उठने लगे हैं संविधान को लेकर गंभीर सवाल

शोशल मीडिया पर इन दिनों देश के मूल संविधान को बहाल करने को लेकर बहुत ही गंभीर सवाल उठ रहे हैं। इन सवालों की प्रासंगिकता समय की कसौटी पर परख जरूरी लगती है। अब समय आ गया है सरकारें वोट की राजनीति से उपर देश हित में फैसला लें। 

1. क्या मूल संविधान में एससी/एसटी एक्ट था…..?

2. क्या मूल संविधान में आरक्षण 50% था……….?

3. क्या मूल संविधान में जीरो नम्बर लाने वालों को नौकरी देने का प्रावधान था……?

4. क्या मूल संविधान में आरक्षण अनंतकाल तक चलाने के लिए लिखा था…….?
5- क्या मूल संविधान में पदोन्नति में आरक्षण था… ?

6- क्या मूल संविधान में जनरल ,ओबीसी की आयुसीमा औरों से कम रखी गयी थी ..?
7- क्या मूल संविधान में जनरल ,ओबीसी की फीस बाकी स बहुत ज्यादा रखी गयी थी ?

8- क्या मूल संविधान में जात मिटाने की बात करो – पर सरकारी जात प्रमाणपत्र बनाया करो .. की बात थी ..?

9- क्या मूल संविधान में न्याय, वजीफा, एडमीशन, नौकरी , लैपटाप और तमाम छूट जात के आधार पर देने को लिखा है ..?
10- क्या मूल संविधान में नागरिकों पर विधिक कार्रवाई, नागरिक प्रतिष्ठा, FIR- मुकदमे की कार्रवाई, मुआवजा जात के आधार पर दिये जाने को लिखा है ..?

11- क्या मूल संविधान में एक देश में जात,धर्म के आधार पर नागरिकों से दोहरा व्यवहार, कानून बनाने व नियम बनाये जाने की बात लिखी है ..?
हो सके तो तार्किक जवाब ज़रूर देना।

*और ये कौन लोग हैं जो आरक्षण तथा अन्य लाभ के लिए संविधान और सुप्रीम कोर्ट की बात करते हैं, पर आज उसी संविधान के आधार पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर भारत बंद की बात कह रहे हैं।*

*संविधान में समानता मूल संरचना की बात है लेकिन इन सतर सालों में अब तक कितने करोड़ लोगों को बहुत योग्य होने के बावजूद सिर्फ आरक्षण की वजह से सरकारी नौकरी और अपने मूलभूत अधिकार से वंचित होना पड़ा है? इसका कोई हिसाब देश के पास है?

*मान.भीमराव रामजी आंबेडकर जी ने तो संविधान में सबको समानता और सम्मान  अधिकार दिया है, तो फिर किसी को वर्ग विशेष का एकाअधिकार क्यों  चाहिए..?

**मैं देश की अखण्डता का समर्थक हूँ, सामाजिक समरसता का समर्थक हुँ,विभिन्न जातियों और धर्मो के बीच वैमनस्यता का बीज बोने वालों का विरोध करता हूं…मैं भारत बंद का कदापि समर्थन नही करता हूं।** जय हिन्द*

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