उसी अपराध के लिए बाबा को जेल और पादरी व कादरी को बेल?

उसी अपराध के लिए बाबा को जेल जबकि  पादरी व कादरी को बेल? कितने कानून कौन सा न्याय? 
 
देश की अलग-अलग जेलों में 2 लाख 82 हजार 879 विचाराधीन कैदियों की संख्या है । यह आंकड़े साल 2014 के जेल सांख्यिकी के आंकड़े से मिले हैं । अभी तो और अधिक संख्या बढ़ गई होगी ।
  अंग्रेजों के बनाये कानून जो अभी चल रहे हैं  इससे साफ पता चलता है कि आम जनता, गरीब और हिन्दूनिष्ठ ही इसका शिकार हो रहे हैं  । बाकी नेता, अभिनेता, अमीर, पत्रकार, ईसाई और मुस्लिम धर्मगुरुओं पर कानून नहीं  दिखाई दे रहा है ।
  केरल उच्च न्यायालय ने मलंकारा ऑर्थोडॉक्स चर्च के दुष्कर्म के चार आरोपी ईसाई पादरियों में से एक और फादर जॉब मैथ्यू को बुधवार को जमानत दे दी।
  इससे पहले अदालत ने सोमवार को दुष्कर्म के एक और आरोपी पादरी जॉनसन वी.मैथ्यू को जमानत दी थी।
 
दुष्कर्म मामले की जांच के दौरान पुलिस की अपराध शाखा ने मैथ्यू को 12 जुलाई को कोल्लाम के पास से गिरफ्तार किया था।
  नियमित रूप से चर्च जाने वाली पीड़िता ने लगभग एक दशक तक पांच पादरियों द्वारा उसका 380 बार बलात्कार करने का आरोप लगाया है ।
 इस मामले में अपराध शाखा केरल ने चार पादरियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किए, जिसमें से दो को जमानत मिल चुकी है जबकि फादर सोनी (अब्राहम) वर्गीस और फादर जेस के.जॉर्ज की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी गई है।
  जॉनसन वी. मैथ्यू पर महिला का शील भंग करने का आरोप है जबकि तीन अन्य पादरियों पर महिला के साथ बलात्कार करने का आरोप है।
 अब बड़ा सवाल यहाँ खड़ा होता है कि दुष्कर्म आरोपी ईसाई पादरियों को तुरन्त जमानत हासिल हो जाती है लेकिन सालों से लाखों विचारधीन कैदियों को जमानत  क्यों नहीं मिल रही ?
 क्या उनके पास पैसे की कमी है इसलिए? क्या वे छोटे परिवार से हैं इसलिए?
क्या उनकी बड़े कोई राजनेता से पहचान नहीं है इसलिए?
क्या उनके पास अच्छा वकील करने के लिए धन नहीं,  इसलिए?
 साधु-संतों और हिन्दू कार्यकर्ताओं के साथ भी ऐसे ही हो रहा है।
बिना सबूत साध्वी प्रज्ञा को 9 साल, स्वामी असिमानन्द 8 साल, डीजी वनजारा जी को 8 साल, कर्नल पुरोहित को 7 आदि आदि को बिना सबूत जेल में रखा गया ।
 दूसरी ओर नेता लालू, अभिनेता सलमान खान, पत्रकार तरुण तेजपाल, अमीर विजय माल्या, नीरव मोदी, अनेक ईसाई पादरी और मौलवी आदि आज़ाद घुम रहे हैं  ।
 इससे साफ पता चलता है कि भारत में दो तरह से कानून हैं जिसके कारण गरीब, आमजनता और हिन्दूनिष्ठ ही शिकार हो रहे हैं  ।
 हाल ही में धर्मान्तरण रोकने वाले 82 वर्षीय आशाराम को पास्को एक्ट लगाकर उम्रकैद,  उससे पहले 5 साल केस की सुनवाई चली पर एक दिन के लिये भी जमानत नहीं  दी गई, जबकि उनके पक्ष में अनेक कानूनी सबूत हैं ।  दूसरी तरफ निर्भया के ब्लात्कार के बाद उसके गुप्तांग में लोहे की रॉड डाल कर उसकी आंतडि़यां निकालने वाले अफरोज को जमानत इनाम और सुरक्षा मिली हुई है। 
?हमारे देश में जो अंग्रेजो के बनाये कानून चल रहे हैं  उससे आम जनता बेहद दुःखी है नेता, अभिनेता,पत्रकारों धनी को तो तुरन्त जमानत भी हासिल हो जाती है और कोर्ट में भी धक्के नहीं  खाने पड़ते लेकिन एक आम आदमी अपने गहने-मकान-प्रोपर्टी आदि बेचकर भी न्ययालय में न्याय पाने को तरसता रहता है लेकिन सालों तक न्याय नहीं  मिल पाता है यहाँ तक कि उसको अपना पक्ष रखने के लिए जमानत तक नहीं दी जाती है ।
?इससे तो आम जनता को कानून  पसे भरोसा ही उठता जा रहा है ।
?सरकार और न्यायालय को इस पर गंभीर विचार करना चाहिए आम व्यक्ति को शीघ्र न्याय मिले इसके लिए कदम आगे बढ़ाना चाहिए नहीं  देर से मिलना भी अन्याय ही है ।