आज का पंचाग आपका राशि फल, पितृ पक्ष तृतीया श्राद्ध की विशेष विधि, अन्नंत विभूषित स्वामी अविमुक्तेस्वरानन्द जी महाराज बने उतराम्नाय ज्योतिष्पीठ के जगद्गुरु शङ्कराचार्य लाखों श्रध्दालुओं और जनप्रतिनिधियों के साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने दी बधाई, १८९७ का साराढी़ युद्ध जिसमें २१ सिक्खों ने १० हजार अफगानिस्त आक्रांताओं को मटियामेट कर दिया था

​ 𝕝𝕝 🕉 𝕝𝕝 श्री हरिहरो विजयतेतराम *🌹।।सुप्रभातम्।।🌹* *इन चारों शंकराचार्यो के अतिरिक्त भी शंकराचार्य नाम से घूम रहे हैं वह राजनीतिक समीकरणों के द्वारा इसलिए

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आज का पंचाग आपका राशि फल, संयत वाणी का महात्म्य, जाने वो सूक्ष्म विज्ञान कि श्राद्ध पक्ष में पितरों को दिया गया पिंडदान तर्पण पितृदेवताओं को कैसे पंहुंचता है, जाने कि मृत्यु के उपरान्त मानव का क्या होता है?

🕉श्री हरिहरौ विजयतेतराम🕉   🌄सुप्रभातम🌄 🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓 🌻सोमवार, १२ सितम्बर २०२२🌻 सूर्योदय: 🌄 ०६:१२ सूर्यास्त: 🌅 ०६:२३ चन्द्रोदय: 🌝 १९:४९ चन्द्रास्त: 🌜०७:४३ अयन 🌖 दक्षिणायने

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ज्योतिष्पीठ और द्वारकापीठ के शंकराचार्य सनातन धर्म संस्कृति के महत्वपूर्ण स्तम्भ स्वामी स्वरूपानंद नन्द महाराज जी का परमहंसी आश्रम से देवलोक गमन, देश भर से संतों और जनप्रतिनिधियों द्वारा श्रध्दांजलि का क्रम जारी

 ज्योतिष्पीठ और द्वारकापीठ के शंकराचार्य स्वामी सनातन धर्म संस्कृति के महत्वपूर्ण स्तम्भ स्वरूपानंद नन्द महाराज का परमहंसी आश्रम में देवलोक गमन देश भर से संतों

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आज का पंचाग आपका राशि फल, पितृ पक्ष के वैज्ञानिक आधार से होता है धरती का वातावरण अनुकूलन, अद्भुत है तेरहवीं शदी के संत ‘ज्ञानदेव’ द्वारा रचित ‘मोक्षपटनम्’, मोबाईल एप से उत्तराखंड के सभी बड़े शहरों में घर बैठे मंगा सकते हैं गाड़ी का तेल मिलावट और घटतौली का झंझट भी नहीं, तालिबानी नौसिखियों ने अमेरिका द्वारा छोड़ा गया हेलीकाप्टर क्रेश में तीन मरे पांच घायल

औ अविश्वसनीय!!! 13 वीं सदी के कवि संत “ग्यान देव” ने “मोक्षपटनम्” नामक बच्चों का खेल बनाया । अंग्रेजों ने बाद में इसे सांप _ और

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आज का अति दुर्लभतम पंचाग और आपका राशि फल, पितृ पक्ष यानी श्राद्ध आज से होंगे शुरू, अमरत्व प्राप्त करने की विधि विज्ञान ही वेद कहे गये हैं, ईसाई धर्मगुरु बिशप के घर से 1.65 करोड़ रू. एवं 18 हजार यूएस डॉलर,

*श्री संकष्टनाशन गणेशस्तोत्र* प्रणम्य शारसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्। भक्तावासं स्मरेत्रित्यमायुष्कामार्थसिध्दये।।१।। प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितियकम्। तृतीयं कृष्णपिङ्गाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम।।२।। लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव च।

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