रोजगार देने और पलायन रोकने के लिए आगे आई सेना की इको टास्क फोर्स

 

महेन्द्र सिंह महारा   

जो काम सरकार नहीं कर पा रही वो इको टास्क फोर्स करेगी। उत्तराखंड के लिए कहा जाता है कि यहां पानी और जवानी यहीं के काम नहीं आती है। लेकिन अब ऐसा संभव हो सकेगा। आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत और उत्तराखंड सरकार की पहल पर एक बड़ा काम होने जा रहा है। देवभूमि में सेना ने 127 इको टास्क फोर्स तैयार की हैं। इस टास्क फोर्स का काम देवभूमि में अखरोट, सेब, नाशपाती, अनार, संतरे और मौसमी के पेड़ लगाना होगा। ऐसा सेना अपने लिए नहीं करेगी। बल्कि देवभूमि के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के लिए करेगी, जहां पलायन की मार पड़ रही है और युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है। सेना की टास्क फओर्स इन पेड़ों को उत्तराखंड के हर जिले में उगाएगी। जिल जिले को मौसम जिस फल या फूल के लिए अनुकूल होता है, उस जिले में वो ही फल या फूल उगाया जाएगा। इसके अलावा भी इस खबर से जुड़े कुछ और पहलू हैं।

इसके बाद सीएम त्रिवेंद्र और सेना की पहल पर हर गांव वालों को इस बारे में बताया जाएगा कि किस तरह से फल और फूल के व्यापार से वो खुद कमाई कर सकते हैं। आज आप हिमाचल या फिर जम्मू कश्मीर में ही देख लीजिए। इन राज्यों में लोग सेब, नाशपाती, अनार जैसे फलों का उत्पादन करते हैं और देस के कोने कोने में इन्हें भेजा जाता है। उत्तराखंड सरकार और भारतीय सेना की इको टास्क फोर्स उत्तराखंड के हर गांव में जाएगी। वहां लोगों को फलों के पेड़ों को सुरक्षित कैसे रखें, इस बारे में जानकारी दी जाएगी। कैसे आप अच्छी क्वॉलिटी का फलदार वृक्ष लगाकर रुपया कमा सकते हैं, इस बारे में जानकारी दी जाएगी। किस तरह से आप फलों का व्यापार करेंगे, इस बारे में भी जानकारी दी जाएगी। आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत काफी वक्त से इस बारे में विचार कर रहे थे, आखिरकार वो बड़ा काम उन्होंने कर ही डाला है।
उत्तराखंड सरकार ने भी इस काम के लिए हामी भर दी है। यहां आपको बता दें कि चमोली जिले के मलारी क्षेत्र में पौधारोपण अभियान शुरू भी कर दिया गया है। इसके पहले फेज की शुरुआत कर्नल ऑफ द रेजीमेंट मेजर जनरल डीए चतुर्वेदी ने किया। मलारी में अखरोट और चिलगोजे से दो दो हजार पैधे लगाए गए हैं। दूसरे फेज में 1 लाख पौधे रोपे जाने हैं। आर्मी का काहना है कि इससे लोगों को रोजगार और कमाई का तो साधन मिलेगा ही, इसके अलावा उत्तराखंड का इको सिस्टम भी इससे काफी ज्यादा मजबूत होगा। आज उत्तराखंड का युवा रोजगार के लिए तरह रहा है। हर तरफ रोजगार के लिए हाहाकार मचा है। सेना का मानना है कि उत्तराखंड के युवा सबल हैं और उन्हें कबिजनेस के नए तरीके बताए जाएंगे। इससे युवाओं को इस बारे में जानकारी मिलेगी और खुद का काम शुरू कर सकेंगे।