पुष्कर को पुरस्कार धामी बने उत्तराखंड के ग्यारहवें मुख्यमंत्री

✍️हरीश मैखुरी

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद पर गत 3 दिनों से चल रही उठापटक पर विराम लग गया है। उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री खटीमा से दो बार के विधायक पुष्कर सिंह धामी तय हो चुके हैं, वे बीजेपी के युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। समझा जा रहा है कि गढ़वाल कुमाऊँ को बैलेंस करने और युवा चेहरे को आगे लाने का संकल्प साकार हुआ है। हालांकि इस बार भी पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज वन मंत्री हरक सिंह रावत कृषि मंत्री सुबोध उनियाल पूर्व मुख्यमंत्री तीर्थ सिंह त्रिवेंद्र सिंह रावत और उच्च शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत का नाम भी सुर्खियों में था लेकिन अंतिम समय में पुष्कर सिंह धामी के नाम पर मुहर लगी है। हालांकि भारतीय जनता पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत 3 महीने पहले ही मुख्यमंत्री बनाए गए थे लेकिन संवैधानिक चूक के कारणों से उनको त्यागपत्र देना पड़ा, समझा जाता है तीरथ सिंह रावत अनेक असहज बयान और लो परफारमेंस भी उन्हें बदलने का कारण बनी। पुष्कर सिंह धामी युवा चेहरा है सरल स्वभाव के सज्जन व्यक्ति हैं और उनके साथ चुनावी संकट का झंझट भी नहीं है इसी को देखते हुए पार्टी ने उन्हें आगे किया।

       पुष्कर धामी को मुख्यमंत्री बनाने के पीछे भारतीय जनता पार्टी ने एक साथ कई समीकरणों पर कार्य किया है भारतीय जनता पार्टी ने कोश्यारी के बाद दूसरी बार कुमाऊं से मुख्यमंत्री बनाया और मैदानी चुनावी समीकरण भी साधा है, इसी के साथ एक साधारण कार्यकर्ता को भी पार्टी मुख्यमंत्री बना सकती है यह संदेश भी दिया, जिस विधायक को कल तक मंत्री नहीं बनाया उसे सीधे मुख्यमंत्री बना दिया, ऐसा करिश्मा केवल भाजपा ही कर सकती है यह संदेश भी दिया गया साथ ही युवाओं को जोड़ने के लिए भी धामी जैसा युवा मुख्यमंत्री आईडियल बनेगा।

 लेकिन पुष्कर धामी के पास समय कम है और कार्यों का पहाड़ खड़ा है। धामी को अब रूके पड़े कार्यों के ताबड़तोड़ आदेश जारी करने होंगे, सोचने का समय नहीं है। और नहीं आवेदनों कर ‘नियमानुसार कार्यवाही करें’ लिख कर फाईलों को कूड़ा बनाने का पुराना खेल खेलने का समय और स्थान है। अब फाईलों पर वांछित कार्यवाही “तत्काल करें” स्पष्ट आदेश लिखने का समय है।