आज का पंचाग आपका राशि फल, पूजा पाठ के कुछ विधि और विधान जिससे त्वरित होते हैं शुभ कार्य, शिक्षक दिवस पर लें समृद्ध भारतीय गुरू शिष्य परम्परा के पुनरूत्थान का संकल्प

🕉श्री हरिहरो विजयतेतराम🕉
🌄सुप्रभातम🌄
🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
🌻रविवार, ५ सितंबर २०२१🌻

सूर्योदय: 🌄 ०६:०४
सूर्यास्त: 🌅 ०६:३३
चन्द्रोदय: 🌝 २८:५४
चन्द्रास्त: 🌜१७:५४
अयन 🌕 दक्षिणायने (उत्तरगोलीय)
ऋतु: ❄️ शरद
शक सम्वत: 👉 १९४३ (प्लव)
विक्रम सम्वत: 👉 २०७८ (आनन्द)
मास 👉 भाद्रपद
पक्ष 👉 कृष्ण
तिथि 👉 त्रयोदशी (०८:२१ तक)
नक्षत्र 👉 आश्लेशा (१८:०७ तक)
योग 👉 परिघ (०८:३३ तक)
प्रथम करण 👉 वणिज (०८:२१ तक)
द्वितीय करण 👉 विष्टि (२०:०४ तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 सिंह
चंद्र 🌟 सिंह (१८:०६ से)
मंगल 🌟 कन्या (अस्त, पश्चिम, मार्गी)
बुध 🌟 कन्या (अस्त, पूर्व, मार्गी)
गुरु 🌟 कुम्भ (उदय, पूर्व, वक्री)
शुक्र 🌟 तुला (उदय, पश्चिम, मार्गी)
शनि 🌟 मकर (उदय, पूर्व, वक्री)
राहु 🌟 वृष
केतु 🌟 वृश्चिक
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:५० से १२:४१
अमृत काल 👉 १६:३० से १८:०७
विजय मुहूर्त 👉 १४:२२ से १५:१२
गोधूलि मुहूर्त 👉 १८:२२ से १८:४६
निशिता मुहूर्त 👉 २३:५३ से २४:३८
राहुकाल 👉 १७:०० से १८:३५
राहुवास 👉 उत्तर
यमगण्ड 👉 १२:१५ से १३:५०
होमाहुति 👉 केतु
दिशाशूल 👉 पश्चिम
अग्निवास 👉 पाताल (०८:२१ से पृथ्वी)
भद्रावास 👉 मृत्यु – ०८:२१ से २०:०४ तक
चन्द्रवास 👉 उत्तर (पूर्व १८:०७ से)
शिववास 👉 भोजन में (०८:२१ से श्मशान में)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – उद्वेग २ – चर
३ – लाभ ४ – अमृत
५ – काल ६ – शुभ
७ – रोग ८ – उद्वेग
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – शुभ २ – अमृत
३ – चर ४ – रोग
५ – काल ६ – लाभ
७ – उद्वेग ८ – शुभ
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
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पूर्व-उत्तर (पान का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
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मासिक शिवरात्रि, मंगल कन्या में २७:५७ से, शुक्र तुला में २४:५० से आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज १८:०७ तक जन्मे शिशुओ का नाम
आश्लेषा नक्षत्र के द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (डू, डे, डो) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओं का नाम मघा नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय चरण अनुसार क्रमश (मा, मी) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
सिंह – २८:३३ से ०६:५२
कन्या – ०६:५२ से ०९:१०
तुला – ०९:१० से ११:३०
वृश्चिक – ११:३० से १३:५०
धनु – १३:५० से १५:५३
मकर – १५:५३ से १७:३५
कुम्भ – १७:३५ से १९:००
मीन – १९:०० से २०:२४
मेष – २०:२४ से २१:५८
वृषभ – २१:५८ से २३:५२
मिथुन – २३:५२ से २६:०७
कर्क – २६:०७ से २८:२९
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पञ्चक रहित मुहूर्त
शुभ मुहूर्त – ०५:५६ से ०६:५२
रोग पञ्चक – ०६:५२ से ०८:२१
शुभ मुहूर्त – ०८:२१ से ०९:१०
मृत्यु पञ्चक – ०९:१० से ११:३०
अग्नि पञ्चक – ११:३० से १३:५०
शुभ मुहूर्त – १३:५० से १५:५३
रज पञ्चक – १५:५३ से १७:३५
शुभ मुहूर्त – १७:३५ से १८:०७
चोर पञ्चक – १८:०७ से १९:००
शुभ मुहूर्त – १९:०० से २०:२४
शुभ मुहूर्त – २०:२४ से २१:५८
चोर पञ्चक – २१:५८ से २३:५२
शुभ मुहूर्त – २३:५२ से २६:०७
रोग पञ्चक – २६:०७ से २८:२९
शुभ मुहूर्त – २८:२९ से २९:५६
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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन आपके लिये बेचैनी भरा रहेगा दाम्पत्य जीवन मे खरा ना उतर पाने की ग्लानि मन मे दिनभर रहेगी व्यवसाइयों की अपेक्षा नौकरी पेशा जातक ज्यादा मानसिक परेशानी से गुजरेंगे। व्यवसायी वर्ग मध्यान तक काम कम रहने से आलस्य में रहेंगे इसके बाद बिक्री बढ़ने पर धन की आमद होने लगेगी। घरेलू एवं देनदारी के खर्च अधिक रहने के कारण आज आय कम पड़ जाएगी जमा पूंजी में से खर्च करना पडेगा। घर में आज कोई ना कोई कमी अखरेगी परिजनों से आपसी सामंजस्य बना रहेगा। सेहत सामान्य रहेगी।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज का दिन आपके लिए अशान्त रहेगा। दिन के आरंभ में किसी से झगड़ा होने की संभावना है आज आपका स्वभाव तीखा रहेगा वाणी की कटुता किसी के दिन को ठेस पहुचायेगी। पारिवारिक वातावरण बचते बचते भी धैर्य की कमी के कारण खराब होगा। आज आप बिना सोचे किसी से वादा न करें अन्यथा मुश्किल होगी। कार्य व्यवसाय से धन लाभ तो होगा परन्तु बहस बाजी के बाद ही। उधारी वाले व्यवहार भी परेशान करेंगे। अपनी किसी गलती के कारण हास्य के पात्र बनेंगे। यात्रा की योजना बनेगी खर्च अधिक करने पर भी शांति नही मिलेगी।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज का दिन आपके लिये लाभदायक रहेगा। दिन के पूर्वार्ध से ही धन संबंधित कार्यो की जोड़ तोड़ में लग जाएंगे लेकिन सफलता मध्यान के बाद ही मिलेगी। कार्य व्यवसाय के साथ ही आज अतरिक्त आय के स्त्रोत्र भी बनेंगे लंबी यात्रा के योग भी बन रहे है जो कि अंत समय मे टल भी सकते है फिर भी यात्रा में सामान की सुरक्षा निश्चित करें। घर मे आज आनंददाय वातावरण रहेगा परिजनों की खुशि के लिये बजट से ज्यादा खर्च करेंगे लेकिन धन लाभ भी साथ होने से आर्थिक स्थिति स्थिर बनी रहेगी। महिलाये मनपसंद वस्तु पाकर खुश रहेंगी। स्वास्थ्य की अनदेखी करेंगे।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज के दिन आप अपने दैनिक कार्यो से संतोष में रहेंगे। आय भी सोच के अनुसार रहेगी लेकिन आज हर जगह आलस्य प्रमाद फैलाएंगे कार्य क्षेत्र पर इस वजह से अव्यवस्था रहेगी सहकर्मि मनमानी करेंगे लेकिन कार्य क्षेत्र पर परिजनों का सहयोग मिलने से कोई काम रुकेगा नही। घरेलू कार्यो के लिये बेमन से समय निकालना पड़ेगा महिलाये अधिक खर्चीली रहेंगी घर मे धार्मिक पूजा पाठ अथवा अन्य मांगलिक कार्यक्रम की तैयारी होगी। संध्या बाद का समय आनंद मनोरंजन में व्यतीत होगा हाथ पैर में अकड़न अथवा दर्द की शिकायत हो सकती है।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज आपका स्वभाव का चंचल रहेगा किसी भी निर्णय पर ज्यादा देर नही टिकेंगे इस वजह से घर मे आपकी उपेक्षा होगी। कार्य व्यवसाय में भी पल पल में निर्णय बदल कर सहकर्मियों का लिये परेशानी खड़ी करेंगे। व्यवसाय में प्रतिस्पर्धा अधिक रहने पर भी अपने हास्य व्यवहार से लोगो को आकर्षित कर लाभ कमाएंगे। धन लाभ आवश्यकता अनुसार हो जाएगा। नौंकरी वाले जातक अनचाहे खर्च आने से मानसिक रूप से चिंतित रहेंगे। गृहस्थ में आज कमाने वालो का बोलबाला रहेगा इसके विपरीत बेरोजगार लोग भाग्य को कोसेंगे। स्वास्थ्य में विकार आएगा ठंडी वस्तुओ से परहेज करें।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज का दिन विपरीत फलदायी रहेगा आज आप दिनचार्य से असंतुष्ट रहेंगे। बचते बचते भी कुछ ना कुछ हानि अवश्य होगी। कार्य क्षेत्र पर अनदेखी के कारण लाभ हाथ से निकल सकता है। चोरी की घटना भी होने की संभावना है सतर्कता बरतें। व्यवसाय में आज प्रतिस्पर्धा अधिक रहेगी फिर भी खर्च निकालने लायक आय हो जाएगी। वाहन भी सावधानी से प्रयोग करें चोटादि का भय है। परिवार के किसी सदस्य की सेहत अकस्मात बिगड़ने से अतिरिक्त भाग-दौड़ करनी पड़ेगी। मित्र रिश्तेदार भार लगेंगे व्यवहार में कुशलता रखें अन्यथा संबंध खराब होसकते है।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज का दिन आपको सभी क्षेत्र से मान-सम्मान दिलाएगा। आपके विचार अन्य लोगो को शीघ्र ही प्रभावित करेंगे कार्य व्यवसाय भी आज आपके व्यक्तित्त्व के बल पर उन्नति करेगा। धन की आमाद आज सुनिश्चित रहेगी थोड़ा प्रयास अधिक करें ज्यादा लाभ के हकदार बन सकते है। मध्यान बाद धार्मिक कृत्यों में सम्मिलित होंगे इन पर खर्च भी होगा।
गृहस्थी में कुछ ना कुछ खर्च लगा ही रहेगा आर्थिक स्थिति ठीक रहने से ज्यादा भारी नही पड़ेगा। परिवार में मंगलकारी वातावरण रहेगा। भाई बंधु बाहरी तौर पर स्नेह करेंगे जबकि अंदर से ईर्ष्या का भाव रहेगा।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज दिन का आरंभ बेहत ढीला रहेगा आज आप घरेलू कार्यो में उलझ कर रह जाएंगे मन मे बहुत दिनों से चल रही इच्छा पूर्ति के लिये जोड़-तोड़ बैठाएंगे परन्तु आज इच्छा पूर्ति केवल पारिवारिक सहयोग से ही हो सकती है। व्यवसायी वर्ग कारोबार में भी घर के बड़ो की राय अवश्य लें सफलता निश्चित मिलेगी। धन लाभ प्रयास करने पर ही होगा। नौकरी वाले लोग आराम से समय बिताने का प्रयास करेंगे लेकिन पारिवारिक उलझने आज चैन से नही बैठने देंगी। मांगे पूरी ना होने पर घर मे कोहराम मच सकता है। उच्चवर्गीय अधिकारियों से जानपहचान भविष्य में काम आएगी। मनोरंजन पर खर्च करेंगे।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज के दिन आपकी धार्मिक भावनाये प्रबल रहेंगी दिन के आरम्भ में पूजा पाठ में व्यस्त रहेंगे धार्मिक क्षेत्र की यात्रा भी होगी। कार्य क्षेत्र पर आज ज्यादातर समय बेमन से ही व्यतीत करेंगे कुछ पुराने कार्यो से धन लाभ होगा नए अनुबंद भी मिल सकते है लेकिन अभी इनको लेकर दुविधा ही रहेगी। नौकरी वालो से आज काम के लिये बोलना झगड़ा मोल लेने जैसे रहेगा। पारिवारिक वातावरण आपसी बहस के कारण दूषित होगा लेकिन स्थिति गंभीर नही बनेगी। मध्यान बाद का समय बाहर घूमने के लिए पहले से ही निश्चित रखेंगे घरेलू खर्च के अलावा व्यक्तिगत खर्च अधिक रहेंगे।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज के दिन आप सावधानी से बिताये स्वयं अथवा किसी अन्य के कारण परेशानी में पड़ सकते है। सेहत दिन के आरंभ से नरम होने लगेगी फिर भी आपका ध्यान आवश्यक कार्य छोड़कर मनोरंजन पर अधिक रहेगा। यात्रा के योग भी है सम्भव हो तो टालें कार्य हानि के साथ सेहत ज्यादा खराब हो सकती है। व्यवसाय क्षेत्र पर केवल व्यवहार के लिये ही उपस्थित रहेंगे शारीरिक रूप से समर्थ ना होने के कारण कार्यो में मन नही लगेगा। धन लाभ फिर भी निर्वाह योग्य हो ही जायेगा। परिजन भावनात्मक संबंध रखेंगे लेकिन आपको आज किसी का स्नेह पसंद नही आएगा।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज के दिन आप घर अथवा कार्य क्षेत्र पर जिस भी कार्य को करेंगे उसमे अवश्य ही सफल होंगे। सार्वजिनक क्षेत्र से भी मान-सम्मान मिलेगा। स्वभाव में परोपकार की भावना भी रहेगी जरूरतमंदों को यथा सामर्थ्य सहायता करेंगे। आर्थिक रूप से दिन वृद्धि वाला है परन्तु इसके लिये आपको एक निर्णय पर अटल रहना पड़ेगा। कार्य क्षेत्र पर सहकर्मियों की कमी रहेगी जिससे थोड़ी अव्यवस्था बनेगी। परिवार में आज शांति रहेगी भाई को छोड़ सभी से स्नेह बना रहेगा। आवश्यक कार्यो के साथ ही मनोरंजन पर खर्च करने में कमी नही रखेंगे। रिश्तेदारी में जाने की योजना बनेगी।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज के दिन आप घरेलू आवश्यकता की पूर्ति के लिये खरीददारी पर खर्च करेंगे व्यवसायी वर्ग व्यवसाय में अकस्मात बढ़ोतरी होने से ज्यादा व्यस्त रहेंगे धन लाभ भी आशाजनक रहेगा। सामाजिक जीवन में लोगो से मेल जोल बढेगा आज आपके व्यवहार में नरमी रहने से सभी प्रशंशा करेंगे गृहस्थ में अवश्य ही किसी बात को लेकर गुस्सा आएगा थोड़ी ही देर में शांत भी हो जाएंगे। मित्र रिश्तेदारों के आगमन से चहल पहल बढ़ेगी। खर्च आवश्यकता से अधिक रहेंगे। मध्यान बाद कार्य व्यवसाय से समय निकाल कर मित्र परिचितों के साथ आनदमय क्षण बिताएंगे।
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〰〰〰〰〰🙏राधे राधे🙏

*पूजा पाठ से जुड़ी हुईं महत्वपूर्ण बातें-*
★ एक हाथ से प्रणाम नही करना चाहिए।
★ सोए हुए व्यक्ति का चरण स्पर्श नहीं करना चाहिए। 
★ बड़ों को प्रणाम करते समय उनके दाहिने पैर पर दाहिने हाथ से और उनके बांये पैर को बांये हाथ से छूकर प्रणाम करें। 
★ जप करते समय जीभ या होंठ को नहीं हिलाना चाहिए। इसे उपांशु जप कहते हैं। इसका फल सौगुणा फलदायक होता हैं।
★ जप करते समय दाहिने हाथ को कपड़े या गौमुखी से ढककर रखना चाहिए। 
★ जप के बाद आसन के नीचे की भूमि को स्पर्श कर नेत्रों से लगाना चाहिए।
★ संक्रान्ति, द्वादशी, अमावस्या, पूर्णिमा, रविवार और सन्ध्या के समय तुलसी तोड़ना निषिद्ध हैं।
★ दीपक से दीपक को नही जलाना चाहिए।
★ यज्ञ, श्राद्ध आदि में काले तिल का प्रयोग करना चाहिए, सफेद तिल का नहीं। 
★ शनिवार को पीपल पर जल चढ़ाना चाहिए। पीपल की सात परिक्रमा करनी चाहिए। परिक्रमा करना श्रेष्ठ है, 
★ कूमड़ा-मतीरा-नारियल आदि को स्त्रियां नहीं तोड़े या चाकू आदि से नहीं काटें। यह उत्तम नही माना गया हैं। 
★ भोजन प्रसाद को लाघंना नहीं चाहिए।
★  देव प्रतिमा देखकर अवश्य प्रणाम करें।
★  किसी को भी कोई वस्तु या दान-दक्षिणा दाहिने हाथ से देना चाहिए।
★  एकादशी, अमावस्या, कृृष्ण चतुर्दशी, पूर्णिमा व्रत तथा श्राद्ध के दिन क्षौर-कर्म (दाढ़ी) नहीं बनाना चाहिए ।
★ बिना यज्ञोपवित या शिखा बंधन के जो भी कार्य, कर्म किया जाता है, वह निष्फल हो जाता हैं।
★ शंकर जी को बिल्वपत्र, विष्णु जी को तुलसी, गणेश जी को दूर्वा, लक्ष्मी जी को कमल प्रिय हैं।
★ शंकर जी को शिवरात्रि के सिवाय कुमकुम नहीं चढ़ती।
★ शिवजी को कुंद, विष्णु जी को धतूरा, देवी जी  को आक तथा मदार और सूर्य भगवानको तगर के फूल नहीं चढ़ावे।
★ अक्षत देवताओं को तीन बार तथा पितरों को एक बार धोकर चढ़ावे।
★ नये बिल्व पत्र नहीं मिले तो चढ़ाये हुए बिल्व पत्र धोकर फिर चढ़ाए जा सकते हैं।
★ विष्णु भगवान को चावल गणेश जी  को तुलसी, दुर्गा जी और सूर्य नारायण  को बिल्व पत्र नहीं चढ़ावें।
★ पत्र-पुष्प-फल का मुख नीचे करके नहीं चढ़ावें, जैसे उत्पन्न होते हों वैसे ही चढ़ावें।
★ किंतु बिल्वपत्र उलटा करके डंडी तोड़कर शंकर पर चढ़ावें। 
★पान की डंडी का अग्रभाग तोड़कर चढ़ावें।
★ सड़ा हुआ पान या पुष्प नहीं चढ़ावे।
★ गणेश को तुलसी भाद्र शुक्ल चतुर्थी को चढ़ती हैं।
★ पांच रात्रि तक कमल का फूल बासी नहीं होता है।
★ दस रात्रि तक तुलसी पत्र बासी नहीं होते हैं।
★ सभी धार्मिक कार्यो में पत्नी को दाहिने भाग में बिठाकर धार्मिक क्रियाएं सम्पन्न करनी चाहिए।
★ पूजन करनेवाला ललाट पर तिलक लगाकर ही पूजा करें।
★ पूर्वाभिमुख बैठकर अपने बांयी ओर घंटा, धूप तथा दाहिनी ओर शंख, जलपात्र एवं पूजन सामग्री रखें।
★ घी का दीपक अपने बांयी ओर तथा देवता को दाहिने ओर रखें एवं चांवल पर दीपक रखकर प्रज्वलित करें। 
★ गणेशजी को तुलसी का पत्र छोड़कर सब पत्र प्रिय हैं।  भैरव की पूजा में तुलसी स्वीकार्य नहीं है। 
★ कुंद का पुष्प शिव को माघ महीने को छोड़कर निषेध है। 
 
★ बिना स्नान किये जो तुलसी पत्र जो तोड़ता है उसे देवता स्वीकार नहीं करते। 
★ रविवार को दूर्वा नहीं तोड़नी चाहिए। 
 
★ केतकी पुष्प शिव को नहीं चढ़ाना चाहिए। 
 
★ केतकी पुष्प से कार्तिक माह में विष्णु की पूजा अवश्य करें। 
 
★ देवताओं के सामने प्रज्जवलित दीप को बुझाना नहीं चाहिए। 
★ शालिग्राम का आवाह्न तथा विसर्जन नहीं होता। 
 
★ जो मूर्ति स्थापित हो उसमें आवाहन और विसर्जन नहीं होता। 
 
★ तुलसीपत्र को मध्यान्ह के बाद ग्रहण न करें। 
 
★ पूजा करते समय यदि गुरुदेव,ज्येष्ठ व्यक्ति या पूज्य व्यक्ति आ जाए तो उनको उठ कर प्रणाम कर उनकी आज्ञा से शेष कर्म को समाप्त करें। 
 
★ मिट्टी की मूर्ति का आवाहन और विसर्जन होता है और अंत में शास्त्रीयविधि से गंगा प्रवाह भी किया जाता है। 
 
★ कमल को पांच रात,बिल्वपत्र को दस रात और तुलसी को ग्यारह रात बाद शुद्ध करके पूजन के कार्य में लिया जा सकता है। 
 ★ पंचामृत में यदि सब वस्तु प्राप्त न हो सके तो केवल दुग्ध से स्नान कराने मात्र से पंचामृतजन्य फल जाता है। 
 
★ शालिग्राम पर अक्षत नहीं चढ़ता। लाल रंग मिश्रित चावल चढ़ाया जा सकता है। 
 
★ हाथ में धारण किये पुष्प, तांबे के पात्र में चन्दन और चर्म पात्र में गंगाजल अपवित्र हो जाते हैं। 
 
★ पिघला हुआ घी और पतला चन्दन नहीं चढ़ाना चाहिए। 
 
★ प्रतिदिन की पूजा में सफलता के लिए दक्षिणा अवश्य चढ़ाएं। 
 
★ आसन, शयन, दान, भोजन, वस्त्र संग्रह, विवाद और विवाह के समयों पर छींक शुभ मानी गई है।

 गुरुकुल परम्परा आध्यात्मिक प्रज्ञा का नई पीढ़ियों तक पहुंचाने का सोपान। भारतीय संस्कृति में गुरु-शिष्य परम्पराके अन्तर्गत गुरु (शिक्षक) अपने शिष्य को शिक्षा देता है या कोई विद्या सिखाता है। बाद में वही शिष्य गुरु के रूप में दूसरों को शिक्षा देता है। यही क्रम चलता जाता है। यह परम्परा सनातन धर्म की सभी धाराओं में मिलती है। गुरु-शिष्य की यह परम्पराा ज्ञान के किसी भी क्षेत्र में हो सकती है, जैसे- अध्यात्म, संगीत, कला, वेदाध्ययन, वास्तु आदि। भारतीय संस्कृति में गुरु का बहुत महत्व है। कहीं गुरु को ‘ब्रह्मा-विष्णु-महेश’ कहा गया है तो कहीं ‘गोविन्द’। ‘सिख’ शब्द भी संस्कृत  के ‘शिष्य’ से व्युत्पन्न है।

गु’ शब्द का अर्थ है अंधकार (अज्ञान) और ‘रु’ शब्द का अर्थ है प्रकाश ज्ञान। अज्ञान को नष्ट करने वाला जो ब्रह्म रूप प्रकाश है, वह गुरु है। आश्रमों में गुरु-शिष्य परम्परा का निर्वाह होता रहा है। भारतीय संस्कृति में गुरु को अत्यधिक सम्मानित स्थान प्राप्त है। भारतीय इतिहास में गुरु की भूमिका समाज को सुधार की ओर ले जाने वाले मार्गदर्शक के रूप में होने के साथ क्रान्ति को दिशा दिखाने वाली भी रही है। भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान ईश्वर से भी ऊपर माना गया है.

“गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर: ।

गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः”

प्राचीन काल में गुरु और शिष्य के संबंधों का आधार था गुरु का ज्ञान, मौलिकता और नैतिक बल, उनका शिष्यों के प्रति स्नेह भाव, तथा ज्ञान बांटने का निःस्वार्थ भाव. शिक्षक में होती थी, गुरु के प्रति पूर्ण श्रद्धा, गुरु की क्षमता में पूर्ण विश्वास तथा गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण एवं आज्ञाकारिता. अनुशासन शिष्य का सबसे महत्वपूर्ण गुण माना गया है.

आचार्य चाणक्य ने एक आदर्श विद्यार्थी के गुण एस प्रकार बताये हैं-

“काकचेष्टा बको ध्यानं श्वाननिद्रा  तथैव च ।

अल्पहारी गृहत्यागी विद्यार्थी पञ्चलक्षणम् ”।।

गुरु और शिष्य के बीच केवल शाब्दिक ज्ञान का ही आदान प्रदान नहीं होता था बल्कि गुरु अपने शिष्य के संरक्षक के रूप में भी कार्य करता था। उसका उद्द्येश्य रहता था कि गुरु उसका कभी अहित सोच भी नहीं सकते. यही विश्वास गुरु के प्रति उसकी अगाध श्रद्धा और समर्पण का कारण रहा है।

गीता में भगवान श्रीकृष्ण जी ने गुरु-शिष्य परम्परा को ‘परम्पराप्राप्तम योग’ बताया है। गुरु-शिष्य परम्परा का आधार सांसारिक ज्ञान से शुरू होता है,परन्तु इसका चरमोत्कर्ष आध्यात्मिक शाश्वत आनंद की प्राप्ति है,जिसे ईश्वर -प्राप्ति व मोक्ष प्राप्ति भी कहा जाता है। बड़े भाग्य से प्राप्त मानव जीवन का यही अंतिम व सर्वोच्च लक्ष्य होना चाहिए। ” गुरु एक मशाल है, शिष्य प्रकाश। अत: आज के शिक्षक दिवस पर लें समृद्ध भारतीय गुरू शिष्य परम्परा के पुनरूत्थान का संकल्प लें ताकि भारत में गुरूकुल परम्परा पुन: शुरू हो सके। ब्रेकिंग उत्तराखंड डाट काम की ओर से शिक्षक दिवस की बधाई और शुभकामनाएं 🙏💐✍️