अब बारी कृष्ण जन्मभूमि की है क्या?

कहानी #कृष्ण जन्मभूमि की

यह 1949 में ली गई मथुरा की शाही ईदगाह की तस्वीर है शाही ईदगाह के चारों ओर और इसके चारों ओर एक नष्ट मंदिर के अवशेष देखे जा सकते हैं
इन खंडहरों के ऊपर एएसआई द्वारा एक अधिसूचना बोर्ड है जो कृष्ण जन्मभूमि के रूप में पढ़ता है
इसके अलावा एएसआई बोर्ड का कहना है कि यह वह जगह है जहां हिंदुओं का मानना ​​है कि उनके स्वामी कृष्ण का जन्मस्थान था
यह विश्वास हजारों साल पहले का है

यह स्थान कभी एक शानदार कृष्ण मंदिर था
1618 में ओरछा के राजा वीर सिंह देव बुंदेला ने #33लाख की लागत से एक मंदिर बनाया था
याद रखें
उन दिनों में मात्र 1रुपए में
296 किलोग्राम चावल मिलता था
कोई केवल कल्पना कर सकता है
कि उन दिनों के दौरान 33लाख क्या रहे होंगे

1670 में औरंगजेब ने कृष्ण मंदिर को नष्ट कर दिया
और इस शाही ईदगाह को अपने खंडहरों के शीर्ष पर बनवाया

1804 में मथुरा ब्रिटिश नियंत्रण में आ गया
ईआईसी ने जमीन की नीलामी की और इसे बनारस के एक अमीर बैंकर राजा पटनीमल ने 45 लाख में खरीदा

मुसलमानों ने अदालत में भूमि के स्वामित्व को चुनौती दी लेकिन इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 1935 में राजा पटनीमल के वंशज के पक्ष में फैसला सुनाया
राजा पटनीमल के वंशजों के पक्ष में फैसला सुनाने के बाद भी वे कृष्ण मंदिर का निर्माण शुरू नहीं कर पाए
स्थानीय मुसलमानों द्वारा लगातार धमकियों के कारण

1947 के बाद बिड़ला ने जमीन खरीदी और कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट का गठन किया

1968 में ट्रस्ट और शाही ईदगाह समिति एक समझौते पर पहुंचे इस समझौते ने शाही ईदगाह के अस्तित्व को मान्यता दी

जो मूल कृष्ण मंदिर के शीर्ष पर बनाया गया था
और जिसका तब तक कोई कानूनी अस्तित्व नहीं है समझौते के बाद ही शाही ईदगाह मस्जिद पूर्ण कार्यात्मक स्थिति में बहाल हो गई

यहां पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि समझौते पर पहुंचने से पहले किसी भी हिंदू संगठन या आम जनता से परामर्श नहीं किया गया था

यह सीधे बिड़ला और शाही ईदगाह समिति के बीच था समझौते ने हिंदुओं को ईदगाह के दक्षिण में जमीन का एक छोटा टुकड़ा दिया

यह यहां मथुरा का आधुनिक कृष्ण मंदिर 1982 में बनकर तैयार हुआ था कहने की जरूरत नहीं है कि हिंदू इस समझौते से ठगे गए थे

अधिक जानकारी के लिए हंस बकर (1990)
द हिस्ट्री ऑफ सेक्रेड प्लेसेस इन इंडिया से लिए गए हैं ज़रूर पढ़िएगा

अर्थात् बात यह है कि भगवान कृष्ण जी का जन्म जहां पर हुआ था वहां पर इस्लामिक आतंकियों ने इदगाह बना डाला

ठीक वैसे ही जैसे प्रभु श्री राम जी के जन्म स्थान पर बाबरी मस्जिद बनाई थी
इन लोगों ने ठीक यही हाल काशी में किया है
किसी रोज उसपर भी विस्तार से लेख लिखूंगा

समाचारहैहै कि मथुरा में 14 राज्यों के 80 संतों के साथ श्रीकृष्ण जन्मभूमि निर्माण न्यास की स्थापना की गई है

अयोध्या के बाद अब मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि को मुक्त कराने के लिए आंदोलन की रणनीति पर चर्चा जोरों पर है रिपोर्ट्स के अनुसार ट्रस्ट के प्रमुख आचार्य देवमुरारी बापू ने कहा हमने 23 जुलाई को हरियाली तीज के अवसर पर पंजीकरण कराया और वृंदावन से 11 संत आए
जो ट्रस्ट का हिस्सा हैं

मै तो चाहता हूं अपने आपको कृष्ण के वंशज कहने वाले यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जी भी इस पावन पुनीत कार्य में योगदान देने के लिए इस ट्रस्ट से जुड़ें

बाकी हम भक्त जन तो हैं ही
भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी ताल ठोक दी है इसी मुद्दे पर
बाकी विश्व हिंदू परिषद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के कुछ नेताओं ने भी इस पर अपने विचार व्यक्त किए और सहमति व्यक्त की हैै। ख़ैर जो भी हो  सभी को पार्टी जाति से उठकर प्रभु श्री कृष्ण जी को उनके जन्म स्थान पर विराजमान करना अभी बाकी है। यदुवंशियों एवम् समस्त हिंदू समाज जो भी करेंगे और भगवान कृष्ण के लिए नहीं करेंगे वह अपने आत्मसम्मान और राष्ट्र के हित के लिए करें। आपका योगदान सदियों तक याद रखा जाएगा। बाकी योगिराज कृष्ण जी से कुछ छिपा नहीं है। वो सब जानते हैं सब देख रहे हैं। आशा है भगवान राम जन्मभूमि की भांति भगवान कृष्ण की जन्मभूमि भी सम्यक रूप से अपने गौरव को पुनः प्रतिष्ठित होगी।