आज का अति दुर्लभतम पंचाग और आपका राशि फल, पितृ पक्ष यानी श्राद्ध आज से होंगे शुरू, अमरत्व प्राप्त करने की विधि विज्ञान ही वेद कहे गये हैं, ईसाई धर्मगुरु बिशप के घर से 1.65 करोड़ रू. एवं 18 हजार यूएस डॉलर,

*श्री संकष्टनाशन गणेशस्तोत्र*

प्रणम्य शारसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्।

भक्तावासं स्मरेत्रित्यमायुष्कामार्थसिध्दये।।१।।

प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितियकम्।

तृतीयं कृष्णपिङ्गाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम।।२।।

लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव च।

सप्तमं विघ्नराजं च धूम्रवर्णं तथाsष्टमम्।।३।।

नवमं भालचन्द्रमं च दशमं तुविनायकम्।

 एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम्।।४।।

द्वादशैतानि नामामि त्रिसन्ध्यं यः पठन्नेरः।

न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिध्य श्र्च जायते।।५।।

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्।

पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मोक्षार्थी लभते गतिम्।।६।।

जपेद्रणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासैःरफलं लभेत्।

संवत्सरेण सिध्दिं च लभते नात्र संशयः।।७।।

अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्र्च लिखित्वा यः समर्पयेत्।

तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः।।८।।

(श्रीनारदपुराणे संकटनाशनं नाम गणेशस्तोत्रं संपूर्णम्)🌹🌹

 ।।श्री हरिहरौ विजयतेतराम🕉  
🌄सुप्रभातम🌄
🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
🌻शनिवार, १० सितम्बर २०२२🌻
सूर्योदय: 🌄 ०६:१२
सूर्यास्त: 🌅 ०६:२३
चन्द्रोदय: 🌝 १८:४६
चन्द्रास्त: 🌜❌️❌️❌️
अयन 🌖 दक्षिणायने (उत्तरगोलीय)
ऋतु: ❄️ शरद 
शक सम्वत: 👉 १९४४ (शुभकृत)
विक्रम सम्वत: 👉 २०७९ (राक्षस)
मास 👉 भाद्रपद 
पक्ष 👉 शुक्ल 
तिथि 👉 पूर्णिमा (१५:२८ से प्रतिपदा)
नक्षत्र 👉 शतभिषा (०९:३७ से पूर्वाभाद्रपद)
योग 👉 धृति (१४:५५ से शूल)
प्रथम करण 👉 बव (१५:२८ तक)
द्वितीय करण 👉 बालव (२६:१७ तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥ 
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 सिंह 
चंद्र 🌟 मीन (२६:२२ से)
मंगल 🌟 वृष (उदित, पश्चिम, मार्गी)
बुध 🌟 कन्या (उदित, पश्चिम, मार्गी)
गुरु 🌟 मीन (उदित, पूर्व, वक्री)
शुक्र 🌟 सिंह (उदित, पूर्व)
शनि 🌟 मकर (उदित, पूर्व, वक्री)
राहु 🌟 मेष 
केतु 🌟 तुला 
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:४९ से १२:३९
अमृत काल 👉 २४:३४ से २६:०३
विजय मुहूर्त 👉 १४:१९ से १५:०९
गोधूलि मुहूर्त 👉 १८:१६ से १८:४०
सायाह्न सन्ध्या 👉 १८:२९ से १९:३८
निशिता मुहूर्त 👉 २३:५१ से २४:३७
राहुकाल 👉 ०९:०६ से १०:४०
राहुवास 👉 पूर्व
यमगण्ड 👉 १३:४७ से १५:२१
होमाहुति 👉 चन्द्र
दिशाशूल 👉 पूर्व
नक्षत्र शूल 👉 दक्षिण (०९:३७ से)
अग्निवास 👉 पृथ्वी
चन्द्रवास 👉 पश्चिम (उत्तर २६:२३ से)
शिववास 👉 श्मशान में (१५:२८ से गौरी के साथ)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥ 
१ – काल २ – शुभ
३ – रोग ४ – उद्वेग
५ – चर ६ – लाभ
७ – अमृत ८ – काल
॥रात्रि का चौघड़िया॥ 
१ – लाभ २ – उद्वेग
३ – शुभ ४ – अमृत
५ – चर ६ – रोग
७ – काल ८ – लाभ
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। 
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शुभ यात्रा दिशा
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उत्तर-पश्चिम (वायविंडिंग अथवा तिल मिश्रित चावल का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
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स्नान-दान के लिए भाद्रपद पूर्णिमा, महालय श्राद्ध पक्ष आरम्भ, पूर्णिमा एवं प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण 
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आज ०९:३७ तक जन्मे शिशुओ का नाम 
शतभिषा नक्षत्र के चतुर्थ चरण अनुसार क्रमश (सू) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (से, सो, द, दी) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
सिंह – २८:१४ से ०६:३३
कन्या – ०६:३३ से ०८:५१
तुला – ०८:५१ से ११:१२
वृश्चिक – ११:१२ से १३:३१
धनु – १३:३१ से १५:३५
मकर – १५:३५ से १७:१६
कुम्भ – १७:१६ से १८:४२
मीन – १८:४२ से २०:०५
मेष – २०:०५ से २१:३९
वृषभ – २१:३९ से २३:३४
मिथुन – २३:३४ से २५:४९
कर्क – २५:४९ से २८:१०
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पञ्चक रहित मुहूर्त
चोर पञ्चक – ०५:५८ से ०६:३३
शुभ मुहूर्त – ०६:३३ से ०८:५१
रोग पञ्चक – ०८:५१ से ०९:३७
शुभ मुहूर्त – ०९:३७ से ११:१२
मृत्यु पञ्चक – ११:१२ से १३:३१
अग्नि पञ्चक – १३:३१ से १५:२८
शुभ मुहूर्त – १५:२८ से १५:३५
रज पञ्चक – १५:३५ से १७:१६
शुभ मुहूर्त – १७:१६ से १८:४२
चोर पञ्चक – १८:४२ से २०:०५
रज पञ्चक – २०:०५ से २१:३९
शुभ मुहूर्त – २१:३९ से २३:३४
चोर पञ्चक – २३:३४ से २५:४९
शुभ मुहूर्त – २५:४९ से २८:१०
रोग पञ्चक – २८:१० से २९:५९
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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन मध्यान तक लाभदायक रहेगा। इसके बाद का समय घरेलू अथवा व्यावसायिक उलझनों की भेंट चढेगा अतिमहत्त्वपूर्ण कार्य मध्यान पूर्व ही कर लें इसके बाद सफलता संदिग्ध रहेगी। नौकरी वाले लोग आज अधिकारियों से विशेष सतर्क रहें आपकी छोटी सी लापरवाही बड़ा बवाल खड़ा कर सकती है। व्यवसायी वर्ग को आज धन लाभ की जितनी आशा रहेगी उसकी तुलना में हो नही पायेगा जिससे आगे के लिए बनाई योजनाए थोड़ी प्रभावित होंगी। घरेलू वातावरण में मध्यान तक हल्की फुल्की नोकझोंक लगी रहेगी इसके बाद किसी गलतफहमी के कारण कलह बढ़ने की संभावना है। 
वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज का दिन सरकार संबंधित कार्य करने के लिये शुभ रहेगा अधिकारी वर्ग का नरम व्यवहार रहने से काम निकालना आसान होगा। दिन का आरंभिक भाग अवश्य ही व्यर्थ की भागदौड़ में बीतेगा लेकिन मध्यान बाद इसका सार्थक परिणाम मिलने से संतोष होगा। लोन अथवा अन्य धन संबंधित कार्य करने के लिए भी दिन उपयुक्त है। कार्य व्यवसाय में आज कोई नई समस्या आने से कुछ समय के लिये परेशानी होगी लेकिन इसका समाधान भी शीघ्र ही हो जाएगा। पारिवारिक वातावरण आज प्रसन्नचित ही रहेगा परन्तु भाई बंधु आपसे ईर्ष्या का भाव रख सकते है। मन का भेद किसी को ना दें। सेहत में कमी आएगी।
मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज के दिन आपके आध्यात्मिक क्षेत्र में उन्नति के योग बन रहे है। आज परोपकार की भावना भी प्रबल रहेगी अपने कार्य छोड़ अन्य की सहायता करने में तत्पर रहेंगे लेकिन ध्यान रहे किसी से ज्यादा हमदर्दी भी पारिवारिक कलह का कारण बन सकती है। नौकरी वाले लोगो से जल्दबाजी में त्रुटि होने की संभावना है सतर्क रहें अन्यथा अधिकारी वर्ग की नाराजगी देखनी पड़ेगी। आर्थिक रूप से दिन परिश्रम साध्य रहेगा धन लाभ मेहनत के ऊपर निर्भर करेगा आलस्य से बचें। घर का वातावरण वैसे तो शांत रहेगा लेकिन बीच मे आपसी तालमेल की कमी के चलते उग्र हो सकता है। स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज के दिन मध्यान बाद से आपको आशा के विपरीत फल मिलने लगेगा सेहत भी साथ नही देगी आवश्यक कार्य इससे पहले ही पूर्ण करने का प्रयास करें। व्यवसायी वर्ग एवं नौकरी वाले लोग नया कार्य आरम्भ कर सकते है लेकिन निवेश सोच समझ कर ही करें। सामाजिक क्षेत्र अथवा अन्य दिनचार्य में आज किसी भी प्रकार का जोखिम लेने से बचें अन्यथा बाद में पछताना पड़ेगा। मेहनत करने के बाद भी धन की आमद अनिश्चित रहेगी घरेलू खर्च अधिक होने के कारण बजट बिगड़ेगा। मित्र परिचित मीठा बोलकर अपना हित साधेंगे भावुकता से बचें। परिजनों का सहयोग मिलता रहेगा।
सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज का दिन आपके लिए अनुकूल परिस्थिति वाला रहेगा पूर्व में सोची योजनाए सिरे चढ़ने से आय के नए मार्ग विकसित होंगे लेकिन आज आप जो भी योजना बनाएंगे उसके शीघ्र फलित होने में संदेह रहेगा। काम-धंधा लगभग ठीक ही चलेगा लेकिन ज्यादा पाने की चाह के कारण कुछ ना कुछ अभाव अनुभव होगा। सामाजिक कार्यो में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेंगे दान-पुण्य भी करेंगे लेकिन इनके पीछे दिखावे की भावना भी रहेगी मान-सम्मान मिलने से अहम बढेगा। सहकर्मी अथवा परिजनों की मांग पूरी करने पर धन का व्यय होगा। स्वास्थ्य में कोई नया विकार आएगा सतर्क रहें।
कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज का दिन मध्यान तक बेचैनी वाला रहेगा। आप का संकल्प किसी ना किसी व्यवधान के कारण पूर्ण नही हो पायेगा फिर भी मेहनत करने में कसर नही रखें मध्यान तक शारीरिक और मानसिक परिश्रम अधिक करना पड़ेगा तभी संध्या के आस-पास स्थिति अनुकूल बनेगी ललापरवाहि करने पर भविष्य के लाभ से हाथ धो बैठेंगे। धन लाभ आज अवश्य होगा लेकिन असमय होने से उत्साहित नही करेगा। व्यवसायी वर्ग नई योजना की रूप रेखा बना कर रखें शीघ्र ही इसपर काम करना पड़ेगा। व्यावसायिक यात्रा आज स्थगित रखें आशाजनक नही रहेगी उल्टे खर्च करना पड़ेगा। स्वास्थ्य छोटे-मोटे विकारों को छोड़ सामान्य रहेगा।
तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज का दिन पिछले दिनों की अपेक्षा सुधार वाला रहेगा। सेहत में सुधार आने से कार्य गंभीर होकर करेंगे लेकिन आज मेहनत का फल तुरंत पाने की इच्छा ना रखें अन्यथा निराश होना पड़ेगा मध्यान तक व्यवसायिक कार्य अव्यवस्थित रहेंगे इसके बाद किसी का सहयोग मिलने पर कार्यो में गति आएगी लाभ की संभावनाएं भी बनेगी लेकिन आशाजनक नही हो सकेगा। छोटी सफलता मिलने पर अहम की भावना अतिशीघ्र आएगी इससे बचें अन्यथा बड़े लाभ से वंचित रह जाएंगे। धन की आमद आज खर्च लायक ही होगी। परिजन का व्यवहार थोड़ा उटपटांग लगेगा फिर भी सहन करने में ही भलाई है।
वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन मिला-जुला फल देगा।मध्यान बाद स्वभाव में विवेक जागृत होगा। पूर्व में किये ऐ  गलत आचरण की ग्लानि मन में रहेगी लेकिन चाहकर बिगड़े कार्य आज नही बना पाएंगे। घरेलू उलझने कार्य क्षेत्र पर भी परेशान करेंगी मानसिक बेचैनी खुलकर निर्णय नही लेने देंगी जिसके परिणाम स्वरूप आज केवल आशवासनो से ही काम चलाना पड़ेगा धन की आमद ना के बराबर रहेगी। मजबूरी में उधार लेने की भी सोचेंगे यथा संभव आज ना ही लें कल स्थिति आज की तुलना में बेहतर होगी। आज किसी के आगे बुद्धि प्रदर्शन ना करें। सेहत कुछ समय के लिए नरम रहेगी।
धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज के दिन आपमे भावुकता अधिक रहेगी। दिन के आरंभ से मध्यान तक कि दिनचार्य व्यवस्थित रहेगी लाभ की आशाएं भी बनी रहेंगी लेकिन दोपहर बाद स्थिति एकदम उलट हो जाएगी सेहत में गिरावट आने से बनी बनाई योजना अधर में लटकेगी अथवा पूर्ण होने में विलम्ब होगा। वात-कफ संबंधित शिकायत बनेगी शरीर भी शिथिल होने के कारण कार्य मे मन नही लगेगा। कार्य व्यवसाय से आज मध्यान तक ही उम्मीद रहेगी इसके बाद का समय उदासीन रहेगा फिर भी खर्च निकल जाएंगे। परिवार का वातावरण उथल पुथल रहेगा फिर भी आपसी सामंजस्य बना रहेगा।
मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज का दिन आपकी आशाओ के विपरीत रहने से मन मे नकारात्मक भाव आएंगे लेकिन आध्यात्म से जुड़ने का लाभ भी किसी ना किसी रूप में अवश्य ही मिलेगा। दिन के आरम्भ से मध्यान तक दिनचार्य अव्यवस्थित रहेगी चाहकर भी अपनी योजनाओं को आगे नही बढ़ा सकेंगे धन संबंधित उलझने हर कार्य मे बाधा डालेगी फिर भी परिश्रम से पीछे ना हटे अन्यथा आपके हिस्से का लाभ कोई अन्य लेजा सकता है। कार्य क्षेत्र पर सहकर्मियों का उद्दंड व्यवहार क्रोध दिलाएगा धर्य से काम लें वरना अकेले ही काम करना पड़ेगा। गृहस्थ का वातावरण मंगलमय रहेगा आपस मे थोड़ी बहुत टोका-टाकी होगी फिर भी एकता बनी रहेगी। थकान ज्यादा अनुभव होगी।
कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज का दिन शुभ फलदायक रहेगा आज आप जल्दी से किसी ठोस निर्णय पर नही पहुच पाएंगे फिर भी पुराने संपर्क और पूर्व में किये गए परोपकार का बदला लाभ के रूप में अवश्य मिलेगा। मध्यान तक व्यवसाय के साथ घरेलू कार्यो को लेकर भागदौड़ लगी रहेगी इसका फल शीघ्र ना मिलने पर क्रोध आएगा चिंतित ना हों धन लाभ आज आवश्यकता अनुसार हो ही जायेगा। नौकरी वाले जातक अपने किये कार्य से संतृष्ट रहेंगे लेकिन अधिकारी वर्ग फिर भी कुछ ना कुछ नुक्स निकालेंगे। पारिवारिक वातावरण सामान्य रहेगा घर मे मांगलिक कार्य सम्पन्न होंगे धार्मिक क्षेत्र की यात्रा होगी।
 
मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज के दिन भी स्थिति निराशाजनक रहेगी दिन के आरंभ से ही हानि के डर से किसी भी कार्य को करने से कतराएंगे लेकिन मध्यान बाद किसी अनुभवी अथवा वरिष्ठ व्यक्ति का मार्गदर्शन मिलने से आत्मविश्वास जागृत होगा परिस्थितियां भी अनुकूल बनने लगेंगी फिर भी आज के दिन कोई भी बड़ा निर्णय लेने से बचें जल्दबाजी भविष्य के लिये हानिकारक हो सकती है। पारिवारिक सदस्य आर्थिक अथवा अन्य व्यक्तिगत कारणों से विरोध प्रकट करेंगे। धैर्य का परिचय दें वाणी अथवा व्यवहार से किसी का दिल ना दुखे इसका ध्यान रखें अन्यथा बाद में ग्लानि होगी। धन लाभ आवश्यकता से कम होगा।
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पितृ पक्ष यानी श्राद्ध आज से होंगे शुरू
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पं वेद प्रकाश तिवारी ज्योतिष एवं हस्तरेखा ज्योतिष शास्त्र 
 
  1. भाद्रपद की पूर्णिमा और अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को पितृ पक्ष कहते हैं। वर्ष 2022 में पितृ पक्ष 10 सितंबर 2022 (शनिवार) से शुरू होकर 25 सितंबर 2022 (रविवार) तक रहेगा। ब्रह्मपुराण के अनुसार मनुष्य को देवताओं की पूजा करने से पहले अपने पूर्वजों की पूजा करनी चाहिए क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे देवता प्रसन्न होते हैं। इसी वजह से भारतीय समाज में बड़ों का सम्मान और मरणोपरांत पूजा की जाती है। ये प्रसाद श्राद्ध के रूप में होते हैं जो पितृपक्ष में पड़ने वाली मृत्यु तिथि (तारीख) को किया जाता है और यदि तिथि ज्ञात नहीं है, तो अश्विन अमावस्या की पूजा की जा सकती है जिसे सर्व प्रभु अमावस्या भी कहा जाता है। श्राद्ध के दिन हम तर्पण करके अपने पूर्वजों का स्मरण करते हैं और ब्राह्मणों या जरूरतमंद लोगों को भोजन और दक्षिणा अर्पित करते हैं।
 
पितृपक्ष का महत्व 
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हिंदू धर्म के अनुसार, पूर्वजों की तीन पीढ़ियों की आत्माएं पितृलोक में निवास करती हैं, जो स्वर्ग और पृथ्वी के बीच का स्थान माना जाता है। हिंदु महत्व यह क्षेत्र मृत्यु के देवता यम द्वारा शासित है, जो एक मरते हुए व्यक्ति की आत्मा को पृथ्वी से पितृलोक तक ले जाता है। जब अगली पीढ़ी का व्यक्ति मर जाता है, तो पहली पीढ़ी स्वर्ग में जाती है और भगवान के साथ फिर से मिल जाती है, इसलिए श्राद्ध का प्रसाद नहीं दिया जाता है। इस प्रकार पितृलोक में केवल तीन पीढ़ियों को श्राद्ध संस्कार दिया जाता है, जिसमें यम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। पवित्र हिंदू ग्रंथों के अनुसार, पितृ पक्ष की शुरुआत में, सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करता है। 
 
श्राद्ध से जुड़ी पौराणिक कथा 
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जब महाभारत युद्ध में महान दाता कर्ण की मृत्यु हुई, तो उसकी आत्मा स्वर्ग चली गई, जहां उसे भोजन के रूप में सोना और रत्न चढ़ाए गए। हालांकि, कर्ण को खाने के लिए वास्तविक भोजन की आवश्यकता थी और स्वर्ग के स्वामी इंद्र से भोजन के रूप में सोने परोसने का कारण पूछा। इंद्र ने कर्ण से कहा कि उसने जीवन भर सोना दान किया था, लेकिन श्राद्ध में अपने पूर्वजों को कभी भोजन नहीं दिया था। कर्ण ने कहा कि चूंकि वह अपने पूर्वजों से अनभिज्ञ था, इसलिए उसने कभी भी उसकी याद में कुछ भी दान नहीं किया। संशोधन करने के लिए, कर्ण को 15 दिनों की अवधि के लिए पृथ्वी पर लौटने की अनुमति दी गई, ताकि वह श्राद्ध कर सके और उनकी स्मृति में भोजन और पानी का दान कर सके। इस काल को अब पितृ पक्ष के नाम से जाना जाता है।
 
पितृ पक्ष में श्राद्ध की तिथियां
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शनिवार, 10 सितंबर 2022: पूर्णिमा श्राद्ध, भाद्रपद माह, शुक्ल पूर्णिमा
 
शनिवार, 10 सितंबर 2022: प्रतिपदा श्राद्ध, अश्विन माह, कृष्ण प्रतिपदा
 
रविवार, 11 सितंबर 2022: अश्विन माह, कृष्णा द्वितीया
 
सोमवार, 12 सितंबर 2022: अश्विन माह, कृष्ण तृतीया
 
मंगलवार, 13 सितंबर 2022: अश्विन माह, कृष्ण चतुर्थी
 
बुधवार, 14 सितंबर 2022: अश्विन माह, कृष्ण पंचमी
 
गुरुवार 15 सितंबर 2022: अश्विन माह, कृष्ण षष्ठी
 
शुक्रवार, 16 सितंबर 2022: अश्विन माह, कृष्ण सप्तमी
 
रविवार, 18 सितंबर 2022: अश्विन माह, कृष्ण अष्टमी
 
सोमवार, 19 सितंबर 2022: अश्विन माह, कृष्ण नवमी
 
मंगलवार, 20 सितंबर 2022: अश्विन माह, कृष्ण दशमी
 
बुधवार, 21 सितंबर 2022: अश्विन माह, कृष्ण एकादशी
 
गुरुवार, 22 सितंबर 2022: अश्विन माह, कृष्ण द्वादशी
 
शुक्रवार, 23 सितंबर 2022:अश्विन माह, कृष्ण त्रयोदशी
 
शनिवार, 24 सितंबर 2022:अश्विन माह, कृष्ण चतुर्दशी
 
रविवार, 25 सितंबर 2022: अश्विन माह, कृष्ण अमावस्या
शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी जिनसे इसरो के अधिकारी भी परामर्श लेते हैं* 
अच्युताय नमः, अनन्ताय नमः, गोविन्दाय नमः ।।
 
मन के अनुग्राहक चंद्रमा है,
 
बुद्धि के अनुग्राहक ब्रह्मा है,
 
चित्त के अनुग्राहक वासुदेव है,
 
अहं के अनुग्राहक शिवजी है, रुद्र है ।
 
हमारे जीवन में मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार हमको परिलक्षित होती है, लेकिन इनके अधिदैव परिलक्षित नहीं होते तो अधिदैव का ज्ञान आवश्यक है ।
 
प्रवचनामृत : जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी, पुरीपीठ 
 
।। जय जय शङ्कर ।। हर हर शंकर ।। 
1-अष्टाध्यायी पाणिनी
2-रामायण वाल्मीकि
3-महाभारत वेदव्यास
4-अर्थशास्त्र चाणक्य
5-महाभाष्य पतंजलि
6-सत्सहसारिका सूत्र नागार्जुन
7-बुद्धचरित अश्वघोष
8-सौंदरानन्द अश्वघोष
9-महाविभाषाशास्त्र वसुमित्र
10- स्वप्नवासवदत्ता भास
11-कामसूत्र वात्स्यायन
12-कुमारसंभवम् कालिदास
13-अभिज्ञानशकुंतलम् कालिदास
14-विक्रमोउर्वशियां कालिदास
15-मेघदूत कालिदास
16-रघुवंशम् कालिदास
17-मालविकाग्निमित्रम् कालिदास
18-नाट्यशास्त्र भरतमुनि
19-देवीचंद्रगुप्तम विशाखदत्त
20-मृच्छकटिकम् शूद्रक
21-सूर्य सिद्धान्त आर्यभट्ट
22-वृहतसिंता बरामिहिर
23-पंचतंत्र। विष्णु शर्मा
24-कथासरित्सागर सोमदेव
25-अभिधम्मकोश वसुबन्धु
26-मुद्राराक्षस विशाखदत्त
27-रावणवध। भटिट
28-किरातार्जुनीयम् भारवि
29-दशकुमारचरितम् दंडी
30-हर्षचरित वाणभट्ट
31-कादंबरी वाणभट्ट
32-वासवदत्ता सुबंधु
33-नागानंद हर्षवधन
34-रत्नावली हर्षवर्धन
35-प्रियदर्शिका हर्षवर्धन
36-मालतीमाधव भवभूति
37-पृथ्वीराज विजय जयानक
38-कर्पूरमंजरी राजशेखर
39-काव्यमीमांसा राजशेखर
40-नवसहसांक चरित पदम्गुप्त
41-शब्दानुशासन राजभोज
42-वृहतकथामंजरी क्षेमेन्द्र
43-नैषधचरितम श्रीहर्ष
44-विक्रमांकदेवचरित बिल्हण
45-कुमारपालचरित हेमचन्द्र
46-गीतगोविन्द जयदेव
47-पृथ्वीराजरासो चंदरवरदाई
48-राजतरंगिणी कल्हण
49-रासमाला सोमेश्वर
50-शिशुपाल वध माघ
51-गौडवाहो वाकपति
52-रामचरित सन्धयाकरनंदी
53-द्वयाश्रय काव्य हेमचन्द्र
वेद-ज्ञान:-
प्र.1- वेद किसे कहते है ?
उत्तर- ईश्वरीय ज्ञान की पुस्तक को वेद कहते है।
प्र.2- वेद-ज्ञान किसने दिया ?
उत्तर- ईश्वर ने दिया।
प्र.3- ईश्वर ने वेद-ज्ञान कब दिया ?
उत्तर- ईश्वर ने सृष्टि के आरंभ में वेद-ज्ञान दिया।
प्र.4- ईश्वर ने वेद ज्ञान क्यों दिया ?
उत्तर- मनुष्य-मात्र के कल्याण के लिए और अमरत्व का विज्ञान जानने के लिए। “मृतयुर्माम अमृत्युर्गमय:” अर्थार्त मृत्युमय जीवन से अमरत्व की ओर लेजाने वाला विज्ञान ही वेद कहलाये हैं 
प्र.5- वेद कितने है ?
उत्तर- चार ।
1-ऋग्वेद
2-यजुर्वेद
3-सामवेद
4-अथर्ववेद
प्र.6- वेदों के ब्राह्मण ।
        वेद ब्राह्मण
1 – ऋग्वेद – ऐतरेय
2 – यजुर्वेद – शतपथ
3 – सामवेद – तांड्य
4 – अथर्ववेद – गोपथ
प्र.7- वेदों के उपवेद कितने है।
उत्तर – चार।
      वेद उपवेद
    1- ऋग्वेद – आयुर्वेद
    2- यजुर्वेद – धनुर्वेद
    3 -सामवेद – गंधर्ववेद
    4- अथर्ववेद – अर्थवेद
प्र 8- वेदों के अंग हैं ।
उत्तर – छः ।
1 – शिक्षा
2 – कल्प
3 – निरूक्त
4 – व्याकरण
5 – छंद
6 – ज्योतिष
प्र.9- वेदों का ज्ञान ईश्वर ने किन किन ऋषियो को दिया ?
उत्तर- चार ऋषियों को।
         वेद ऋषि
1- ऋग्वेद – अग्नि
2 – यजुर्वेद – वायु
3 – सामवेद – आदित्य
4 – अथर्ववेद – अंगिरा
प्र.10- वेदों का ज्ञान ईश्वर ने ऋषियों को कैसे दिया ?
उत्तर- समाधि की अवस्था में।
प्र.11- वेदों में कैसे ज्ञान है ?
उत्तर- सब सत्य विद्याओं का ज्ञान-विज्ञान।
प्र.12- वेदो के विषय कौन-कौन से हैं ?
उत्तर- चार ।
        ऋषि विषय
1- ऋग्वेद – ज्ञान
2- यजुर्वेद – कर्म
3- सामवे – उपासना
4- अथर्ववेद – विज्ञान
प्र.13- वेदों में।
ऋग्वेद में।
1- मंडल – 10
2 – अष्टक – 08
3 – सूक्त – 1028
4 – अनुवाक – 85
5 – ऋचाएं – 10589
यजुर्वेद में।
1- अध्याय – 40
2- मंत्र – 1975
सामवेद में।
1- आरचिक – 06
2 – अध्याय – 06
3- ऋचाएं – 1875
अथर्ववेद में।
1- कांड – 20
2- सूक्त – 731
3 – मंत्र – 5977
प्र.14- वेद पढ़ने का अधिकार किसको है ? उत्तर- मनुष्य-मात्र को वेद पढ़ने का अधिकार है।
प्र.15- क्या वेदों में मूर्तिपूजा का विधान है ?
उत्तर- अवश्य ही मूर्ति पूजा का विधान है,।
प्र.16- क्या वेदों में अवतारों का प्रमाण है ?
उत्तर- वेदों में सूत्र (कोड) रूप में जीवन को अमर बनाने के सिध्दांत हैं।
प्र.17- सबसे बड़ा वेद कौन-सा है ?
उत्तर- ऋग्वेद।
प्र.18- वेदों की उत्पत्ति कब हुई ?
उत्तर- वेदो की उत्पत्ति सृष्टि के आदि से परमात्मा के आप्त शब्दों सेे हुई । अर्थात 1 अरब 96 करोड़ 8 लाख 43 हजार वर्ष पूर्व ।
प्र.19- वेद-ज्ञान के सहायक दर्शन-शास्त्र ( उपअंग ) कितने हैं और उनके लेखकों का क्या नाम है ?
उत्तर-
1- न्याय दर्शन – गौतम मुनि।
2- वैशेषिक दर्शन – कणाद मुनि।
3- योगदर्शन – पतंजलि मुनि।
4- मीमांसा दर्शन – जैमिनी मुनि।
5- सांख्य दर्शन – कपिल मुनि।
6- वेदांत दर्शन – व्यास मुनि।
प्र.20- शास्त्रों के विषय क्या है ?
उत्तर- आत्मा, परमात्मा, प्रकृति, जगत की उत्पत्ति, मुक्ति अर्थात सब प्रकार का भौतिक व आध्यात्मिक ज्ञान-विज्ञान आदि।
प्र.21- प्रामाणिक उपनिषदे कितनी है ?
उत्तर- केवल ग्यारह।
प्र.22- उपनिषदों के नाम बतावे ?
उत्तर-
01-ईश ( ईशावास्य )
02-केन
03-कठ
04-प्रश्न
05-मुंडक
06-मांडू
07-ऐतरेय
08-तैत्तिरीय
09-छांदोग्य
10-वृहदारण्यक
11-श्वेताश्वतर ।
प्र.23- उपनिषदों के विषय कहाँ से लिए गए है ?
उत्तर- वेदों से।
प्र.24- चार वर्ण।
उत्तर-
1- ब्राह्मण
2- क्षत्रिय
3- वैश्य
4- शूद्र
प्र.25- चार युग।
1- सतयुग – 17,28000 वर्षों का नाम ( सतयुग ) रखा है।
2- त्रेतायुग- 12,96000 वर्षों का नाम ( त्रेतायुग ) रखा है।
3- द्वापरयुग- 8,64000 वर्षों का नाम है।
4- कलयुग- 4,32000 वर्षों का नाम है।
कलयुग के 5122 वर्षों का भोग हो चुका है अभी तक।
4,27024 वर्षों का भोग होना है।
पंच महायज्ञ
       1- ब्रह्मयज्ञ
       2- देवयज्ञ
       3- पितृयज्ञ
       4- बलिवैश्वदेवयज्ञ
       5- अतिथियज्ञ
स्वर्ग – जहाँ सुख है।
नरक – जहाँ दुःख है।.
*#भगवान_शिव_के “35” रहस्य!!!!!!!!
भगवान शिव अर्थात पार्वती के पति शंकर जिन्हें महादेव, भोलेनाथ, आदिनाथ आदि कहा जाता है।
🔱 1. आदिनाथ शिव :- सर्वप्रथम शिव ने ही धरती पर जीवन के प्रचार-प्रसार का प्रयास किया इसलिए उन्हें ‘आदिदेव’ भी कहा जाता है। ‘आदि’ का अर्थ प्रारंभ। आदिनाथ होने के कारण उनका एक नाम ‘आदिश’ भी है।
🔱 2. शिव के अस्त्र-शस्त्र :- शिव का धनुष पिनाक, चक्र भवरेंदु और सुदर्शन, अस्त्र पाशुपतास्त्र और शस्त्र त्रिशूल है। उक्त सभी का उन्होंने ही निर्माण किया था।
🔱 3. भगवान शिव का नाग :- शिव के गले में जो नाग लिपटा रहता है उसका नाम वासुकि है। वासुकि के बड़े भाई का नाम शेषनाग है।
🔱 4. शिव की अर्द्धांगिनी :- शिव की पहली पत्नी सती ने ही अगले जन्म में पार्वती के रूप में जन्म लिया और वही उमा, उर्मि, काली कही गई हैं।
🔱 5. शिव के पुत्र :- शिव के प्रमुख 6 पुत्र हैं- गणेश, कार्तिकेय, सुकेश, जलंधर, अयप्पा और भूमा। सभी के जन्म की कथा रोचक है।
🔱 6. शिव के शिष्य :भगभग :- शिव के 7 शिष्य हैं जिन्हें प्रारंभिक सप्तऋषि माना गया है। इन ऋषियों ने ही शिव के ज्ञान को संपूर्ण धरती पर प्रचारित किया जिसके चलते भिन्न-भिन्न धर्म और संस्कृतियों की उत्पत्ति हुई। शिव ने ही गुरु और शिष्य परंपरा की शुरुआत की थी। शिव के शिष्य हैं- बृहस्पति, विशालाक्ष, शुक्र, सहस्राक्ष, महेन्द्र, प्राचेतस मनु, भरद्वाज इसके अलावा 8वें गौरशिरस मुनि भी थे।
🔱 7. शिव के गण :- शिव के गणों में भैरव, वीरभद्र, मणिभद्र, चंदिस, नंदी, श्रृंगी, भृगिरिटी, शैल, गोकर्ण, घंटाकर्ण, जय और विजय प्रमुख हैं। इसके अलावा, पिशाच, दैत्य और नाग-नागिन, पशुओं को भी शिव का गण माना जाता है।
🔱 8. शिव पंचायत :- भगवान सूर्य, गणपति, देवी, रुद्र और विष्णु ये शिव पंचायत कहलाते हैं।
🔱 9. शिव के द्वारपाल :- नंदी, स्कंद, रिटी, वृषभ, भृंगी, गणेश, उमा-महेश्वर और महाकाल।
🔱10. शिव पार्षद : – जिस तरह जय और विजय विष्णु के पार्षद हैं उसी तरह बाण, रावण, चंड, नंदी, भृंगी आदि शिव के पार्षद हैं।
🔱11. सभी धर्मों का केंद्र शिव : -* शिव की वेशभूषा ऐसी है कि प्रत्येक धर्म के लोग उनमें अपने प्रतीक ढूंढ सकते हैं। मुशरिक, यजीदी, साबिईन, सुबी, इब्राहीमी धर्मों में शिव के होने की छाप स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। शिव के शिष्यों से एक ऐसी परंपरा की शुरुआत हुई, जो आगे चलकर शैव, सिद्ध, नाथ, दिगंबर और सूफी संप्रदाय में वि‍भक्त हो गई।
🔱 12. बौद्ध साहित्य के मर्मज्ञ अंतरराष्ट्रीय :- ख्यातिप्राप्त विद्वान प्रोफेसर उपासक का मानना है कि शंकर ने ही बुद्ध के रूप में जन्म लिया था। उन्होंने पालि ग्रंथों में वर्णित 27 बुद्धों का उल्लेख करते हुए बताया कि इनमें बुद्ध के 3 नाम अतिप्राचीन हैं- तणंकर, शणंकर और मेघंकर।
(शेष भाग)
🔱 13. देवता और असुर दोनों के प्रिय शिव :- भगवान शिव को देवों के साथ असुर, दानव, राक्षस, पिशाच, गंधर्व, यक्ष आदि सभी पूजते हैं। वे रावण को भी वरदान देते हैं और राम को भी। उन्होंने भस्मासुर, शुक्राचार्य आदि कई असुरों को वरदान दिया था। शिव, सभी आदिवासी, वनवासी जाति, वर्ण, धर्म और समाज के सर्वोच्च देवता हैं।
🔱 14. शिव चिह्न :- वनवासी से लेकर सभी साधारण व्‍यक्ति जिस चिह्न की पूजा कर सकें, उस पत्‍थर के ढेले, बटिया को शिव का चिह्न माना जाता है। इसके अलावा रुद्राक्ष और त्रिशूल को भी शिव का चिह्न माना गया है। कुछ लोग डमरू और अर्द्ध चन्द्र को भी शिव का चिह्न मानते हैं, हालांकि ज्यादातर लोग शिवलिंग अर्थात शिव की ज्योति का पूजन करते हैं।
🔱 15. शिव की गुफा :- शिव ने भस्मासुर से बचने के लिए एक पहाड़ी में अपने त्रिशूल से एक गुफा बनाई और वे फिर उसी गुफा में छिप गए। वह गुफा जम्मू से 150 किलोमीटर दूर त्रिकूटा की पहाड़ियों पर है। दूसरी ओर भगवान शिव ने जहां पार्वती को अमृत ज्ञान दिया था वह गुफा ‘अमरनाथ गुफा’ के नाम से प्रसिद्ध है।
🔱 16. शिव के पैरों के निशान : – श्रीपद- श्रीलंका में रतन द्वीप पहाड़ की चोटी पर स्थित श्रीपद नामक मंदिर में शिव के पैरों के निशान हैं। ये पदचिह्न 5 फुट 7 इंच लंबे और 2 फुट 6 इंच चौड़े हैं। इस स्थान को सिवानोलीपदम कहते हैं। कुछ लोग इसे आदम पीक कहते हैं।
रुद्र पद- तमिलनाडु के नागपट्टीनम जिले के थिरुवेंगडू क्षेत्र में श्रीस्वेदारण्येश्‍वर का मंदिर में शिव के पदचिह्न हैं जिसे ‘रुद्र पदम’ कहा जाता है। इसके अलावा थिरुवन्नामलाई में भी एक स्थान पर शिव के पदचिह्न हैं।
तेजपुर- असम के तेजपुर में ब्रह्मपुत्र नदी के पास स्थित रुद्रपद मंदिर में शिव के दाएं पैर का निशान है।
जागेश्वर- उत्तराखंड के अल्मोड़ा से 36 किलोमीटर दूर जागेश्वर मंदिर की पहाड़ी से लगभग साढ़े 4 किलोमीटर दूर जंगल में भीम के पास शिव के पदचिह्न हैं। पांडवों को दर्शन देने से बचने के लिए उन्होंने अपना एक पैर यहां और दूसरा कैलाश में रखा था।
रांची- झारखंड के रांची रेलवे स्टेशन से 7 किलोमीटर की दूरी पर ‘रांची हिल’ पर शिवजी के पैरों के निशान हैं। इस स्थान को ‘पहाड़ी बाबा मंदिर’ कहा जाता है।
🔱17. शिव के अवतार : – वीरभद्र, पिप्पलाद, नंदी, भैरव, महेश, अश्वत्थामा, शरभावतार, गृहपति, दुर्वासा, हनुमान, वृषभ, यतिनाथ, कृष्णदर्शन, अवधूत, भिक्षुवर्य, सुरेश्वर, किरात, सुनटनर्तक, ब्रह्मचारी, यक्ष, वैश्यानाथ, द्विजेश्वर, हंसरूप, द्विज, नतेश्वर आदि हुए हैं। वेदों में रुद्रों का जिक्र है। रुद्र 11 बताए जाते हैं- कपाली, पिंगल, भीम, विरुपाक्ष, विलोहित, शास्ता, अजपाद, आपिर्बुध्य, शंभू, चण्ड तथा भव।
🔱 18. शिव का विरोधाभासिक परिवार : – शिवपुत्र कार्तिकेय का वाहन मयूर है, जबकि शिव के गले में वासुकि नाग है। स्वभाव से मयूर और नाग आपस में दुश्मन हैं। इधर गणपति का वाहन चूहा है, जबकि सांप मूषकभक्षी जीव है। पार्वती का वाहन शेर है, लेकिन शिवजी का वाहन तो नंदी बैल है। इस विरोधाभास या वैचारिक भिन्नता के बावजूद परिवार में एकता है।
🔱19 :- ति‍ब्बत स्थित कैलाश पर्वत पर उनका निवास है। जहां पर शिव विराजमान हैं उस पर्वत के ठीक नीचे पाताल लोक है जो भगवान विष्णु का स्थान है। शिव के आसन के ऊपर वायुमंडल के पार क्रमश: स्वर्ग लोक और फिर ब्रह्माजी का स्थान है।
🔱 20.शिव भक्त : – ब्रह्मा, विष्णु और सभी देवी-देवताओं सहित भगवान राम और कृष्ण भी शिव भक्त है। हरिवंश पुराण के अनुसार, कैलास पर्वत पर कृष्ण ने शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। भगवान राम ने रामेश्वरम में शिवलिंग स्थापित कर उनकी पूजा-अर्चना की थी।
🔱 21.शिव ध्यान : – शिव की भक्ति हेतु शिव का ध्यान-पूजन किया जाता है। शिवलिंग को बिल्वपत्र चढ़ाकर शिवलिंग के समीप मंत्र जाप या ध्यान करने से मोक्ष का मार्ग पुष्ट होता है।
🔱 22.शिव मंत्र : – दो ही शिव के मंत्र हैं पहला- ॐ नम: शिवाय। दूसरा महामृत्युंजय मंत्र- ॐ ह्रौं जू सः। ॐ भूः भुवः स्वः। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्‌। स्वः भुवः भूः ॐ। सः जू ह्रौं ॐ ॥ है।
🔱 23.शिव व्रत और त्योहार : – सोमवार, प्रदोष और श्रावण मास में शिव व्रत रखे जाते हैं। शिवरात्रि और महाशिवरात्रि शिव का प्रमुख पर्व त्योहार है।
(शेष भाग)
🔱 24. शिव प्रचारक : – भगवान शंकर की परंपरा को उनके शिष्यों बृहस्पति, विशालाक्ष (शिव), शुक्र, सहस्राक्ष, महेन्द्र, प्राचेतस मनु, भरद्वाज, अगस्त्य मुनि, गौरशिरस मुनि, नंदी, कार्तिकेय, भैरवनाथ आदि ने आगे बढ़ाया। इसके अलावा वीरभद्र, मणिभद्र, चंदिस, नंदी, श्रृंगी, भृगिरिटी, शैल, गोकर्ण, घंटाकर्ण, बाण, रावण, जय और विजय ने भी शैवपंथ का प्रचार किया। इस परंपरा में सबसे बड़ा नाम आदिगुरु भगवान दत्तात्रेय का आता है। दत्तात्रेय के बाद आदि शंकराचार्य, मत्स्येन्द्रनाथ और गुरु गुरुगोरखनाथ का नाम प्रमुखता से लिया जाता है।
🔱 25.शिव महिमा : – शिव ने कालकूट नामक विष पिया था जो अमृत मंथन के दौरान निकला था। शिव ने भस्मासुर जैसे कई असुरों को वरदान दिया था। शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था। शिव ने गणेश और राजा दक्ष के सिर को जोड़ दिया था। ब्रह्मा द्वारा छल किए जाने पर शिव ने ब्रह्मा का पांचवां सिर काट दिया था।
🔱 26.शैव परम्परा : – दसनामी, शाक्त, सिद्ध, दिगंबर, नाथ, लिंगायत, तमिल शैव, कालमुख शैव, कश्मीरी शैव, वीरशैव, नाग, लकुलीश, पाशुपत, कापालिक, कालदमन और महेश्वर सभी शैव परंपरा से हैं। चंद्रवंशी, सूर्यवंशी, अग्निवंशी और नागवंशी भी शिव की परंपरा से ही माने जाते हैं। भारत की असुर, रक्ष और आदिवासी जाति के आराध्य देव शिव ही हैं। शैव धर्म भारत के आदिवासियों का धर्म है।
🔱 27.शिव के प्रमुख नाम : – शिव के वैसे तो अनेक नाम हैं जिनमें 108 नामों का उल्लेख पुराणों में मिलता है लेकिन यहां प्रचलित नाम जानें- महेश, नीलकंठ, महादेव, महाकाल, शंकर, पशुपतिनाथ, गंगाधर, नटराज, त्रिनेत्र, भोलेनाथ, आदिदेव, आदिनाथ, त्रियंबक, त्रिलोकेश, जटाशंकर, जगदीश, प्रलयंकर, विश्वनाथ, विश्वेश्वर, हर, शिवशंभु, भूतनाथ और रुद्र।
🔱 28.अमरनाथ के अमृत वचन : – शिव ने अपनी अर्धांगिनी पार्वती को मोक्ष हेतु अमरनाथ की गुफा में जो ज्ञान दिया उस ज्ञान की आज अनेकानेक शाखाएं हो चली हैं। वह ज्ञानयोग और तंत्र के मूल सूत्रों में शामिल है। ‘विज्ञान भैरव तंत्र’ एक ऐसा ग्रंथ है, जिसमें भगवान शिव द्वारा पार्वती को बताए गए 112 ध्यान सूत्रों का संकलन है।
🔱 29.शिव ग्रंथ : – वेद और उपनिषद सहित विज्ञान भैरव तंत्र, शिव पुराण और शिव संहिता में शिव की संपूर्ण शिक्षा और दीक्षा समाई हुई है। तंत्र के अनेक ग्रंथों में उनकी शिक्षा का विस्तार हुआ है।
🔱 30.शिवलिंग : – वायु पुराण के अनुसार प्रलयकाल में समस्त सृष्टि जिसमें लीन हो जाती है और पुन: सृष्टिकाल में जिससे प्रकट होती है, उसे लिंग कहते हैं। इस प्रकार विश्व की संपूर्ण ऊर्जा ही लिंग की प्रतीक है। वस्तुत: यह संपूर्ण सृष्टि बिंदु-नाद स्वरूप है। बिंदु शक्ति है और नाद शिव। बिंदु अर्थात ऊर्जा और नाद अर्थात ध्वनि। यही दो संपूर्ण ब्रह्मांड का आधार है। इसी कारण प्रतीक स्वरूप शिवलिंग की पूजा-अर्चना है।
🔱 31.बारह ज्योतिर्लिंग : -* सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ॐकारेश्वर, वैद्यनाथ, भीमशंकर, रामेश्वर, नागेश्वर, विश्वनाथजी, त्र्यम्बकेश्वर, केदारनाथ, घृष्णेश्वर। ज्योतिर्लिंग उत्पत्ति के संबंध में अनेकों मान्यताएं प्रचलित है। ज्योतिर्लिंग यानी ‘व्यापक ब्रह्मात्मलिंग’ जिसका अर्थ है ‘व्यापक प्रकाश’। जो शिवलिंग के बारह खंड हैं। शिवपुराण के अनुसार ब्रह्म, माया, जीव, मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार, आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी को ज्योतिर्लिंग या ज्योति पिंड कहा गया है।
 दूसरी मान्यता अनुसार शिव पुराण के अनुसार प्राचीनकाल में आकाश से ज्‍योति पिंड पृथ्‍वी पर गिरे और उनसे थोड़ी देर के लिए प्रकाश फैल गया। इस तरह के अनेकों उल्का पिंड आकाश से धरती पर गिरे थे। भारत में गिरे अनेकों पिंडों में से प्रमुख बारह पिंड को ही ज्‍योतिर्लिंग में शामिल किया गया।
🔱 32.शिव का दर्शन : – शिव के जीवन और दर्शन को जो लोग यथार्थ दृष्टि से देखते हैं वे सही बुद्धि वाले और यथार्थ को पकड़ने वाले शिवभक्त हैं, क्योंकि शिव का दर्शन कहता है कि यथार्थ में जियो, वर्तमान में जियो, अपनी चित्तवृत्तियों से लड़ो मत, उन्हें अजनबी बनकर देखो और कल्पना का भी यथार्थ के लिए उपयोग करो। आइंस्टीन से पूर्व शिव ने ही कहा था कि कल्पना ज्ञान से ज्यादा महत्वपूर्ण है।
🔱 33.शिव और शंकर : -* शिव का नाम शंकर के साथ जोड़ा जाता है। लोग कहते हैं- शिव, शंकर, भोलेनाथ। इस तरह अनजाने ही कई लोग शिव और शंकर को एक ही सत्ता के दो नाम बताते हैं। असल में, दोनों की प्रतिमाएं अलग-अलग आकृति की हैं। शंकर को हमेशा तपस्वी रूप में दिखाया जाता है। कई जगह तो शंकर को शिवलिंग का ध्यान करते हुए दिखाया गया है। अत: शिव और शंकर दो अलग अलग सत्ताएं है। हालांकि शंकर को भी शिवरूप माना गया है। माना जाता है कि महेष (नंदी) और महाकाल भगवान शंकर के द्वारपाल हैं। रुद्र देवता शंकर की पंचायत के सदस्य हैं।
🔱 34. देवों के देव महादेव :* देवताओं की दैत्यों से प्रतिस्पर्धा चलती रहती थी। ऐसे में जब भी देवताओं पर घोर संकट आता था तो वे सभी देवाधिदेव महादेव के पास जाते थे। दैत्यों, राक्षसों सहित देवताओं ने भी शिव को कई बार चुनौती दी, लेकिन वे सभी परास्त होकर शिव के समक्ष झुक गए इसीलिए शिव हैं देवों के देव महादेव। वे दैत्यों, दानवों और भूतों के भी प्रिय भगवान हैं। वे राम को भी वरदान देते हैं और रावण को भी।
🔱 35. शिव हर काल में : -* भगवान शिव ने हर काल में लोगों को दर्शन दिए हैं। राम के समय भी शिव थे। महाभारत काल में भी शिव थे और विक्रमादित्य के काल में भी शिव के दर्शन होने का उल्लेख मिलता है। भविष्य पुराण अनुसार राजा हर्षवर्धन को भी भगवान शिव ने दर्शन दिए थे,।।🚩🚩🇮🇳🔱🕉️🔱🐄 भगवा शेर टीम…… Vejanand हर हर महादेव 🕉️🕉️🕉️🕉️
 

जबलपुर – ईसाई धर्मगुरु बिशप के घर से 1.65 करोड़ नकद, 18 हजार यूएस डॉलर बरामद

जबलपुर. आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) की टीम ने गुरुवार सुबह जबलपुर में ‘द बोर्ड ऑफ एजुकेशन चर्च ऑफ नार्थ इंडिया’ के चेयरमैन बिशप पीसी सिंह के घर और ऑफिस पर छापेमारी की. प्रारंभिक जांच में बिशप के घर से 1 करोड़ 65 लाख रुपये नकद के अलावा 18 हजार यूएस डॉलर (लगभग 14.35 लाख रुपये) भी बरामद हुए हैं. हालांकि बिशप पीसी सिंह घर पर नहीं मिले, वे फिलहाल जर्मनी में हैं. घर में उनका बेटा मिला।

बिशप पर सोसायटी के स्कूलों को फीस के रूप में मिले ढाई करोड़ रुपये से ज्यादा के घोटाले का आरोप है. जिसे उन्होंने निजी कामों में खर्च किया और धार्मिक संस्थानों को ट्रांसफर कर दिया. उन पर संस्था का मूल नाम, अपनी मर्जी से बदलकर चेयरमैन की कुर्सी पर काबिज होने का आरोप भी है. EOW की टीम बिशप के घर और ऑफिस से उनके द्वारा की गई वित्तीय गड़बड़ियों के दस्तावेज खंगाल रही है।

EOW एसपी देवेंद्र सिंह ने बताया कि ‘द बोर्ड ऑफ एजुकेशन चर्च ऑफ नार्थ इंडिया डायोसिस’ के चेयरमैन बिशप पीसी सिंह और तत्कालीन असिस्टेंट रजिस्ट्रार बीएस सोलंकी के खिलाफ शिकायत मिली थी. इन दोनों पर 2.7 करोड़ के फीस घोटाले का आरोप है।

संस्था को अलग-अलग शैक्षणिक संस्थाओं में पढ़ रहे छात्रों की फीस से करीब 2.7 करोड़ रुपये मिले थे. चेयरमैन बिशप पीसी सिंह ने इन पैसों को धार्मिक संस्थाओं को ट्रांसफर और निजी कामों में खर्च करके पद का दुरुपयोग किया. दोनों ने यह गड़बड़ी वित्तीय वर्ष 2004-05 से 2011-12 के बीच की।

EOW के अनुसार, छापेमारी के दौरान टीम संस्था के चेयरमैन के गबन के दस्तावेज, खोज रही है. उन पर आरोप है कि उन्होंने संस्था का मूल नाम भी बिना अधिकृत स्वीकृति के स्वयं ही बदल दिया. साथ ही वह अपनी मर्जी से संस्था के चेयरमैन बन गए।

जांच में सामने आये साक्ष्यों के आधार पर आरोपी बिशप पीसी सिंह, बीएस सोलंकी, के विरूद्ध धारा 406, 420, 468, 471, 120बी के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है. प्रकरण की विवेचना उप निरीक्षक विशाखा तिवारी कर रही हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार, बिशप पीसी सिंह को लेकर चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. देश भर में कुल 99 FIR दर्ज हैं।

मंदिरों में उमड़ रहा जन समूह बताता है कि
भारत पुन: विश्वगुरु बनने की राह पर है