गृहमंत्री अमित शाह के तोड़ मरोड़कर वायरल किए गये वक्तव्य पर जब मल्लिकार्जुन खड़गे ने अमित शाह से त्यागपत्र की मांग की तो अमित शाह ने कहा इससे भी आपकी दाल नहीं गलने वाली, एडविना के लिए नेहरू के पत्र लेकर हवाई जहाज जाता था इंग्लैंड!

राज्यसभा में गृहमंत्री अमित शाह के द्वारा राज्यसभा में संविधान पर परिचर्चा के मध्य अंबेडकर संबंधित  वक्तव्य को आधा अधूरा काट कर वायरल किया गया।  फिर इस पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने गृहमंत्री अमित शाह का त्याग पत्र मांगा। को बाबा साहेब अंबेडकर को लेकर कांग्रेस के आरोपों पर अमित शाह ने कहा कि राज्यसभा के उनके बयान को तोड़ मरोड़कर पेश किया गया. अमित शाह ने आगे कहा कि मल्लिकार्जुन खरगे उनसे इस्तीफा मांग रहे हैं. उनको आनंद होता तो शायद वो इस्तीफा दे भी देते, लेकिन 15 साल उनको वहीं बैठना है, जहां वह बैठे हैं. खरगे साहब मेरे इस्तीफे से आपकी दाल नहीं गलने वाली। दूरदर्शन पर एक समाचार में बताया गया कि ‘कांग्रेस के आफिशियल हैंडल से अमित शाह का आरक्षण पर ऐसा ही एक फेक वीडियो पिछले लोकसभा चुनावों में भी वायरल किया गया था’। इस प्रयोग से भाजपा को दलित और पिछड़ा वोटों का बड़ा नुकसान हुआ था। अब वही प्रयोग फिर किया गया है।कांग्रेस ने फिर से अपना पुराना हथियार चला है काटछाट वाला। गृहमंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर निशाना साधा जिसका आशय था कि आज ये लोग अंबेडकर जी की माला जप रहे थे लेकिन जब वह जीवित थे तब इन लोगों ने उनका हर तरह से अपमान और तिरस्कार किया।

इस पर बड़ बसंख्या में हुजनवादी लोगों ने अपनी अपनी प्रतिक्रिया दी है लेकिन अच्छी बात यह है कि वह प्रतिक्रिया पागलपन जैसी नहीं है क्यूंकि वह सभी संदर्भ समझ रहे हैं और उन्हें पता है कि अंबेडकर जी के सम्मान में जो कुछ हुआ है वह सब ग़ैरकांग्रेसी सरकारों के द्वारा ही हुआ है।

कांग्रेस तो अम्बेडकर जी से इतनी घृणा करती थी कि जिस जसौर ने उनको जिताकर संसद में भेजा था, उसे अंग्रेजों द्वारा भारत को दिए जाने पर भी लेने से इनकार कर दिया गया और पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) को दे दिया। ये ऐतिहासिक घटना है जिसे लोग जानते नहीं हैं कि नेहरू के विरोध के बावजूद जसौर ने जब अंबेडकर जी को चुन लिया तो पूरे जसौर को ही कांग्रेस ने अछूत बना दिया। सारी सरकारे अपने राज्य विस्तार के लिए परेशान होती हैं लेकिन तब नेहरू ने जसौर को गुस्से के कारण अपनाने से मना कर दिया। याद रखिए कि यदि जसौर ने बाबा साहेब को चुनकर भेजा नहीं होता तो किसी भी क़ीमत पर नेहरू उनको न तो संविधान सभा में घुसने देते और न ही मंत्रिमंडल में लेते।

शोशल मीडिया पर वायरल एक कोट के अनुसार कांग्रेस संविधान को शरियत बनाने के लिए उद्दत लगती है और उसी दिशा में निरंतर कार्य कर रही है।( साभार) 

कल से एक और समाचार भी खूब वायरल है।  *चाचा नेहरू का प्रेमपत्र लेडी एडविना तक पहुंचाने रोज लंदन जाता था एयर इंडिया का विमान* 

https://www.naidunia.com/national-there-was-daily-ai-flight-to-send-nehru-letter-to-edwina-821951

*पूर्व प्रधानमंत्रियों को डिडिकेटेड प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय PMML को मैनेज करने वाली सोसाइटी पूर्व पीएम की जिंदगी से जुड़े दस्तावेजों को खोज-खोजकर इकट्ठा कर रही है. इसी सिलसिले में सोसाइटी के सदस्य रिजवान कादरी ने सितंबर में सोनिया गांधी को, अब राहुल गांधी को चिट्ठी लिखकर नेहरू-एडविना की चिट्ठियां मांगी.*

* लॉर्ड माउंटबेटन के साथ भारत आईं थी एडविना. जिनको लेडी माउंटबेटन कहा गया.

* लॉर्ड लुइस माउंटबेटन भारत में ब्रिटिश हुकूमत के आखिरी वायसराय थे.

* बहुत कम वक्त में महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू समेत उस दौर के ज्यादातर नेताओं के साथ माउंटबेटन की अच्छी ट्यूनिंग हो गई थी.

* एडविना माउंटबेटन के साथ आईं. माउंटबेटन के साथ भारत से चली गईं लेकिन अपने पीछे इतनी कहानियां, इतने किस्से, इतना लंबा इतिहास छोड़ गईं कि भारत में आज भी उनके जिक्र भर से बवंडर उठता है.

* पंडित नेहरू और कांग्रेस के चरित्र पर सवाल उठाती है.

*सोसाइटी ने मांगी गई चिट्ठी-पत्रियों की जो लिस्ट सोनिया गांधी, राहुल गांधी को भेजी है उसमें अल्बर्ट आइंस्टीन, जयप्रकाश नारायण, बाबू जगजीवन राम, गोविंद बल्लभ पंत जैसे लोगों के भी नाम हैं लेकिन कान खड़े हो गए नेहरू-एडविना को चिट्ठी-पत्र को लेकर जिसे आम जनता पढ़ना और देखना चाहती है.*

■ एडविना-नेहरू के बीच जो भी था उससे माउंटबेटन परिवार बेखबर नहीं था. खुद एडविना के पति लॉर्ड माउंटबेटन भी नहीं. नेहरू की बायोग्राफी नेहरू-अ ट्रिस्ट विद डेस्टिनी लिखा गया कि लॉर्ड माउंटबेटन एडविना को लिखी नेहरू की चिट्ठियों को प्रेम पत्र कहा करते थे.

■ आजादी के बाद माउंटबेटन और उनकी पत्नी एडविना ब्रिटेन चले गए थे जबकि भारत में पंडित नेहरू प्रधानमंत्री बन चुके थे।

■ ऐसे में नेहरू और एडविना के बीच बातचीत का सबसे अहम जरिया बनी चिटि्ठयां। उन दिनों भारत की सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया का विमान रोजाना नेहरू का लिखा खत लंदन ले जाता। वहां उस खत को भारत के हाई कमीशन को सौंपा जाता।

■ हाई कमीशन की जिम्मेदारी होती थी कि वे खत को एडविना माउंटबेटन तक पहुंचाएं। इसी तरह एडविना का भी एक खत रोजाना हाई कमीशन के हाथों एयर इंडिया तक पहुंचता और लौटती उड़ान से उस खत को भारत पहुंचाया जाता।

■ यहां भी तत्कालीन अधिकारियों की जिम्मेदारी थी कि वे खतको एयर इंडिया से प्राप्त करें और नेहरू तक पहुंचाएं। ये सिलसिला लंबा चला। मगर कई बार ऐसा भी होता था कि उड़ान लेट हो जाती या खत पहुंचाने वाले अधिकारी अन्य प्रशासनिक कार्यों में व्यस्त हो जाते। ऐसे में खत नेहरू के पास देरी से पहुंचता तो नेहरू अधिकारियों पर जमकर बरसते। (साभार)