मुख्यमंत्री पुष्करसिंह धामी ने दिए “कुम्हारी कला” को पुनर्जीवित करने और बढावा देने के निर्देश, मुख्यमंत्री ने 27 व्यक्तियों और संस्थाओं को एसडीजी गोलकीपर अवॉर्ड से किया सम्मानित

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने आज सचिवालय में “कुम्हारी कला” को पुनर्जीवित करने को लेकर अधिकारियों की बैठक ली और प्रदेश में कुम्हारी कला को अधिक से अधिक बढ़ावा देने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि कुम्हारी कला समृद्ध एवं प्राचीन हस्तकला है।
उन्होंने कहा कि उतराखण्ड में अनेक परिवार इस कला से जुड़े हैं। भारत सरकार की “कुम्हार सशक्तिकरण योजना” का उद्देश्य कुम्हारी कला को पुनर्जीवित करना एवं समाज के सबसे कमजोर वर्गों में से एक कुम्हार समुदाय को सामाजिक एवं आर्थिक रूप से सशक्त कर विकास की मुख्यधारा में वापस लाना है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को कुम्हारों को उन्नत किस्म के मिट्टी के उपकरण बनाने के लिए पर्याप्त मात्रा में मिट्टी उपलब्ध करवाने एवं इस हेतु ऐसी मिट्टी वाली भूमि का चिन्हीकरण करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि चिन्हित भूमि से कुम्हारों को निःशुल्क मिट्टी उपलब्ध करवाई जाए। मुख्यमंत्री श्री धामी ने कहा कि कुम्हार हस्तकला को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री आवास एवं सचिवालय में मिट्टी से बने गिलासों में चाय देने की शुरूआत की जाए। मुख्यमंत्री एवं अधिकारियों ने सचिवालय में मिट्टी के गिलासों में चाय पीकर इसकी शुरूआत की। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि 3 माह में कुम्हारी कला की अगली समीक्षा बैठक आयोजित की जाएगी। कुम्हारी हस्तकला को बढ़ावा देने के लिए एक पोर्टल बनाया जाए। इस विधा से जुड़े लोगों के सुझावों को ध्यान में रखते हुए, उन्हें हर सम्भव मदद दी जाए।
उन्होंने कहा कि कुम्हार हस्तकला इकोलॉजी के लिए भी अच्छा है। कुम्हार हस्तकला को सीएम स्वरोजगार योजना में भी जोड़ा जाए। स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देना जरूरी है, दीपावली के पर्व पर कुम्हारों द्वारा निर्मित दिये एवं अन्य उत्पादों की खरीद के लिए लोगों को प्रेरित भी किया जाए।

 मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून में आयोजित कार्यक्रम में सतत विकास लक्ष्य के तहत विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार और सराहनीय काम करने के लिए 27 व्यक्तियों और संस्थाओं को एसडीजी गोलकीपर अवॉर्ड से सम्मानित किया। मुख्यमंत्री श्री धामी ने कहा कि विकास के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सभी को सम्मिलित रूप से प्रयास करने होंगे। आत्मनिर्भर भारत-आत्मनिर्भर उत्तराखण्ड को साकार करने हेतु जनसहयोग आवश्यक है। बहुत सी संस्थाएं और व्यक्ति सामाजिक, आर्थिक व पर्यावरण के क्षेत्र में बेहतर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में की जा रही बेस्ट प्रेक्टिसेज को दस्तावेज के रूप में संकलित कर राज्य स्थापना दिवस पर जारी किया जाएगा। इन बेस्ट प्रेक्टिसेज को राज्य सरकार के स्तर पर भी क्रियान्वयित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में इकोलॉजी और इकोनॉमी में संतुलन बनाते हुए काम करना है। पर्यावरण और विकास दोनों ही जरूरी हैं। पिछले वर्षों में राज्य में सतत विकास लक्ष्य में बेहतर काम किया गया है। एसडीजी इंडेक्स रैंकिंग में उत्तराखण्ड दसवें से चौथे स्थान पर आ गया है।
मुख्यमंत्री ने सम्मानित होने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं को बधाई देते हुए उम्मीद जताई कि इससे अन्य लोग और संस्थाएं भी प्रेरित होंगे। उन्होंने कहा कि वे स्वयं समाज और देश के लिये काम करने वाले व्यक्तियों से मिलकर प्रेरित होते हैं। इससे ऊर्जा और उत्साह का संचार होता है। मुख्यमंत्री ने सूखते जलस्त्रोतों पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि जल स्त्रोतों के रिचार्ज पर चल रहे काम को तेजी से आगे बढ़ाना है। इसी तरह से उत्तराखण्ड की कला को भी प्रचारित किये जाने की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने बताया कि वे स्वयं विशिष्ट व्यक्तियों को ऐंपण कलाकृति भेंट करते हैं। इस अवसर पर उत्तराखण्ड एसडीजी इन्डेक्स कम्पेडियम और एक विशेष सर्वेक्षण रिपोर्ट भी जारी की गई।