उत्तराखंड के मुख्य सचिव डॉ सुखबीर सिंह संधु, मीनाक्षी सुन्दरम सचिव मुख्यमंत्री और डीजीपी अशोक कुमार ने जोशीमठ पंहुंच कर भूधंसाव से हुई क्षति का आंकल करते हुए कहा ‘प्रभावितों की सुरक्षा व उनकी व्यवस्था है प्राथमिकता

चमोली 08 जनवरी,2023 

उत्तराखंड के मुख्य सचिव डा.सुखवीर सिंह संधू ने रविवार को जोशीमठ पहुंचकर भूधंसाव क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण कर स्थिति की गंभीरता का आंकल किया। इस दौरान मुख्य सचिव के साथ डीजीपी पुलिस अशोक कुमार एवं सचिव मुख्यमंत्री आर.मीनाक्षी सुंदरम भी मौजूद थे।

मुख्य सचिव ने कहा कि देश के विशेषज्ञ वैज्ञानिकों की टीम द्वारा भूधंसाव कारणों का पता लगाया जा रहा है और इसके कारणों का पता लगने पर जो भी ट्रीटमेंट्स आवश्यक होगा वो यहां पर किया जाएगा। मुख्य सचिव ने कहा कि तत्कालिक रूप से नागरिकों की सुरक्षा बेहद अहम है और स्थानीय प्रशासन इसके लिए लगातार काम कर रहा है। उन्होंने स्थानीय नागरिकों से अपील करते हुए कहा कि किसी भी दशा में रिस्क ना ले। ऐसी स्थिति में कभी भी नुकसान ज्यादा हो सकता है। जिला प्रशासन द्वारा जहां पर व्यवस्था की गई है, वहां पर जल्द से जल्द शिफ्ट करें। इस दौरान मुख्य सचिव ने मनोहर बाग, सिंग्धार, मारवाडी स्थित जेपी कंपनी प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लिया। जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने मुख्य सचिव को आपदा की स्थिति के बारे में अवगत कराया।

ल्ड लैण्ड स्लाईड डिपोजिट पर बसे जोशीमठ जैसे शहर पर प्रकृति तो अपना रूप दिखाती ही है मानव योजित आपदाएं भी इसके लिए उत्तरदायी हैं। “1991 भूकंप उत्तरकाशी, वरुणावत आपदा 2003, केदारनाथ आपदा 2013, जोशीमठ आपदा 2023 “। हम सभी शाशन प्रशासन जब किसी भी तकनीकी पहलू, पर्यावरणीय पहलू, स्थानीयों के अनुभवों पर आधारित परामर्श की अनदेखी करते है तो भारी क्षति होती है। दायित्व धारी, शाशन प्रशासन अपनी कमाई के लालच में सभी का भविष्य दांव पर रख देते है।47 वर्ष पूर्व जोशीमठ के लिये दिये गए सलाह, विचारों को दरकिनार कर हम सभी इसके परिणाम भुगत रहे है।। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज ने माननीय उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर जोशीमठ के विषथापन, पुनर्वास, जान माल की सुरक्षा, दोषी अधिकारियों के विरूद्ध कार्यवाही की मांग सहित मुआवजा आदि की मांग की है। नन्दादेवी इको सेंसिटिव जोन जो अत्यंत संवेदनशील छेत्र है इसमे अब जो भी योजनाएं बने जिसमे सड़क, पन बिजली, पर्यटन, आदि पर गहनता से विचार हो।एक वृहद master plan को लेकर आगे बढ़े।स्थानीय लोगों के हक़ हकूक यथावत रहे। बाहरी लोगों का अतिक्रमण न हो, बाहरी धनपशु उत्तराखंड में जमीन न खरीद पाएं।। स्थानीय को रोज़गार मिले। जल जंगल ज़मीन पर हक़ बरकरार रहे।। इको सेंसिटिव जोन हमारा हथियार हो। ग्रीन बोनस की मांग हो।  इसे बचाये रखना है। हम सबको आपस मे सामंजस्य बनाकर आगे बढ़ना होगा।। जो हो गया उससे सीख लेनी होगी।जोशीमठ में भवन निर्माण की जगह वृक्षारोपण को प्राथमिकता देनी होगी। ड्रेनेज सिस्टम ठीक करना होगा। मारवाड़ी बाईपास अलकनंदा के दायें भाग में शिफ्ट करना होगा तपोवन जल विद्युत परियोजना की समीक्षा करनी होगी ✍️हरीश मैखुरी (Harish Maikhuri)