चमोली जनपद में है द्रोणागिरी पर्वत जहां से हनुमान ले गये संजीवनी, जीव जगत की ८४ लाख योनियों का विवरण, आज का पंचाग आपका राशि फल

यहाँ वर्जित है हनुमान जी की पूजा

हम सब जानते है हनुमान जी हिन्दुओं के प्रमुख आराध्य देवों में से एक है, और सम्पूर्ण भारत में इनकी पूजा की जाती है। लेकिन बहुत काम लोग जानते है की हमारे भारत में ही एक जगह ऐसी है जहां हनुमान जी की पूजा नहीं की जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि यहाँ के रहवासी हनुमान जी द्वारा किए गए एक काम से आज तक नाराज़ हैं। यह जगह है उत्तराखंड के चमोली जनपद में अवस्थित द्रोणागिरि गांव।

द्रोणागिरि गांव उत्तराखंड के सीमांत जनपद चमोली के जोशीमठ प्रखण्ड में जोशीमठ नीति मार्ग पर है। यह गांव लगभग 14000 फुट की ऊंचाई पर स्थित है।

यहां के लोगों का मानना है कि हनुमानजी जिस पर्वत को संजीवनी बूटी के लिए उठाकर ले गए थे, वह यहीं स्थित था। चूंकि द्रोणागिरि के लोग उस पर्वत की पूजा करते थे, इसलिए वे हनुमानजी द्वारा पर्वत उठा ले जाने से नाराज हो गए। यही कारण है कि आज भी यहां हनुमानजी की पूजा नहीं होती। यहां तक कि इस गांव में लाल रंग का झंडा लगाने पर पाबंदी है।

द्रोणागिरि गांव के निवासियों के अनुसार जब हनुमान बूटी लेने के लिये इस गांव में पहुंचे तो वे भ्रम में पड़ गए। उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा था कि किस पर्वत पर संजीवनी बूटी हो सकती है। तब गांव में उन्हें एक वृद्ध महिला दिखाई दी।

उन्होंने पूछा कि संजीवनी बूटी किस पर्वत पर होगी? वृद्धा ने द्रोणागिरि पर्वत की तरफ इशारा किया। हनुमान उड़कर पर्वत पर गये पर बूटी कहां होगी यह पता न कर सके। वे फिर गांव में उतरे और वृद्धा से बूटीवाली जगह पूछने लगे।

जब वृद्धा ने बूटीवाला पर्वत दिखाया तो हनुमान ने उस पर्वत के काफी बड़े हिस्से को तोड़ा और पर्वत को लेकर उड़ते बने। बताते हैं कि जिस वृद्धा ने हनुमान की मदद की थी उसका सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया। आज भी इस गांव के आराध्य देव पर्वत की विशेष पूजा पर लोग महिलाओं के हाथ का दिया नहीं खाते हैं और न ही महिलायें इस पूजा में मुखर होकर भाग लेती हैं।

इस घटना से जुड़ा प्रसंग – यूँ तो राम के जीवन पर अनेकों रामायण लिखी गई है पर इनमे से दो प्रमुख है एक तो वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण और एक तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस। इनमे से जहाँ वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण को सबसे प्रामाणिक ग्रन्थ माना जाता है वही तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस सबसे अधिक पढ़ा जाता है।

रामायण और रामचरितमानस में अनेक घटनाओं में, कई प्रसंगो में अंतर है। ऐसा ही कुछ अंतर दोनों पुस्तकों में इस प्रसंग के संबंध में भी है। यहाँ हम आपको दोनों पुस्तकों में वर्णित प्रसंग के बारे में बता रहे है।

वाल्मीकि रचित रामायण के अनुसार

हनुमानजी द्वारा पर्वत उठाकर ले जाने का प्रसंग वाल्मीकि रामायण के युद्ध कांड में मिलता है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार रावण के पुत्र मेघनाद ने ब्रह्मास्त्र चलाकर श्रीराम व लक्ष्मण सहित समूची वानर सेना को घायल कर दिया। अत्यधिक घायल होने के कारण जब श्रीराम व लक्ष्मण बेहोश हो गए तो मेघनाद प्रसन्न होकर वहां से चला गया।

उस ब्रह्मास्त्र ने दिन के चार भाग व्यतीत होते-होते 67 करोड़ वानरों को घायल कर दिया था।हनुमानजी, विभीषण आदि कुछ अन्य वीर ही उस ब्रह्मास्त्र के प्रभाव से बच पाए थे। जब हनुमानजी घायल जामवंत के पास पहुंचे तो उन्होंने कहा – इस समय केवल तुम ही श्रीराम-लक्ष्मण और वानर सेना की रक्षा कर सकते हो।

तुम शीघ्र ही हिमालय पर्वत पर जाओ और वहां से औषधियां लेकर आओ, जिससे कि श्रीराम-लक्ष्मण व वानर सेना पुन: स्वस्थ हो जाएं। जामवंत ने हनुमानजी से कहा कि- हिमालय पहुंचकर तुम्हें ऋषभ तथा कैलाश पर्वत दिखाई देंगे। उन दोनों के बीच में औषधियों का एक पर्वत है, जो बहुत चमकीला है।

वहां तुम्हें चार औषधियां दिखाई देंगी, जिससे सभी दिशाएं प्रकाशित रहती हैं। उनके नाम मृतसंजीवनी, विशल्यकरणी, सुवर्णकरणी और संधानी है।हनुमान तुम तुरंत उन औषधियों को लेकर आओ, जिससे कि श्रीराम-लक्ष्मण व वानर सेना पुन: स्वस्थ हो जाएं। जांबवान की बात सुनकर हनुमानजी तुरंत आकाश मार्ग से औषधियां लेने उड़ चले।

कुछ ही समय में हनुमानजी हिमालय पर्वत पर जा पहुंचे। वहां उन्होंने हनुमानजी ने अनेक महान ऋषियों के आश्रम देखे। हिमालय पहुंचकर हनुमानजी ने कैलाश तथा ऋषभ पर्वत के दर्शन भी किए। इसके बाद उनकी दृष्टि उस पर्वत पर पड़ी, जिस पर अनेक औषधियां चमक रही थीं।

हनुमानजी उस पर्वत पर चढ़ गए और औषधियों की खोज करने लगे। उस पर्वत पर निवास करने वाली संपूर्ण महाऔषधियां यह जानकर कि कोई हमें लेने आया है, तत्काल अदृश्य हो गईं। यह देखकर हनुमानजी बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने वह पूरा पर्वत ही उखाड़ लिया, जिस पर औषधियां थीं। कुछ ही समय में हनुमान उस स्थान पर पहुंच गए, जहां श्रीराम-लक्ष्मण व वानर सेना बेहोश थी।

हनुमानजी को देखकर श्रीराम की सेना में पुन: उत्साह का संचार हो गया। इसके बाद उन औषधियों की सुगंध से श्रीराम-लक्ष्मण व घायल वानर सेना पुन: स्वस्थ हो गई। उनके शरीर से बाण निकल गए और घाव भी भर गए। इसके बाद हनुमानजी उस पर्वत को पुन: वहीं रख आए, जहां से लेकर आए थे।

तुलसीदास रचित रामचरितमानस के अनुसार

गोस्वामी तुलसीदास द्वारा चरित श्रीरामचरितमानस के अनुसार रावण के पुत्र मेघनाद व लक्ष्मण के बीच जब भयंकर युद्ध हो रहा था, उस समय मेघनाद ने वीरघातिनी शक्ति चलाकर लक्ष्मण को बेहोश कर दिया।

हनुमानजी उसी अवस्था में लक्ष्मण को लेकर श्रीराम के पास आए। लक्ष्मण को इस अवस्था में देखकर श्रीराम बहुत दु:खी हुए। तब जामवंत ने हनुमानजी से कहा कि लंका में सुषेण वैद्य रहता है, तुम उसे यहां ले आओ। हनुमानजी ने ऐसा ही किया।

सुषेण वैद्य ने हनुमानजी को उस पर्वत और औषधि का नाम बताया और हनुमानजी से उसे लाने के लिए कहा, जिससे कि लक्ष्मण पुन: स्वस्थ हो जाएं। हनुमानजी तुरंत उस औषधि को लाने चल पड़े। जब रावण को यह बात पता चली तो उसने हनुमानजी को रोकने के लिए कालनेमि दैत्य को भेजा।

कालनेमि दैत्य ने रूप बदलकर हनुमानजी को रोकने का प्रयास किया, लेकिन हनुमानजी उसे पहचान गए और उसका वध कर दिया। इसके बाद हनुमानजी तुरंत औषधि वाले पर्वत पर पहुंच गए, लेकिन औषधि पहचान न पाने के कारण उन्होंने पूरा पर्वत ही उठा लिया और आकाश मार्ग से उड़ चले। अयोध्या के ऊपर से गुजरते समय भरत को लगा कि कोई राक्षस पहाड़ उठा कर ले जा रहा है। यह सोचकर उन्होंने हनुमानजी पर बाण चला दिया।

हनुमानजी श्रीराम का नाम लेते हुए नीचे आ गिरे। हनुमानजी के मुख से पूरी बात जानकर भरत को बहुत दु:ख हुआ। इसके बाद हनुमानजी पुन: श्रीराम के पास आने के लिए उड़ चले। कुछ ही देर में हनुमान श्रीराम के पास आ गए। उन्हें देखते ही वानरों में हर्ष छा गया। सुषेण वैद्य ने औषधि पहचान कर तुरंत लक्ष्मण का उपचार किया, जिससे वे पुन: स्वस्थ हो गए।

श्रीलंका में स्थित है संजीवनी बूटी वाला पर्वत
जहां वाल्मीकि रचित रामायण के अनुसार हनुमान जी पर्वत को पुनः यथास्थान रख आए थे वही तुलसीदास रचित रामचरितमानस के अनुसार हनुमान जी पर्वत को वापस नहीं रख कर आए थे, उन्होंने उस पर्वत को वही लंका में ही छोड़ दिया था। श्रीलंका के सुदूर इलाके में श्रीपद नाम का एक पहाड़ है।

मान्यता है कि यह वही पर्वत है, जिसे हनुमानजी संजीवनी बूटी के लिए उठाकर लंका ले गए थे। इस पर्वत को एडम्स पीक भी कहते हैं। यह पर्वत लगभग 2200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। श्रीलंकाई लोग इसे रहुमाशाला कांडा कहते हैं। इस पहाड़ पर एक मंदिर भी बना है। ✍️जयन्ती नौटियाल 

‼️आज की अमृत कथा:-‼️

🌹💢#84_लक्ष_योनी🚩🚩…(भाग-1)

💦🌼💦🌼💦🌼💦🌼💦🌼💦🌼💦

    ……. ३० लाख बार वृक्ष योनि में जन्म होता है । इस योनि में सर्वाधिक कष्ट होता है ।धूप ताप,आँधी, वर्षा आदि में बहुत शाखा तक टूट जाती हैं ।शीतकाल में पतझड में सारे पत्ता पत्ता तक झड़ जाता हैl रस, रूप,स्पर्श ,गंध होता है पर वाक नही होती, स्थावर है जंगम नहीं।🌷

उसके बाद जलचर प्राणियों के रूप में ९ लाख बार जन्म होता है । हाथ और पैरों से रहित देह और मस्तक। सड़ा गला मांस ही खाने को मिलता है ।🌷

एक दूसरे का मास खाकर जीवन रक्षा करते हैं ।रस, रूप,स्पर्श,गंध होता है,वाक नहीं होती। स्थावर से जंगम हो जाते हैं।🌷

उसके बाद कृमि योनि में १० लाख बार जन्म होता है ।

‼️🌸‼️🌸‼️🌸‼️🌸‼️🌸‼️🌸‼️🌸‼️🌸

🍀और उसके उपरांत ११ लाख बार पक्षी योनि में जन्म होता है। वृक्ष ही आश्रय स्थान होते हैं ।जोंक, कीड़-मकोड़े, सड़ा गला जो कुछ भी मिल जाय, वही खाकर उदरपूर्ति करना।स्वयं भूखे रह कर संतान को खिलाते हैं और जब संतान उडना सीख जाती है तब पीछे मुडकर भी नहीं देखती । काक और शकुनि का जन्म दीर्घायु होता है ।रस, रूप,स्पर्श,गंध होता है। वाक नहीं प्राप्त होती ,खेचर हो जाते हैं।🍀

💐उसके बाद २० लाख बार पशु योनि,वहाँ भी अनेक प्रकार के कष्ट मिलते हैं ।अपने से बडे हिंसक और बलवान् पशु सदा ही पीडा पहुँचाते रहते हैं ।भय के कारण पर्वत कन्दराओं में छुपकर रहना। एक दूसरे को मारकर खा जाना । कोई केवल घास खाकर ही जीते हैं । किन्ही को हल खीचना, गाडी खीचना आदि कष्ट साध्य कार्य करने पडते हैं । रोग शोक आदि होने पर कुछ बता भी नहीं सकते।सदा मल मूत्रादि में ही रहना पडता है ।💐

  🙏गौ का शरीर समस्त पशु योनियों में श्रेष्ठ एवं अंतिम माना गया है ।🙏

💎उसके बाद वैदिक धर्मशून्य अधम कुल में ,पाप कर्म करना एवं मदिरा आदि निकृष्ट और निषिद्ध वस्तुओं का सेवन ही सर्वोपरि ।💎

🌻उसके बाद शूद्र कुल में जन्म होता है । उसके बाद वैश्य कुल में । फिर क्षत्रिय और अंत में ब्राह्मणकुल में जन्म 

मिलता है ।🌻

🌺और सबसे अंत में ब्राह्मणकुल में जन्म मिलता है ।यह जन्म एक ही बार मिलता है ।जो ब्रह्मज्ञान सम्पन्न है वही ब्राह्मण है।अपने उद्धार के लिए वह आत्मज्ञान से परिपूर्ण हो जाता है ।यदि इस दुर्लभ जन्म में भी ज्ञान नहीं प्राप्त कर लेता तो पुनः चौरासी लाख योनियों में घूमता रहता है ।शास्त्र शरणागति के अतिरिक्त कोई और उपाय नहीं है।🌺

🌹जय जय श्री राधे श्याम…. 👏👏

🌹🌺।।हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

                            हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ।।🌺🌹   

      👏👏ललतेश कुमार बृजवासी👏

 🕉श्री हरिहरो विजयतेतराम🕉

🌄सुप्रभातम🌄
🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
🌻रविवार, २० फरवरी २०२२🌻

सूर्योदय: 🌄 ०६:५७
सूर्यास्त: 🌅 ०६:१०
चन्द्रोदय: 🌝 २१:४६
चन्द्रास्त: 🌜०९:०६
अयन 🌕 उत्तरायने (दक्षिणगोलीय
ऋतु: 🌿 बसंत
शक सम्वत: 👉 १९४३ (प्लव)
विक्रम सम्वत: 👉 २०७८ (आनन्द)
मास 👉 फाल्गुन
पक्ष 👉 कृष्ण
तिथि 👉 चतुर्थी (२१:०५ तक)
नक्षत्र 👉 हस्त (१६:४२ तक )
योग 👉 शूल (१५:०८ तक)
प्रथम करण 👉 बव (०९:३३ तक)
द्वितीय करण 👉 बालव (२१:०५ तक)
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰️〰️
॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 कुम्भ
चंद्र 🌟 तुला (२८:३१ से)
मंगल 🌟 धनु (उदित, पश्चिम, मार्गी)
बुध 🌟 मकर (अस्त, पश्चिम, मार्गी)
गुरु 🌟 कुंम्भ (उदय, पूर्व, मार्गी)
शुक्र 🌟 धनु (उदित, पूर्व, वक्री)
शनि 🌟 मकर (अस्त, पश्चिम, मार्गी)
राहु 🌟 वृष
केतु 🌟 वृश्चिक
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰
शुभाशुभ मुहूर्त विचार
⏳⏲⏳⏲⏳⏲⏳
〰〰〰〰〰〰〰
अभिजित मुहूर्त 👉 १२:०८ से १२:५३
अमृत काल 👉 १०:४५ से १२:२०
सर्वार्थसिद्धि योग 👉 ०६:५२ से १६:४२
अमृतसिद्धि योग 👉 ०६:५२ से १६:४२
विजय मुहूर्त 👉 १४:२४ से १५:०९
गोधूलि मुहूर्त 👉 १७:५८ से १८:२२
निशिता मुहूर्त 👉 २४:०५ से २४:५६
राहुकाल 👉 १६:४४ से १८:०९
राहुवास 👉 उत्तर
यमगण्ड 👉 १२:३१ से १३:५५
होमाहुति 👉 मंगल
दिशाशूल 👉 पश्चिम
अग्निवास 👉 आकाश
चन्द्रवास 👉 दक्षिण (पश्चिम २८:३२ से)
शिववास 👉 कैलाश पर (२१:०५ नन्दी पर)
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
☄चौघड़िया विचार☄
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – उद्वेग २ – चर
३ – लाभ ४ – अमृत
५ – काल ६ – शुभ
७ – रोग ८ – उद्वेग
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – शुभ २ – अमृत
३ – चर ४ – रोग
५ – काल ६ – लाभ
७ – उद्वेग ८ – शुभ
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰
शुभ यात्रा दिशा
🚌🚈🚗⛵🛫
पश्चिम-दक्षिण (पान का सेवन कर यात्रा करें)
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰️〰️〰️〰️〰️
तिथि विशेष
🗓📆🗓📆
〰️〰️〰️〰️
संकष्ट चतुर्थी, देव प्रतिष्ठा मुहूर्त प्रातः ०८:२७ से दोपहर १२:४१ तक, विवाह मुहूर्त कन्या-तुला लग्न रात्रि ०८:०१ से १२:३५ तक आदि।
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰️〰️
आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
〰〰〰〰〰〰〰〰〰️〰️
आज १६:४२ तक जन्मे शिशुओ का नाम
हस्त नक्षत्र के तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमश (ण, ठ) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओं का नाम चित्रा नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय चरण अनुसार क्रमश: (पे, पो, रा) नामाक्षर रखना शास्त्रसम्मत है।
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰
उदय-लग्न मुहूर्त
कुम्भ – ३०:३४ से ०८:००
मीन – ०८:०० से ०९:२३
मेष – ०९:२३ से १०:५७
वृषभ – १०:५७ से १२:५२
मिथुन – १२:५२ से १५:०७
कर्क – १५:०७ से १७:२८
सिंह – १७:२८ से १९:४७
कन्या – १९:४७ से २२:०५
तुला – २२:०५ से २४:२६
वृश्चिक – २४:२६ से २६:४५
धनु – २६:४५ से २८:४९
मकर – २८:४९ से ३०:३०
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰
पञ्चक रहित मुहूर्त
रोग पञ्चक – ०६:५२ से ०८:००
शुभ मुहूर्त – ०८:०० से ०९:२३
शुभ मुहूर्त – ०९:२३ से १०:५७
रोग पञ्चक – १०:५७ से १२:५२
शुभ मुहूर्त – १२:५२ से १५:०७
मृत्यु पञ्चक – १५:०७ से १६:४२
अग्नि पञ्चक – १६:४२ से १७:२८
शुभ मुहूर्त – १७:२८ से १९:४७
रज पञ्चक – १९:४७ से २१:०५
शुभ मुहूर्त – २१:०५ से २२:०५
चोर पञ्चक – २२:०५ से २४:२६
शुभ मुहूर्त – २४:२६ से २६:४५
रोग पञ्चक – २६:४५ से २८:४९
शुभ मुहूर्त – २८:४९ से ३०:३०
मृत्यु पञ्चक – ३०:३० से ३०:५२
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰
आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
〰️〰️〰️〰️〰️〰️
मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज के दिन वृद्धिकारक योग बन रहे है। शारीरिक रूप से चुस्त रहने का लाभ कार्य क्षेत्र पर मिलेगा। जिस भी कार्य मे हाथ डालेंगे उससे कुछ ना कुछ लाभ ही होगा। कार्य क्षेत्र पर आज प्रतिस्पर्धा भी अधिक रहेगी फिर भी आपके लाभ को कोई नही रोक सकेगा। धन की आमद समय पर और आवश्यकता से अधिक ही होगी फिर भी आर्थिक मामलों में आज स्पष्टता रखना आवश्यक है भूल होने अथवा उधारी के कारण विवाद की संभावना है। मित्र रिश्तेदारी में जाने के प्रसंग बनेंगे। परिवार में सुख सुविधा की वृद्धि के विचार बनेंगे निकट भविष्य में इनपर खर्च भी होगा। कुछ समय के लिये वैचारिक मतभेद होंगे।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज आपको कुछ अतिरिक्त कार्य सौपे जाएंगे लापरवाह एवं आलसी स्वभाव के चलते आरम्भ में ये झंझट लगेंगे लेकिन कुछ समय बीतने पर इनमे ही मग्न हो जाएंगे कार्य व्यवसाय में मध्यान तक ही रुचि लेंगे इसके बाद का समय एकांत में बिताना पसंद करेंगे। आज आप एकबार लिए निर्णय से पीछे नही हटेंगे चाहे हानि ही क्यो ना हो घर मे मांगलिक आयोजन होंगे वातावरण आत्मबल देने वाला रहेगा। दिन का कुछ समय पूर्व में किये कार्यो की समीक्षा में बीतेगा इससे संतोष की प्राप्ति होगीं। संध्या बाद मन काल्पनिक दुनिया मे खोया रहेगा। परिवार के सदस्य अपनी अनदेखी से उदास रहेंगे। सेहत कुछ समय के लिये नरम बनेगी।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज के दिन आप अपनी ही गलतियों से लोगो के अपशब्द सुनेंगे फिर भी व्यवहार में बदलाव नही आने से मामला हाथापाई तक पहुच सकता है। वाणी और व्यवहार में नरमी रखना आज अति आवश्यक है अन्यथा गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। आज आपकी जल्दी से किसी से नही बनेंगी घर का शांत वातावरण भी आपके कारण खराब होगा। कार्य क्षेत्र पर धन अथवा अन्य लेन-देन संबंधित मामूली बात पर झगड़ा करने पर उतारू होंगे फलस्वरूप प्रतिष्ठा खराब होगी। आर्थिक रूप से दिन ठीक है फिर भी आपके व्यवहार से कुछ ना कुछ कमी अवश्य आएगी। मौन रहने का प्रयास करें।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज का दिन धन लाभ वाला है लेकिन सेहत में थोड़ी नरमी रहने से लापरवाहि करेंगे परिणामस्वरूप उचित लाभ से वंचित रह सकते है। स्वभाव में परोपकार की भावना रहेगी लेकिन स्वार्थ सिद्धि भी रहेगी अपने मतलब के काम के लिये ना नही कहेंगे बेकार के कामो में रुचि नही लेंगे। कार्य व्यवसाय में लाभ के कई अवसर मिलेंगे परन्तु जोड़ तोड़ की नीति के चलते सीमित लाभ से संतोष करना पडेगा। संध्या का समय दिन की अपेक्षा बेहतर रहेगा बाहर घूमने के प्रसंग बनेंगे मन हल्का रहेगा परिजन भी आवश्यकता पूर्ति होने पर प्रसन्न रहेंगे। स्वास्थ्य रात्रि के समय प्रतिकूल होगा सतर्क रहें।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज का दिन आपकी आशाओ के विपरीत रहने से मन मे नकारात्मक भाव आएंगे लेकिन आध्यात्म से जुड़ने का लाभ भी किसी ना किसी रूप में अवश्य ही मिलेगा। दिन के आरम्भ से मध्यान तक दिनचार्य अव्यवस्थित रहेगी चाहकर भी अपनी योजनाओं को आगे नही बढ़ा सकेंगे धन संबंधित उलझने हर कार्य मे बाधा डालेगी फिर भी परिश्रम से पीछे ना हटे अन्यथा आपके हिस्से का लाभ कोई अन्य लेजा सकता है। कार्य क्षेत्र पर सहकर्मियों का उद्दंड व्यवहार क्रोध दिलाएगा धर्य से काम लें वरना अकेले ही काम करना पड़ेगा। गृहस्थ का वातावरण मंगलमय रहेगा आपस मे थोड़ी बहुत टोका-टाकी होगी फिर भी एकता बनी रहेगी। थकान ज्यादा अनुभव होगी।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज के दिन शुभ संयोग बन रहे है प्रातः काल मे कुछ समय के लिये धन अथवा अन्य कारणों से मानसिक बेचैनी रहेगी लेकिन मध्यान तक इनका समाधान होने से शांति मिलेगी। काम-धंधा आज अन्य दिनों की अपेक्षा बेहतर चलेगा प्रतिस्पर्धियों पर विजय पाएंगे। मध्यान के बाद जिस भी कार्य को करेंगे वह थोड़ी बहुत मेहनत के बाद सफल होगा। धन की आमद संध्या तक संतोषजनक हो जाएगी। पारिवारिक वातावरण शांत रहेगा। महिलाये शारीरिक रूप से कमजोरी अनुभव करेंगी फिर भी इससे दैनिक कार्य बाधित नही होंगे। धर्म कर्म में आस्था रहेगी लेकिन आज पूरा समय नही दे पाएंगे।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज का दिन आपके लिये हानिकर रहेगा। आज किसी ना किसी रूप में आपके विचार कार्य उल्टा ही फल देंगे। कार्य व्यवसाय से लाभ की उम्मीद अंत समय मे टूटने से मन नकारात्मक विचारों से भरेगा जल्दबाजी में कुछ अनुचित कदम भी उठा सकते है लेकिन इसका परिणाम निकट भविष्य में धन के साथ सम्मान हानि भी करा सकता है। महिलाये आज कही सुनी बातो पर घर मे कलह करेंगी बाद में स्थिति स्पष्ट होने पर पश्चाताप होगा। आज जल्दी से किसी की बातों में ना आये अन्यथा मानसिक तनाव के साथ संबंधों में दूरी बढेगी। स्वास्थ्य में शिथिलता रहेगी। संध्या बाद स्थिति में सुधार होने लगेगा।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज के दिन मध्यान बाद से आपको आशा के विपरीत फल मिलने लगेगा सेहत भी साथ नही देगी आवश्यक कार्य इससे पहले ही पूर्ण करने का प्रयास करें। व्यवसायी वर्ग एवं नौकरी वाले लोग नया कार्य आरम्भ कर सकते है लेकिन निवेश सोच समझ कर ही करें। सामाजिक क्षेत्र अथवा अन्य दिनचार्य में आज किसी भी प्रकार का जोखिम लेने से बचें अन्यथा बाद में पछताना पड़ेगा। मेहनत करने के बाद भी धन की आमद अनिश्चित रहेगी घरेलू खर्च अधिक होने के कारण बजट बिगड़ेगा। मित्र परिचित मीठा बोलकर अपना हित साधेंगे भावुकता से बचें। परिजनों का सहयोग मिलता रहेगा।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज का दिन आपके लिए अनुकूल परिस्थिति वाला रहेगा पूर्व में सोची योजनाए सिरे चढ़ने से आय के नए मार्ग विकसित होंगे लेकिन आज आप जो भी योजना बनाएंगे उसके शीघ्र फलित होने में संदेह रहेगा। काम-धंधा लगभग ठीक ही चलेगा लेकिन ज्यादा पाने की चाह के कारण कुछ ना कुछ अभाव अनुभव होगा। सामाजिक कार्यो में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेंगे दान-पुण्य भी करेंगे लेकिन इनके पीछे दिखावे की भावना भी रहेगी मान-सम्मान मिलने से अहम बढेगा। सहकर्मी अथवा परिजनों की मांग पूरी करने पर धन का व्यय होगा। स्वास्थ्य में कोई नया विकार आएगा सतर्क रहें।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज के दिन आपके आध्यात्मिक क्षेत्र में उन्नति के योग बन रहे है। आज परोपकार की भावना भी प्रबल रहेगी अपने कार्य छोड़ अन्य की सहायता करने में तत्पर रहेंगे लेकिन ध्यान रहे किसी से ज्यादा हमदर्दी भी पारिवारिक कलह का कारण बन सकती है। नौकरी वाले लोगो से जल्दबाजी में त्रुटि होने की संभावना है सतर्क रहें अन्यथा अधिकारी वर्ग की नाराजगी देखनी पड़ेगी। आर्थिक रूप से दिन परिश्रम साध्य रहेगा धन लाभ मेहनत के ऊपर निर्भर करेगा आलस्य से बचें। घर का वातावरण वैसे तो शांत रहेगा लेकिन बीच मे आपसी तालमेल की कमी के चलते उग्र हो सकता है। स्वास्थ्य का ध्यान रखें।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज दिन के आरंभिक भाग में किसी कार्य को करने की जल्दबाजी में नुकसान हो सकता है आज धैर्य से सोच विचार कर काम करने पर ही व्यवसाय अथवा अन्य कार्यो से लाभ पाया जा सकेगा। सेहत में दिनभर उतार चढ़ाव लगा रहने से कार्य करने में उत्साह नही दिखाएंगे। आज आपको लाभ के अवसर भी मिलेंगे परन्तु ज्यादा पाने की लालसा के कारण हाथ से निकल सकते है। आज कम से संतोष करें अन्यथा खर्च चलाना भारी पड़ेगा। नौकरी वालो की अधिकारी वर्ग से कहासुनी होगी गुस्से में आकर कोई कदम ना उठाये बाद में पछताना पड़ेगा। परिजन की उम्मीद के विपरीत कार्य करने पर बहस हो सकती है।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का दिन आपके लिये मिला जुला रहेगा। दिनचार्य आज व्यवस्थित रहेगी अधिकांश कार्य समय पर पूर्ण कर लेंगे धन की आमद भी निश्चित समय पर हो जाएगी लेकिन अचानक खर्च आने से हाथ से निकल जाने पर स्वयं को ठगा सा अनुभव करेंगे। कार्य क्षेत्र पर किसी से आर्थिक विषयो को लेकर बहस होने की सम्भवना है विवेक से काम ले अन्यथा धन डूब भी सकता है। नौकरी वाले लोग अधिकारी वर्ग से किसी बात को लेकर नाराज रहेंगे बेमन से कार्य करने पर विलम्ब होगा काम मे सफाई भी नही रहेगी। परिजन आपसे मतलब का व्यवहार रखेंगे इच्छा पूर्ति के लिए जिद पर अडेंगे। स्वास्थ्य सामान्य रहेगा।
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰🙏राधे राधे🙏