उत्तराखंड में नहीं होगी शराब बंदीः मुख्यमंत्री

 

हरीश मैखुरी
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि बिहार की तरह राज्य में लिकर बैन करने की उनकी कोई योजना नहीं है। लेकिन वह शराब को आय का स्रोत नहीं बनने देंगे। स्पष्ट है कि उत्तराखंड की त्रिवेंद्र रावत सरकार भी पूर्ववर्ती सरकार की तर्ज पर ही शराब परोसेगी। प्रदेश में तमाम शराब विरोधी आंदोलनों और शोर-शराबा , महिलाओं के आंदोलन और बच्चों के स्वास्थ्य की चिंता को दरकिनार कर सरकार ने उत्तराखण्ड वासियों के हलक में शराब ठूंसने की ठान ली है।

सरकार की इस दलील से साफ हो गया है कि शराब लाॅबी का दबदबा उत्तराखण्ड में कितना जबरदस्त है। दरअसल उत्तराखण्ड में शराब की बिक्री से कुल राजस्व उतना भी नहीं है जितना खर्चा आबकारी और मद्यनिषेध विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की तनखा पर खर्च हो जाता है, अब सवाल ये उठता है कि इनते कम राजस्व के बावजूद सरकार शराब बेचना क्यों चाहती है तो उत्तर साफ है कि शराब आज सत्ता में दबदबा रखने वाले कथित जन प्रतिनिधियों की बैकडुअर आय तथा ऐशोआराम का मुखिया जरिया है।

यह कहने में भी कोई संकोच नहीं है कि यदि सरकार देवभूमि की मर्यादा और जनभावनाओं के अनुरुप उत्तराखण्ड में पूर्ण शराबबंदी का ऐलान कर दे तो उत्तराखण्ड सरकार को सत्ता से बेदखल भी होना पड़ सकता है, इसी भय के चलते किसी मुख्यमंत्री ने इतना दम नहीं है कि वह शराब का मोह त्याग सके।