पलायन आयोग के सुझावों पर मुख्यमंत्री लेंगे संज्ञान, विजय दिवस के अवसर पर प्रदेशवासियों को दी शुभकामना

हरीश मैखुरी

*मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित हुई ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की बैठक।*
*बैठक में उपाध्यक्ष सहित सभी नामित सदस्य रहे उपस्थित।*
*बैठक में सदस्यों ने रखे अपने सुझाव।*
*आयोग द्वारा तैयार की गई बागेश्वर के ग्रामीण क्षेत्रों पर आधारित रिर्पोट का मुख्यमंत्री ने किया विमोचन।*
*आयोग के सुझावों पर राज्य सरकार ले रही नीतिगत निर्णय।*
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में मंगलवार को सचिवालय में ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की बैठक आयोजित हुई। आयोग में सदस्यों की नियुक्ति के पश्चात आयोग की यह पहली बैठक रही जिसमें उपाध्यक्ष सहित सभी नामित सदस्य एवं उच्चाधिकारी मौजूद रहे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने जनपद बागेश्वर के ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक व आर्थिक विकास को सुदृढ़ करने एवं पलायन को कम करने हेतु आयोग द्वारा की गई सिफारिशों से सम्बन्धित पुस्तिका का विमोचन किया। उन्होंने कहा कि पलायन आयोग द्वारा पलायन के मूल कारणों से सम्बन्धित दी गई प्राराम्भिक रिपोर्ट से ही स्पष्ट था कि राज्य से पलायन मुख्यतः शिक्षा व स्वास्थ्य की बेहतर सुविधा एवं रोजगार की कमी रही है। उन्होंन कहा कि आयोग के सुझावो पर राज्य सरकार द्वारा नीतिगत निर्णय लिये जा रहे है। उन्होंने कहा कि आयोग को वर्किंग एजेन्सी के रूप में नहीं अपितु राज्य से पलायन रोकने तथा ग्रामीण क्षेत्रों के सामाजिक व आर्थिक विकास के लिये थिंकटेक के रूप में कार्य करना होगा। आयोग के सदस्यों को ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न स्तरों पर कार्य करने का अनुभव है। उनके अनुभव राज्य के समग्र विकास में उपयोगी होंगे इसका उन्होंने विश्वास जताया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में कोविड-19 से पूर्व ही मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, सोलर स्वरोजगार योजना तथा ग्रोथ सेन्टरों की स्थापना, एलईडी योजना का कार्य गतिमान रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों के आर्थिक विकास एवं स्थानीय युवाओं को स्वरोजगार के साधन उपलब्ध करना इसका उद्देश्य था। सीमान्त क्षेत्रों के समग्र विकास के लिये मुख्यमंत्री सीमान्त सुरक्षा निधि की व्यवस्था की गई है। स्वयं सहायता समूहों द्वारा उत्पादित वस्तुओं की सरकारी खरीद के लिये 5 लाख तक की सीमा निर्धारित की गई है।
उन्होंने कहा कि महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा यूनीफार्म आपूर्ति के क्षेत्र में भी कार्य किया जा रहा है, पर्वतीय क्षेत्रों में इसे और विस्तार दिये जाने की जरूरत है। इनमें आत्मविश्वास जगाने की भी उन्होंने जरूरत बतायी। मुख्यमंत्री ने अच्छी शिक्षा व्यवस्था के लिये भी सदस्यों से सुझाव देने को कहा। उन्होंने कहा कि स्थानीय प्राकृतिक संसाधनों के कारगर ढ़ंग से उपयोग की दिशा में पहल की गई है। चीड़ से बिजली व पेलेटस बनाये जा रहे है। एलईडी निर्माण में 15 संस्थाये कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री ने राज्य में स्वयं का रोजगार खड़ा कर समाज को प्रेरणा देने वाले युवाओं को प्रोत्साहित करने पर भी ध्यान देने को कहा। उन्होंने क्षेत्रीय स्तर पर युवाओं को तकनीकि प्रशिक्षण आदि की व्यवस्था पर भी ध्यान देने को कहा। मुख्यमंत्री ने ग्रोथ सेन्टरों में क्रेडिट कार्ड योजना आरम्भ किये जाने की भी बात कही।
बैठक में उपाध्यक्ष, ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग डॉ0 एस0एस0नेगी ने बताया कि आयोग द्वारा अब तक राज्य के पर्वतीय जनपदों, ईको टूरिज्म, ग्राम्य विकास एवं कोविड-19 के प्रकोप के दौरान राज्य में लौटे प्रवासियों एवं उनके पुनर्वास पर आधारित 11 सिफारिशे प्रस्तुत की जा चुकी है।
बागेश्वर के ग्रामीण क्षेत्रों पर आधारित रिपोर्ट के सम्बन्ध में डॉ. नेगी ने बताया कि जनगणना वर्ष 2011 के अनुसार जनपद बागेश्वर की जनसंख्या 2,59,898 है, इनमें 1,24,326 पुरूष तथा 1,35,572 महिलाएं है। पिछले 10 वर्षों में 346 ग्राम पंचायतों से कुल 23,388 व्यक्तियों द्वार अस्थायी रूप से पलायन किया गया है। पिछले 10 वर्षों में 195 ग्राम पंचायतों से 5912 व्यक्तियों द्वार पूर्णरूप से स्थायी पलायन किया गया है। आंकड़े दर्शाते है कि जनपद के सभी विकास खण्ड़ो में स्थायी पलायन की तुलना में अस्थायी पलायन अधिक हुआ है। जनपद की प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2016-17 के लिए अनन्तिम रूप से 1,00,117 रूपये है।
आयोग द्वारा जनपद हेतु जो सिफारिशें रखी हैं उनमें प्रमुख रूप से पशुधन की गुणवत्ता में सुधार लाने एवं कृत्रिम गर्भाधान केन्द्रों की संख्या बढ़ाना, दुग्ध उत्पादन एवं दुग्ध उत्पादकों की उपज हेतु पनीर, घी आदि बनाने का प्रशिक्षण दिये जाने, दुग्ध समितियों की सक्रियता बढ़ाने एवं दुग्ध प्रसंस्करण केन्द्र खोले जाने। होम स्टे की संख्या बढ़ाये जाने, इकोटूरिज्म गतिविधियों को पर्यटक स्थलों के रूप में विकसित किए जाने, पर्यटन से जुड़े कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ाए जाने, क्षमता निर्माण प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं उद्यमिता विकास कार्यक्रम आयोजित किये जाने, मनरेगा में समान अवसर और भागीदारी सुनिश्चित करके महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बनाए रखना, फसलों को बंदरों और जंगली सूअरों जैसे जानवरों से नुकसान से बचाव हेतु वन विभाग की सहायता से बन्दरबाड़ो/सोलर पावर फैन्सिंग का निर्माण कराये जाना, ग्राम पंचायतों में नर्सरियों बनाये जाना तथा औषधीय एवं सुगंधित पौंधों की कृषि को महत्वपूर्ण आजीविका उत्पादन गतिविधियों में विकसित किए जाना, जनपद में जड़ी-बूटी की खेती एवं कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा दिया जाना, जनपद में चाय के क्षेत्रफल को बढ़ावा दिया जाना, जनपद में बागवानी के क्षेत्रों को बढ़ाये जाना शामिल है।
इस अवसर पर आयोग के सदस्यों श्री रामप्रकाश पैन्यूली, श्री सुरेश सुयाल, श्री दिनेश रावत घण्डियाल, श्री अनिल सिंह शाही एवं वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से रूद्रप्रयाग से श्रीमती रंजना रावत ने अपने सुझाव रखे।
अपर मुख्य सचिव श्रीमती मनीषा पंवार ने आयोग की सिफारिशों पर की जा रही कार्यवाही की जानकारी दी। आयोग के सदस्य सचिव श्री रोशन लाल एवं अन्य अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।

प्रदेश में जनशिकायतों व समस्याओं का मौके पर निराकरण मुख्यमंत्री त्वरित समाधान सेवा कार्यक्रम का उद्देश्य है। इसके तहत क्विक रिस्पॉन्स टीम खंड तथा ग्राम स्तरीय समस्याओं का समाधान कर रही है। मुख्यमंत्री त्वरित कार्रवाई टीम (CM QRT) का गठन सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ आमजन को दिलाने के लिए किया गया है।

इसके तहत विकासखंड स्तर पर हर सप्ताह न्याय पंचायत व ग्राम पंचायत स्तर पर दो त्वरित समाधान शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। इनमें जिला, विकासखंड एवं तहसील स्तर के उच्च स्तरीय अधिकारी भाग लेकर मौके पर ही जनसमस्याओं का निराकरण कर रहे हैं।

विगत 75 दिनों में लगभग 950 समस्याओं का समाधान किया गया है। सभी जिलाधिकारियों व मुख्य विकास अधिकारियों को पुनः निर्देशित किया गया है कि मुख्यमंत्री त्वरित समाधान सेवा कार्यक्रम के तहत जनसमस्याओं का शीघ्रातिशीघ्र समाधान करवाएं।

आज *विजय दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री ने दी प्रदेशवासियों को शुभकामना।*
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने विजय दिवस के अवसर पर भारतीय सेना, भूतपूर्व सैनिकों, देश एवं प्रदेश वासियों को बधाई दी है। उन्होने कहा कि भारतीय सेना के वीर जवानों द्वारा पाकिस्तान पर ऐतिहासिक विजय प्राप्त करने के उपलक्ष्य में 16 दिसम्बर को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस भारतीय सेना के शौर्य, पराक्रम और मान को स्थापित करता है। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा है कि भारत के सैन्य इतिहास में 16 दिसम्बर वीरता व पराक्रम का ऐतिहासिक दिन है। इसी दिन मात्र 13 दिन में भारतीय सैनिकों के साहस व बहादुरी के सामने नतमस्तक होकर पाकिस्तानी सेना के 93 हजार सैनिकों को आत्मसमर्पण करना पड़ा था। हमारे सैन्य इतिहास की यह सबसे बड़ी विजय थी।
मुख्यमंत्री ने 1971 भारत-पाक युद्ध के शहीदों को नमन करते हुए कहा कि हमारे सैनिकों के पराक्रम से पाकिस्तानी सैनिकों का मनोबल टूट गया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड, देवभूमि के साथ ही वीर भूमि भी है। यहां सदैव देशभक्ति व राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा सैनिकों के प्रति श्रद्धा का भाव है। प्रदेश में सैनिकों की समस्याओं का निस्तारण प्राथमिकता से किया जा रहा है। इसके लिए जिलों में एडीएम स्तर के अधिकारी को नोडल अधिकारी बनाया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में भारतीय सेना को समर्पित एक ऐसा भव्य स्मारक बनाना बनाया जायेगा जिसमें भारतीय सेना का गौरवमय इतिहास की झलक प्रदर्शित की जायेगी, इससे हमारी भावी पीढ़ी को प्रेरणा मिलेगी।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि देश की रक्षा के लिए हमारे वीर सैनिक हमेशा तत्परता के साथ अपना योगदान देते है जिस पर हम गर्व करते हैं। देश की सीमाओं की रक्षा के लिए वीर सैनिकों द्वारा किए गए सर्वोच्च बलिदान को हमेशा याद रखा जायेगा। उन्होने कहा कि हमें अपने सैनिकों की वीरता पर नाज है और पूरा देश उनकी बहादुरी को नमन करता है।