भारत के मूल निवासी कौन? आर्यों के आगमन से सम्बन्धित ज्ञान पर खुलासा

विवेक आर्य 
इन दिनों कुछ अम्बेडकरवादी आर्यों को विदेशी कह रहे हैं । ये कहते हैं कि कुछ साल पहले ( 1500 BC लगभग ) आर्य बाहर से ( इरान/ यूरेशिया या मध्य एशिया के किसी स्थान से) आए और यहाँ के मूल निवासियों को हरा कर गुलाम बना लिया. तर्क के नाम पर ये फ़तवा देते हैं कि ब्राह्मण,क्षत्रिय,वैश्य आदि सभी विदेशी हैं . क्या आर्य विदेशी हैं ?
बाबा भीमराव अम्बेडकर जी के ही विचार रखूंगा जिससे सिद्ध होता है कि आर्य मौलिक रूप से भारतीय हैं ।
1) डॉक्टर अम्बेडकर राइटिंग एंड स्पीचेस खंड 7 पृष्ट में अम्बेडकर जी ने लिखा है कि आर्यों  का मूलस्थान(भारत से बाहर) का सिद्धांत वैदिक साहित्य से मेल नहीं  खाता। वेदों में गंगा,यमुना,सरस्वती, के प्रति आत्मीय भाव है। कोई विदेशी इस तरह नदी के प्रति आत्मस्नेह सम्बोधन नहीं  कर सकता।
2) डॉ अम्बेडकर ने अपनी पुस्तक “शुद्र कौन”? Who were shudras? में स्पष्ट रूप से विदेशी लेखकों  की आर्यों  के बाहर से आकर यहाँ पर बसने सम्बंधित मान्यताओं  का खंडन किया है। डॉ अम्बेडकर लिखते हैं —
1) वेदों  में आर्य जाती के सम्बन्ध में कोई जानकारी नहीं  है।
2) वेदों  में ऐसा कोई प्रसंग उल्लेख नहीं  है जिससे यह सिद्ध हो सके कि आर्यों  ने भारत पर आक्रमण कर यहाँ के मूल निवासियों  दासो दस्युओं को विजय किया।
3) आर्य,दास और दस्यु जातियों  के अलगाव को सिद्ध करने के लिए कोई साक्ष्य वेदों  में उपलब्ध नहीं  है।
4)वेदों  में इस मत की पुष्टि नहीं  की गयी कि आर्य,दास और दस्युओं से भिन्न रंग के थे।
5)डॉ अम्बेडकर ने स्पष्ट रूप से शुद्रों को भी आर्य कहा है(शुद्र कौन? पृष्ट संख्या 80)
अगर अम्बेडकरवादी सच्चे अम्बेडकर को मानने वाले हैं  तो अम्बेडकर जी की बातों  को माने।
वैसे अगर वो बुद्ध को ही मानते हैं  तो महात्मा बुद्ध की भी बात को मानें । महात्मा बुद्ध भी आर्य शब्द को गुणवाचक मानते थे। वो धम्मपद 270 में कहते है प्राणियों  की हिंसा करने से कोई आर्य नही कहलाता। सर्वप्राणियों  की अहिंसा से ही मनुष्य आर्य अर्थात श्रेष्ठ व् धर्मात्मा कहलाते  हैं ।
यहाँ हम धम्मपद के उपरोक्त बुध्वचन का Maha Bodhi Society, Bangalore द्वारा प्रमाणित अनुवाद देना आवश्यक व् उपयोगी समझते हैं ।.
विदेशी यात्रियों  के प्रमाण –
अम्बेडकरवादी सभी संस्कृत ग्रंथों को गप्प कहते हैं इसलिए कुछ विदेशी यात्रिओं के प्रमाण विचारणीय हैं…
1- मेगस्थनीज 350 ईसापूर्व – 290 ईसा पूर्व) यूनान का एक राजदूत था जो चन्द्रगुप्त के दरबार में आया था। वह कई वर्षों तक चंद्रगुप्त के दरबार में रहा। उसने जो कुछ भारत में देखा, उसका वर्णन उसने “इंडिका” नामक पुस्तक में किया है। उसमे साफ़ साफ़ लिखा है कि भारतीय मानते हैं कि ये सदा से ही इस देश के मूलनिवासी हैं. 
2- चीनी यात्री फाह्यान और ह्यून्सांग- इन दोनों ने एक शब्द भी नहीं लिखा जो आर्यों को विदिशी या आक्रान्ता बताता हो. ये दोनों बौद्ध थे.
3- इतिहास के पितामह हेरोड़ेट्स – इन्होने भी अपने लेखन में भारत का कुछ विवरण दिया है.परन्तु इन्होने कहींभी एक पंक्ति नहीं लिखी भारत में आर्यों आगमन पर। क्योंकि वो कभी हुआ ही नहीं था अर्थात वो यहीं के रहने वाले थे। 
4- अलबेरूनी – यह मूलतः मध्य पूर्व ( इरान+अफगानिस्तान) से महमूद गजनवी के साथ आया. लम्बे समय तक भारत आया. भारत के सम्बन्ध में कई पुस्तकें लिखी. परन्तु एक शब्द भी नहीं लिखा आर्यों के बाहरी होने के बारें में.
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वेद क्या कहता है शूद्र से सम्बन्ध के बारे में 
1- हे ईश्वर – मुझको परोपकारी विद्वान ब्राह्मणो मे प्रिय करो, मुझको शासक वर्ग मे प्रिय करो, शूद्र और वैश्य मे प्रिय करो, सब देखनों वालों मे प्रिय करो । अथर्व वेद 19/62/1
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2- हे ईश्वर – हमारे ब्राह्मणों मे कान्ति, तेज, ओज, सामर्थ्य भर दो, हमारे शासक वर्ग (क्षत्रियों) मे तेज, ओज, कान्ति युक्त कर दो, वैश्यो तथा शूद्रों को कान्ति तेज ओज सामर्थ्य युक्त कर दो। मेरे भीतर भी विशेष कान्ति, तेज, ओज भर दो। यजुर्वेद 18/48 
यही मूल सत्य है आर्य भारत वर्ष के मूल निवासी हैं