बद्रीश कीर्ति संस्कृत विद्यापीठ सिमली में पौरोहित्य प्रशिक्षण का शुभारम्भ, सामाजिक सांस्कृतिक अक्षुण्णता और धार्मिक महात्म्य के लिए अपनी संस्कृति और संस्कृत का संरक्षण आवश्यक

चमोली:  सिमली-दिनांक28 दिसम्बर 2021

 श्री बदरीश कीर्ति संस्कृत विद्यापीठ में पौरोहित्य प्रशिक्षण का भव्य शुभारम्भ

द्विमासीय पोरोहित्य प्रशिक्षण कार्यक्रम के अध्यक्ष आचार्य विजयराम डिमरी (पूर्व प्राचार्य) विशिष्ट अतिथि संस्कृत अकादमी के प्रसारक आचार्य सत्य प्रसाद खण्डूडी एवं मुख्य अतिथि पं०शिव प्रसाद डिमरी, वेदपाठी रमेश चन्द्र भट्ट जी ने अपने वक्तव्य दिये महाविद्यालय के प्राचार्य डा० एम०आर०पुरोहित ने कहा कि संस्कृति के संरक्षण के साथ भारतीय नागरिकों को अपनी मर्यादाओं का पालन आवश्यक है मर्यादाओं के पालन करने से समाज समृद्ध और सुखी होता है। उन्होंने कहा कि मर्यादा विहीन समाज का अस्तित्व और आदर्श दोनों नहीं रहता। इसलिए सामाजिक सांस्कृतिक अक्षुण्णता और धार्मिक महाात्म्य के लिए अपनी संस्कृति, संस्कार और संस्कृत का संरक्षण भी आवश्यक है। 

कार्यक्रम में 46 प्रशिक्षार्थियों ने पोरोहित्य प्रशिक्षण में आवेदन किया है

कार्यक्रम में उपस्थित प्रधानाचार्य डाॅ माता राम पुरोहित सहित विद्वान वक्ताओं ने उत्तराखण्ड में संस्कृत शिक्षा और संस्कृति के साथ आधुनिक ज्ञान-विज्ञान से संबंधित अपने भाव प्रकट किये। उन्होंने कहा कि संस्कृत साहित्य और वेद विज्ञान संसार की सबसे प्राचीन वैज्ञानिक अनुसंधान पर भाषा है। संस्कृत व्याकरण पूरी तरह मानवीय संवेदनाओं मानवीय मूल्यों और संसार के कल्याण की कामना करता है। सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे संतु निरामया कहने वाली एक मात्र भाषा है। और संस्कृत भाषा का आधार पूरी तरह वैज्ञानिक है। केवल संस्कृत में ही हर उच्चारण के लिए अलग अलग अक्षर और स्वर हैं। संस्कृत में ही त्रिकालदर्शी पंचाग और सटीक जानकारी देने वाला ज्योतिष शास्त्र है। ज्योतिष ऐसा विज्ञान है जो भविष्य की जानकारी भी दे सकता है। इसलिए समाज को इस वैज्ञानिक साहित्य जानने का अधिकार है। सरकारी स्तर पर भी इस भाषा को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयास होने चाहिए। 

उपस्थिति महानभावों में भास्करानन्द डिमरी,लक्ष्मी प्रसाद सेमवाल, भालचन्द्र डिमरी, बिपिन नोटियाल, दिवाकर डिमरी, विनोद पुरोहित, कैलाश देवली, दीपा डिमरी ,शोभित डिमरी, चन्द्रशेखर जोशी, राजेन्द्र पुरोहित,चंदा,सोनी,संतोषी, रोहित,आदि पौरोहित्य प्रशिक्षण कार्यक्रम में उपस्थिति थे।