आज का पंचाग आपका राशि फल, मौलवियों को वेतन तो हमें क्यों नहीं?’, दिल्ली CM केजरीवाल के आवास पर किया पुजारियों ने किया प्रदर्शन, केदारनाथ आपदा के समय भीम शिला का रहस्य, राम का अयन ही रामायण कहा गया है, चरण वंदना और चारण वंदना में विभेद,

​ ​ 𝕝𝕝 🕉 𝕝𝕝

                  *श्री हरिहरो* 

                *विजयतेतरामम्

        *🌹।।सुप्रभातम्।।🌹*

        🗓 आज का पञ्चाङ्ग 🗓

 

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*_बुधवार, ८ फरवरी २०२३_*

 

सूर्योदय: 🌄 ०७:०८

सूर्यास्त: 🌅 ०६:०५

चन्द्रोदय: 🌝 २०:१९

चन्द्रास्त: 🌜०८:३८

अयन🌖उत्तरायणे(दक्षिणगोलीय)

ऋतु: 🎄 शिशिर

शक सम्वत:👉१९४४ (शुभकृत)

विक्रम सम्वत:👉२०७९ (नल)

मास 👉 फाल्गुन

पक्ष 👉 कृष्ण

तिथि 👉 तृतीया (३०:२३ से 

चतुर्थी)

नक्षत्र 👉 पूर्वाफाल्गुनी

(२०:१५ से उत्तराफाल्गुनी)

योग 👉 अतिगण्ड (१६:३१

से सुकर्मा)

प्रथम करण👉वणिज(१७:२७तक

द्वितीय करण👉विष्टि(३०:२३तक

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॥ गोचर ग्रहा: ॥

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सूर्य 🌟 मकर

चंद्र 🌟 कन्या(२६:४९ से)

मंगल🌟वृष(उदित,पश्चिम,मार्गी)

बुध🌟मकर(उदित,पूर्व,मार्गी)

गुरु🌟मीन(उदित,पूर्व,मार्गी)

शुक्र🌟कुम्भ(उदित,पश्चिम)

शनि🌟कुम्भ 

(अस्त,पश्चिम,मार्गी)

राहु 🌟 मेष

केतु 🌟 तुला

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शुभाशुभ मुहूर्त विचार

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अभिजित मुहूर्त 👉 ❌️❌️❌️

अमृत काल 👉 १३:११ से १४:५७

विजय मुहूर्त 👉 १४:२१ से १५:०४

गोधूलि मुहूर्त 👉 १७:५७ से १८:२३

सायाह्न सन्ध्या 👉 १७:५९ से १९:१८

निशिता मुहूर्त 👉 २४:०५ से २४:५७

राहुकाल 👉 १२:३१ से १३:५३

राहुवास 👉 दक्षिण-पश्चिम

यमगण्ड 👉 ०८:२५ से ०९:४७

होमाहुति 👉 मंगल

दिशाशूल 👉 उत्तर

नक्षत्र शूल 👉 उत्तर (२०:१५ से)

अग्निवास 👉 पृथ्वी

भद्रावास 👉 मृत्यु (१७:२७ से २६:४९, पाताल २६:४९ से ३०:२३ तक)

चन्द्रवास 👉 पूर्व (दक्षिण २६:४९ से) 

शिववास 👉 क्रीड़ा में (३०:२३ से कैलाश पर)

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☄चौघड़िया विचार☄

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॥ दिन का चौघड़िया ॥ 

१ – लाभ २ – अमृत

३ – काल ४ – शुभ

५ – रोग ६ – उद्वेग

७ – चर ८ – लाभ

॥रात्रि का चौघड़िया॥ 

१ – उद्वेग २ – शुभ

३ – अमृत ४ – चर

५ – रोग ६ – काल

७ – लाभ ८ – उद्वेग

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। 

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शुभ यात्रा दिशा

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दक्षिण-पूर्व (गुड़ अथवा दूध का सेवन कर यात्रा करें)

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तिथि विशेष

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विवाह मुहूर्त मकर ल. अंतरात्रि ०५:४४ से प्रातः ०७:१२ तक, उपनयन संस्कार मुहूर्त प्रातः ११:१८ से दोपहर १२:४१ तक, विधा एवं अक्षर आरम्भ मुहूर्त प्रातः ०७:१२ से ०९:५५ तक आदि।

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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण 

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आज २०:१५ तक जन्मे शिशुओ का नाम पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के द्वितीय तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (टा, टी, टू) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के प्रथम एवं द्वितीय चरण अनुसार (टे, टो) नामक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।

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उदय-लग्न मुहूर्त

मकर – २९:४१ से ०७:२२

कुम्भ – ०७:२२ से ०८:४८

मीन – ०८:४८ से १०:११

मेष – १०:११ से ११:४५

वृषभ – ११:४५ से १३:४०

मिथुन – १३:४० से १५:५५

कर्क – १५:५५ से १८:१७

सिंह – १८:१७ से २०:३५

कन्या – २०:३५ से २२:५३

तुला – २२:५३ से २५:१४

वृश्चिक – २५:१४ से २७:३४

धनु – २७:३४ से २९:३७

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पञ्चक रहित मुहूर्त

शुभ मुहूर्त – ०७:०३ से ०७:२२

रोग पञ्चक – ०७:२२ से ०८:४८

शुभ मुहूर्त – ०८:४८ से १०:११

शुभ मुहूर्त – १०:११ से ११:४५

रोग पञ्चक – ११:४५ से १३:४०

शुभ मुहूर्त – १३:४० से १५:५५

मृत्यु पञ्चक – १५:५५ से १८:१७

अग्नि पञ्चक – १८:१७ से २०:१५

शुभ मुहूर्त – २०:१५ से २०:३५

रज पञ्चक – २०:३५ से २२:५३

शुभ मुहूर्त – २२:५३ से २५:१४

चोर पञ्चक – २५:१४ से २७:३४

शुभ मुहूर्त – २७:३४ से २९:३७

रोग पञ्चक – २९:३७ से ३०:२३

शुभ मुहूर्त – ३०:२३ से ३१:०२

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आज का राशिफल

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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आज परिस्थितियों में उतार चढ़ाव लगा रहेगा इसलिए प्रत्येक कार्य को देख भाल कर ही करें। स्वभाव में जल्दबाजी रहने के कारण आपके कुछ निर्णय गलत साबित हो सकते है फिर भी प्रयास जारी रखें आशानुकूल ना सही कुछ लाभ अवश्य होगा। खर्च पर नियंत्रण ना रहने से आय व्यय का संतुलन बिगड़ सकता है संताने आज अधिक जिद्दी व्यवहार करेंगी गुस्सा ना करें। पूर्व नियोजित नए कार्य एवं धन सम्बंधित सरकारी कार्य आज ना करें। मध्यान के आस-पास सेहत प्रतिकूल बनेगी पेट अथवा वायु सम्बंधित व्याधि एवं शक्ति हीनता अनुभव कर सकते है। परिवार में शांति रखने के लिए आवश्यकताओ की पूर्ति समय पर करें।

 

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

आज प्रातः काल में किसी आवश्यक कार्य में विलम्ब होने अथवा बिगड़ने के कारण दिन भर क्रोध से भरे रहेंगे फिर भी व्यवहार में नरमी रखें अन्यथा अन्य लाभों से भी हाथ धो बैठेंगे। परिवार के बुजुर्गो की सलाह आज बहुत काम आने वाली है इसलिए सम्बन्ध ना बिगड़े इसका ध्यान रखें। नौकरी पेशा जातक सामान्य रूप से कार्यो में सक्रिय रहेंगे दफ्तर के कार्य से यात्रा करनी पड़ सकती है। संध्या के समय आलस्य थकान रहने से एकान्त वास पसंद करेंगे। परिजन कुछ मतभेद के बाद भी सहयोग को तत्पर रहेंगे। धन आगम मध्यम रहेगा। ठंडी वस्तुओ का प्रयोग ना करें। 

 

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आज आप प्रातः काल से ही यात्रा की योजना बनाएंगे परन्तु अंतिम समय में किसी कार्य के आने से विघ्न आ सकते है। मन इच्छित कार्य ना होने से दिन भर क्षुब्ध रहेंगे। घर एव बाहर आपका व्यवहार विपरीत रहने के कारण विवाद हो सकता है। आज आप अपने आगे किसी की नहीं चलने देंगे। सहकर्मी आपसे परेशान रह सकते है परन्तु जाहिर नहीं करेंगे। लोगो की भावनाओं को ध्यान में रख व्यवहार करें शांति बनी रहेगी। आज किसी गुप्त रोग होने से नई परेशानी खड़ी हो सकती है। धन सम्बंधित मामलो को लेकर चिंता बढ़ेगी। गृहस्थ जीवन में नीरसता बढ़ने से बाहर का।वातावरण ज्यादा पसंद आएगा।

 

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आपकी आज की दिनचर्या सुख शांति वाली रहेगी। ज़ब तक लाभ निश्चित ना दिखे परिश्रम करने के पक्ष में नहीं रहेंगे।सरकारी कार्यो में भी किसी की सहायता की आवश्यकता पड़ेगी। उधार लिया धन अथवा अन्य वस्तु आज वापस करना लाभदायक रहेगा। घर के सदस्य आपसी सम्बन्धो को अधिक महत्त्व देंगे रिश्तों में भावुकता अधिक रहेगी। नौकरी पेशा जातक व्यवहार शून्यता के कारण अपमानित हो सकते है सतर्क रहें। धन लाभ आशा से km रहने से आवश्यक कार्यो में बाधा आएगी। खर्च बराबर रहेंगे। शेयर सम्बंधित कार्यो में धन अटक सकता है। घर में मौन रहें।

 

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

आपका आज का दिन शुभ फलदायी रहेगा। व्यवसायिक एवं पारिवारिक उलझने कम होने से आज आपकी योजना सफल बनेगी। परिजनों का व्यवहार भी आपके अनुकूल रहेगा सहयोग की उम्मीद भी रख सकते है। लेकिन आज यथार्थ पर ज्यादा ध्यान रखें स्वप्न लोक की सैर ना करें। कार्य व्यवसाय स्थल पर लोगो की सहानुभूति मिलेगी। धन लाभ आशानुकूल नहीं फिर भी कार्य चलने लायक अवश्य होगा। प्रेम प्रसंगों में कई दिन से चल रही कड़वाहट ख़त्म होगी। कार्यो की थकान मिटाने के लिए मनोरंजन के अवसर तलाशेंगे इन पर खर्च भी करेंगे।

 

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आज दिन का अधिकांश समय आपकी आशाओं के विपरीत रहने वाला है। घर बाहर विरोध का सामना करना पड़ सकता है। लोग आपकी बातों में नुक्स निकालने के लिए आतुर रहेंगे। परिजनों का रूखा व्यवहार मानसिक रूप से आहत करेगा। सरकारी नतीजे भी विपक्ष में होंगे। प्रतिस्पर्धी आपकी दशा देखकर प्रसन्न रहेंगे परन्तु आज के दिन धैर्य धारण करें शीघ्र ही समय अनुकूल बनेगा। धार्मिक एवं सामाजिक कार्यो में सम्मिलित होने के अवसर मिलेंगे लेकिन बेमन से भाग लेंगे। घर में किसी बाहरी व्यक्ति की दखल होने से वातावरण अशान्त रहेगा। धन सम्बंधित व्यवहार देखभाल कर करें।

 

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आज आपका पारिवारिक जीवन उत्तम रहेगा व्यवसाय में भी आकस्मिक लाभ होने से उत्साहित रहेंगे। पारिवारिकजन किसी महत्त्वपूर्ण कार्य को लेकर इकट्ठे होंगे फिर भी आगे से अपनी राय ना देकर मौन होकर अन्य लोगो की बात सुने शांति बनी रहेगी। कार्य क्षेत्र का वातावरण इसके उलट रहेगा वर्चस्व को लेकर किसी से तू-तू मैं-मै होने की संभावना है परंतु फिर भी धन के दृष्टिकोण से दिन लाभदायक रहेगा। उधारी की वसूली होने से आर्थिक स्थिति सुदृढ़ बनेगी परिवार में खर्च भी लगे रहेंगे। भविष्य की योजनाओं पर भी धन खर्च कर सकते है।

 

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

आज के दिन व्यवस्थाओं में सुधार आने से आय की संभावनाएं बढ़ेंगी। व्यवहार में भी शालीनता रहने से सभी लोग आपसे प्रसन्न रहेंगे। आज आप कार्यो को आत्मविश्वास से करेंगे जिससे सफलता निश्चित रहेगी परन्तु ध्यान रहे अतिआत्मविश्वास के कारण हास्य के पात्र भी बन सकते है। परिवार की महिलाओं का व्यवहार थोड़ा असमंजस में डाल सकता है फिर भी स्थित नियंत्रण में ही रहेगी। स्वास्थ्य बेहतर बना रहेगा। दिन भर व्यस्तता के बाद भी आप मानसिक रूप से प्रसन्न रहेंगे। कार्य क्षेत्र पर अधिक बोलने से अवश्य बचे मान हानि हो सकती है।

 

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आज के दिन लाभ की संभावनाएं बनते बनते बिगड़ सकती है आलस्य की प्रवृति इसका कारण बनेगी। परन्तु फिर भी कार्य क्षेत्र पर सम्मानजनक स्थित बनी रहेगी। प्रतिस्पर्धी भी आपकी कार्य शैली से प्रभावित रहेंगे। जिस कार्य में हाथ डालेंगे सफलता सुनिश्चित रहेगी लेकिन धन लाभ को लेकर स्थिति गंभीर रहेगी धन सम्बंधित कार्यो के प्रति लापरवाह भी रहेंगे जिसका लाभ कोई अन्य व्यक्ति उठा सकता है। सेहत भी लगभग सामान्य बनी रहेगी परन्तु फिर भीं कार्यो के प्रति अधिक गंभीर नहीं रहेंगे। पारिवारिक वातावरण बीच बीच में उग्र बन सकता है। शांति बनाए रखें।

 

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आपका आज का दिन अत्यन्त थकान वाला रहेगा। कार्य की भरमार रहने से शारीरिक एवं मानसिक रूप से परेशान रह सकते है। कार्य क्षेत्र से आज आशा के अनुसार लाभ होने की संभावना भीं है। आकस्मिक यात्रा की भी सम्भवना बनी रहेगी। दिनचर्या में कई बदलाव करने पड़ेंगे। आपकी सामाजिक छवि निखरेगी। संध्या के समय धन लाभ अवश्य होगा। परिजनों को आज आपकी आवश्यकता पड़ेगी परन्तु घरेलु कार्यो में टालमटोल ना करें अन्यथा वातावरण ख़राब हो सकता है। संध्या के समय उत्तम भोजन सुख मिलेगा। गृहस्थ सुख आज सामान्य से कम ही रहेगा।

 

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

आज आपके सोचे कार्य प्रारंभिक गतिरोध के बाद सफल बंनेगे। व्यवसायी लोग उचित निर्णय क्षमता का लाभ अवश्य पाएंगे। नौकरी वाले जातक भी अधिकारियों के नरम व्यवहार का लाभ उठा सकते है। महिलाएं आज प्रत्येक क्षेत्र में अधिक सक्रिय एवं सफल रहेंगी। सामाजिक आयोजनों में भागीदारी की पहल करना सम्मान बढ़ायेगा। बेरोजगारों को रोजगार एवं अविवाहितो के लिए रिश्ते की बात बनने की अधिक सम्भावना है हार ना मान प्रयास जारी रखें। धन लाभ आंशिक परंतु तुरंत होगा। दाम्पत्य में थोड़े उतार-चढ़ाव के साथ शांति बनी रहेगी। सेहत सामान्य रहेगी।

 

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आज भी दिन आपकी अपेक्षाओं पर खरा उतरेगा परन्तु आकस्मिक खर्च आज अधिक रहने से परेशानी भी होगी। व्यापारी एवं नौकरी पेशा वर्ग आज अधूरे कार्य पूर्ण करने के कारण जल्दी जुट जाएंगे। लाभ की संभावना भी यथावत बनी रहेगी धन लाभ थोड़े थोड़े अंतराल पर होता रहेगा। अनैतिक कार्यो से भी लाभ होने की संभावना है परंतु सावधानी भी अपेक्षित है। धार्मिक कार्य क्रमो के प्रसंग अचानक बनेंगे धार्मिक क्षेत्र की यात्रा भी कर सकते है। स्त्री वर्ग आज आप पर हावी रहेंगी फिर भी असहजता नहीं मानेंगे। घर में शांति बनी रहेगी।

केदारनाथ में 16 जून 2013 को एक भीषण बाढ़ आई थी, जून में बारी बारिश के दौरान वहां बादल फटे थे और कहते हैं कि केदारनाथ मंदिर से 5 किलोमीटर ऊपर चौराबाड़ी ग्लेशियर के पास एक झील बन गई थी जिसके टूटने से उसका सारा पानी तेजी से नीचे आ गया था

यह बिल्कुल जल प्रलय जैसा ही दृश्य था

केदारनाथ मंदिर के मुख्य तीर्थ पुरोहित ने उस वक्त कहा था कि 16 जून को शाम करीब 8 बजे के बाद अचानक मंदिर के पीछे ऊपर वाले पहाड़ी भाग से पानी का तेज बहाव आता दिखा, इसके बाद तीर्थयात्रियों ने मंदिर में शरण ली

रातभर लोग एक-दूसरे को ढांढस बंधाते दिखे

मंदिर के चारों ओर जल प्रलय था

पानी, रेत, चट्टान, पत्थर और मिट्टी के सैलाब ने पूरी केदार घाटी के पत्ते-पत्ते को उजाड़ दिया

पहाड़ों में धंसी बड़ी-बड़ी मजबूत चट्टाने भी टूटकर पत्थर बन गई थी

सैलाब के सामने कोई नहीं टिक पाया था मंदिर पर भी खतरा मंडरा रहा था

केदारनाथ के दो साधुओं की मानें तो एक चमत्कार ने मंदिर और शिवलिंग को बचाया

गौर कीजियेगा चमत्कार

कोई विज्ञान नहीं था, विशुद्ध चमत्कार

16 जून को जब सैलाब आया तो इन दोनों साधुओं ने मंदिर के पास के एक खंबे पर चढ़कर रातभर जागकर अपनी जान बचाई थी

खंबे पर चढ़े साधुओं ने देखा कि मंदिर के पीछे के पहाड़ से बाढ़ के साथ अनुमानित 100 की स्पीड से एक विशालकाय डमरूनुमा चट्टान भी मंदिर की ओर आ रही है, लेकिन अचानक वह चट्टान मंदिर के पीछे करीब 50 फुट की दूरी पर रुक गई

ऐसा लगा मानो उसे किसे ने रोक दिया हो

उस चट्टान के कारण बाढ़ का तेज पानी दो भागों में कट गया और मंदिर के दोनों ओर से बहकर निकल गया

उस वक्त मंदिर में सैकड़ो लोग शरण लिए हुए थे, साधुओं के अनुसार उस चट्टान को मंदिर की ओर आते देख उनकी रूह कांप गई थी

उन्होंने केदार बाबा का नाम जपना शुरू कर दिया और अपनी मौत का इंतजार करने लगे थे, लेकिन बाबा का चमत्कार की उस चट्टान ने मंदिर और उसके अंदर शरण लिए लोगों को बचा लिया

कहते हैं कि उस प्रलयंकारी बाढ़ में लगभग 10 हजार लोग मारे गए थे

आज उस घटना को बीते 9 साल हो चुके हैं और वह शिला आज भी केदारनाथ के पीछे आदि गुरु शंकराचार्य की समाधी के पास स्थित है

आज इस शिला को भीम शिला कहते हैं, लोग इस शिला की पूजा करने लगे हैं

तारणहार इसी शिला ने बाढ़ त्रासदी में बाबा केदारनाथ धाम ज्योतिर्लिंग मंदिर की रक्षा की थी

आज भी इस शिला का रहस्य बरकरार है कि मंदिर की चौड़ाई के बराबर यह शिला आई कहां से और कैसे यह अचानक मंदिर के कुछ दूरी पर ही रुक गई ?

आखिर यह चमत्कार कैसे हुआ ?

शिला का प्रकट होना और अचानक रुक जाना निश्चित ही बाबा की कृपा ही कही जाएगी

आज इस शिला के चमत्कार को सभी लोग नमस्कार कर रहे हैं, क्योंकि इस शिला ने सही समय पर और सही जगह रुककर मंदिर को सुरक्षित किया था

पूरी बाढ़ के पानी तथा उसके साथ आने वाले बड़े-बड़े पत्थरों को इसी शिला ने रोककर केदारनाथ मंदिर की रक्षा की थी

डमरूनुमा भीमशिला की चौड़ाई लगभग मंदिर की चौड़ाई के बराबर है जिसने प्रलय का अभिमान चकनाचूर कर मंदिर को लेशमात्र भी क्षतिग्रस्त नहीं होने दिया

कुछ लोग कहते हैं कि सर्वप्रथम यह मंदिर पांडवों ने बनवाया था, यहीं भीम ने भगवान शंकर का पीछा किया था

प्रलय के समय ऐसा लगा जैसे भीम ने अपनी गदा गाड़कर महादेव के मंदिर को बचाया हो

संभवत: इसीलिए इस शिला को लोग भीम शिला कहने लगे हैं

खैर भोलेनाथ की महिमा तो भोलेनाथ ही जानें

पर वह संस्कृति जिसके कण कण में चमत्कार हों, जिसमें ऐसे हजारों हजार किस्से भरे पड़े हों उसमें कुछ चार किताबें पढ़े दम्भी लोग अपने ही इष्टों पर काल्पनिक व्यंग कसते हुए हर चीज को विज्ञान की कसौटी पर कसने की मूर्खता कर रहे हैं, उनके हिसाब से सनातन में चमत्कार हो ही नहीं सकता

चमत्कार उनकी नजर में केवल पाखंड है

वह भूल गए कि जहाँ विज्ञान की सीमाएं खत्म हो जाती है वहां से आगे भगवान की माया, लीलाएं और चमत्कार शुरू होते हैं

विज्ञान को जब अपनी हार दिखने लगती है तब उसके मुह से भी यही निकलता है कि “अब तो केवल कोई चमत्कार ही हमें बचा सकता है”

कुलदीपक कनु

*’मौलवियों को वेतन तो हमें क्यों नहीं?’ , दिल्ली CM केजरीवाल के आवास पर किया पुजारियों ने किया प्रदर्शन*

रामायण का अर्थ राम का यात्रा पथ

आदिकवि वाल्मीकि कृत रामायण न केवल इस अर्थ में अद्वितीय है कि यह देश-विदेश की अनेक भाषाओं के साहित्य की विभिन्न विधाओं में विरचित तीन सौ से भी अधिक मौलिक रचनाओं का उपजीव्य है, प्रत्युत इस संदर्भ में भी कि इसने भारत के अतिरिक्त अनेक देशों के नाट्य, संगीत, मूर्ति तथा चित्र कलाओं को प्रभावित किया है और कि भारतीय इतिहास के प्राचीन स्रोतों में इसके मूल को तलाशने के सारे प्रयासों की विफलता के बावजूद यह होमर कृत ‘इलियाड’ तथा ‘ओडिसी’, वर्जिल कृत ‘आइनाइड’ और दांते कृत ‘डिवाइन कॉमेडी’ की तरह संसार का एक श्रेष्ठ महाकाव्य है।

‘रामायण’ का विश्लेषित रुप ‘राम का अयन’ है जिसका अर्थ है ‘राम का यात्रा पथ’, क्योंकि अयन यात्रापथवाची है। इसकी अर्थवत्ता इस तथ्य में भी अंतर्निहित है कि यह मूलत: राम की दो विजय यात्राओं पर आधारित है जिसमें प्रथम यात्रा यदि प्रेम-संयोग, हास-परिहास तथा आनंद-उल्लास से परिपूर्ण है, तो दूसरी क्लेश, क्लांति, वियोग, व्याकुलता, विवशता और वेदना से आवृत्त। विश्व के अधिकतर विद्वान दूसरी यात्रा को ही रामकथा का मूल आधार मानते हैं। एक श्लोकी रामायण में राम वन गमन से रावण वध तक की कथा ही रुपायित हुई है।

अदौ राम तपोवनादि गमनं हत्वा मृगं कांचनम्।

वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीव संभाषणम्।

वालि निग्रहणं समुद्र तरणं लंका पुरी दास्हम्।

पाश्चाद् रावण कुंभकर्ण हननं तद्धि रामायणम्।

जीवन के त्रासद यथार्थ को रुपायित करने वाली राम कथा में सीता का अपहरण और उनकी खोज अत्यधिक रोमांचक है। रामकथा की विदेश-यात्रा के संदर्भ में सीता की खोज-यात्रा का विशेष महत्व है। वाल्मीकि रामायण के किष्किंधा कांड के चालीस से तेतालीस अध्यायों के बीच इसका विस्तृत वर्ण हुआ है जो ‘दिग्वर्णन’ के नाम से विख्यात है। इसके अंतर्गत वानर राज बालि ने विभिन्न दिशाओं में जाने वाले दूतों को अलग-अलग दिशा निर्देश दिया जिससे एशिया के समकालीन भूगोल की जानकारी मिलती है। इस दिशा में कई महत्वपूर्ण शोध हुए है जिससे वाल्मीकी द्वारा वर्णित स्थानों को विश्व के आधुनिक मानचित्र पर पहचानने का प्रयत्न किया गया है।

कपिराज सुग्रीव ने पूर्व दिशा में जाने वाले दूतों के सात राज्यों से सुशोभित यवद्वीप (जावा), सुवर्ण द्वीप (सुमात्रा) तथा रुप्यक द्वीप में यत्नपूर्वक जनकसुता को तलाशने का आदेश दिया था। इसी क्रम में यह भी कहा गया था कि यव द्वीप के आगे शिशिर नामक पर्वत है जिसका शिखर स्वर्ग को स्पर्श करता है और जिसके ऊपर देवता तथा दानव निवास करते हैं।

यनिवन्तों यव द्वीपं सप्तराज्योपशोभितम्।

सुवर्ण रुप्यक द्वीपं सुवर्णाकर मंडितम्।

जवद्वीप अतिक्रम्य शिशिरो नाम पर्वत:।

दिवं स्पृशति श्रृंगं देवदानव सेवित:।१

दक्षिण-पूर्व एशिया के इतिहास का आरंभ इसी दस्तावेती सबूत से होता है। इंडोनेशिया के बोर्नियो द्वीप में तीसरी शताब्दी को उत्तरार्ध से ही भारतीय संस्कृति की विद्यमानता के पुख्ता सबूत मिलते हैं। बोर्नियों द्वीप के एक संस्कृत शिलालेख में मूलवर्मा की प्रशस्ति उत्कीर्ण है जो इस प्रकार है-

 

श्रीमत: श्री नरेन्द्रस्य कुंडगस्य महात्मन:।

पुत्रोश्ववर्मा विख्यात: वंशकर्ता यथांशुमान्।।

तस्य पुत्रा महात्मान: तपोबलदमान्वित:।

तेषांत्रयानाम्प्रवर: तपोबलदमान्वित:।।

श्री मूलवम्र्मा राजन्द्रोयष्ट्वा वहुसुवर्णकम्।

तस्य यज्ञस्य यूपोयं द्विजेन्द्रस्सम्प्रकल्पित:।।२

 

इस शिला लेख में मूल वर्मा के पिता अश्ववर्मा तथा पितामह कुंडग का उल्लेख है। बोर्नियों में भारतीय संस्कृति और संस्कृत भाषा के स्थापित होने में भी काफी समय लगा होगा। तात्पर्य यह कि भारतवासी मूल वर्मा के राजत्वकाल से बहुत पहले उस क्षेत्र में पहुँच गये थे।

 

जावा द्वीप और उसके निकटवर्ती क्षेत्र के वर्णन के बाद द्रुतगामी शोणनद तथा काले मेघ के समान दिलाई दिखाई देने वाले समुद्र का उल्लेख हुआ है जिसमें भारी गर्जना होती रहती है। इसी समुद्र के तट पर गरुड़ की निवास भूमि शल्मलीक द्वीप है जहाँ भयंकर मानदेह नामक राक्षस रहते हैं जो सुरा समुद्र के मध्यवर्ती शैल शिखरों पर लटके रहते है। सुरा समुद्र के आगे घृत और दधि के समुद्र हैं। फिर, श्वेत आभावाले क्षीर समुद्र के दर्शन होते हैं। उस समुद्र के मध्य ॠषभ नामक श्वेत पर्वत है जिसके ऊपर सुदर्शन नामक सरोवर है। क्षीर समुद्र के बाद स्वादिष्ट जलवाला एक भयावह समुद्र है जिसके बीच एक विशाल घोड़े का मुख है जिससे आग निकलती रहती है।३

 

‘महाभारत’ में एक कथा है कि भृगुवंशी और्व ॠषि के क्रोध से जो अग्नि ज्वाला उत्पन्न हुई, उससे संसार के विनाश की संभावना थी। ऐसी स्थिति में उन्होंने उस अग्नि को समुद्र में डाल दिया। सागर में जहाँ वह अग्नि विसर्जित हुई, घोड़े की मुखाकृति (वड़वामुख) बन गयी और उससे लपटें निकलने लगीं। इसी कारण उसका नाम वड़वानल पड़ा। आधुनिक समीक्षकों की मान्यता है कि इससे प्रशांत महासागर क्षेत्र की किसी ज्वालामुखी का संकेत मिलता है। वह स्थल मलस्क्का से फिलिप्पींस जाने वाले जलमार्ग के बीच हो सकता है।४ यथार्थ यह है कि इंडोनेशिया से फिलिप्पींस द्वीप समूहों के बीच अक्सर ज्वालामुखी के विस्फोट होते रहते हैं जिसके अनेक ऐतिहासिक प्रमाण हैं। दधि, धृत और सुरा समुद्र का संबंध श्वेत आभा वाले क्षीर सागर की तरह जल के रंगों के संकेतक प्रतीत होते हैं।

बड़वामुख से तेरह योजना उत्तर जातरुप नामक सोने का पहाड़ है जहाँ पृथ्वी को धारण करने वाले शेष नाग बैठे दिखाई पड़ते हैं। उस पर्वत के ऊपर ताड़ के चिन्हों वाला सुवर्ण ध्वज फहराता रहता है। यही ताल ध्वज पूर्व दिशा की सीमा है। उसके बाद सुवर्णमय उदय पर्वत है जिसके शिखर का नाम सौमनस है। सूर्य उत्तर से घूमकर जम्बू द्वीप की परिक्रमा करते हुए जब सैमनस पर स्थित होते हैं, तब इस क्षेत्र में स्पष्टता से उनके दर्शन होते हैं। सौमनस सूर्य के समान प्रकाशमान दृष्टिगत होते हैं। उस पर्वत के आगे का क्षेत्र अज्ञात है।५

 

जातरुप का अर्थ सोना होता है। ऐसा अनुमान किया जाता है कि जातरुप पर्वत का संबंध प्रशांत महासागर के पार मैक्सिको के स्वर्ण-उत्पादक पर्वतों से हो सकता है। मक्षिका का अर्थ सोना होता है। मैक्सिको शब्द मक्षिका से ही विकसित माना गया है। यह भी संभव है कि मैक्सिको की उत्पत्ति सोने के खान में काम करने वाली आदिम जाति मैक्सिका से हुई है।६ मैक्सिको में एशियाई संस्कृति के प्राचीन

अवशेष मिलने से इस अवधारणा से पुष्टि होती है।

 

बालखिल्य ॠषियों का उल्लेख विष्णु-पुराण और रघुवंश में हुआ है जहाँ उनकी संख्या साठ हज़ार और आकृति अँगूठे से भी छोटी बतायी गयी है। कहा गया है कि वे सभी सूर्य के रथ के घोड़े हैं। इससे अनुमान किया जाता है कि यहाँ सूर्य की असंख्य किरणों का ही मानवीकरण हुआ है।७ उदय पर्वत का सौमनस नामक सुवर्णमय शिखर और प्रकाशपुंज के रुप में बालखिल्य ॠषियों के वर्णन से ऐसा प्रतीत होता है कि इस स्थल पर प्रशांत महासागर में सूर्योदय के भव्य दृश्य का ही भावमय एवं अतिरंजित चित्रण हुआ है।

 

वाल्मीकि रामायण में पूर्व दिशा में जाने वाले दूतों के दिशा निर्देशन की तरह दक्षिण, पश्चिम और उत्तर दिशा में जाने वाले दूतों को भी मार्ग का निर्देश दिया गया है। इसी क्रम में उत्तर में ध्रुव प्रदेश, दक्षिण में लंका के दक्षिण के हिंद महासागरीय क्षेत्र और पश्चिम में अटलांटिक तक की भू-आकृतियों का काव्यमय चित्रण हुआ है जिससे समकालीन एशिया महादेश के भूगोल की जानकारी मिलती है। इस संदर्भ में उत्तर-ध्रुव प्रदेश का एक मनोरंजक चित्र उल्लेखनीय है।

 

बैखानस सरोवर के आगे न तो सूर्य तथा न चंद्रमा दिखाई पड़ते हैं और न नक्षत्र तथा मेघमाला ही। उस प्रदेश के बाद शैलोदा नामक नदी है जिसके तट पर वंशी की ध्वनि करने वाले कीचक नामक बाँस मिलते हैं। उन्हीं बाँसों का बेरा बनाकर लोग शैलोदा को पारकर उत्तर-कुरु जाते है जहाँ सिद्ध पुरुष निवास करते हैं। उत्तर-कुरु के बाद समुद्र है जिसके मध्य भाग में सोमगिरि का सुवर्गमय शिखर दिखाई पड़ता है। वह क्षेत्र सूर्य से रहित है, फिर भी वह सोमगिरि के प्रभा से सदा प्रभावित होता रहता है।८ ऐसा मालूम पड़ता है कि यहाँ उत्तरीध्रुव प्रदेश का वर्णन हुआ है जहाँ छह महीनों तक सूर्य दिखाई नहीं पड़ता और छह महीनों तक क्षितिज के छोड़पर उसके दर्शन भी होते हैं, तो वह अल्पकाल के बाद ही आँखों से ओझल हो जाता है। ऐसी स्थिति में सूर्य की प्रभा से उद्भासित सोमगिरि के हिमशिखर निश्चय ही सुवर्णमय दीखते होंगे। अंतत: यह भी यथार्थ है कि सूर्य से रहित होने पर भी उत्तर-ध्रुव पूरी तरह अंधकारमय नहीं है।

 

सतु देशो विसूर्योऽपि तस्य मासा प्रकाशते।

सूर्य लक्ष्याभिविज्ञेयस्तपतेव विवास्वता।९

 

राम कथा की विदेश-यात्रा के संदर्भ में वाल्मीकि रामायण का दिग्वर्णन इस अर्थ में प्रासंगिक है कि कालांतर में यह कथा उन स्थलों पर पहुँच ही नहीं गयी, बल्कि फलती-फूलती भी रही। बर्मा, थाईलैंड, कंपूचिया, लाओस, वियतनाम, मलयेशिया, इंडोनेशिया, फिलिपींस, तिब्बत, चीन, जापान, मंगोलिया, तुर्किस्तान, श्रीलंका और नेपाल की प्राचीन भाषाओं में राम कथा पर आधारित बहुत सारी साहित्यिक कृतियाँ है। अनेक देशों में यह कथा शिलाचित्रों की विशाल श्रृखलाओं में मौजूद हैं। इनके शिलालेखी प्रमाण भी मिलते है। अनेक देशों में प्राचीन काल से ही रामलीला का प्रचलन है। कुछ देशों में रामायण के घटना स्थलों का स्थानीकरण भी हुआ है।

क्रमशः…..

सन्दर्भ: –

१.वाल्मीकि रामायण, ४.४०, ३०-३१

२. Chatterjee, B.R., History of Indonesia, P.123

३. वाल्मीकि रामायण, ४.४०, ३३-४९

४. Das, N.C., Notes on Ancient Geography of Asia compiled from Valmiki Ramayan, P.71

५. वाल्मीकि रामायण, ४०-४०, ५०-६०

६. Das, N.C., op. cit. P.78

7. Das, N.C., op. cit. P.79

८. वाल्मीकि रामायण, ४.४३, ३५-५४

९. वाल्मीकि रामायण, ४-४३.५५ साभार 

जो लोग शरीर का अभिन्न अंग पैर, चरण यह चाहे ईश्वर के हों माता पिता के हों, गुरु के हो या किसी बड़े बुजुर्ग इंसान के हो जिन्हें हम शरीर में शूद्र मतलब (सेवक) अंग मानते है चरण हमारे हिंदू सनातन धर्म के अनुसार पूजनीय हैं सम्मान के पात्र है हम हमेशा अपने शीश को चरणों में झुकाते हैं चरणों की वंदना करते हैं इसी प्रकार हमारे हिंदू सनातन धर्म में शूद्र का अर्थ शुद्ध चित वाला कहा गया है। और प्रत्येक व्यक्ति के बचपन को शुद्र कहा गया है जन्मनात जायते शुद्र :  यदि हम सनातनी हिंदू होकर शुद्र (सेवक) इंसान या शूद्र (सेवक) समाज का अपमान अनादर करते हैं छुआछूत घृणा या नफरत करते हैं तो यह हमारे सनातन हिंदू धर्म के विरुद्ध हैं अखंडता को तोड़ने वाला हैं। 

🚩 जय श्री राम🚩