अब उत्तराखंड में उठी स्वामी विवेकानंद पर्यटन परिपथ बनाने की मांग

अब उत्तराखंड में उठी स्वामी विवेकानंद पर्यटन परिपथ बनाने की मांग। 

*स्वामी विवेकानंद पर्यटन परिपथ*
उत्तराखंड सरकार द्वारा स्वामी विवेकानंद की यात्राओं पर केंद्रीय पर्यटन पथ विषय पर प्रकाशित विज्ञापन पर उनकी गढ़वाल अंचल की यात्राओं को स्थान न दिए जाने पर असंतोष और रोष प्रकट किया गया। बुद्धिजीवी एवं स्वयं राज्य के पर्यटन विभाग द्वारा कर्णप्रयाग में स्थापित शिलापट में स्वामी जी के 18 दिनों तक ध्यान किए जाने की जानकारी पर्यटकों को सुलभ कराई गई है। कुमाऊं के इतिहासकार मनराल द्वारा भी उनकी कर्णप्रयाग और रुद्रप्रयाग यात्राओं का जिक्र है। 1888 में पहली बार ऋषिकेश आकर वे बद्री धाम यात्रा पर निकले थे। किंतु हैजा और ज्वर होने के कारण और प्रशासन द्वारा आगे की यात्रा न करने की सलाह पर भी श्रीनगर, टिहरी, धनोल्टी होकर देहरादून लौटे थे। देहरादून वे कुल 2 बार आए थे। राजपुर स्थित शिव मंदिर में उन्होंने तपस्या की थी।
स्मरण रहे सामाजिक कार्यकर्ता भुवन नौटियाल कई वर्षों से राज्य सरकार से मांग करते रहे हैं कि नोबेल पुरस्कार विजेता गुरु रविंद्र नाथ टैगोर और स्वामी विवेकानंद द्वारा गढ़वाल कुमाऊं में जिन स्थानों पर यात्राएं की गई थी उन स्थानों पर पर्यटक सर्किट के साथ स्मृति स्वरूप ध्यान केंद्र बनाए जाएं। उत्तराखंड सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा गढ़वाल के प्रमुख यात्रा मार्गों पर बिखरी स्वामी जी की स्मृतियों को सजाने के लिए जनता की मांग की अनदेखी करना बहुत ही दुखद है। यह स्थिति ठीक उसी तरह है कि जिम कॉर्बेट पार्क जिसका 2/3 हिस्सा ढिकाला गढ़वाल संभाग में पड़ता है उसे पर्यटक नैनीताल का हिस्सा समझते हैं इसका कारण गढ़वाल क्षेत्र की पर्यटन विभाग ने हमेशा अवहेलना की है। क्या हमारे जनप्रतिनिधि इस ओर सोचेंगे? डॉ. योगेश धस्माना की कलम से *

स्वामी विवेकानन्द जयंती पर* “स्वामी विवेकानंद स्मृति यात्रा”की दिव्य प्रेरणा, माननीय पर्यटन मंत्री श्री सतपाल महाराज जी से दिव्य भेंट, पर्यटन विभाग द्वारा स्वामी विवेकानंद पर्यटन सर्किट में महत्तवपूर्ण भूमिका का सुअवसर-
सम्मानित मित्रो आप जानते है मैं देवभूमि के गावों को दिव्य ग्राम के रूप में विकसित करने, यहां के युवाओं को स्वामी विवेकानंद जी के विचारों से जोड़कर रिवर्स पलायन, स्वरोजगार के अभियान से काफी समय से छोटे छोटे प्रयास कर रहा हूं, सन 2000 में देहरादून में आयोजित देवभूमि महोत्सव,2004 में देवभूमि यात्रा,2010 हरिद्वार महाकुंभ में महाकुंभ पाठशाला,2017 में दून योग महोत्सव और देवभूमि योग यात्रा जिसे सम्पूर्ण गढ़वाल और कुमाऊं में आयोजित किया गया था, विगत वर्ष 12 जनवरी स्वामी विवेकानंद जयंती पर उत्तराखंड में स्वरोजगार, कृषि, बागवानी और रिवर्स पलायन के लिए आदर्श काम कर रहे युवाओं देवभूमि उत्तराखंड रत्न सम्मान 2020 से सम्मानित किया गया था, और कोरोना संकट काल में उत्तराखंड के सैकड़ों आत्मनिर्भर युवाओं को चिन्हित कर उनको उन्हीं के कार्य स्थल में जाकर उत्तराखंड आदर्श उद्यमी सम्मान देकर रिवर्स पलायन कर लौटे लोगों को इनके पद चिन्हों पर चलकर उत्तराखंड में कृषि, बागवानी, गौपालन, स्वरोजगार हेतु प्रेरित किया गया।
स्वामी विवेकानंद जी मेरे बचपन से ही आदर्श रहे हैं, मैने बचपन में सुना था स्वामी जी ने एक रात्रि मेरे गांव मज्युली पहाड़पानी, में स्वर्गीय शेर सिंह नेगी जी की दुकान में उनके साथ व्यतीत की थी और उन्होंने सन 1900 में काठगोदाम से अद्वैत आश्रम मायावती लोहाघाट तक पद यात्रा की थी और पहाड़पानी नाम भी स्वामी विवेकानंद जी द्वारा प्राकृतिक नौले(पहाड़) से पानी निकलने के कारण पड़ा था तभी से मेरा स्वप्न था पहाड़पानी सहित सम्पूर्ण स्वामी विवेकानंद जी की साधना स्थली एक सर्किट के रूप में विकसित हो, इस साल मुझे 21 दिसंबर से स्वामी विवेकानंद स्मृति यात्रा की प्रेरणा हुई उत्तराखंड विधान सभा में आयोजित विशेष योग सत्र में मैने माननीय विधान सभा अध्यक्ष श्री प्रेम चंद्र अग्रवाल जी, आधुनिक धनवंतरी आचार्य बालकृष्ण जी, उत्तराखंड विधान सभा के माननीय विधायक गणों, विधान सभा के अधिकारियों कर्मचारियों को योग कराकर इस यात्रा के लिए रवाना हुआ,स्वामी विवेकानंद जी द्वारा 29 दिसंबर 1900 से 3 जनवरी 1901 में काठगोदाम, धारी,पहाड़ पानी, मोरनौला, धूनाघाट, अद्वैत आश्रम मायावती लोहाघाट तक के सभी पड़ावों पर स्वामी विवेकानंद स्मृति यात्रा पहुंची वहां की संपूर्ण जानकारी एकत्रित की गई, स्वामी विवेकानंद की पदयात्रा की जानकारी देने वाले बोर्ड लगाने के साथ औषधीय पौधों का रोपण किया गया और यात्रा मार्ग में मिलने वाले युवाओं और मातृ शक्ति, बच्चो बुजुर्गों स्वामी विवेकानंद जी के विचारों को अपनाने, स्वरोजगार, रिवर्स पलायन हेतु जनजागरण का प्रयास किया गया।23 को स्वामी विवेकानंद स्मृति यात्रा अद्वैत आश्रम मायावती पहुंची और आश्रम के प्रमुख स्वामी शुद्धिदानंद महाराज जी से यात्रा पड़ावों के बारे में विस्तार से चर्चा हुई और इन यात्रा पड़ावों के बारे में कुछ करने के संकल्प के साथ 24 दिसंबर को यात्रा लोहाघाट से वापस पहाड़पानी पहुंची मेरे परम प्रिय यजमान महेंद्र सिंह बर्गली जी ने महाविद्यालय और अस्पताल के लिए 23 नाली जमीन दान की और 25 दिसंबर को पूज्य नीम करौली जी महाराज की शिष्या रही भक्ति माई (मोनी माई) के नौकोचियाताल भीमताल स्थित समाधि स्थल में पूजा अर्चना में भाग लिया और उन पर आधारित एक पत्रिका का विमोचन कर देहरादून को रवाना हुआ।
27 दिसंबर को उत्तराखंड के माननीय पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज जी के आवास पर गया यात्रा की चर्चा की वह आश्चर्यचकित रह गए उन्होंने अधिकारियों को स्वामी विवेकानंद पर्यटन सर्किट बनाने के लिए आमंत्रित किया था जो काकड़ीघाट, अल्मोड़ा सर्किट पर काम कर रहे थे, महाराज जी ने मुझे इस सर्किट पर सहयोग का आग्रह किया मेरे लिए तो यह एक देविक प्रेरणा थी अब में इस यात्रा का रहस्य समझ गया और अधिकारियों से चर्चा कर काठगोदाम से धारी, पहाड़पानी, मोरनौला, धूनाघाट, अद्वैत आश्रम मायावती लोहाघाट यात्रा के प्रमाण दिए और संतुष्ट कर इन पड़ावों को सर्किट में शामिल करवाया।
मैं उत्तराखंड के माननीय पर्यटन मंत्री श्री सतपाल महाराज जी, उत्तराखंड सरकार का स्वामी विवेकानंद पर्यटन सर्किट बनाने के लिए हृदय की गहराइयों से आभार व्यक्त करता हूं, मुझे आशा ही नहीं विश्वास भी है इस सर्किट के माध्यम से देवभूमि उत्तराखंड के युवाओं को स्वामी विवेकानंद जी के विचारों को अपनाने की प्रेरणा तो मिलेगी ही इस सर्किट के माध्यम से उत्तराखंड विशेषकर कुमाऊं मंडल में योग, ध्यान, साधना, अध्यात्म को एक नया आयाम मिलेगा।
आध्यात्मिक गुरु आचार्य बिपिन जोशी
संयोजक “स्वामी विवेकानंद स्मृति यात्रा”
संस्कार परिवार देवभूमि ट्रस्ट उत्तराखंड