उत्तराखंड और उतर प्रदेश में मंत्री रहे केदारसिंह फोनियां नहीं रहे, मुख्यमंत्री पुष्करसिंह धामी और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने दी श्रध्दांजलि

✍️हरीश मैखुरी

 उत्तराखंड सरकार में पूर्व कैबिनेट मंत्री और चार बार के विधायक केदार सिंह फोनियां अब हमारे मध्य नहीं रहे, देहरादून के नेहरू कॉलोनी में अपने आवास पर 1750 अंतिम सांस ली। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्करसिंह धामी ने पूर्व कैबिनेट मंत्री श्री केदार सिंह फोनिया के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए ईश्वर से दिवंगत आत्मा को श्री चरणों में स्थान एवं शोकाकुल परिजनों को कष्ट सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए गहरा दुख व्यक्त किया उन्होंने कहा कि केदारसिंह फोनियां सुचिता पूर्ण राजनीति के आधार स्तम्भ थे।

मुख्यमंत्री श्री बता दें कि अविभाजित उतर प्रदेश में केदार सिंह फोनिया भारतीय जनता पार्टी से निरंतर जीत दर्ज करते रहे, उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री रहते हुए जोशीमठ औली रोपवे लगाने के साथ ही जनपद चमोली को विकास के कई नये आयाम स्थापित किये। दर्जनों सीमावर्ती गांव उनके कार्यकाल में मोटर मार्ग से जुड़े। केदार सिंह फोनिया एक बेदाग छवि के राजनेता रहे जो बात एक बार कह दी वह लकीर बन जाती थी, वे मूल रूप से सीमांत गांव जोशीमठ के गमसाली के निवासी थे और दिल्ली पर्यटन विभाग से सेवानिवृत्त के बाद वे उत्तराखंड उत्तर प्रदेश की राजनीति में जुड़े। उनके द्वारा उत्तराखंड तीर्थ पर्यटन पर आधारित अनेक पुस्तकें भी लिखी गई हैं। उत्तराखंड द लैंड आफ जंगल्स एंड टैंम्पल्स उनकी चर्चित पुस्तक है इसके साथ ही उत्तराखंड में विकास के आयाम सहित कई पुस्तकें उनके द्वारा लिखी गई । मानसरोवर यात्रा नीति माणा से शुरू करने के पक्षधर कार्यकाल में कई बार शासन से बात भी की किंतु उनकी बात आज भी उपेक्षित है।  जब उत्तराखंड राज्य बना 2000 में उस समय उनके मुख्यमंत्री बनने की चर्चा जोरों पर थी किंतु डाॅ रमेश पोखरियाल निशंक ने रातों-रात बाजी पलट कर नित्यानंद स्वामी को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा करवायी जब उत्तराखंड में भुवन चंद्र खंडूरी मुख्यमंत्री बने उस समय बद्रीनाथ के विधायक फोनियां थे। तब भी उन्होंने में स्पष्ट कहा कि जो विधान दल का नेता चुना जाएगा वह मुख्यमंत्री होगा उस समय भगत सिंह कोश्यारी के पक्ष में थे क्योंकि भगत सिंह कोश्यारी विधान सभा के सदस्य थे दिल्ली शीर्ष नेतृत्व द्वारा सांसद भुवन चंद खंडूरी (अवकाश प्राप्त मेजर जनरल) को मुख्यमंत्री बनाया गया। उस समय सरकार के पास पूर्ण बहुमत नहीं था निर्दलीयों के सहारे सरकार चलाई जा रही थी चमोली और रुद्रप्रयाग कोटे से निर्दलीय विधायक नंदप्रयाग के राजेंद्र सिंह भंडारी को उस समय कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया जिससे फोनियां मंत्रालय से वंचित होना पड़ा। इस इसके बाद 2014 का विधानसभा चुनाव उन्होंने रक्षा मोर्चा से लड़ा लेकिन चुनाव हार गए थे यही उनका अंतिम चुनाव था। उनके बाद उत्तराखंड शासन में सचिव रहे उनके बेटे विनोद फोनियां ने भी चुनाव लड़ा लेकिन वे बहुत जानकार और निष्ठावान होने के उपरांत भी लोंगों के बीच उनकी पैठ नहीं बन सकी और वे भी चुनाव नहीं जीत सके इसके बाद विनोद ने भी राजनीति में रूचि नहीं दिखाई। लेकिन केदार सिंह फोनियां अपनी जिस निष्ठा कर्मठता और धाकड़ राजनीति के लिए जो स्थान रखते थे उसकी भरपाई कभी नहीं हो पायेगी।

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