कठुआ में इस्लामी आतंकवादियों ने लगाकर सेना के वाहन पर फेंका ग्रेनेड : उत्तराखंड के पांच जवानों का बलिदान आतंकवादियों से निबटने के लिए निंदा पाठ नहीं अपितु दो ही प्रभावी माड्यूल हैं एक चीन का दूसरा इस्त्राइल का

 कश्मीर के कठुआ में इस्लामी आतंकवादियों ने घात लगाकर सेना के वाहन पर ग्रेनेड फेंका जिसमें ५ जवानों का बलिदान हो गया। और ५ जवान बुरी तरह घायल हुए हैं। सभी बलिदानी उत्तराखंड राज्य से हैं। इस घटना पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ ने गहरा शोक प्रकट किया और घटना की कठोर निंदा की है। जम्मू-कश्मीर के कठुआ में आतंकियों ने एक बार फिर कायरतापूर्ण आतंकी कृत्य कारित किया जिसमें उत्तराखंड के पांच जवान शहीद हो गए। कठुआ में हुए इस आतंकी हमले में 5 जवान घायल भी हुए हैं, जिन्हें उपचार के लिए पंजाब के पठानकोट सैनिक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। दुर्दांत आतंकी घटना कारित करने वाले आतंकियों को खोजने के लिए सेना का सर्च ऑपरेशन जारी है। बताया गया है कि इस सर्च आप्रेशन में दो और जवानों का बलिदान हो गया।

उक्त आतंकी घटना में उत्तराखंड के पांच जवानों का बलिदान हुआ उनमें  एक जवान रुद्रप्रयाग,दो जवान टिहरी जनपद के ,और दो  पौड़ी जनपद के जवान देश के लिए शहीद हुए हैं। ⭐ *नायब सूबेदार आनंद सिंह रावत*  (रुद्रप्रयाग, कंडाखाल)

⭐ *हवलदार कमल सिंह* (पौड़ी गढ़वाल, पिपरी)

⭐ *नायक विनोद सिंह भंडारी* (टिहरी गढ़वाल, जाखणीधार)

⭐ *राइफलमैन अनुज नेगी* (पौड़ी गढ़वाल, रिखणीखाल)

⭐ *राइफलमैन आदर्श नेगी* (टिहरी गढ़वाल, पट्टी डागर) 

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्करसिंह धामी ने जौलीग्रांट हवाई अड्डे पर सभी पांचों जवानों को पुष्प चक्र अर्पित कर श्रध्दांजलि दी।

हमारा मानना है कि आतंकवादियों से निबटने के लिए अब निंदा पाठ की जगह दो ही प्रभावी माड्यूल हैं

एक चीन का माड्यूल https://x.com/hindugj/status/1811222145478836250

और दूसरा इस्त्राइल का माड्यूल आतंक के सर्वनाश तक रूको मत।

https://youtu.be/TQWM7isw9JA?si=Ixz57hV60AsgW26l  (आजतक)

अब तो आतंकवाद पर यून की आंखे भी खुलने लगी है। यून ने टेरर फंडिंग की जड़ समाप्त करने के लिए रणनीति बनाने पर जोर दिया है 

https://news.un.org/hi/story/2019/03/1012091

भारत को इन तीनों माड्यूल पर संयुक्त रूप से कार्य करना होगा। क्योंकि हमारे यहाँ तीनों की  आवश्यक रूप से आवश्यकता है।

जिस क्षेत्र और जिस घर में आतंकी छिपे हों इस्त्राइल से सीख लेते हुए उस पूरे क्षेत्र को केवल मिसाइल से समतल किया जाय। ताकि सर्च आप्रेशन में बहुमूल्य जवानों का बलिदान ना हो। जिस घर में आतंकियों को छिपाया गया हो उस पूरे घर को तत्क्षण उड़ा दिया जाय। जब इस्लामी आतंकवादी अकारण हमारे इसने अमूल्य और महत्वपूर्ण जवानों की बिना सोचे हत्या कर देते हैं तो भारत काहे अपने जवानों की जान की बाजी लगा कर सर्च आप्रेशन में पहले आतंकियों चिन्हीकरण करता है पकड़ता है फिर उन से कानूनी ढंग से निबटता है! और उनको छिपाने वालों को समझाने बुझाने में देश का समय और संसाधन बर्बाद करता है। कानूनी व्यवस्था तो सभ्य मनुष्यों के लिए है आतंकवादियों और उनके मददगार असुरों को तो उन्ही भाषा में उपचार देना चाहिए। भारत के एक छोटे से जिले जितने इस्त्राइल ने अपने डेढ़ सौ लोगों के बदले पूरी गाजा पट्टी समतल कर दी पूरे एक वर्ष पेलते हुए करीब ३० हजार आतंकी जहन्नुम भेज दिए, हमास को भी लगभग ठिकाने लगा दिया लेबनान और इरान को उसकी औकात दिखा दी। अरब देश चोंच नहीं खोल पा रहे चोंच खोलेंगे तो आतंकवादियों के मातहत समझे जायेंगे। तो फिर इस्लामी आतंकवादियों द्वारा हमारे निरपराध महत्वपूर्ण जवानों की हत्या के बाद भारत कड़ी निंदा तक सीमित किस उपलक्ष में रहता है। क्यों कि वे नेताओं के नहीं बल्कि गांव के ग्रामीण गरीबों के बच्चे हैं इसलिए? इस्लामी आतंकवाद से निपटने में अब तक संसार में केवल दो ही माड्यूल सफल रहे हैं इस्त्राइल का माड्यूल जहां आतंकी मिले वहीं समूल नष्ट करो और दूसरा चीन का माड्यूल आतंक की जड़ में ही मट्ठा डालो। आतंक के ढांचों पर शौचालय बना दो आतंक वाद को बढ़ावा देने वाली किताबें जला दो। चीन का सिद्धांत है कि जलकुम्भी को आरंभ में ही हटाना है नहीं तो जलकुम्भी पूरे सरोवर में फैल जाती है जिससे सरोवर का पानी ढकने से सड़ने लगता है और जलीय जीव मर जाते हैं पानी बदबू मारने लगता है इसलिए जलकुम्भी आरंभिक काल में ही नियंत्रित कर हटानी होती है, यही चीन का माड्यूल है। भारत को इन दोनों माड्यूल का मिलाजुला वर्जन तैयार करना होगा एक तो जलकुम्भी बढने से रोकना और दूसरा यदि कहीं जलकुम्भी दिख जाय तो उसे समूल नष्ट करना। क्योंकि चीन और इस्त्राइल में गद्दार नहीं हैं इसलिए वहां सर्च आप्रेशन कुछ सरल है लेकिन हमारे यहाँ तो आतंकवादियों के लिए एक पूरा इकोसिस्टम और उनके पैरोकार भी हैं जो रात भी उनके लिए कोर्ट खुलवा देते हैं। इसीलिए आतंकवादियों को छिपाने वालों के घर और वो ढांचा व आतंक की नर्सरी जहां आतंकवादी प्रशिक्षण पाते या शरण लेते हैं उन्हें भी तत्क्षण बुलडोजर से समतल करना चाहिए। बुलडोजर न्याय आज की आवश्यकता है। आतंकवादियों का कोई मजहब तो होता नहीं है इसलिए आतंकवादियों को आल आउट करने के साथ ही उनकी लाश को भी तत्काल कूड़े के ढेर में जलाया जाय। कम से कम इतना तो करो। इस नीति के बहुत सकारात्मक परिणाम आने तय है। सरकार को भी लाभ होगा और कूड़े में जलने के कारण आतंकवादी भी अपनी औकात भांप लेंगे और नियंत्रित रहेंगे। ✍️हरीश मैखुरी