बादल फटने से चार की मौत, सेना के आठ जवान लापता

पिथौरागढ़ में तहसील धारचूला में कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग में मालपा में रात्रि 2 बजकर 45 मिनट बादल फटने से चार लोगों की मौत हो गई, जबकि सेना के आठ जवान लापता हैं। दो जवान और एक जेसीओ को मलबे से सकुशल निकाल लिया गया है। मालपा नाला उफान में आने से तीन होटल बह गए। साथ ही दर्जनों लोग घायल हैं। घायलों में दो पुलिस के जवान भी शामिल हैं। चार लोगो के शव बरामद कर लिए गए हैं। बादल फटने की घटना रात्रि 2 बजकर 45 मिनट की है। धारचूला से 8 किमी दूर ऐलागाड से हाइवे बंद है। मांगती और सिमखोला में मोटर पुल क्षतिग्रस्त हो गए । गरबाधार में सेना सहित अन्य वाहन बहने की सूचना है। साथ ही खच्चर भी बह गए हैं। काली नदी का जलस्तर बढ़ गया है। इससे नदी किनारे अलर्ट जारी कर दिया है।

धारचूला तहसील से आगे पांगला से लेकर मालपा तक जगह-जगह भूस्खलन से भारी तबाही मची। यह मार्ग कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग है। तहसील मुख्यालय से एसडीएम के नेतृत्व में राजस्व दल और पुलिस मालपा को रवाना हो चुकी है। मालपा कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग में तीसरे दिन की पैदल यात्रा में पड़ता है। 1998 से पहले यह यात्रा का तीसरा पैदल पड़ाव होता था। 17 अगस्त 1998 की रात यहाँ पर बादल फटने 60 कैलास मानसरोवर यात्रियों और आईटीबीपी पुलिस जवानो सहित 260 लोगों की मौत हो गई थी। इससे यह पड़ाव ध्वस्त हो गया था।

अब मालपा नाले के दूसरी तरफ फिर से लोग बसने लगे और कुछ होटल भी खुल गए। कैलास मानसरोवर यात्रियों को दिन का भोजन यही पर कराया जाता है। भारत चीन व्यापार में जाने वाले और उच्च हिमालयी गावो के लोग धारचूला आने जाने के दौरान रात्रि विश्राम भी करते है। मालपा स्थान भारत नेपाल सीमा पर मालपा नाले के किनारे है। यहां से काली नदी मात्र 50 मीटर दूर पर बहती है। चार लोगों के शव नाले से निकाले गए हैं। शव सेना के जवानो के हैं या किसके पता नही चल सका है। एक महिला काली नदी पार नेपाल में नजर आई। वह घायल बताई जा रही है। छंकंडे में 50 मीटर कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग बह गया है। यह क्षेत्र संचार विहीन है। इस कारण सूचनाएं भी प्रशासन को समय से नहीं मिल पा रही है।

पिथौरागढ़ के धारचूला में भी देर शाम बादल फटने से ढुंगातोली गांव के कई घरों और खेतों में मलबा घुस गया। दहशतजदा 15 परिवारों ने गांव छोड़ दिया है। प्रशासन ने उन्हें सुरक्षित स्थान में शरण दी है। दूसरी ओर इसी जिले के मदकोट गांव में शनिवार रात बादल फटने से ध्वस्त हुए दो मकानों के मलबे से दो शव अभी तक नहीं निकाले जा सके। हादसे में तीन लोगों की मौत हुई है, जबकि तीन घायल हो गए। वहीं, कोटद्वार में बरसाती नदी के उफान में दो पुलिया बहने से तीन गांव अलग-थलग पड़ गए हैं।

कैलास मानसरोवर यात्रियों के दल सुरक्षित पिथौरागढ़ जिले के मालपा में भीषण प्राकृतिक आपदा के बाद कैलास मानसरोवर व आदि कैलास यात्रा के दल सुरक्षित हैं। जो दल जहां पर हैं, उन्हें वहीं रोक दिया गया है। यात्रा संचालक कुमाऊं मंडल विकास निगम के जीएम त्रिलोक सिहं मर्तोलिया ने बताया कि

कैलास मानसरोवर यात्रा का 16 वें दल को सिरखा पड़ाव में, वापस लौट रहे 12 वें दल को धारचूला में, 13 वें, 14 व 15 वें दल को गूंजी व चीन में तथा आदि कैलास के दल को बूंदी में रोक दिया गया है। संचार सेवा प्रभावित होने की वजह से संदेशवाहक के जरिये कई दलों को रोका गया। जीएम के अनुसार यात्रियों के लिए पर्याप्त इंतजाम हैं। पहाड़ से हो रहे भूस्खलन को देखते हुए प्रशासन ने हल्द्वानी-अल्मोड़ा हाईवे को 21 अगस्त तक के लिए बंद कर दिया है। वाहनों को वैकल्पिक मार्ग से भेजा जाएगा। भूस्खलन व बोल्डर गिरने की घटनाओं को देखते हुए पहाड़ी पर ड्रोन से नजर रखने का फैसला किया गया है।