सरकारी दावों की पोल खोलता डोबराचांठी पुल

 

लागत 80 करोड़, 200 करोड़ खर्च, पुल फिर भी अधूरा

उत्तराखंड में विकास को गति देने का दावा करने वाली भाजपा और कांग्रेस सरकार दोनों के दावे यर्थाथ में खोखले साबित हुए हैं। नारायण दत्त तिवारी के शासन काल में टिहरी गढ़वाल जिले की प्रतापनगर विधानसभा क्षेत्र के डोबराचांठी पुल के निर्माण को मंजूरी दी गई थी। 80 करोड़ की लागत से बनने वाले इस पुल का कार्य 2008 में पूरा हो जाना चाहिए था, लेकिन इस बीच सूबे में रही कांग्रेस और भाजपा सरकार, निर्माण एजेंसी और ठेकेदार के गठबंधन ने इसे जानबूझ कर लटकाए रखा। साल दर साल इसकी लागत बढ़ती रही और अब तक इस पुल पर 200 करोड़ का खर्च हो चुका है, फिर भी पुल अधूरा है।

टिहरी गढ़वाल की प्रतापनगर विधानसभा सीट से विधानसभा चुनाव लडने वाले समाजसेवी राजेश्वर प्रसाद पैन्यूली ने कहा कि 200 करोड़ रुपये के इस घोटाले पर कांग्रेस और भाजपा दोनों ही चुप क्यों हैं? उन्होंने कहा कि जब पूर्व की सरकारों के मंत्रियों और अधिकारियों ने इस पुल के डिजाइन को लेकर सवाल उठाए थे तो आखिर ऐसी क्या जरूरत थी कि पुल पर 200 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए। उन्होंने कहा दिल्ली में केजरीवाल द्वारा दो करोड़ के घोटाले को लेकर इतना बड़ा मुद्दा बनाया जा रहा है जबकि उत्तराखंड में 200 करोड़ रुपये के घोटाले पर कोई राजीतिक दल मुंह खोलने को तैयार नहीं है। उन्होंने इस मामले की गंभीरता से जांच कराने के साथ घोटाले को पूरी तरह उजागर करने की मांग की है।

पैन्यूली ने कहा कि इस पुल को लेकर हुए घोटाले को कमिश्नर गढ़वाल ने भी माना है। उन्होंने कहा कि आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, 2007 में ही सरकार को पता था कि इस पुल का डिजाइन ठीक नहीं है, फिर भाजपा और कांग्रेस की सरकारों ने इस पुल पर 200 करोड़ रुपये खर्च कर दिए। अब केंद्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल दोहरा रहे हैं कि इस पुल का डिजाइन ठीक नहीं है, लेकिन यह बात तो राज्य के सीएम रहे विजय बहुगुणा और हरीश रावत पहले ही कह चुके हैं। उन्होंने कहा कि इस घोटाले की जांच करवाई जाए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए इस रकम की वसूली की जाए।