आज का पंचाग आपका राशि फल, वेद शास्त्र सार्वभौमिक सार्वकालिक लोकमंगलकारी अपरिवर्तनीय विज्ञान हैं इसलिए इनमें संशोधन या छेड़छाड़ अमंगलकारी होगा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कहा हम तीसरे कार्यकाल में भारत को विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने जा रहे हैं और रक्षा मंत्री ने कारगिल में कहा अपने गौरव के लिए सीमा पार भी करेंगे

🕉श्री भगवान रूद्रनाथ जी का श्रृंगार दर्शन🕉  

🌄सुप्रभातम🌄

🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓

🌻शुक्रवार, २८ जुलाई २०२३🌻

सूर्योदय: 🌄 ०५:५३

सूर्यास्त: 🌅 ०७:१३

चन्द्रोदय: 🌝 १५:०५

चन्द्रास्त: 🌜०१:२४

अयन 🌖 दक्षिणायणे (उत्तरगोलीय)

ऋतु: ⛈️ वर्षा 

शक सम्वत: 👉 १९४५ (शोभकृत)

विक्रम सम्वत: 👉 २०८० (नल)

मास 👉 श्रावण (प्रथम, अधिक)

पक्ष 👉 शुक्ल 

तिथि 👉 दशमी (१४:५१ से एकादशी)

नक्षत्र 👉 अनुराधा (००:५५ से ज्येष्ठा)

योग 👉 शुक्ल (११:५७ से ब्रह्म)

प्रथम करण 👉 गर (१४:५१ तक)

द्वितीय करण 👉 वणिज (०२:०४ तक)

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॥ गोचर ग्रहा: ॥ 

🌖🌗🌖🌗

सूर्य 🌟 कर्क 

चंद्र 🌟 वृश्चिक

मंगल 🌟 सिंह (उदित, पश्चिम, मार्गी)

बुध 🌟 सिंह (उदय, पश्चिम, मार्गी)

गुरु 🌟 मेष (उदित, पश्चिम, मार्गी)

शुक्र 🌟 सिंह (उदित, पश्चिम)

शनि 🌟 कुम्भ (उदित, पूर्व, वक्री)

राहु 🌟 मेष 

केतु 🌟 तुला 

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शुभाशुभ मुहूर्त विचार

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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:५६ से १२:५१

अमृत काल 👉 १४:४५ से १६:१९

सर्वार्थसिद्धि योग 👉 ०५:३३ से ००:५५

रवियोग 👉 ०५:३३ से ००:५५

विजय मुहूर्त 👉 १४:४० से १५:३५

गोधूलि मुहूर्त 👉 १९:१३ से १९:३४

सायाह्न सन्ध्या 👉 १९:१३ से २०:१५

निशिता मुहूर्त 👉 ००:०३ से ००:४४

राहुकाल 👉 १०:४१ से १२:२३

राहुवास 👉 दक्षिण-पूर्व

यमगण्ड 👉 १५:४८ से १७:३१

होमाहुति 👉 शनि

दिशाशूल 👉 पश्चिम

नक्षत्र शूल 👉 पूर्व (००:५५ से) 

अग्निवास 👉 आकाश 

भद्रावास 👉 स्वर्ग (०२:०४ से) 

चन्द्रवास 👉 उत्तर

शिववास 👉 सभा में (१४:५१ से क्रीड़ा में)

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☄चौघड़िया विचार☄

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॥ दिन का चौघड़िया ॥ 

१ – चर २ – लाभ

३ – अमृत ४ – काल

५ – शुभ ६ – रोग

७ – उद्वेग ८ – चर

॥रात्रि का चौघड़िया॥ 

१ – रोग २ – काल

३ – लाभ ४ – उद्वेग

५ – शुभ ६ – अमृत

७ – चर ८ – रोग

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। 

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शुभ यात्रा दिशा

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उत्तर-पश्चिम (दहीलस्सी अथवा राई का सेवन कर यात्रा करें)

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तिथि विशेष

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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण 

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आज ००:५५ तक जन्मे शिशुओ का नाम अनुराधा नक्षत्र के द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (नी, नू, ने) नामक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम ज्येष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण अनुसार क्रमशः (नो) नामक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।

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उदय-लग्न मुहूर्त

कर्क – ०४:४७ से ०७:०८

सिंह – ०७:०८ से ०९:२७

कन्या – ०९:२७ से ११:४५

तुला – ११:४५ से १४:०६

वृश्चिक – १४:०६ से १६:२५

धनु – १६:२५ से १८:२९

मकर – १८:२९ से २०:१०

कुम्भ – २०:१० से २१:३६

मीन – २१:३६ से २२:५९

मेष – २२:५९ से ००:३३

वृषभ – ००:३३ से ०२:२८

मिथुन – ०२:२८ से ०४:४३

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पञ्चक रहित मुहूर्त

मृत्यु पञ्चक – ०५:३३ से ०७:०८

अग्नि पञ्चक – ०७:०८ से ०९:२७

शुभ मुहूर्त – ०९:२७ से ११:४५

रज पञ्चक – ११:४५ से १४:०६

शुभ मुहूर्त – १४:०६ से १४:५१

चोर पञ्चक – १४:५१ से १६:२५

शुभ मुहूर्त – १६:२५ से १८:२९

रोग पञ्चक – १८:२९ से २०:१०

शुभ मुहूर्त – २०:१० से २१:३६

मृत्यु पञ्चक – २१:३६ से २२:५९

रोग पञ्चक – २२:५९ से ००:३३

शुभ मुहूर्त – ००:३३ से ००:५५

मृत्यु पञ्चक – ००:५५ से ०२:२८

अग्नि पञ्चक – ०२:२८ से ०४:४३

शुभ मुहूर्त – ०४:४३ से ०५:३४

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आज का राशिफल

🐐🐂💏💮🐅👩

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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आपका आज का दिन अशुभ फलदायी रहेगा। आज के दिन आपको आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। आकस्मिक खर्च होने से धन की कमी रहेगी जिससे पहले से बनी योजनाएं खटाई में पड़ सकती है। व्यवसायिक यात्रा में धन खर्च होने पर भी परिणाम नगण्य रहेंगे। परिश्रम का फल ना मिलने पर क्रोध बढेगा जो परिवार में अशांति का कारण बनेगा। संतानों से मदभेद रहेंगे। आज किसी विपरीत लिंगीय व्यक्ति में अधिक आसक्ति दिखाने से सामाजिक मान हानि होने की संभावना है। घर का वातावरण भी आपकी गलतियों के कारण दूषित होगा। संयमित व्यवहार रखने एवं वाणी से मौन धारण करने पर कई बड़ी मुश्किलों से बचेंगे। प्रेम प्यार में धोखा हो सकता है सावधान रहे। मध्यान के बाद स्वास्थ्य भी नरम रहेगा। आकस्मिक धन लाभ किसी भी समय हो सकता है सतर्क रहें।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

आज का दिन शुभफली रहेगा। आप में स्वार्थ सिद्धि की भावना प्रबल रहेगी आज दिमाग में केवल पैसा ही रहेगा सामाजिक स्तर पर भी आपकी पहचान धनवानों जैसी रहेगी। कार्य क्षेत्र अथवा पारिवारिक बड़े लोगो से अपना काम बनाने के लिए दिखावे का गुस्सा करेंगे। वाणी में मिठास रहने से कार्य शीघ्र बन जाएंगे मध्यान से व्यावसायिक गतिविधियों में अत्यधिक व्यस्त रहेंगे। घरेलु कार्य भी इस कारण स्थगित करने पड़ सकते है। कार्य क्षेत्र के कारण भावनाओ को दरकिनार करेंगे जिससे परिवार में वातावरण अशान्त हो सकता है। अनुभवियों से नए कार्य करने की प्रेरणा मिलेगी। विद्यार्थ एवं नौकरी पेशा जातक बेहतर प्रदर्शन करने पर सम्मान के पात्र बनेंगे। समाज के वरिष्ठ व्यक्तियों से भेंट आनंदित करेगी। सेहत छोटी मोटी बातो को छोड़ सामान्य बनी रहेगी।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आज आप योजना बना कर कार्य करेंगे फिर भी सफलता की संभावना संदिग्ध ही रहेगी। परिजन आपकी कार्य प्रणाली से परेशान रहेंगे। कलात्मकता लाने के प्रयास भी लाभ नहीं करा पाएंगे। आप किसी नए सहयोगी की तलाश में रहेंगे। कार्य व्यवसाय में आज मंदी रहने पर भी लाभ के अवसर मिलेंगे परन्तु आप इनका फायदा नहीं उठा पाएंगे। व्यवहार में तल्खी रहने से लोग दूरी बनाएंगे। अधिक कंजूसी प्रवृति रहने से कार्य क्षेत्र पर अकेले ही परेशानी सहनी पड़ेगी। बेरोजगारों को रोजगार मिलने की संभावना है परंतु मन चाहा रोजगार पाने के लिए अभी थोड़ा और संघर्ष करना पड़ेगा। मित्र-परिजनों के साथ हास्य-परिहास के वातावरण मिलने से थोड़ी मानसिक शांति मिलेगी। दिमाग को शांत रखने का प्रयास करें।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आज का दिन बीते दिनों की अपेक्षा राहत भरा रहेगा। पिछली गलतियों से सीख लेकर आज संयम बरतेंगे फिर भी महत्त्वपूर्ण कार्यो में असफलता मिलने से मानसिक रूप से अशान्त रहेंगे काम चलाने लायक धन लाभ हो जाएगा परंतु इससे आपको संतोष नहीं होगा। दोपहर बाद पुराने कार्यो में सफल होने से आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होगी। सामाजिक – धार्मिक आयोजनों में सम्मिलित होंगे मान-सम्मान की प्राप्ति होगी। रिश्तेदारी अथवा घर में खर्च करना पड़ेगा। पैतृक मामलो को लेकर आज भी थोड़ा चिंतित रह सकते है परिजनों अथवा ख़ास लोगो से धन अथवा अन्य कारणों से विवाद हो सकता है। परिजनों के विपरीत व्यवहार से परेशानी होगी। संध्या का समय थोड़ा राहत देने वाला रहेगा। बाहर घूमने फिरने के अवसर मिलेंगे जिससे मन हल्का होगा।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

आज परिस्थितियां आपके विपरीत रहने वाली है प्रत्येक कार्य सोच समझ कर करें। व्यवहारिक जगत में भी आज विवेक का परिचय दें। अधिक बोलने से बेहतर है कि मौन धारण करें कई समस्याओं से बचेंगे। आलस्य थकान के कारण कार्य प्रभावित हो सकते है ठण्ड से बचकर रहें सर्दी के कारण पीड़ा हो सकती है आज आपको अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ सकते है। घर में भी किसी बुजुर्ग की सेहत पर खर्च रहेगा। आर्थिक रूप से आज का दिन काफी दयनीय रहने वाला है। कार्य क्षेत्र पर धन की आमद होगी परन्तु लेन-देन अधिक रहने से बचत मुश्किल से ही कर पाएंगे। 

यात्रा में शरीर के साथ सामान की भी सुरक्षा सुनिश्चित करें। स्त्री वर्ग से शारीरिक एवं आर्थिक सहयोग मिलेगा। चिढचिढा स्वभाव वातावरण अशान्त कर सकता है।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आज के दिन का पहला भाग आनंद से व्यतीत करेंगे सुख के लगभग सभी साधन उपलब्ध होंगे लेकिन आलस्य अधिक रहने से लापरवाही बढ़ेगी। मध्यान से स्थिति में परिवर्तन आने लगेगा। शारीरिक परेशानियां बनने से कार्य में व्यवधान आ सकता है। ना चाहकर भी मेहनत करनी पड़ेगी लेकिन परिश्रम के बाद भी परिणाम शून्य रहेगा। लोगो से आपकी बात की विपरीत प्रतिक्रिया मिलने पर मन में नकारात्मकता बढ़ेगी। दुर्व्यसनों पर खर्च होगा। धन लाभ के लिए प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। मध्यान बाद सभी तरह से सावधानी बरतें। सरकारी अथवा अन्य महत्त्वपूर्ण कार्यो को आज टालना ही बेहतर रहेगा। धन खर्च करने पर भी अधिकतर कार्य अधूरे ही रहेंगे। परिजनों के साथ भी आज संबंधो में रुखापन रहेगा। धन लाभ मुश्किल से होगा। जोखिम वाले कार्य ना करें।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आज के दिन कभी ख़ुशी तो कभी निराशा मिलने से मन ठोस निर्णय लेने की स्थिति में नहीं रहेगा। बेहतर रहेगा की मध्यान तक कोई जोखिम का कार्य हाथ में ना लें।दोपहर बाद कई दिनों से रुके सरकारी महत्त्वपूर्ण कार्य बनने से धन की बचत के साथ ही भविष्य में लाभ के संकेत मिलेंगे। पैतृक व्यवसाय में उन्नति होगी। कार्यो में अवरोध नहीं रहने से धन की आमद रुक रुक कर सीमित मात्रा में होती रहेगी लेकिन आज संतोष कम ही होगा। स्वार्थ सिद्धि की भावना आज प्रबल रहेगी फिर भी पराये कार्यो में बिना बात टांग फ़साने से भी अपना समय बर्बाद करेंगे लेकिन पीठ पीछे आलोचना ही मिलेगी। नौकर वर्ग से परेशानी होगी। घर में मौन धारण करने से शांति रहेगी। धार्मिक गतिविधियों में आज मन होते हुए भी नहीं जा पाने की ग्लानि रहेगी। संध्या के समय मौज-शौक पर पैसा लुटाएंगे। 

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

आज का दिन शुभ फलदायी रहेगा। सेहत सामान्य रहेगी। कार्यो को आप लाभ-हानि की परवाह किये बिना अपनी ही मस्ती में करेंगे जिससे बाद में कोई गलती उभरेगी। स्वभाव में जल्दबाजी रहने के कारण अधिकांश कार्य समय से पहले पूर्ण कर लेंगे। नौकरी वाले लोग आज अधिकारी वर्ग से विशेष प्रयोजन सिद्ध कर पाएंगे। सरकारी कार्य भी थोड़े बौद्धिक श्रम से बना लेंगे। परिजनों के साथ संबंधों में निकटता रहेगी लेकिन व्यक्तिगत निर्णय में किसी का हस्तक्षेप करने से विवाद पर भी उतर सकते है। प्रेम प्रसंगों में आपके गलत निर्णय के कारण हानि होगी अनैतिक गतिविधि से दूरी बनाए रखें अन्यथा पारिवारिक सुख शांति बिगड़ सकती है। धन लाभ से खर्च ज्यादा रहेगा।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आज का दिन आपकी आशाओं के विपरीत रहने से बनी बनाई योजनाएं अधर में लटक सकती है। आर्थिक हानि होने की सम्भवना है। आपकी प्रशंशा करने वाले पीठ पीछे आलोचना करेंगे परन्तु इससे उदास ना हों अपने कार्य में निष्ठा से लगे रहे स्थिति सुधरने में अभी वक्त लगेगा। स्वास्थ्य भी विपरीत रहने से उत्साहहीनता रहेगी। कार्य क्षेत्र पर आर्थिक कारणों से किसी से झड़प हो सकती है। व्यवहार को संतुलित बनाये रखें अन्यथा भविष्य में होंने वाले लाभ से भी वंचित रहना पड़ेगा। परिवार में आज अहम् को लेकर किसी से टकराव भी हो सकता है वाणी अथवा व्यवहार से किसी को ठेस ना पहुंचे इसका ध्यान रखें। आध्यत्म से जुड़ें मानसिक शान्ति मिलेगी।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आज के दिन आपकी सोच के विपरीत घटनाएं घटने से आश्चर्यचकित रहेंगे। आकस्मिक लाभ होने की संभावना है

परन्तु सहकर्मियों का कम सहयोग मिलने से थोड़ी असुविधा भी होगी। पूर्व में सोची गयी योजनाएं आज फलीभूत होंगी। आप अपने बल पर किसी महत्त्वपूर्ण कार्यो को पूर्ण करेंगे जिससे प्रतिष्ठा बढ़ेगी। धार्मिक एवं सामाजिक क्षेत्र के लिये भी समय निकालेंगे। समाज के प्रतिष्ठित लोगो से जान पहचान बढ़ेगी। घरेलु आवश्यकताओ की पूर्ति पर अधिक खर्च करेंगे। मनोरंजन के लिए पर्यटन पर भी जाने के अवसर आएंगे। विपरीत लिंगीय सुख मिलेगा लेकिन किसी के ऊपर अनैतिक दबाव न बनाये अन्यथा सम्मान बढ़ने की जगह घट भी सकता है। सर्दी अथवा जोड़ो में दर्द की शिकायत रहेगी। उपहार मिलेंगे। 

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

आज का दिन आप सुख-शांति से व्यतीत करेंगे। शारीरिक रूप से छोटी-मोटी परेशानियों को छोड़ स्वस्थ रहेंगे। कार्य व्यवसाय में सुधार होने और परिजनों का सहयोग मिलने पर आकस्मिक लाभ कमा सकेंगे। परिजनों की इच्छा पूर्ती करने से संबंधो में मधुरता बढ़ेगी आपकी भी किसी मनोकामना की पूर्ति होने की संभावना है। धन लाभ के लिए थोड़ा इन्तजार करना पड़ेगा परन्तु निराश नहीं होंगे। आपका मधुर व्यवहार सामाजिक क्षेत्र पर भी प्रसिद्धि दिलाएगा। धन लाभ की प्रबल योग है परंतु गलत जगह निवेश भी हो सकता है। परिजन-मित्रो के साथ उत्तम भोजन वाहन सुख मिलेगा। संध्या का समय प्रेम-प्यार के लिए भी यादगार रहेगा। खर्च लगे रहेंगे।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आज का दिन भी आप आराम से बितायेंगे। सेहत लगभग सामान्य ही रहेगी थोड़ी पेट सम्बंधित समस्या रह सकती है। कामो की भरमार रहने से थोड़ी असमंजस की स्थिति भी बनेगी परन्तु मध्यान तक सभी बोझ स्वतः ही उतरने लगेगा। मध्यान के बाद का समय चुनौती से भरा रहेगा। कार्य क्षेत्र पर प्रतिस्पर्धा रहने से मन में उच्चाटन आएगा आपका मन अलग-अलग जगह भटकने के बाद भी मध्यान तक निर्वाह योग्य धन लाभ हो जाएगा। आज सामाजिक कार्यो में रुचि लेंगे लेकिन अपने काम से काम रखे तो अधिक लाभ भी बना पाएंगे। गृहस्थ जीवन में आनंद बना रहेगा। सन्ध्या बाद कार्यो को छोड़ आराम करने का मन करेगा। घरेलु कार्यो में लापरवाही के कारण झगडे होने की संभावना है। 

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वेदप्रणिहितो धर्मो ह्यधर्मस्तद्विपर्ययः।
वेदो नारायणः साक्षात्स्वयम्भूरितिशुश्रुम॥

(श्रीमद्भागवतपुराण – ६/१/४०)

वेदों में बताए गए कर्म धर्म हैं और उनके द्वारा मना किए गए कर्म अधर्म हैं। वेद स्वयं श्री नारायण हैं, जो नारायण के उच्छ्वास से उत्पन्न हुए हैं।

जैसा कि समाज के विद्वतजन जानते है कि महर्षि अंगिरा जी ने अथर्ववेद को संहिता वद्ध किया । अंगिरा के वंशज ही विश्वकर्मा कहलाये। प्राचीन युग मे विश्वकर्मा को ही ब्रह्मा की उपाधि दी जाती थी।

यजु: अध्याय 17 मन्त्र 23 व 24 मे लिखा है –

“वाचस्पति विश्वकर्माणमुते मनो जुयं वाजे अधा हुवेम”

अर्थात विश्वकर्मा जी वेदवाणी के रक्षक (रचिता) और चारों वेदो के ज्ञाता थे वे सब कार्यों मे श्रेष्ठ तथा विद्वान थे|

” विश्वकर्मा हविषा वर्द्देनेन”

अर्थात विश्वकर्मा वंशी अपने उत्तम कार्यों को सैदेव प्रजा के हित के लिए करते रहें।

भिन्नाभिन्नं ह्यनिर्वाच्यं बन्धसंसारकारकं ।
एकं स ब्रह्म विज्ञानात् प्राप्तं नैव च कर्मभिः ।।

(अग्निपुराण/अध्याय-३७७, श्लोक – १७)

अर्थात – यह (ब्रह्म) भिन्न एवं अनिर्वचनीय है तथा यह (ब्रह्म) बंधन (संसार) का कारण है। वह एक ब्रह्म मात्र कर्म से नहीं अपितु, विज्ञान(ज्ञान) से प्राप्त होता है।

ब्रह्म विद्या ब्रह्म ज्ञान (ब्रह्मा को जानने वाला) जो की चारो वेदों में प्रमाणित है जो वैदिक गुरुकुलों में शिक्षा दी जाती थी, जिसे अग्नि विद्या या लौह विज्ञान (धातु कर्म) कहते हैं, ये वेदों में सर्वश्रेष्ठ ब्रह्मकर्म ब्रह्मज्ञान है पृथ्वी के गर्भ से लौह निकालना और उसका चयन करना की किस लोहे से, या किस लोहे के स्वरूप से, सुई से लेकर हवाई जहाज, युद्ध पोत जलयान, थलयान, इलेक्ट्रिक उपकरण , इलेक्ट्रॉनिक उपकरण , रक्षा करने के आधुनिक हथियार , कृषि के आधुनिक उपकरण , आधुनिक सीएनसी मशीन, सिविल इन्फ्रास्ट्रक्चर सब (metallergy) अग्नि विद्या ऊर्फ लोहा विज्ञान की देन है हमारे वैदिक ऋषि सब वैज्ञानिक कार्य करते थे वेदों में इन्हीं विश्वकर्मा शिल्पियों को ब्राह्मण की उपाधि मिली है जो वेद ज्ञान विज्ञान से ही संभव है चमत्कारों से नहीं वेद ज्ञान विज्ञान से राष्ट्र निर्माण होता है, इसी को विज्ञान कहा गया है बिना शिल्प विज्ञान के हम सृष्टि विज्ञान की कल्पना भी नहीं कर सकते इसलिए सभी विज्ञानिंक कार्य शिल्प विधा से निर्मित सुख साधनों से संभव है बिना संस्कार, संस्कृति संसाधनों के मानव जीवन पशु समान है इसलिए वैदिक शिल्पी विश्वकर्मा ऋषियों द्वारा भारत की सनातन संस्कृति विश्वगुरु कहलाई
भगवान (विश्वकर्मा शिल्पी ब्राह्मणों) ने अपने रचनात्मक कार्यों से इस ब्रह्मांड का प्रसार किया है। जो सभी वैदिक ग्रंथों में प्रमाणित हैं। 

पाँचाल ब्राह्मण – पंचदेव

पुजा पद्धतियो में पंचदेव पुजा का विधान होता है वह पंचदेव कोई और नही भगवान विश्वकर्मा का ही पंचरुप है इसका कई शास्त्रौं मे प्रमाण है पंचदेव अर्थात ब्रह्मा, विष्णु, महेश, सुर्य और गणेश किसी जगह ब्रह्मा के बदले माता शक्ति को समावेश किया है उस परब्रह्म परमात्मा विश्वकर्मा निराकार होने से साकार रुप में पंचब्रह्म दिया है इस संसार को जिसे कई नामों से पुकारा गया है जैसे सानग , सनातन, अहभुन, प्रत्न और सुपर्ण है उसको दुसरा नाम मनु, मय, त्वस्टा, शिल्पी और दैवज्ञ कहे जाते है इन्ही के रुप मे वर्णन किया है मनु को शिव स्वरुप मय को विष्णु स्वरुप त्वष्टा को ब्रह्म स्वरुप , शिल्पी को सुर्य स्वरुप दैवज्ञ को गणेश या ईन्द्र ऐस्वर्य स्वरुप आदि आदि है इन्ही समझना भी परमात्मा को भक्ती के बराबर है ।

ॐ पंच देवता उत्पत्ति

तैत्तिरीय श्रुति पंच ब्रह्मोपनिषद वाक्य

ॐविश्वस्रष्टा विश्वभर्ता विश्वशांतिक:।
जीवता भुवनांन सिद्धानां किन्नराणांय: पुराणश्च।।

ॐ ब्रह्मा, विष्णु, रुद सतमखादयो देवा जायन्ते।
विश्वेदेवा वसव: पितरा गंधर्वा रमे सर्वे।।

ॐ लोकश्चेति विश्वकर्मण: व्योमान्मारुत:।
मारुताद्वैश्वनर: वैश्वनराज्जलम।।

ॐ जलाद्भूमि: भूम्यां ओषधय:। औषधौम्योबीजानि, बीजेभ्यो खिल सस्यानि।।

ॐ सस्योद्भव: धान्यम् धान्येभ्योन्नंभवति।
अन्नादेवरस: तद्रसेन जंतूनासर्वेषांरेत:।।

ॐ शुक्ल शोणित रूपमेवाह, तस्मात्पिंड: समुत्पन्न:।
समुत्पन्नानि स्थावर जंगम रूपाणि।।

ॐ जाता न्यनेकानि पिंड ब्रह्माण्डानि इति विश्वकर्मण भूतानि।
विश्वकर्मणा वृद्धानि नेनैवाह प्रतिष्ठनि।।

ॐ पंच मुखेभ्य: पंच ऋषों मनु: प्रथम मयोद्वितीय:।
त्वष्टा तृतीय: शिल्पी चतुर्थ: विश्वज्ञ: पंचम इति।।

ॐ सेएवार्को बिधीयते, सानग,सनातनोSहभून:प्रत्न:सुपर्णश्चेति।
इत्तेच सर्वे गोत्र पुरुष: प्राकृतेष्वाद्या ईश्वरो विश्वकर्ता आहुति:।।

ॐ कश्यपाsन्निस्ताभ्यां सूर्य चन्द्रादयो जयाते गविद्य:।
कुंभिसूत्रा: स्थलजा: जलजा: कीटका: चतुर्विध:।।

ॐ प्रकृतय:प्रजाता: वेदविद्या: साख्यादयोपि कर्मज्ञान बोधिका:।
निगमागमाश्च सर्वं विश्वं निर्मितम् स विश्वकर्मा पर ब्रह्मेत्युनिषदा।।

अर्थात- ब्रह्मा संपूर्ण जगत के उत्पन्न करने वाले पिता हैं ।
उन्हीं से समस्त सृष्टि उत्पन्न हुई है समस्त लोक के जीव सिद्ध किन्नर गंधर्व आदि सब के पालन करने वाले पुराण पुरुष श्री विष्णु जी है। विराट रूप ॐ प्रणव रूप श्री विश्वकर्मा रूप में सर्वत्र व्यापक हैं
जिनसे ब्रह्मा रुद्र विष्णु ऋषि मुनि यज्ञ आदि और देवता इत्यादि उत्पन्न हुए हैं । विश्वदेवता, आठो बसु ,पिता, गंधर्व संपूर्ण लोक सर्व श्री भगवान विश्वकर्मा जी से उत्पन्न हुआ है।
आकाश से वायु वायु वैश्वानर उससे जल, जल से भूमि ,भूमि से औषधि,औ औषधि से बीजो की प्राप्ति हुई है।बीज से घास ,घास से धान्य अंन से रस,रस से सब जीवो के वीर्य, वीर से शोणित इत्यादि प्रवाह पाते हैं।
वीर्य से पिंड (मनुष्य) तथा स्थावर जंगम सब उस वीर्य से ही उत्पन्न हुए हैं। इसी तरह अनेक पिंड इस ब्रह्मांड से श्री विश्वकर्मा परमेश्वर के प्रकाश से उत्पन्न हुए हैं।
इन सबों के आदि उत्पन्नकर्ता श्री विश्वकर्मा भगवान है। कश्यप, अत्रि ,सूर्य, चंद्र (गाय वगैरह) कुम्भिसूत्र (मनुष्य) वृक्ष, लता, जलज ,मछली ,कच्छ इत्यादि कीड़े मकोड़े यह चार प्रकार की सृष्टि वेद, विद्या ,ज्ञान देने वाले कर्म निगमागम श्रुति संपूर्ण ब्रह्माण्ड श्री भगवान विश्वकर्मा जी से उत्पन्न हुआ है ।
जो कोई इस उपनिषद वाक्य को विश्वास के साथ पाठ करेगा उसके संपूर्ण पापों का नाश हो जाएगा

प्रमाण जो वेदों के अनुकूल है यही वेदों में भी प्रमाणित है। 

विराट विश्वकर्मा परब्रह्म को भगवान राम के कुलगुरु महर्षि वशिष्ठ ने परब्रह्म से सम्बोधित किया है वो श्लोक इसप्रकार है;

विश्वकर्मा परब्रह्म जगधारमूलकः ।
तन्मुखानी तुवै पंच पंच ब्रह्मेत्युदाह्तम ।।

(वशिष्ठ पुराण, कांड-3, अध्याय-6, मंत्र-11)

अर्थ – परब्रह्म श्री विश्वकर्मा सम्पूर्ण जगत के मूल आधार है। उनके पाँचों मुखों से पंचब्रह्माओ की उत्पत्ति हुई है जो मनुब्रह्मा (शिवशंकर) मयबह्मा (विष्णु) त्वस्टाब्रह्मा (ब्रह्मा), शिल्पीब्रह्मा (इन्द्र), दैवज्ञब्रह्मा (सूर्य) । इन्हीं पांचाल पंचब्रह्माओ से ही पंचऋषि गोत्र का भी उदय होता है जो प्रकार है; सानग ऋषि, सनातन ऋषि, अहभून ऋषि, प्रयत्न ऋषि और दैवज्ञ ऋषि। (ये पंचऋषि पांचाल वेद शास्त्रों के साथ साथ ज्ञान, विज्ञान, तंत्र, मंत्र और यंत्र के ज्ञाता थे। इसके माध्यम से सृष्टि के निर्माण को अपने सर्वोच्च आयाम पर स्थापित किया।)साभार ✍️विश्व ब्राह्मण विश्वकर्मा पांचाल

क्या अर्थ का अनर्थ कर देते हैं ऐसा छुद्रपन्न और तोड़ मरोड़ करते हैं कि शास्त्रों की आड़ में अर्थ का अनर्थ कर देते हैं।
वेदों की रचना नहीं की गयी अपितु विज्ञान के पिता वेद अपौरुषेय हैं। जो अरबों वर्ष से श्रुति स्मृति पुराणानाम् रूप में विद्यमान रहे हैं। हमारे तत्कालीन योग निष्ठ वैज्ञानिक ऋषि मुनियों ने तो उन्हें केवल संहिता वद्ध किया है। वैसे ही सृष्टि की रचना ब्रह्मा ने की ब्रह्मा भगवान के नाभि कमल से उत्पन्न हुए जो विष्णु संपूर्ण सृष्टि के पालक हैं भगवान शिव शंकर संपूर्ण सृष्टि के संचालक हैं। जबकि इंद्रलोक के निर्माता भगवान विश्वकर्मा जी का तो भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्रप्रस्थ, सुदामा नगरी और द्वारिकापुरी निर्माण के लिए आवाह्न किया और भगवान विश्वकर्मा जी ने ये तीनों नगरियों अपने तपो शिल्प से एक – एक रात में ही बनाया। वर्तमान में भी संपूर्ण सृष्टि में भौतिक रूप में जो भी दृश्यमान है वो हमारे सूक्षष्म रूप शरीर में विद्यमान विश्वकर्मा शिल्पियों का ही सृजन है। लेकिन विश्वकर्मा और ब्रह्मा का यह भेद स्पष्ट रूप से समझना चाहिए। शास्त्रों में संविधान की भांति न तोड़ मरोड़ हो सकता है न संशोधन करने की आवश्यकता है क्योंकि शास्त्रों का अर्थ होता है सार्वभौमिक सार्वकालिक विश्व कल्याणकारी विज्ञान। इसलिए उनमें प्रकारांतर से ऐजेन्डा सैट करने के लिए नहीं छेड़छाड़ कर मैनुप्लेट नहीं करना चाहिए अपितु उन्हें मौलिक रूप में ही अंगीकृत करना चाहिए इसी में जगत कल्याण है-✍️ हरीश मैखुरी

कल बुधवार को तीन प्रमुख घटनाएं हुई । लोकसभा में सरकार के प्रति अविश्वास प्रस्ताव , भारत मंडपम में पीएम की घोषणा कि हम तीसरी बार फिर आ रहे हैं तथा रक्षा मंत्री की लगातार दूसरी गर्जना । तीनों का परस्पर संबंध है अतः चर्चा साथ साथ करेंगे।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कल कारगिल दिवस पर कहा कि जरूरत पड़ी तो हम एलओसी पार करेंगे !
पिछले दो महीनों में यह बात उन्होंने दूसरी बार कही है !
याद कीजिए पिछले साल रक्षा मंत्री ने कहा था कि पीओके हमारा है , हम लेकर रहेंगे !
कुछ वर्ष पहले जब धारा 370 हटाई जा रही थी तब अमित शाह ने संसद में सीना ठोककर कहा था कि पीओके हमारा है , एक दिन उसे हम भारत में मिला लेंगे !
तो समझ जाइए भारत किधर जा रहा है ?

कल दिल्ली में भव्य आईईसीसी परिसर भारत मण्डप का लोकार्पण करते हुए प्रधानमंत्री ने कल के भारत का जो स्वप्न प्रस्तुत किया वह हैरान करता है । उन्होंने सीधे सीधे कह दिया कि हम तीसरी बार फिर आ रहे हैं और भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर की इकॉनोमी बनाकर रहेंगे । तब हमारी अर्थव्यवस्था आज के पांचवे स्थान से छलांग लगाकर तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगी । भारत को बेहद ऊंचे मकाम पर पहुंचाना हमारा लक्ष्य है । पीएम ने देश को अनेक भरोसे दिलाए , जिसमें भारत को विकसित भारत बनाना सबसे बड़ा वादा है ।

प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री के भाषणों की एक साथ चर्चा के पीछे हमारा उद्देश्य नई सदी के तीसरे दशक वाले भारत का दर्शन कराना है । हमारा विपक्ष जहां संसद का कामकाज रोकने और अविश्वास प्रस्ताव लाने में लगा है , प्रधानमंत्री इस सबसे बेखबर होकर देश को विश्व की थर्ड इकॉनमी बनाने के रास्ते पर चल रहे हैं । मोदी ने जिस आत्मविश्वास से कहा कि हम तीसरी बार आ रहे हैं , उसी आत्मविश्वास से रक्षा मंत्री बार बार एलओसी पार करने तथा चीन पाकिस्तान का एक साथ मुकाबला करने की बात कर रहे हैं । भारत का यह साहस और यह ऊंची उड़ान कह रही है कि जिन्हें अंदरूनी मसलों में उलझे रहना है वे उलझे रहें , भारत के सपने तो आकाश चढ़ रहे हैं ।

खैर लोकतंत्र है तो विपक्ष भी मजबूत चाहिए । अब वह विपक्ष यदि डॉट डॉट वाला इंडिया हो तो भी कोई बात नहीं । देखिए , प्रधानमंत्री मणिपुर पर चर्चा के लिए संसद में नहीं आए थे , अब विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव लाकर बड़ा दांव चल दिया । अब तो मोदी को संसद में आना ही पड़ेगा । अच्छा है यदि विपक्ष शक्तिशाली बने । लेकिन विपक्ष को घृणा से भरा हुआ , घोर व्यक्तिगत नफरत वाला विपक्ष नहीं बनना चाहिए ।

यही बात सत्तापक्ष पर भी लागू होती है । सत्ता को भी किसी एक के प्रति नफ़रत नहीं पालनी चाहिए । हां रणनीति बनाइए , शह और मात दीजिए । दुश्मनी मत पालिए । दुर्भाग्य से सोनिया राहुल के हाथों से सत्ता फिसलते ही शुरुआत कांग्रेस ने की थी । अब जवाब उधर से मिल रहा है तो संभलने के बजाय डॉट डॉट वाला इंडिया बनाने के प्रयास चल रहे हैं ।( साभार)
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