पाकिस्तान का आणविक भण्डार

 

पाकिस्तान का आणविक भण्डार (भाग-1) :–
अब तो इन्टरनेट द्वारा संसार के किसी भी देश के विस्तृत चित्र सर्वसुलभ हैं | पाकिस्तान में ऐसा कौन सा राजमार्ग है जिसकी एक मुख्य शाखा निर्जन पहाड़ों में जाकर तीन सुरंगों के मुहानों पर जाकर विलीन हो गयी है, जहाँ दूर-दूर तक कोई बस्ती या अन्य किसी मानवीय संरचना के अवशेष नहीं हैं, जहाँ भूमि के ऊपर केवल सड़क और एक छोटा सा मकान मिलेगा जो प्रहरी का आवास है ? वहां जो कुछ भी महत्वपूर्ण है वह भूमि के नीचे है |

दूसरा सुराग देता हूँ :–
आखिर कोई विशेष बात तो होगी उस पहाड़ ने नीचे जहाँ इतने खर्च से सुरंगे बनायी गयीं हैं | उस पहाड़ की ऊँचाई और आकार का पता लगाइए, पाकिस्तान की औकात नहीं है ऐसे पहाड़ के नीचे सुरंग खोदकर कोई भूमिगत संरचना बनाने की | चीन ही ऐसी सहायता कर सकता है | स्पष्ट है कि नीचे कोई अत्यधिक महत्वपूर्ण भेद छुपा है जिसके लिए दो बड़े देशों ने मिलकर यह गुप्त स्थल बनाया |

तीसरा सुराग चाहिए ?
पाकिस्तान का सबसे महत्वपूर्ण भेद कौन सा है जिसे छुपाने के लिए चीन की सहायता से इतना मँहगा भूमिगत भण्डार बनाने का कष्ट उठाएगा | नाभिकीय भण्डार, लगभग डेढ़ सौ आणविक बमों का जखीरा |

चौथा सुराग चाहिए ?
इन दोनों देशों का शत्रु कौन देश है जिससे ये दोनों देश इस गुप्त स्थल की जानकारी छुपाना चाहते हैं ? उस शत्रु देश की सीमा से इस गुप्त स्थल की दूरी पता कीजिये, ब्रह्मोस मिसाइल की आरम्भ में जो परास (जद, रेंज) थी, उससे केवल 35 किलोमीटर कम है ! लगता है ब्रह्मोस मिसाइल के परास का इस भूमिगत भण्डार को नष्ट करने की भारत की इच्छा से सम्बन्ध है !

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल वेश बदलकर इन पहाड़ों की ख़ाक वर्षों तक छाने थे | पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान के सर्वोच्च स्तर की गोपनीय फाइलों में इस भूमिगत स्थल का कूटनाम है “TORI” | वहां दूर-दूरतक कोई बस्ती जा अन्य ऐसा कुछ भी नहीं है जिसका कुछ भी नाम रखा जा सके | इस नाम को ढूँढियेगा तो पाकिस्तान के अन्य कई स्थल मिल जायेंगे, यह स्थल कभी नहीं मिलेगा | अजित डोभाल और भारत के अन्य जासूसों को इस स्थल की जानकारी है या नहीं यह मुझे पता नहीं | मेरे अपने निजी स्रोत हैं जिनका किसी देश की किसी सरकारी संस्था से कोई सम्बन्ध नहीं हैं |

अमरीकियों को भारत और पाकिस्तान के बम बुरे लगते हैं, अपने बम अच्छे लगते हैं | बम तो बम है, किसी का भी हो बुरा है, क्योंकि इंसान को मारता है |
भारत तो दशकों से कह रहा है कि संसार के सभी देश सारे आणविक शस्त्रों को नष्ट कर दें, कुछ देश रखेंगे और अन्य को रोकेंगे यह अन्याय है | सबको पता है कि चीन भारत के विरुद्ध आणविक शस्त्रों को विकसित करने में व्यस्त रहा है और पाकिस्तान की भी सहायता करता है, किन्तु जब वाजपेयी-सरकार ने आणविक विस्फोट किये तो अमरीका और चीन ने भारत की भर्त्सना की और व्यापारिक प्रतिबन्ध लगाए, हालाँकि ब्रिटेन, फ्रांस और रूस ने उस भर्त्सना में अमरीका का साथ नहीं दिया क्योंकि उनको पता था कि चीन और पाकिस्तान से भारत को अपनी रक्षा करने का अधिकार है |

अमरीका के पहले परमाणु बम को विकसित करने वाले मैनहटन प्रोजेक्ट के कुछ वैज्ञानिकों ने फेडरेशन ऑफ़ अमेरिकन साइंटिस्ट्स (fas) नाम की संस्था खोली जो विश्व को सुरक्षित और शान्त बनाने के प्रयास में लगा है | जापान के सिविलियन बच्चों, औरतों और बूढों पर परमाणु बम गिराने वाले लोग विश्व को “सुरक्षित” बनायेंगे ! किसके हित की “सुरक्षा” करेंगे ? इन लोगों को भी उपरोक्त आणविक भण्डार की जानकारी नहीं है, ऊपर सॅटॅलाइट से दिखने वाले कुछ स्थलों तक ही इनकी जानकारी सीमित है, जिसका वर्णन NDTV ने fas से लेकर किया था :– https://www.ndtv.com/world-news/where-and-how-pak-is-building-nuclear-weapons-according-to-us-scientists-1627130

किन्तु सॅटॅलाइट से दिखने वाले कुछ स्थलों की जानकारी का ख़ास महत्त्व नहीं है, क्योंकि अमरीका से प्राप्त F-16 विमानों पर आणविक बम लगाना पाकिस्तान को आता है और युद्ध की स्थिति आने पर पाकिस्तान के राष्ट्रीय राजमार्गों पर F-16 को उतारने का अभ्यास पाकिस्तान कर चुका है | तब तो TORI के पास F-16 को राजमार्ग पर उतारकर F-16 में परमाणु बम लगाने में पाकिस्तान को कितना समय लगेगा ? और वहां से जैसलमेर जिले वाली भारतीय सीमा केवल 265 किलोमीटर है | हत्फ तथा बाबर बैलिस्टिक एवं क्रूज मिसाइलों द्वारा भी परमाणु बम पाकिस्तान छोड़ने में सक्षम हो चुका है, हालाँकि पाकिस्तान से बेहतर बैलिस्टिक एवं क्रूज मिसाइल भारत के पास हैं |

NDTV के उपरोक्त समाचार का शीर्षक गलत है, इस समाचार में किसी “भण्डार” की कोई जानकारी नहीं है, और न ही उस स्थल की जहाँ परमाणु बम बनानी का ईंधन तैयार होता है | केवल उन स्थलों की जानकारी है जहाँ से पाकिस्तान अपने लड़ाकू विमानों और मिसाइलों को परमाणु शस्त्रों से युक्त करके भारत पर छोड़ सकता है | किन्तु उन स्थलों पर परमाणु बम नहीं हैं |

पकिस्तान को भलीभाँति पता है कि गजवा-ए-पकिस्तान करने का कोई इरादा भारत का कभी नहीं रहा है, अतः पाकिस्तान अपने बमों को छोड़े जाने के लिए विमानों और मिसाइलों में लगाकर तैयार नहीं रखता है | जिस दिन भारतीय और अरब जेहादियों तथा चीन से हरी झण्डी मिल जायेगी उस दिन पाकिस्तान अपने भण्डार से निकालकर विमानों और मिसाइलों में परमाणु बम लगाएगा, और तब भारत पर छोड़ने में एक मिनट की भी देरी नहीं करेगा, भण्डार से निकालकर बमों को तैनात करने से पहली सारी तैयारियां पूरी कर ली जायेगी — एक-एक हिन्दू को मार डालने की तैयारी , जिसकी तस्वीरें संसार की एक भी मीडिया नहीं दिखाएगी, और फिर संसार हिन्दुओं को सदा के लिए भुला देगा, कोई चर्चा भी करेगा तो एक गन्दी और मूर्ख जाति कहकर | ओवैसी जैसे लोग बेसब्री से उस दिन की प्रतीक्षा कर रहे हैं | ओवैसी के ऐसे ही बयान का खुलासा नकवी ने किया तो पर्सनल लॉ बोर्ड ने उनको निकाला, जन्मभूमिमन्दिर तो बहाना था – उस मुद्दे पर निकालते तो दस दिन पहले ही निकालते | बयान यह था कि भारतीय मुसलमानों को शस्त्रों से लैस करके युद्ध के लिए तैयार किया जा चुका है | बहुत पहले भी ओवैसी ने ऐसा ही बयान दिया था |

अपने देशवासियों को भूखा-नंगा रखकर पाकिस्तान अपनी औकात से भी बढ़कर परमाणु बमों पर खर्च कर रहा है तो गहने बनाने के लिए नहीं, बल्कि भारत पर छोड़ने के लिए | वह अवश्य ही छोड़ेगा, और पहले वही छोड़ेगा ऐसा बयान भी वह दे चुका है | पाकिस्तान संसार का एकमात्र देश है जिसने फर्स्ट स्ट्राइक करने की मंशा खुल्लमखुल्ला स्वीकारी है, और भारत के सिवा किसी अन्य देश ने उसके इस बयान की निन्दा नहीं की है | स्पष्ट है कि जब गजवा-ए-हिन्द आरम्भ होगा तब भी संसार का कोई भी देश हिन्दुओं के लिए एक बूँद आँसू भी नहीं बहायेगा | भारत के तथाकथित मित्र भी उस युद्ध में भारत के पक्ष में तभी कोई बयान देंगे जब भारत विजयी बनकर उभरेगा, क्योंकि दुनिया बहादुरों और देशभक्तों का सम्मान करती है |

फर्स्ट स्ट्राइक द्वारा परमाणु बम पहले छोड़ने की बात जिस देश ने स्वीकार ली है, उसके परमाणु भण्डारों को नष्ट करने के लिए उसकी यह स्वीकारोक्ति ही पर्याप्त कारण है | पाकिस्तान को विश्वास है कि भारत ऐसा नहीं कर सकता है, तभी तो उसके ऐसी बात स्वीकारी है | स्वीकारी है जेहादियों का हौसला बढ़ाने के लिए | उसके भारतीय पिट्ठू भी मीडिया में गलतबयानी करते रहते हैं कि पाकिस्तान के पास भारत से भी अधिक आणविक भण्डार हैं, भारत के थर्मोन्यूक्लियर (हाइड्रोजन) बम की चर्चा भी भारतीय मीडिया नहीं करती | भाभा एटॉमिक न्योक्लियर सेन्टर का विस्तृत रिपोर्ट मैंने एक पिछले लेख में पोस्ट कर दिया था | NDTV जैसे चैनल पाकिस्तानी आणविक भण्डार के बारे में गलत स्थलों की जानकारी देकर भारतीयों को गुमराह करते हैं, असली स्थल इनको पता भी रहेगा तो नहीं बता सकते क्योंकि देश के शत्रुओं से प्रेस्टीट्यूट चैनलों को पैसा मिलता है | सरकार चलाने वाली IAS लॉबी में भी भ्रष्ट अफसरों का ही बोलबाला है, अच्छे अफसरों की नहीं चलती क्यों कि बुरे लोग एकजुट रहते हैं, अच्छे लोग अलग-अलग रहते हैं — यह कलियुग का प्रधान लक्षण है | रक्षा मन्त्रालय में भी इसी IAS लॉबी का कब्जा है |

पाकिस्तानी आणविक भण्डार को ढूँढने में मेरी सहायता तो किसी ने नहीं की, केवल प्राणायाम करने से ही सहायता मिली | आपलोग ढूँढ सकें इसके लिए पर्याप्त संकेत मैंने दे दिए हैं, देखता हूँ कितने लोग ढूँढ पाते हैं TORI आणविक भण्डार को !!

TORI आणविक भण्डार का गूगल-अर्थ पर विकसित विकिमैपिया वाला वेबलिंक दूँगा, और फिर ड्रोन विमान द्वारा TORI आणविक भण्डार के बहुत पास से खींचे गए विडियो और फोटो भी दिखाऊँगा | उस पहाड़ के निम्नतम स्थल की भी जानकारी दूँगा जहाँ भारतीय हाइड्रोजन बम गिराने पर पाकिस्तान के सारे आणविक बम एकसाथ नष्ट हो जायेंगे और एक भी मानवीय बस्ती या पशुशाला या वन नष्ट नहीं होगा, तब इस ग्रीन झण्डे वाले देश के पक्ष में ग्रीन ट्रिब्यूनल वाले और भारत की ग्रीन (अर्थात सेक्यूलर) पार्टियाँ भी क्या बोलेंगे ? आज केवल टोरी को ढूँढने का “अभ्यास” दे रहा हूँ, और पाकिस्तान के उस स्थल का विस्तृत सॅटॅलाइट फोटो वाला विकीमैपिया लिंक भी दे रहा हूँ जहाँ न्यूक्लियर चोर अब्दुल कादिर खान का यूरेनियम एनरिच्मेंट प्लांट है (Khan Research Laboratories अर्थात KRL) , जहाँ पाकिस्तानी परमाणु बम बनाने का ईंधन तैयार किया जाता है जो इस्लामाबाद से सटा है और भारतीय कश्मीर के पूँच शहर के पास नियन्त्रण रेखा से केवल 54 किलोमीटर दूर है :–
http://wikimapia.org/#lang=en&lat=33.614941&lon=73.380218&z=15&m=b

तीन दिनों में पाकिस्तान से लड़ने वालों को एक दिन का समय दे रहा हूँ TORI ढूँढने के लिए | ढूँढ भी नहीं पायेंगे तो लड़ेंगे कैसे ? “TORI आणविक भण्डार” विश्व के सर्वाधिक गोपनीय स्थलों में से है जिसके लिए मैंने पर्याप्त संकेत दे दिए हैं | उस भण्डार से निकटतम भारतीय सीमा का बिन्दु यह है — http://wikimapia.org/#lang=en&lat=27.009585&lon=69.515133&z=9&m=b

सरसंघचालक ने कहा कि अनुमति मिले तो तीन दिनों में स्वयंसेवकों को सेना के लिए तैयार किया जा सकता है | मैं कहता हूँ कि सरकार अनुमति दे तो एक दिन में इलेक्ट्रॉनिक्स के जानकार लोगों को छोटे ड्रोन विमान में सेना-योग्य आधुनिकतम माइक्रोचिप्स बेचने वालों के पते बता सकता हूँ जहाँ से सस्ते में उन्हें मँगाकर ड्रोन विमान में कैमरे और विडियो ट्रांसमीटर लगाने की पद्धति बता सकता हूँ जिसके द्वारा TORI और KRL जैसे स्थानों की लाइव विडियो को भारतीय सीमा के भीतर रिसीवर पर देखा जा सकता है | उस कम्पनी से सस्ते माइक्रोचिप्स मंगाकर आप अपने दैनिक उपयोग की इलेक्ट्रॉनिक्स नियन्त्रण प्रणालियाँ भी बना सकते हैं, अतः वह भी बताऊँगा | भारत सरकार के रक्षा शोध संस्थानों में कैसे मूर्ख घुसे हैं इसके प्रमाण भी दूंगा |