चारधाम रेल के बहाने उत्तराखण्ड में राजनीतिक खेल!

हरीश मैखुरी

उत्तराखण्ड के इतिहास में आज का दिन स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा जब केंद्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने यहां बद्रीनाथ पहुंचकर रेलवे लाइन का शिलान्यास किया। चारधाम यात्रा को रेल मार्ग से जोड़ने की देशभर के श्रद्धालुओं की मांग आजादी के समय से ही चली आ रही थी, विशेषकर चारधाम यात्रा को सुरक्षित, सरल व सस्ता बनाने के लिए रेलमार्ग बेहतर संसाधन समझा जाता है, बावजूद इसके बद्रीनाथ और केदारनाथ से हमारा रेल स्टेशन 300 किलोमीटर दूर तथा गंगोत्री-यमुनोत्री से करीब 250 किलोमीटर दूर है।

अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अन्तर्गत केंद्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु आज भगवान बद्रीविशाल के द्वार पहुंचे यहां पहुंकर उन्होंने भगवान बद्रीविशाल के दर्शन किए। उन्होंने दोपहर 12 बजकर पांच मिनट पर बद्रीनाथ धाम के दर्शन किए। इस दौरान उनके साथ केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह भी हैं। कल उनका गंगोत्री धाम जाने का कार्यक्रम पूर्व प्रस्तावित है। ब्रदीनाथ धाम में उन्होंने चार धाम रेल संपर्क के लिए फाइनल लोकेशन का सर्वेक्षण एवं कृषि विज्ञान केंद्र कोटी (जोशीमठ) का शिलान्यास किया।

अपने जन संबोधन में सुरेश प्रभु ने कहा कि यह रेलवे लाइन चारधामों की यात्रा को न केवल सुरक्षित और सुगम बनाएगी बल्कि भारत-चीन सीमा पर स्थित होने के कारण सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण होगी। इस अवसर पर अपने संबोधन में उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि चारधाम रेलवे का निर्माण कार्य उत्तराखण्ड के साथ-साथ समूचे भारत के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। इस मौके पर उनके साथ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह, टेक्सटाईल मंत्री अजय टम्टा, कृषि मंत्री सुबोध उनियाल, गढ़वाल सांसद भुवन चंद्र खंडूड़ी के साथ ही  क्षेत्रीय विधायक महेंद्र भट्ट, कर्णप्रयाग के विधायक सुरेंद्र सिंह नेगी, थराली के विधायक मगन लाल, भाजपा जिलाध्यक्ष मोहन थपलियाल और स्थानीय जनप्रतिनिधि व क्षेत्रीय जनता मौजूद रही।

सन् 2024 तक पूरे होने वाले 327 किमी0 लंबे इस चारधाम रेल प्रोजेक्ट पर 43 हजार 292 करोड़ रुपए खर्च होंगे इस पर 21 रेलवे स्टेशन, 57 पुल और 61 सुरंगों से यह रेल प्रोजेक्ट गुजरेगा। सन् 2022 तक कर्णप्रयाग में रेल पहुंच जाएगी। देहरादून-डोईवाला रेलवे स्टेशन से गंगोत्री धाम तक इस रेल लाइन की लंबाई 137 किमी0 होगी जबकि यमुनोत्री के लिए पार्लर स्टेशन तक के लिए अलग लाइन बिछाई जाएगी जिसकी दूरी 22 किमी0 होगी इधर बद्रीनाथ रेलवे लाइन से नंदप्रयाग स्थित सहकोट रेलवे स्टेशन से सोनप्रयाग तक रेल लाइन की लंबाई 99 किमी0 होगी और कर्णप्रयाग से जोशीमठ तक इस रेलवे लाइन की लंबाई 75 किमी0 आंकी गई है।

लेकिन इस पूरी कवायद में उत्तराखण्ड के पर्वतीय इलाकों के लिए रेल का सपना देखने वाले पूर्व रेल राज्य मंत्री और वर्तमान पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज को जिस सलीके से इस पूरे आयोजन से दूर रखा गया है और उनका नाम तक आमतंत्रण पत्र पर नहीं छापा गया उससे पर्यटन प्रदेश का दावा बेमानी सिद्ध हो सकता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि सतपाल महाराज उत्तराखण्ड कैबिनेट में उन चंद मंत्रियों में शुमार हैं जिनके पास प्लान, दृढ़ इच्छा शक्ति और कार्ययोजना एक साथ है, इसीलिए उन्होंने अंग्रेजों के जमाने के रेलवेे रिकार्डों से तथ्य निकालकर ऋ़षिकेश कर्णप्रयाग का मार्ग प्रस्तत किया था केंद्र और राज्य सरकार को चाहिए कि दिल्ली से अपना आॅपरेटिंग रिमोंट सिस्टम स्थानीय अनुभवी व्यक्तियों की राय से चलाए नहीं तो दिल्ली में बनने वाली सारी योजनाएं सरकारी नोटों को ठिकाने लगाने की कवायद भर सिद्ध होंगी।