कपिल सिब्बल द्वारा कांग्रेस छोड़ कर सपा से राज्यसभा सांसद हेतु नामांकन प्रस्तुत करने के पीछे की अंतर्व्यथा

✍️हरीश मैखुरी

समाजवादी पार्टी की ओर से डिंपल यादव, जावेद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने  राज्यसभा के लिए नामांकन प्रस्तुत किया। नामांकन करते हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि वह 16 मई को कांग्रेस से त्यागपत्र दे चुके हैं। कपिल सिब्बल ने अखिलेश यादव की उपस्थिति में नामांकन पत्र प्रस्तुत किया। समझा जाता है कि कपिल सिब्बल उदयपुर चिंतन शिविर में पार्टी की कमान भविष्य में भी गांधी परिवार के ही हाथ रहने के निर्णय और कांग्रेस में स्वयं को हासिये पर पड़ जाने से कुछ अधिक ही खिन्न रहने लगे थे और अंततोगत्वा उन्होंने कांग्रेस को त्याग दिया। वहीं सपा ने सिब्बल को राज्यसभा भेजने का दांव खेलकर एक साथ कई राजनीतिक तीर साधे हैं। यदि सपा अपने मुस्लिम नेता आजम खान की पैरवी पर कपिल को भेजने से मना कर देती, तो आज़म के पार्टी छोड़कर जाने का भी भय था। कपिल सिब्बल ने बतौर अधिवक्ता आजम खान की जमानत करवाई थी तो क्या बदले में आजम ने राज्यसभा सीट दिलवाने में भूमिका निभाई?

   इधर कपिल सिब्बल ने कांग्रेस नेता के तौर पर 30 साल की अपनी राजनीतिक पारी को विराम दे दिया लेकिन पार्टी को अलविदा कहने के बाद सिब्बल का कांग्रेस पार्टी को लेकर पहला बयान सामने आया है सिब्बल ने कहा कि आगे बढ़ना हमेशा मुश्किल होता है, लेकिन हर किसी को अपने बारे में सोचना पड़ता है। तो क्या अब अब सपा में रह कर चलाएंगे सैक्युलर ऐजेंडा!!  इधर कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व की ओर से बयान आया है कि जो जाना चाहें तो जा सकता है’। शोशल मीडिया पर इस बयान को शीर्ष नेतृत्व का दंभ माना जा रहा है। 

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