*हनुमान जी शैव वैष्णव आदि सभी के ईष्ट हैं एकादश रूद्र हैं जो विष्णु अवतार भगवान राम के अनन्य भक्त और अद्वितीय हैं। हनुमान जी की पूजा के बिना भगवान श्रीराम की पूजा पूर्ण फलदाई नहीं होती

हनुमान जी वानरराज सुग्रीव के साथ पहले किष्किंधा रहते थे पर प्रभु राम के साथ बाद में अयोध्या आ गए, वह कुछ समय मकरध्वज के पास आज के दक्षिण अमेरिका के होंडूरास (पूर्व माया सभ्यता ) में भी रहे, कुछ समय तक अफ्रीका के कुछ जगहों पर भी उनका निवास हुआ। त्रेता युग के समापन के बाद हनुमान जी किम्पुरुष वर्ष में निवास करने लगे। किम्पुरुष वर्ष हिमालय के उत्तर में हेमकीता के निकट का क्षेत्र है जिसका वर्णन पौराणिक आख्यायनों किया गया है। ऐसा माना जाता है यहाँ के लोगों की आयु सामान्यत: दस हजार वर्ष की होती है। यहाँ यति, नरसिंघ, रीछ, वानर गण के लोग रहते हैं। एशिया के अतिरिक्त हनुमान जी की आज भी लैटिन अमेरिका अफ्रीका के देशों में उपासना होती है। उनकी मूर्तियां जो हजारों बरस पुरानी हैं, प्रायः पुरानी सभ्यता वाली जगहों पर मिलती हैं।

( चित्र: दक्षिण अमेरिका के होंडुरास में प्राप्त हनुमान जी की मूर्ति )

हनुमान जी व्याकरण (शब्द शास्त्र) के आचार्य हैं, क्योंकि बातचीत के समय उनके मुख से कोई त्रुटि नहीं होती है। सुर, नर, नाग, गन्धर्व से भी बढ़कर हनुमान जी ने अखण्ड ब्रह्मचर्य धारण किया हुआ है। कर्नाटक में एक जगह हनुमान जी की पत्नी के साथ पूजा होती है किंतु वह विवाह प्रतीकात्मक था जो उन्होंने सूर्य की पुत्री के साथ किया था।

हनुमान जी शैव और वैष्णव के मध्य सेतु हैं। वह एकादश रूद्र हैं जो विष्णु अवतार भगवान राम के अनन्य भक्त हैं।हनुमान जी की पूजा के बिना भगवान श्रीराम की पूजा पूर्ण फलदाई नहीं होती है। हनुमान जी तेज एवं बल में श्रीराम और लक्ष्मण के समान है। हनुमान जी ऐसा कोई पराक्रम प्रकट नहीं करते हैं, जिससे प्रभु श्रीराम के यश – कीर्ति का क्षय हो। हनुमान जी ऐसे एकमात्र राम के सेवक हैं जिन्हें माता सीता ने अपना पुत्र कहा था। भगवान श्रीराम के राज्याभिषेक के समय हनुमान जी चार समुद्र और 500 नदियों से जल लाए थे। यह उनकी असाधारण शक्ति का द्योतक है। हनुमान जी की कृपा से समस्त व्याधियों से छुटकारा प्राप्त होता है। 

हनुमान जी बुद्धि, विवेक, धैर्य और विनम्रता के स्रोत हैं। छोटे बालक से लेकर वयोवृद्ध के हृदय में एक समान भाव के साथ विद्यमान बजरंग बली हर उस स्थान पर रहते हैं जहाँ राम कथा का पारायण होता है। राम कथा कहने से पहले बजरंगी का आह्वाहन किया जाता है और उनके लिए अलग चौकी रखी जाती है जिस पर बैठ कर वह कथा सुनते हैं।

हर सनातनी के कंठ और घर में हनुमान चालीसा स्थापित है। हर भय से अभय होने का राम बाण उपाय हनुमान चालीसा का पाठ है। आज हनुमान जन्मोत्सव है, आज के दिन माता अंजनी की गोद में हनुमान जी बालरूप में प्रकट हुए थे, सभी सनातनियों को इस मंगल वेला की बधाई। बजरंगी का आशीर्वाद और कृपा इस देश और हम सनातनियों पर बनी रहे।

जय बजरंग बली 🙏