आज का पंचाग आपका राशि फल, पुरूषोत्तम मास की कथा और इस मास में किए जानेवाले जप-तप

*श्री हरिहरौ*
*विजयतेतराम*

*सुप्रभातम*
*आज का पञ्चाङ्ग*
*_बुधवार, २६ जुलाई २०२३_*

सूर्योदय: 🌄 ०५:५२
सूर्यास्त: 🌅 ०७:१४
चन्द्रोदय: 🌝 १२:५७
चन्द्रास्त: 🌜००:०२
अयन 🌖 दक्षिणायणे
(उत्तरगोलीय)
ऋतु: ⛈️ वर्षा
शक सम्वत:👉१९४५(शोभकृत)
विक्रम सम्वत:👉२०८०(पिंगल)
मास 👉श्रावण(प्रथम, अधिक)
पक्ष 👉 शुक्ल
तिथि 👉 अष्टमी (१५:५२
से नवमी)
नक्षत्र 👉 स्वाती (०१:१०
से विशाखा)
योग👉साध्य(१४:३९ से शुभ)
प्रथम करण👉बव(१५:५२ तक)
द्वितीय करण 👉 बालव
(०३:५६ तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 कर्क
चंद्र 🌟 तुला
मंगल🌟सिंह(उदित,पश्चिम,मार्गी)
बुध🌟सिंह (उदय, पश्चिम, मार्गी)
गुरु🌟मेष (उदित, पश्चिम, मार्गी)
शुक्र 🌟कर्क (उदित, पश्चिम)
शनि 🌟 कुम्भ
(उदित, पूर्व, वक्री)
राहु 🌟 मेष
केतु 🌟 तुला
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
⏳⏲⏳⏲⏳⏲⏳
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अभिजित मुहूर्त 👉 ❌️❌️❌️
अमृत काल 👉 १५:५८ से १७:३८
रवियोग 👉 ०१:१० से ०५:३२
विजय मुहूर्त 👉 १४:४० से १५:३५
गोधूलि मुहूर्त 👉 १९:१५ से १९:३५
सायाह्न सन्ध्या 👉 १९:१५ से २०:१६
निशिता मुहूर्त 👉 ००:०३ से ००:४४
राहुकाल 👉 १२:२३ से १४:०६
राहुवास 👉 दक्षिण-पश्चिम
यमगण्ड 👉 ०७:१५ से ०८:५७
होमाहुति 👉 शुक्र
दिशाशूल 👉 उत्तर
अग्निवास 👉 आकाश
चन्द्रवास 👉 पश्चिम
शिववास 👉 श्मशान में (१५:५२ से गौरी के साथ)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – लाभ २ – अमृत
३ – काल ४ – शुभ
५ – रोग ६ – उद्वेग
७ – चर ८ – लाभ
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – उद्वेग २ – शुभ
३ – अमृत ४ – चर
५ – रोग ६ – काल
७ – लाभ ८ – उद्वेग
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
🚌🚈🚗⛵🛫
पश्चिम-दक्षिण (गुड़ अथवा दूध का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
🗓📆🗓📆
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मासिक दुर्गाष्टमी आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज ०१:१० तक जन्मे शिशुओ का नाम स्वाती नक्षत्र के द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (रे, रो, ता) नामक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम विशाखा नक्षत्र के प्रथम चरण अनुसार क्रमशः (ती) नामक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
कर्क – ०४:५४ से ०७:१६
सिंह – ०७:१६ से ०९:३५
कन्या – ०९:३५ से ११:५३
तुला – ११:५३ से १४:१४
वृश्चिक – १४:१४ से १६:३३
धनु – १६:३३ से १८:३७
मकर – १८:३७ से २०:१८
कुम्भ – २०:१८ से २१:४४
मीन – २१:४४ से २३:०७
मेष – २३:०७ से ००:४१
वृषभ – ००:४१ से ०२:३६
मिथुन – ०२:३६ से ०४:५१
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पञ्चक रहित मुहूर्त
रज पञ्चक – ०५:३२ से ०७:१६
शुभ मुहूर्त – ०७:१६ से ०९:३५
चोर पञ्चक – ०९:३५ से ११:५३
शुभ मुहूर्त – ११:५३ से १४:१४
रोग पञ्चक – १४:१४ से १५:५२
शुभ मुहूर्त – १५:५२ से १६:३३
मृत्यु पञ्चक – १६:३३ से १८:३७
अग्नि पञ्चक – १८:३७ से २०:१८
शुभ मुहूर्त – २०:१८ से २१:४४
रज पञ्चक – २१:४४ से २३:०७
अग्नि पञ्चक – २३:०७ से ००:४१
शुभ मुहूर्त – ००:४१ से ०१:१०
रज पञ्चक – ०१:१० से ०२:३६
शुभ मुहूर्त – ०२:३६ से ०४:५१
चोर पञ्चक – ०४:५१ से ०५:३२
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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन आपको आकस्मिक लाभ की प्राप्ति कराएगा। जिससे आप कोई उम्मीद नही रखते आज वही आपके जीवन मे कोई नई दिशा देगा। मानसिक रूप से आप आज अत्यंत शंकालु एवं वाणी से बेबाक रहेंगे सार्वजनिक क्षेत्र एव घर के बड़ो का सम्मान ध्यान में रखकर ही शब्दों का प्रयोग करें अन्यथा मान हानि तो होगी ही साथ मे प्रेम संबंधों में कड़वाहट भी बनेगी। नौकरी पेशाओ के लिये दिन निराशाजनक रहेगा जिस कामना से मेहनत कर रहे है उसका श्रेय किसी अन्य को मिलने से परेशान होंगे। आर्थिक दृष्टिकोण से दिन उत्तम रहेगा व्यवसायी वर्ग को थोड़े परिश्रम के बाद आशाजनक धन लाभ होगा भविष्य के लिये भी संचय कर पाएंगे। आरोग्य में कुछ कमी आएगी मूत्राशय अथवा अन्य शारीरिक व्याधि हो सकती है।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज का दिन भी आपके अनुकूल रहेगा दिन के आरंभ में आपका स्वभाव अत्यंत जिद्दी एवं मनमाना रहेगा फिर भी इससे कुछ ना कुछ लाभ ही होगा कार्य क्षेत्र हो या घर आज अपने बुद्धि विवेक से ही कार्य करें अन्य किसी की बातों में आकर काम करेंगे तो बाद में पछताना पड़ेगा। व्यवसाय से उचित लाभ कमाएंगे परन्तु इसके लिये नैतिकता को कुछ समय के लिये त्यागना पड़ेगा बाद में मन मे ग्लानि भी होगी लेकिन धन लाभ के आगे भूल जाएंगे। घर मे सुख सुविधा बढ़ाने पर भी अतिरिक्त खर्च करेंगे। पिता अथवा पैतृक कारणों से भी खर्च में वृद्धि होगी धन लाभ होने पर ज्यादा अखरेगा नही। अचल संपत्ति में निवेश भविष्य के लिये लाभदायक रहेगा। संतानों का सहयोग मिलेगा लेकिन भविष्य संबंधित निर्णय स्वयं ही ले। स्वसन अथवा अन्य छाती संबंधित समस्या हो सकती है।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज के दिन आप अतिआत्मविश्वास की भावना से ग्रस्त रहेंगे पूर्व में मिली प्रशंशा से मन मे अभिमान आएगा लेकिन आज आपके अधिकांश निर्णय विपरीत ही जाने वाले है इसलिये कम से कम पराये कार्यो में सलाह अथवा बिचौलिये ना बने। घर मे पैतृक संपत्ति को लेकर या किसी पुराने विवाद के कारण भाई बंधु अथवा किसी अन्य से किसी बात को लेकर गरमा गरमी होने की सम्भवना है मौन साधने के प्रयास करे अन्यथा स्थिति गंभीर हो सकती है। कार्य व्यवसाय से लाभ की आशा दिन भर रहेगी परन्तु इंतजार करने के बाद संध्या के आसपास आकस्मिक होगा इसलिये चौकन्ने रहे वरना किसी अन्य के हिस्से में जा सकता है। सेहत लगभग ठीक ही रहेगी फिर भी ठंडी वस्तुओ के सेवन से परहेज करें।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज का दिन भी अधिकांश समय अशांति में बीतेगा घर मे किसी पुरानी बात अथवा संतानों के कारण प्रातः काल ही संघर्ष की स्थिति बनेगी। कार्य क्षेत्र पर भी आज विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है अग्नि अथवा किसी अन्य कारण से क्षति होने की संभावना है। अपनी गलती नौकरों अथवा सहकर्मियो के ऊपर डालने पर टकराव हो सकता है। विवेकी व्यवहार अपनाए नही तो व्यवसाय की प्रतिष्ठा खराब होने पर आगे नई परेशानी खड़ी होगी। धन की आमद आज माता अथवा अचल संपत्ति के कार्यो से सामान्य ही होगी खर्च भी तुरंत हो जाएगी। उधारी के व्यवहार कम से कम रखें देनदारी में विलंब ना करें धन को लेकर किसी से तीखी झड़प हो सकती है। मानसिक क्लेश अन्य व्याधि को जन्म देगा आध्यात्म में कुछ समय बिताए शांति मिलेगी।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज का दिन आपको धन लाभ कराएगा लेकिन आज आपका स्वभाव अत्यंत गर्म रहेगा जिससे किसी ना किसी से मामूली बातो पर उलझ संबंधों में खटास लाएंगे। सहयोग की कमी रहने पर भी अपने साहस से हाथ मे लिये कार्यो को निर्णायक स्थित तक पहुचा देंगे लेकिन आज आपको चाहे कितना भी लाभ मिले फिर भी मन मे कुछ न कुछ अभवा लगा ही रहेगा। खास कर घरेलू परिस्थितियों को लेकर अधिक असंतुष्ट रहेंगे महिलाए अपने से उच्च वर्ग से बराबरी करने के चक्कर मे स्वयं तो दुखी होंगी परिजनों को भी करेंगी। माता पक्ष के लोगो से संबंध में कड़वाहट आ सकती है बात बात पर गर्मी दिखाने से बचे। कमर से नीचे के अंगों में नई पुरानी व्याधि से परेशानी होगी। वजन वाले कार्य करने से बचें।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज भी दिन सामान्य ही रहेगा दिन के आरंभ से ही धन एवं अन्य कार्यो में लापरवाही दिखाएंगे साहस रहेगा लेकिन धैर्य की कमी बनते कार्यो को बिगाड़ सकती है किसी भी कार्य को करने से पहले सोच विचार अवश्य करें आज जो काम आपको लाभ दायक लगेगा बाद में उसी में त्रुटियां नजर आने लगेगी। आज आपके दिमाग में धन को लेकर जोड़ तोड़ लगी रहेगी लेकिन परिस्थितियां सहायक ना रहने पर मन की मन मे ही रह जायेगी। कार्य व्यवसाय में धन लाभ होते होते टल सकता है। नौकरी पेशाओ को आज मन मे ईर्ष्या रखने के कारण काम मे सफाई नही रहेगी प्रतिद्वन्दी का कार्य जानकर खराब करने पर अधिकारी की फटकार सुन्नी पड़ेगी। ठंड से बचे सर्दी जुखाम हो सकता है।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज के दिन भी आप अपनी मस्ती में मस्त रहेंगे कोई कुछ भी कहे एक बार जो निर्णय कर लिया उसे पूरा करके ही मानेंगे। मन आज अनैतिक कार्यो समाज विरोधी कार्यो में अधिक भटकेगा अपना काम छोड़ अन्य के कामो में टिका टिप्पणी करने पर किसी से बहस हो सकती है नौकरी वाले लोग आज सावधान रहें सहकर्मी अथवा अधिकारीवर्ग द्वारा कोई इल्जाम लगाया जा सकता है। व्यवसायी वर्ग को मध्यान तक परिश्रम की अधिकता रहेगी लेकिन संध्या के आस पास इसका परिणाम आशा से थोड़ा कम मिलेगा फिर भी संतोष कर लेंगे। घर गृहस्थी में आज वातावरण अस्त व्यस्त रहेगा पति पत्नी के बीच आत्मीयता की कमी रहेगी फिर भी कम काज समय गति से चलेंगे। अनैतिक कर्मो से दूर रहे सेहत खराब करेंगे।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन भी आपके लिये हानि देने वाला रहेगा आज आप जिस भी कार्य अथवा योजना को बनाएंगे आरम्भ में ही उसकी सफलता के प्रति आशंकित रहेंगे इससे आत्मविश्वास में कमी आएगी रही सही कसर मन मे नकारत्मक भाव भरआस पास के परिचित पूरी कर देंगे जिससे आज कोई भी कार्य सिरे चढ़ाना बहुत परेशानी भरा रहेगा। नौकरी पेशाओ को भी आज अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता नही अपने काम मे ज्यादा सफाई रखे अन्य के कामो में आज भूल कर भी नसलाह ना दें अन्यथा गलती का नतीजा आपके सर आएगा। धन लाभ जोड़ तोड़ कर होगा जरूर पर खर्च पहके से ही तैयार रहने से हाथ नही लगेगा। सेहत दिन भी नरम रहेगी मन मे उदासी भी बनेगी संध्या बाद से राहत मिलने लगेगी।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज आपको सामाजिक क्षेत्र से मान सम्मान मिलेगा लेकिन स्वभाव में थोड़ा रूखापन आने से ज्यादा देर टिकेगा नही। कार्य व्यवसाय को लेकर आज बीते दिनों की तुलना में असंतुष्ट रहेंगे धन लाभ काम चलाऊ आवश्यकता के समय ले देंकर हो जाएगा फिर भी ज्यादा की चाह मन को बेचैन करेगी। आज प्रतिस्पर्धा एवं किसी की आलोचना से स्वयं को दूर रखें अन्यथा लेने के देने भी पड़ सकते है। सरकारी कार्य व्यवहारिकता के बल पर पूर्ण हो सकते है स्वभाव में नरमी रखें नही तो कोई नया नियम आड़े आने पर लंबे समय के लिये लटक जाएंगे। भाग्य का साथ कुछ समय के लिये ही मिलेगा मौके को भुनाए संचित कोष में वृद्धि कराएगा अवसर को हाथ से ना जाने दे। घर का वातावरण सामान्य रहेगा। सेहत में स्वयं की गलती से कोई विकार आ सकता है।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज के दिन आपको दैनिक कार्यो के अतिरिक्त भाग दौड़ करनी पड़ेगी। दिन के पूर्वार्ध से जिस कार्य को बनाने के लिये प्रयास करेंगे मध्यान बाद उसमे सफलता मिल जाएगी लेकिन आज पिता के आचार विचार आपसे मेल नही खाएंगे लेकिन काम निकालने के लिये भी इन्ही के सहयोग की आवश्यकता पड़ेगी इसलिये व्यवहारिक रहे अन्यथा आवश्यक कार्य लटक सकते है। सरकारी कार्य के लिये आज दिन शुभ रहेगा कई दिन से रुका काम लेदेकर बन सकता है बस अधिकारीवर्ग की मनमानी एवं व्यवहार को अनदेखा करना पड़ेगा। व्यवसाय से आज धन की आमद निश्चित लेकिन भविष्य के लिये संचय नही कर पाएंगे। घर मे वातावरण कुछ समय के लिये उग्र होगा। सेहत में लापरवाही के कारण विकार आ सकता है।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज के दिन आपका भाग्य पक्ष प्रबल रहेगा फिर भी दिन से मिले जुले परिणाम मिलेंगे। दिन के आरंभ में धार्मिक कार्यो में सम्मिलित होने के अवसर मिलेंगे परन्तु रुचि कम होने के कारण मन नही लगेगा। कार्य व्यवसाय को लेकर आज कोई गुप्त चिंता दिनभर परेशान करेगी इसका निराकरण फिलहाल सम्भव नही। आपकी जीवन शैली आज उच्च वर्गीय से प्रेरित रहेगी अन्य लोगो से तुलना कर ठाठ बाट का जीवन जीने के सपने देखेंगे परन्तु परिस्थितियां इसके खिलाफ रहने पर मन दुखी होगा। पराक्रम शक्ति भी सामान्य से अधिक रहेगी लेकिन परिजनों के ऊपर इसे दिखाना कलह करा सकता है। भूमि भवन संबंधित कार्य फिलहाल टाले धन हानि की संभावना है। सहन की आमद आज सीमित रहेगी गृहस्थी में थोड़ी उठापटक के बाद शांति मिलेगी। विपरीत खान पान सेहत खराब कर सकता है ध्यान दें।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज के दिन भी मध्यान तक सेहत में थोड़ी बहुत नरमी रहने के कारण दिनचार्य धीमी रहेगी दैनिक कार्य मे विलंब होने पर आगे के कार्यक्रम भी प्रभावित होंगे। दोपहर बाद से कुछ राहत मिलने लगेगी लेकिन कार्य क्षेत्र पर आज अधिकांश समय पुराने कार्यो को पूर्ण करने में ही खराब होगा धन की आमद थोड़ी बहुत ही होगी ज्यादा के लिये हाथ पैर ना मारे अन्यथा परिणाम विपरीत ही मिलेंगे। संचित कोष में भी आकस्मिक खर्च आने से कमी आएगी। किसी परिजन का अनैतिक आचरण घर एवं समाज मे बदनामी का कारण बन सकता है आज अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। आज आप नियम विरुद्ध कार्य के लिये भी प्रेरित होंगे लेकिन ध्यान रहे आरम्भ में ये लुभावने लेकिन अंत मे कड़वाहट भरे हो सकते है।

अधिकमास पुरुषोत्तममास मलमास मलिम्लुच अधिमास संसर्प अंहस्पति अंहसस्पति

जैसा कि नाम से ही विदित है, यह मास सामान्य १२ मासों से अधिक (अतिरिक्त) है। इसको अधिकमास, पुरुषोत्तममास, मलमास, मलिम्लुच, अधिमास, संसर्प, अंहस्पति या अंहसस्पति नाम से भी जाना जाता है। परन्तु क्या प्रत्येक मलमास, अधिकमास है? मलमास कहते किसे हैं? मल नाम सुनते ही मानव मल की भावना आती है तो अधिकमास को पुरुषोत्तम मास क्यों कहते हैं? ऐसे अनेक प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए हमको अपने धर्मग्रंथों का गहनता पूर्वक अध्ययन करना होगा। मैं आपके समक्ष कुछ तथ्य प्रस्तुत कर इन प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयास कर रहा हूँ।

क्या होता है मलमास

मलं वदन्ति कालस्य मासं कालविदोऽधिकम् (गृह्यपरिशिष्ट)

मलमास काल का मल है। मलमास = मल + मास। मास का सीधा अर्थ महीने से है जो काल मापन की एक इकाई है। नौ प्रकार के मास होते हैं परन्तु ‘चतुर्भिव्यर्वहारोऽत्र’ सूर्यसिद्धान्त के वचनानुसार उनमें से चार – चान्द्र, सौर, सावन और नाक्षत्र मास से ही व्यवहार होता है। चार विभिन्न प्रकार के महीनों की आवश्यकता क्या है, इसका उत्तर भी हमारे शास्त्रों में दिया गया है कि विभिन्न कर्म विभिन्न प्रकार के मासों में करणीय हैं :

विवाहादौ स्मृतः सौरो यज्ञादौ सावनः स्मृतः। आब्दिके पितृकार्ये तु चान्द्रो मासः प्रशस्यते ॥ (स्कंदपुराण, ७.१.२०६.६१)

शास्त्रभेद से इस कथन में भी भिन्नता है। वृद्ध गर्गाचार्य, श्रीपति, बृहस्पति, नारद, वसिष्ठ के कथनों में भिन्नतायें देखने को मिलती हैं परन्तु हमारा विषय उनसे सम्बंधित नहीं है। एक कथन सभी का समान है कि वार्षिकी का ज्ञान चान्द्र मास से ही किया गया है।

मल क्या है ? तत्रोक्तं मलम् अर्थात् विकारः, मल विकार है। प्रश्न है – कैसा विकार?

‘मलमासोऽयं सौरचान्द्रमासयोः विकारः’ अर्थात सौरमास और चंद्रमास से विकार स्वरुप मलमास की उत्पत्ति होती है। विकार के बारे में आगे समझेंगे।

मलमास दो प्रकार का है:-

अधिकमास

क्षयमास

सिद्धांतशिरोमणि के अनुसार ‘यस्मिन्मासे न सङ्क्रान्ति सङ्क्रान्तिद्वयमेव वा । मलमासः स विज्ञेयः’ अधिकमास और क्षयमास दोनों में विकार है। एक संक्रांति रहित है और दूसरा दो संक्रांति से युक्त।

अधिकमास संक्रान्ति रहित है ‘संक्रान्तिरहितो मासोऽधिमासः’ और क्षयमास दो संक्रान्ति से युक्त है ‘संक्रांतिद्वययुक्तो मासः क्षयमासः’ । मास में इस विकार के कारण इनका नामकरण मलमास किया गया है।

एक अन्य मत के अनुसार –

शकुन्यादिचतुष्कं तु रवेर्मलमुदाहतम् । तदूर्ध्वं क्रमते भानोर्मासः स्यात्तु मलिम्लुचः ॥

शकुनि, चतुष्पद, नाग व किंस्तुघ्न ये चार करण, रवि के मल कहे गये हैं, इनके ऊर्ध्व क्रम से यदि सूर्य का संक्रमण हो तो अधिकमास होता है। (एक चांद्रमास में ३० तिथियाँ होती हैं। तिथि का अर्धांश ‘करण’ कहा जाता है अर्थात ६० की संख्या। करण ११ होते हैं जिनमें चार स्थिर होते हैं। अंतिम किंस्तुघ्न से गिन कर सात करण एक मास में आठ बार क्रम से पुनरावृत्ति करते हैं, ७x८ = ५६ + शेष स्थिर ४ = ६०।)

यह विकार उत्पन्न कैसे होता है?

सौर-वर्ष का मान ३६५ दिन, १५ घड़ी, २२ पल और ५७ विपल हैं। जबकि चांद्रवर्ष ३५४ दिन, २२ घड़ी, १ पल और २३ विपल का होता है। इस प्रकार दोनों वर्षमानों में प्रतिवर्ष १० दिन, ५३ घटी, २१ पल (अर्थात लगभग ११ दिन) का अन्तर पड़ता है। सौर वर्ष और चांद्र वर्ष में सामञ्जस्य स्थापित करना परम आवश्यक है। यह सामंजस्य स्थापित करने के लिए हर तीसरे वर्ष हिन्दू पञ्चाङ्ग में एक चान्द्रमास की वृद्धि कर दी जाती है। यही अधिकमास है। वस्तुतः यह स्थिति स्वयं ही आ जाती है जब किसी चंद्रमास में सूर्य का सङ्क्रमण एक राशि से दूसरे में नहीं होता अर्थात जब दो अमावस्या के बीच सूर्य की संक्रान्ति नहीं आती – अमावस्याद्वयं यत्र रविसंक्रान्तिवर्जितम् । मलमासः स विज्ञेयो विष्णुः स्वपिति कर्कटे ॥

वसिष्ठ के अनुसार बत्तीस महीने (सावन मास) सोलह दिन और सोलह घड़ी के बीतने पर अधिक मास पड़ता है – द्वात्रिंशद्भिर्मितैर्मासौर्दिनैः षोडशभिस्तथा घटिकानां चतुष्केण पतत्यधिकमासक।

मलमास का द्वितीय प्रकार क्षयमास है जिसमें दो संक्रांतियाँ होती हैं। यह अभी हमारे लेख का विषय नहीं है। अब अधिकमास पर और चर्चा कर लेते हैं।

सूर्यपुराण में किस मास के अधिक मास होने पर क्या फल होता है, इसका वर्णन मिलता है,

केवल ये नौ महीने ही अधिक मास हो सकते हैं, अगहन (अग्रहायण या मार्गशीर्ष, जिसमें पूर्णिमा को चंद्र मृगशिरा नक्षत्र पर होते हैं) और पौष केवल क्षयमास हो सकते हैं। माघ मास न अधिक मास हो सकता है और न ही क्षय मास, कार्त्तिक अधिक मास भी हो सकता है और क्षय भी। अधिकमास में सभी मांगलिक कार्य, महोत्सव, प्रतिष्ठा, यज्ञ आदि वर्जित हैं।

अधिकमास माहात्म्य में वर्णन आया है कि अधिकमास की उत्पत्ति होने पर यह सभी से तिरस्कृत हुआ और दुःखी होकर विष्णुलोक गया। वहाँ अधिकमास ने नारायण से कहा कि प्रत्येक मास का एक स्वामी होता है परन्तु मेरा कोई स्वामी नहीं है, जिस कारण सभी मुझे मलमास, मलिम्लुच आदि नामों से पुकारते हैं और सभी प्रकार के मांगलिक कार्य, शुभ एवं पितृकार्य वर्जित किये हैं। तब भगवान् विष्णु ने अधिकमास को अपना नाम ‘पुरुषोत्तम’ प्रदान किया और यह पुरुषोत्तम मास कहलाया।

श्रीनारायण कहते हैं –

गुणैःकीर्त्याऽनुभावेन षड्‌भगैश्च पराक्रमैः । भक्तानां वरदानेन गुणैरन्यैश्च मासकैः ॥

अहमेतैर्यथालोके प्रथितः पुरुषोत्तमः । तथाऽयमपि लोकेषु प्रथितः पुरुषोत्तमः ॥

गुणों से, कीर्ति के अनुभाव से, षडैश्वर्य से, पराक्रम से, भक्तों को वर देने से और जो मेरे अन्य गुण हैं, उनसे मैं लोक में पुरुषोत्तम नाम से प्रसिद्ध हूँ। वैसे ही यह मलमास भी लोकों में पुरुषोत्तम नाम से प्रसिद्ध होगा 

पुरुषोत्तम मास के स्वामी दयासागर पुरुषोत्तम ही हैं 

पुरुषोत्तमेति मासस्य नामाप्यस्ति सहेतुकम्‌ ।

तस्य स्वामी कृपासिन्धु पुरुषोत्तम उच्यते ॥

श्रीभगवान कहते हैं –

एतन्नाम्ना जगत्सर्वं पवित्रं च भविष्यसि । मत्सादृश्यवमुपागम्य मासानामधिपो भवेत्‌ ॥

जगत्पूज्यो जगद्वन्द्यो मासोऽयं तु भविष्यति । पूजकानां च सर्वेषां दुःखदारिद्र्यखण्डनः ॥

सर्वेमासाः सकामाश्च निष्कामोऽयं मया कृतः । मोक्षदः सर्वलोकानां मत्तुल्योऽयं मया कृतः ॥ 

अकामः सर्वकामो वा योऽधिमासं प्रपूजयेत्‌ । कर्माणि भस्मसात्कृऽत्वा मामेवैष्यत्यसंशयम्‌ ॥ 

इसके पुरुषोत्तम नाम से सारा जगत पवित्र होगा। मेरी समानता पाकर यह अधिमास सब मासों का राजा होगा। यह अधिमास जगत्पूज्य एवं जगत से वन्दना करवाने के योग्य होगा। जो इसमें पूजा और व्रत करेंगे, उनके दुःख और दारिद्र्य का नाश होगा। चैत्रादि सब मास सकाम हैं, इसको हमने निष्काम किया है। इसको हमने अपने समान समस्त प्राणियों को मोक्ष देने वाला बनाया है। जो प्राणी सकाम अथवा निष्काम होकर अधिमास का पूजन करेगा, वह अपने सब कर्मों को भस्म कर निश्चय ही मुझको प्राप्त होगा।

श्रीभगवान यह भी कहते हैं कि जैसे हल से खेत में बोये हुए बीज करोड़ो गुणा बढ़ते हैं, वैसे ही मेरे पुरुषोत्तम मास में किया हुआ पुण्य करोड़ो गुणा अधिक होता है।

सीतानिक्षिप्तबीजानिवर्धन्ते कोटिशो यथा । तथा कोटिगुणं पुण्यं कृतं मे पुरुषोत्तमे ।

पुरुषोत्तम नाम क्यों ?

श्रीभगवान ने मलमास को अपना पुरुषोत्तम नाम ही क्यों दिया, अन्य कोई क्यों नहीं? इसका उत्तर पुरुषोत्तम के अर्थ में छिपा है। पुरुषोत्तम का अर्थ है पुरुषों में उत्तम ‘पुरुषाणमुत्तमः पुरुषोत्तमः’ अर्थात श्रीभगवान पुरुष मात्र नहीं, पुरुषों में सर्वोत्तम हैं। पुरुष शब्द की उत्तम व्याख्या उपनिषदों में की गयी है तथा पुरुषसूक्त श्रीभगवान के लिए की जाने वाली सबसे अधिक प्रचलित स्तुति है।

लक्ष्मीनारायणसंहिता में वर्णित नारायण सहस्रनामस्तोत्र में वर्णित है – भूमा त्वं पूरुषसंज्ञः पुरुषोत्तम इत्यपि। महाभारत के अनुसार – पूरणात् सदनाच्चापि ततोऽसौ पुरुषोत्तमः, असतश्च सतश्चैव सर्वस्य प्रभवाप्ययात्।

भगवान सर्वत्र परिपूर्ण हैं तथा सर्वव्यापक हैं, इसलिये ‘पुरुष’ हैं और सब पुरुषों मे उत्तम होने के कारण उनकी ‘पुरुषोत्तम’ सञ्ज्ञा है।

गीता में भगवान् का वचन है –

यस्मात्क्षरमतीतोऽहमक्षरादपि चोत्तमः। अतोऽस्मि लोके वेदे च प्रथितः पुरुषोत्तमः॥

‘मैं क्षर (नाशवान जड़ पदार्थ) से परे और अक्षर (अविनाशी आत्मा) से भी उत्तम हूँ, इसलिये लोक और वेद में पुरुषोत्तम नाम से प्रसिद्ध हूँ।’

चूँकि मलमास श्रीभगवान के पास जब गया था तो वह दुःखी और इस हीन भावना से ग्रस्त था कि उसको सब निम्न कोटि का समझते हैं, उसका तिरस्कार करते हैं; इस कारण श्रीभगवान ने उसको अपने ब्रह्मस्वरूप नाम पुरुष में भी उत्तम पुरुषोत्तम नाम से विभूषित कर दिया।

इसके अतिरिक्त मलमास को न केवल विकारों से युक्त (जैसे कि संक्रान्ति रहित) बताया गया था, वरन इसकी उत्पत्ति का कारण ही विकार (जैसा कि ऊपर बताया गया है) था। अतः श्रीभगवान विष्णु जो जन्म, वृद्धि, परिणाम, क्षय, हेयता और नाश; इन छः भाव-विकारों से परे पुरुषों में उत्तम हैं, इसे अपना पुरुषोत्तम नाम प्रदान किया।

अधिकमास कर्म

विभिन्न शास्त्रों में ऋषि मुनियों ने अधिकमास के वर्जित कर्म और उसमें विहित कर्म बताये हैं जिसका सार इस प्रकार है।

वर्जित कार्य : अग्नयाधान, यज्ञ, मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा, माङ्गलिक कार्य, विशेष दान, महादान, गौदान, व्रत, वेदव्रत (वेदाध्ययनका आरम्भ), दीक्षा, महोत्सव, व्रतोत्सर्ग, चूड़ाकर्म, देवतीर्थों में गमन, वास्तुकर्म, ऐसे देव और तीर्थ का दर्शन जो पहले न देखे हों, विवाह, किसी कामना के लिए देवता का अभिषेक, गृहारम्भ, गृहप्रवेश, कुँआ तालाब आदि खुदवाना, किसी भी काम्य कार्य का आरम्भ, उद्यापन कर्म, महालय, अष्टकाश्राद्ध, उपाकर्म, यज्ञोपवीत संस्कार, मुण्डन, संन्यास ।

परन्तु स्मृति-रत्नावली ग्रन्थ में आया है कि जिस काम्य कर्म का प्रारम्भ मलमास से पहले हो चुका है, उसकी समाप्ति इसमें हो सकती है –

प्रवृत्तं मलमासात् प्राक् यत् काम्यमसमापितं । आगते मलमासेऽपि तत् समाप्यं न संशयम्॥

विहित कार्य : सभी नित्य कर्म, सभी नैमित्तिक कर्म, नित्य दान, मन्वादि तिथियों का दान, सभी कार्य जो निष्काम भाव से किये जायें, वार्षिक श्राद्ध, दर्शश्राद्ध, प्रेतश्राद्ध, तीर्थश्राद्ध, गजच्छाया श्राद्ध, ग्रहणस्नान, प्राणघातक रोगादि की निवृत्ति के रुद्रजपादि अनुष्ठान, कपिलषष्ठी जैसे अलभ्य योगोंके प्रयोग, बुधाष्टमी आदि के प्रयोग।

अधिकमास के वर्जित कार्य देखकर लोगों को ऐसा आभास होता है कि इसमें जपादि नहीं करने चाहिए, जो कि अर्द्धसत्य है। अधिकमास में किसी कामना से जपादि वर्जित हैं जबकि निष्काम जपादि करने का करोड़ों गुना महत्व है। पुराणों ने तो यहाँ तक कह दिया है कि जो मनुष्य इस अधिमास में जप, दान नहीं करते, वे महामूर्ख हैं – य एतस्मिन्महामूढ जपदानादिवर्जिताः, वे दुष्ट, अभागी और दूसरे के भाग्य से जीवन चलाने वाले होते हैं, जायन्ते दुर्भगा दुष्टाः परभाग्योपजीविनः अर्थात भाग्यहीन होते हैं।

पुरुषोत्तम मास के धार्मिक कार्य

ततः सम्पूज्य कलशमुपचारैः समन्त्रकैः। गन्धाक्षतैश्च नैवेद्यैः पुष्पैस्तत्कालसम्भवैः॥

पुरुषोत्तम मास के पुरुषोत्तम देवता हैं। पुरुषोत्तम मास के आने पर उनकी पूजा करनी चाहिये ।

तस्मात्सर्वात्मना सर्वैः स्नानपूजाजपादिकम्‌। विशेषेण प्रकर्तव्यं दानं शक्त्योनुसारतः॥

सब प्राणियों को अधिमास में स्नान, पूजा, जप आदि और विशेष करके शक्ति के अनुसार दान अवश्य कर्तव्य है ।

एकमप्युपवासं यः करोत्यस्मिस्तपोनिधे। असावनन्तपापानि भस्मीकृत्य द्विजोत्तम। सुरयानं समारुह्य बैकुण्ठं याति मानवः।

इस पुरुषोत्तम मास में जो एक भी उपवास करता है, हे द्विजोत्तम! वह मनुष्य अनन्त पापों को भस्म कर विमान से बैकुण्ठ लोक को जाता है ।

अधिकमास में श्रीमद्भागवतपुराण श्रवण का परम फल है –

श्रीमद्भागवतं भक्त्या श्रोतव्यं पुरुषोत्तमे । तत्पुण्यं वचसा वक्तुं विधाताऽपि न शक्नुयात्‌ ॥