महिलाओं के शराब विरोधी आंदोलन को कुचलने पर आमादा पुलिस

 

हरीश मैखुरी/जितेंद्र पंवार

कर्णप्रयाग । वैसे तो महिलाएं देवभूमि में 1950 के दशक से ही शराब विरोधी आंदोलन चला रहे हैं, सर्वोदयी विचारधारा से जुड़े लोगों ने भी सालों शराब विरोधी आंदोलन चलाया, लेकिन इस साल चल रहा शराब विरोधी आंदोलन इस मायने में खास है कि उच्चतम न्यायालन ने सरकार को निर्देशित किया है कि शराब की दुकानें राष्ट्रीय राजमार्गों से 500 मीटर दूर और राज्य स्तरीय राजमार्गों से 250 मीटर दूर खुले। उच्चतम न्यायालय की इसी नजीर के समर्थन में उत्तराखण्ड के सभी पर्वतीय जनपदों में महिलाएं शराब के विरुद्ध आंदोलन कर रही हैं। चमोली जनपद में बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग के समीप शराब की दुकान खुलने की खबर सुनते ही महिलाओं ने दूकान के पास जाकर जमकर हंगामा काटा और डीएम चमोली व एसडीएम सहित आबकारी विभाग मुर्दाबाद के नारे लगाये, इस दौरान पहुंची महिलाओं ने शराब कारोबारियों पर अभद्रता का आरोप लगाया, जानकारों का कहना है कि राष्ट्रीय राजमार्ग के खिलाफ शराब की दुकान खोले जाने से जहां आबकारी विभाग नियमों  की धज्जियां उड़ा रहा है वहीं तीर्थयात्रियों की भावनाओं पर ठेस भी पहुंच रही है। नाराज महिलाओं ने कहा कि हम शराब की दूकान हर हाल में नहीं खुलने देंगे। बताया जा रहा है कि महिलाओं के शराब आंदोलन को कमजोर करने की कवायद भी शुरु हो गई है इसी रणनीति के अन्तर्गत एक महिला के माध्यम से शराब विरोधी आंदोलनकारी महिला पर धारा 323/506 लगा दी गई है। उत्तराखण्ड में शराब परोसने के लिए सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट की उक्त नजीर को ठेंगा दिखाते हुए राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय राजमार्गों का दर्जा घटाकर उन्हें नगरपालिकाओं के हवाले कर दिया ताकि इन सड़कों के किनारे शराब की दुकानें खुलवाई जा सकें।