माहौल बनने लगा ।*

*और फिर वही हुआ : सावधानी हटी और दुर्घटना घटी ।*

इजराइल के अंदर #अरबी, #फिलिस्तीन #मुस्लिम रहते हैं , वह इजराइल के नागरिक हैं। वहां उनकी मस्जिदें भी हैं। जबकि हमास के इलाके में किसी यहूदी का रहना किसी हिंदू का पाकिस्तान में रहने जैसा है।

लेकिन जब हमास का हमला हुआ तो इजराइली #मस्जिदों से इजराइल को तबाह करने के फतवे लाउडस्पीकर पर सुने गए । क्योंकि यह लोग किसी देश को नहीं मानते हैं, सिर्फ #बिरादरी को मानते हैं ।

इजराइल के हालात भारत से काफी मिलते जुलते हैं ।

नेतन्याहू की जगह नरेंद्र मोदी हैं जो पिछले दस सालों से विरोधियों की आंखों की किरकिरी हैं । दोनों के सुप्रीम कोर्ट , विपक्ष भी एक जैसे हैं । अरब, ईरान की जगह #पाकिस्तान #चीन हैं । जिनका लक्ष्य भारत को कैसे भी नीचा दिखाना है ।

यहां #जॉर्ज_सोरोस की फंडिंग , टूलकिट, सोशल मीडिया चालू है जो देश भक्ति को व्यर्थ बताने में लगी है । मोहब्बत की दुकान से भारत और दुनियां भर में अमन चैन आएगा यह चाचा जी 1962 तक सफेद कबूतर उड़ा कर जनता को बताते रहे और पीछे से पहले चीन और फिर पाकिस्तान ने छुरा भोंक दिया तब नींद खुली।

उसके बाद अटल बिहारी बाजपेई लाहौर बस यात्रा करते रहे, पीछे से कारगिल हो गया । मनमोहन सिंह अमन की आशा और मोमबत्तियां जलवाते रहे , राजस्थान और कश्मीर में सीमा खोल कर व्यापार करते रहे, उधर 26/11 और सैनिकों के सिर कटते रहे , कश्मीर उबलता रहा ।

अब जब दस साल में पाकिस्तान का इलाज हुआ है तो मोहब्बत की इंडी दूकान फिर सजाई जा रही है जिससे भारत को गफलत और प्रोपेगंडा में फंसा कर इजराइल की तरह आंतरिक हमला (#पीएफआई) और बाहरी हमला कर के इजराइल की तरह चौंकाया जाए ।

इजराइल में “हमास” के आतंकियों से “लोहा” लेते भारतीय मूल की तीन “वीरांगनाओं का बलिदान हुआ है।
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नमन है इन वीरांगनाओं को जिसने “नमक” का कर्ज अदा किया ।
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और यहां भारत में कुछ “नमकहराम” जिस थाली में खाते हैं, उसी में “छेद” करते है ।😡😡

इजराइल तो खैर संभल जाएगा क्योंकि उनका हर नागरिक सैनिक प्रशिक्षण प्राप्त है ।
भारत का क्या होगा , यह सोचने भर से सिहरन होती है। *यहां तो हर 30km पर एक गाजा पट्टी बन रही है, मुख्य सड़कों के पास, रेलवे की जमीनों पर, सैन्य मुख्यालयों के आसपास आपके शहर के चारो ओर.*

…..जिस दिन एक साथ सारे एक्टिव हुए आपको अपने शहर से भागने का और सरकार सेना की मदद पहुंचने का मौका ही नही मिलेगा, क्यों की सबको बंद कमरे में सोना है, रील्स बनानी है, याराना निभाना है उनसे जो निगलने बैठे है===

*भाड़ में गई #मोहब्बत_की_दुकान ।*

इजराइल भी अरबियो से मोहब्बत खरीदने गया था , नफरत और आतंकवाद बदले में मिल गया।

इस्त्राइल पर आतंकी संगठन हमास के दरिंदो ने जब चोरी से आतंकी हमला किया तो उसमें दस निर्दोष भारतीय पर्यटकों की भी मौत हो गई।

बावजूद इसके भारत में विपक्षी दलों के कई बड़े नेता आज फिलिस्तीनियों के दूतावास पहुंचे।

मणिशंकर अय्यर, कांग्रेस,दानिश अली BSP, जावेद अली खान SP, शाहिद सिद्दीकी RLD, डी. राजा CPI ,
के.सी. त्यागी JDU,

कहा फिलिस्तीन के प्रति अपनी एकजुटता दिखाने आए हैं ,
और हम फिलिस्तीन के लोगों की लिए अपना समर्थन जाहिर करने को यहां आए है ।

इज़रायल और हमास के बीच चल रहे युद्ध के दौरान इनका फिलिस्तीन दूतावास जाना,बहुत कुछ इशारा करता है ।