आज का पंचाग आपका राशि फल, हनुमान जी के जनेऊ की महिमा, जब भगवान कृष्ण और राधा ने सुलझाई संत की जटा, मणिपुर हिंसा का रोहिंग्या बंग्लादेशी कनैकशन, १९९० में कश्मीर के बांदीपोरा में शिक्षिका गिरिजा टिक्कू को बलात्कार के बाद आरा मशीन से दो भागों में चीर दिया था

🕉श्री हरिहरौ विजयतेतराम🕉  

🌄सुप्रभातम🌄

🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓

🌻मंगलवार, ०९ मई २०२३🌻

सूर्योदय: 🌄 ०५:४७

सूर्यास्त: 🌅 ०७:००

चन्द्रोदय: 🌝 २३:०७

चन्द्रास्त: 🌜०८:०७

अयन 🌖 उत्तरायणे (उत्तरगोलीय)

ऋतु: 🌡️ग्रीष्म 

शक सम्वत: 👉 १९४५ (शोभकृत)

विक्रम सम्वत: 👉 २०८० (नल)

मास 👉 ज्येष्ठ 

पक्ष 👉 कृष्ण 

तिथि 👉 चतुर्थी (१६:०८ से पञ्चमी)

नक्षत्र 👉 मूल (१७:४५ से पूर्वाषाढ)

योग 👉 सिद्ध (२१:१६ से साध्य)

प्रथम करण 👉 बालव (१६:०८ तक)

द्वितीय करण 👉 कौलव (२६:५९ तक)

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॥ गोचर ग्रहा: ॥ 

🌖🌗🌖🌗

सूर्य 🌟 मेष 

चंद्र 🌟 धनु 

मंगल 🌟 मिथुन (उदित, पश्चिम, मार्गी)

बुध 🌟 मेष (अस्त, पश्चिम, मार्गी)

गुरु 🌟 मेष (उदित, पश्चिम, मार्गी)

शुक्र 🌟 मिथुन (उदित, पश्चिम)

शनि 🌟 कुम्भ (उदित, पूर्व, मार्गी)

राहु 🌟 मेष 

केतु 🌟 तुला 

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शुभाशुभ मुहूर्त विचार

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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:४६ से १२:४१

अमृत काल 👉 ११:४४ से १३:१४

विजय मुहूर्त 👉 १४:२९ से १५:२३

गोधूलि मुहूर्त 👉 १८:५८ से १९:१९

सायाह्न सन्ध्या 👉 १८:५९ से २०:०२

निशिता मुहूर्त 👉 २३:५२ से २४:३४

राहुकाल 👉 १५:३६ से १७:१८

राहुवास 👉 पश्चिम

होमाहुति 👉 मंगल (१७:४५ से गुरु)

दिशाशूल 👉 उत्तर

अग्निवास 👉 पृथ्वी

चन्द्रवास 👉 पूर्व

शिववास 👉 कैलाश पर (१६:०८ से नन्दी पर)

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☄चौघड़िया विचार☄

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॥ दिन का चौघड़िया ॥ 

१ – रोग २ – उद्वेग

३ – चर ४ – लाभ

५ – अमृत ६ – काल

७ – शुभ ८ – रोग

॥रात्रि का चौघड़िया॥ 

१ – काल २ – लाभ

३ – उद्वेग ४ – शुभ

५ – अमृत ६ – चर

७ – रोग ८ – काल

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। 

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शुभ यात्रा दिशा

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उत्तर-पूर्व (धनिया अथवा दलिया का सेवन कर यात्रा करें)

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तिथि विशेष

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बुढ़वा मंगल आदि।

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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण 

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आज १७:४५ तक जन्मे शिशुओ का नाम मूल नक्षत्र के द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (यों, भ, भी) नामक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम पूर्वाषाढ नक्षत्र के प्रथम एवं द्वितीय चरण अनुसार क्रमशः (भू, धा) नामक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।

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उदय-लग्न मुहूर्त

मेष – २८:१८ से ०५:५१

वृषभ – ०५:५१ से ०७:४६

मिथुन – ०७:४६ से १०:०१

कर्क – १०:०१ से १२:२३

सिंह – १२:२३ से १४:४२

कन्या – १४:४२ से १६:५९

तुला – १६:५९ से १९:२०

वृश्चिक – १९:२० से २१:४०

धनु – २१:४० से २३:४३

मकर – २३:४३ से २५:२४

कुम्भ – २५:२४ से २६:५०

मीन – २६:५० से २८:१४

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पञ्चक रहित मुहूर्त

चोर पञ्चक – ०५:२८ से ०५:५१

शुभ मुहूर्त – ०५:५१ से ०७:४६

रोग पञ्चक – ०७:४६ से १०:०१

शुभ मुहूर्त – १०:०१ से १२:२३

मृत्यु पञ्चक – १२:२३ से १४:४२

अग्नि पञ्चक – १४:४२ से १६:०८

शुभ मुहूर्त – १६:०८ से १६:५९

रज पञ्चक – १६:५९ से १७:४५

शुभ मुहूर्त – १७:४५ से १९:२०

चोर पञ्चक – १९:२० से २१:४०

शुभ मुहूर्त – २१:४० से २३:४३

रोग पञ्चक – २३:४३ से २५:२४

शुभ मुहूर्त – २५:२४ से २६:५०

मृत्यु पञ्चक – २६:५० से २८:१४

रोग पञ्चक – २८:१४ से २९:२७

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आज का राशिफल

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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आज का दिन बीते कल की तुलना में राहत भरा रहेगा सेहत में थोड़ा सुधार आएगा। फिर भी सेहत से संबंधित लापरवाही से बचें खासकर ज्यादा परिश्रम वाले कार्य ना करें। परिवार में आज पैतृक कारणों से खींचतान लगी रहेगी संध्या तक इसको अनदेखा करने का प्रयास करें इसके बाद स्थिति स्वतः ही सुधरने लगेगी कार्य व्यवसाय से आज भी आशा तो काफी लगा कर रखेंगे। लेकिन सोचे कार्य अंत समय में या तो बिगड़ेंगे अथवा आगे के लिए टलेंगे। आज व्यवसाय से संबंधित कोई वादा समय पर पूरा ना करने पर मन में अपमान का भय सताएगा। दैनिक खर्चों की पूर्ति जोड़ तोड़ कर हो ही जाएगी। आज आवश्यकता पड़ने पर जीवनसाथी अथवा किसी अन्य पारिवारिक सदस्य से आर्थिक मदद लेनी पड़ेगी इस कारण ताने भी सुनने को मिलेंगे। पेट, मूत्र संबंधित व्याधि अथवा जुखाम से परेशानी हो सकती है। यात्रा टालने का प्रयास करें हानि हो सकती है

 

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

आज के दिन परिवार अथवा कार्य क्षेत्र पर पूर्व में बरती किसी अनियमितता के चलते अव्यवस्था अथवा अन्य उलझन बढ़ने का भय दिन के आरंभ से ही लगा रहेगा। दिन के आरंभ में पूर्व की गतिविधियों का अवलोकन करेंगे इन में सुधार करने का निर्णय लेंगे लेकिन परिस्थितिवश ऐसा कर नहीं पाएंगे। कार्यक्षेत्र पर आज किसी न किसी रूप में परिजन अथवा अन्य पैतृक संबंधी ही बाधक बन सकते हैं। लाभ कमाने के लिए आज जोखिम से ना घबराए जिस कार्य में झंझट लगेगा उससे बाद में कुछ ना कुछ लाभ अवश्य मिलेगा। धन की आमद संतोषजनक हो जाएगी। लेकिन बिना मानसिक एवं बौद्धिक परिश्रम किए सफल नहीं हो सकते। दांपत्य जीवन में आज सुख की कमी अनुभव होगी धैर्य से आज का दिन बताए रात्रि के बाद वातावरण में स्वत ही परिवर्तन आने लगेगा। किसी कुटुंबी जन के कारण यात्रा हो सकती है। सेहत में छुटपुट विकार लगे रहेंगे।

 

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आज का दिन आपके लिए बेहतर रहने वाला है। लेकिन आज आपके स्वभाव में स्वार्थ सिद्धि की भावना आवश्यकता से कुछ अधिक ही रहेगी। अपने काम निकालने के लिए परिजनों का सहारा लेंगे जाने-अनजाने किसी पारिवारिक सदस्य का अहित भी कर सकते हैं। स्वभाव में दिखावे की भावुकता रहने से जल्दी से कोई आपके कार्य के लिए मना नहीं करेगा। कार्यक्षेत्र पर भी भाग्य का सहारा मिलने से निश्चित ही धन की आमद होगी। लेकिन किसी सरकारी उलझन अथवा अन्य सरकार संबंधित खर्चे बढ़ने से बचत नहीं कर पाएंगे। कार्यक्षेत्र अथवा कुटुंब में किसी के विपरीत व्यवहार का भी सामना करना पड़ेगा इस को अनदेखा करें अन्यथा अपने मूल उद्देश्य से भटक सकते हैं। आज मौसम जनित बीमारी अथवा छाती के निचले हिस्सों में कुछ ना कुछ समस्या उत्पन्न होगी।

 

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आज का दिन आपके लिए धन-धान्य में वृद्धि कार्य करेगा। आज आपके स्वभाव में सुखोपभोग की इच्छा भी प्रबल रहेगी। इसके लिए कुछ भी करने के लिए तैयार भी रहेंगे। लेकिन आज विपरीतलिंगी आकर्षण एवं अभद्र भाषा के प्रयोग से बचना होगा अन्यथा सार्वजनिक क्षेत्र पर अपमान के साथ शत्रुओं में वृद्धि भी हो सकती है। कार्य क्षेत्र से आज आश्चर्यजनक रूप से लाभ मिलेगा। जिस कार्य से उम्मीद नहीं रहेगी वह भी धन लाभ करा देगा। सहकर्मियों के प्रति नरम व्यवहार रखें छोटी-छोटी बातों पर शक करना आपको ही परेशानी में डाल सकता है। घरेलू वातावरण कामना पूर्ति करने पर कुछ समय के लिए शांत रहेगा फिर भी परिजन किसी ना किसी बात को लेकर नाराज हो सकते हैं। आज भी शरीर में त्रिदोष के असंतुलन से पीड़ा हो सकती है। यात्रा लाभदायक रहेगी।

 

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

आज का दिन आपके लिए कोई नई समस्या लेकर आएगा। बुद्धि विवेक होते हुए भी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख पाएंगे। घर में संतान के कारण कोई ना कोई परेशानी लगी रहेगी। संतानों का अनापेक्षित अथवा उद्दंड व्यवहार मन को दुखी कर सकता है। कार्य क्षेत्र पर आपका कुशल व्यवहार एवं निर्णय लेने की क्षमता लोगों को पसंद आएगी लेकिन लाभ प्राप्त करने के लिए सहयोगी नहीं बनेगी। आज किसी की खुशामद अथवा कुछ उटपटांग कार्य करके ही लाभ प्राप्त किया जा सकता है। परंतु इससे शत्रु वृद्धि भी होनी संभव है। संध्या के आस-पास दिन भर की मेहनत रंग लाएगी धन लाभ किसी ना किसी साधन से अवश्य होगा। पारिवारिक जीवन में भाई बंधुओं के अतिरिक्त अन्य किसी से कोई अपेक्षा ना रखें। मध्यान्ह बाद सुखोपभोग में वृद्धि होने से मानसिक राहत मिलेगी सेहत मानसिक तनाव को छोड़ सामान्य ही रहेगी।

 

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आज का दिन आपके लिए प्रतिकूल फलदायक है। बीते दिनों जिन लोगों से आप को किसी न किसी रूप में मानसिक कष्ट मिल रहा था आज उनको अपने हिसाब से उत्तर देंगे। जिस वजह से आज भी किसी न किसी का विरोध देखना पड़ेगा। कार्यक्षेत्र पर मत मध्यान तक व्यर्थ की गतिविधियों में लिप्त रहेंगे जिनका दैनिक कार्यों से कोई लेना-देना नहीं रहेगा। दोपहर के बाद किसी वरिष्ठ सामाजिक व्यक्ति का सहयोग मिलने से अपनी योजनाओं को दिशा दे पाएंगे लेकिन धन की आमद आज आवश्यकता से भी कम ही होगी। कोई अक्समात कार्य आने से किसी से उधार भी लेने की नौबत आ सकती है। पारिवारिक वातावरण कुछ समय को छोड़ ठीक ही रहेगा। मन में प्रतिशोध की भावना ना रखें अन्यथा फल विपरीत भी हो सकते। आज मांसपेशियों अथवा शरीर के जोड़ों संबंधित समस्या हो सकती है।

 

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आज के दिन किसी ना किसी प्रसंग को लेकर आपका मन राग-द्वेष से भरा रहेगा। आपकी दिनचर्या भी अन्य दिनों से धीमी रहेगी एक बार किसी कार्य में विलंब होने पर अन्य कार्य भी अव्यवस्थित हो जाएंगे। कार्य क्षेत्र पर स्वयं तो लापरवाही करेंगे अन्य लोगों भी आपकी देखा देख कार्य में विलंब करेंगे। कार्यक्षेत्र पर परिस्थितियां पल-पल में बदलेंगी एक पल जहां से लाभ की संभावना रहेगी अगले ही पल वहां से निराश होना पड़ेगा। आज आप स्वयं के बलबूते निर्णय लें तो कुछ ना कुछ लाभ अवश्य होगा अन्यथा गलत मार्गदर्शन मिलने से हानि ही निश्चित है। कई दिनों से अटके सरकारी कार्य अथवा सरकारी उलझनों में कुटुंब का सहयोग मिलने से मुक्ति मिल सकती है। दांपत्य जीवन में भी अन्य दिनों की अपेक्षा शांति का अनुभव होगा। संध्या के समय उत्तम भोजन मिष्ठान आदि का सुख मिलेगा। सेहत मौसमी बीमारियों के चलते थोड़ी नरम रहेगी।

 

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

आज का दिन आपको मिला-जुला फल देगा। आज दिन के आरंभिक भाग में काम करने का मन नहीं करेगा प्रत्येक कार्य में आलस से करेंगे। कार्यक्षेत्र पर भी विलंब होगा लेकिन थोड़ी देर में ही स्थिति को संभाल लेंगे। आज किसी परिचित को आपसे आर्थिक मदद की आवश्यकता पड़ेगी लेकिन स्वयं की ही स्थिति ठीक ना होने के कारण इसे टालने का प्रयास करेंगे फिर भी परोपकारी स्वभाव रहने के कारण मदद करेंगे। आज तेल संबंधित अथवा दूध से संबंधित उत्पाद भूमि भवन संबंधित कार्य में निवेश निकट भविष्य के लिए लाभदायक रहेगा। पारिवारिक वातावरण छोटी मोटी बातों को छोड़ सामान्य ही रहेगा। माता से कोई मनोकामना पूर्ण होने पर जिद बहस हो सकती है। लेकिन भाई बंधुओं से बहस का सामर्थ नहीं बना पाएंगे। घर में यात्रा की योजना बनेगी शीघ्र ही इस पर खर्च भी करना पड़ेगा। सर्दी जुखाम की परेशानी हो सकती।

 

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आज का दिन आप व्यर्थ के प्रपंचों में पड़कर खराब करेंगे या तो जल्दी से किसी कार्य को हाथ में नहीं लेंगे लेंगे तो उसमें अपनी मनमानी ही करेंगे। दोपहर तक का समय व्यर्थ की भागदौड़ में खराब होगा इसके बाद का समय आपके लिए लाभदायक रहेगा। लेकिन स्वभाव की लापरवाही एवं व्यवहारिकता की कमी के कारण इसका उचित पूर्ण लाभ नहीं उठा पाएंगे। कार्य क्षेत्र पर लोग आपकी उदारता का अनुचित फायदा उठा सकते हैं। सहकर्मी एवं अधिकारी वर्ग भी आपके ऊपर सामर्थ्य से अधिक बोझ डालेंगे जिससे सुविधा अनुभव होगी। संध्या के आसपास किसी महत्वपूर्ण कार्य में सफलता मिलने पर दिनभर की उलझनों को भूल जाएंगे। पारिवारिक वातावरण में थोड़ी बहुत छींटा कशी लगी रहेगी फिर भी कोई आपके सामने सर उठाने की हिम्मत नहीं करेगा। सर्दी जुखाम से परेशानी होगी।

 

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आज दिन के पूर्वार्ध से लेकर संध्या तक आपको विविध प्रकार की मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। किसी भी कार्य को करने का प्रयास करेंगे उसमें आर्थिक कारणों से व्यवधान आएंगे धन का प्रबंध कहीं से कर भी लेंगे तो कोई ना कोई अन्य बाधा कार्य को पूर्ण होने से रोकेगी। कार्यक्षेत्र पर भी प्रतिस्पर्धी हावी रहेगे जिसके चलते आज धन लाभ होते होते अंतिम चरण में या तो टलेगा या आशा से बहुत कम होगा। किसी भी प्रकार के नए कार्य में निवेश से बचे ना ही आज कोई नई वस्तु खरीदें अन्यथा बाद में पछताना पड़ेगा। नौकरीपेशा जातक अधिकारी वर्ग से सतर्क रहें आपकी प्रत्येक गतिविधियों पर नजर लगाए हुए हैं। दांपत्य जीवन में आपके किसी अनैतिक कृत्य को लेकर झगड़ा हो सकता है। पेट में गर्मी होने से अन्य विकार उत्पन्न होंगे। यात्रा में सतर्कता बरतें चोट आदि का भय भी है।

 

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

आज का दिन आपके अनुकूल है। बीते हुए कल की तुलना में आज उसके विपरीत फल मिलेंगे। सार्वजनिक क्षेत्र पर अपने शुभ आचरण एवं परोपकारी स्वभाव के चलते सम्मान के पात्र बनेंगे। कार्यक्षेत्र पर भी अपने बुद्धि विवेक से बिगड़े कार्य को बनाने की क्षमता रखेंगे। जिससे अधिकारी वर्ग आपसे प्रसन्न रहेंगे लेकिन सहकर्मी क्यों में ईर्ष्या का भाव उत्पन्न होगा। पठन पाठन अथवा इससे संबंधित किसी अन्य व्यवसाय से जुड़े जातकों को मध्यान्ह के समय अपमानित होना पड़ेगा। लेकिन संध्या के समय कुछ विशेष लाभ होने से इस को भूल जाएंगे। आप अपने पराक्रम से जितना भी धन कमाएंगे वह किसी न किसी कार्य में खर्च हो जाएगा। भविष्य के लिए बचत ना कर पाने का दुख होगा। घर परिवार में आनंद का वातावरण रहेगा। परिजन किसी पर्यटन क्षेत्र की यात्रा के लिए जिद कर सकते हैं। गिरने कटने सके चोट का भय है सतर्कता से कार्य करें।

 

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आज के दिन आप बीते समय से मिल रही निराशा एवं असफलता के कारण धर्म से विमुख हो सकते हैं। दिन के आरंभिक भाग में थोड़ी शांति रहेगी। लेकिन दिन चढ़ते-चढ़ते विविध उलझनों में फंस जाएंगे फिर भी बीते कल की तुलना में आज थोड़ी राहत का अनुभव भी होगा। कार्यक्षेत्र पर किसी पुराने संपर्क द्वारा मिली सहानुभूति जीवन को नई राह दिखाएगी। व्यवसाई वर्ग को अधूरे कार्य पूर्ण करने के लिए अतिरिक्त परिश्रम करना पड़ेगा। लेकिन धन लाभ इकट्ठा ना होकर थोड़ा-थोड़ा होगा इसलिए कार्यक्षेत्र पर अधिक सतर्कता बरतनी पड़ेगी। अन्यथा आपके हिस्से का लाभ एवं कोई नया सौदा किसी प्रतिस्पर्धी को मिल सकता है। पुरानी उधारी एवं अन्य खर्चों के कारण बचत नहीं कर पाएंगे। घरेलू मामलों में अति आवश्यकता होने पर ही अपने विचार रखें छोटी-छोटी बातों पर अनबन हो सकती है। नेत्र संबंधित समस्या अथवा रक्त पित्त विकार उत्पन्न होंगे। अनदेखा ना करें अन्यथा आगे परेशानी बढ़ भी सकती है।

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      🙏राधे राधे 🙏जितनी बार पढ़ता हूँ उतनी बार आँखें भीग जाती हैं 

पिछले दिनों मैं हनुमान जी के मंदिर में गया था जहाँ पर मैंने एक ब्राह्मण को देखा, जो एक जनेऊ हनुमान जी के लिए ले आये थे | संयोग से मैं उनके ठीक पीछे लाइन में खड़ा था, मेंने सुना वो पुजारी से कह रहे थे कि वह स्वयं का काता (बनाया) हुआ जनेऊ हनुमान जी को पहनाना चाहते हैं, पुजारी ने जनेऊ तो ले लिया पर पहनाया नहीं |

जब ब्राह्मण ने पुन: आग्रह किया, तो पुजारी बोले यह तो हनुमान जी का श्रृंगार है इसके लिए बड़े पुजारी (महन्थ) जी से अनुमति लेनी होगी, आप थोड़ी देर प्रतीक्षा करें वो आते ही होगें |

मैं उन लोगों की बातें गौर से सुन रहा था, जिज्ञासा वश मैं भी महन्थ जी के आगमन की प्रतीक्षा करने लगा | थोड़ी देर बाद जब महन्थ जी आए तो पुजारी ने उस ब्राह्मण के आग्रह के बारे में बताया तो महन्थ जी ने ब्राह्मण की ओर देख कर कहा कि देखिए हनुमान जी ने जनेऊ तो पहले से ही पहना हुआ है और यह फूलमाला तो है नहीं कि एक साथ कई पहना दी जाए |

आप चाहें तो यह जनेऊ हनुमान जी को चढ़ाकर प्रसाद रूप में ले लीजिए | इस पर उस ब्राह्मण ने बड़ी ही विनम्रता से कहा कि, मैं देख रहा हूँ कि भगवान ने पहले से ही जनेऊ धारण कर रखा है परन्तु कल रात्रि में चन्द्रग्रहण लगा था और वैदिक नियमानुसार प्रत्येक जनेऊ धारण करने वाले को ग्रहणकाल के उपरांत पुराना बदलकर नया जनेऊ धारण कर लेना चाहिए बस यही सोच कर सुबह सुबह मैं हनुमान जी की सेवा में यह ले आया था प्रभु को यह प्रिय भी बहुत है |

हनुमान चालीसा में भी लिखा है कि – *हाथ बज्र और ध्वजा विराजे, कांधे मूज जनेऊ साजे*

अब महन्थ जी थोड़ी सोचनीय मुद्रा में बोले कि हम लोग बाजार का जनेऊ नहीं लेते हनुमान जी के लिए शुद्ध जनेऊ बनवाते हैं, आपके जनेऊ की क्या शुद्धता है |

इस पर वह ब्राह्मण बोले कि, प्रथम तो यह कि ये कच्चे सूत से बना है, इसकी लम्बाई 96 चउवा (अंगुल) है, पहले तीन धागे को तकली पर चढ़ाने के बाद तकली की सहायता से नौ धागे तेहरे गये हैं, इस प्रकार 27 धागे का एक त्रिसुत है जो कि पूरा एक ही धागा है कहीं से भी खंडित नहीं है, इसमें प्रवर तथा गोत्रानुसार प्रवर बन्धन है तथा अन्त में ब्रह्मगांठ लगा कर इसे पूर्ण रूप से शुद्ध बनाकर हल्दी से रंगा गया है और यह सब मेंने स्वयं अपने हाथ से गायत्री मंत्र जपते हुए किया है 

ब्राह्मण देव की जनेऊ निर्माण की इस व्याख्या से मैं तो स्तब्ध रह गया मन ही मन उन्हें प्रणाम किया..!!

मैने देखा कि अब महन्त जी ने उनसे संस्कृत भाषा में कुछ पूछने लगे, उन लोगों का सवाल – जबाब तो मेरे समझ में नहीं आया पर महन्त जी को देख कर लग रहा था कि वे ब्राह्मण के जबाब से पूर्णतया सन्तुष्ट हैं अब वे उन्हें अपने साथ लेकर हनुमान जी के पास पहुँचे जहाँ मन्त्रोच्चारण कर महन्त व अन्य 3 पुजारियों के सहयोग से हनुमान जी को ब्राह्मण देव ने जनेऊ पहनाया तत्पश्चात पुराना जनेऊ उतार कर उन्होंने बहते जल में विसर्जन करने के लिए अपने पास रख लिया |

मंदिर तो मैं अक्सर आता हूँ पर आज की इस घटना ने मन पर गहरी छाप छोड़ दी, मेंने सोचा कि मैं कट्टर सनातनी राजपूत हूं और नियमानुसार मुझे भी जनेऊ बदलना चाहिए, उस ब्राह्मण के पीछे-पीछे मैं भी मंदिर से बाहर आया उन्हें रोककर प्रणाम करने के बाद अपना परिचय दिया और कहा कि मुझे भी एक जोड़ी शुद्ध जनेऊ की आवश्यकता है, तो उन्होंने असमर्थता व्यक्त करते हुए कहा कि इस तो वह बस हनुमान जी के लिए ही ले आये थे हां यदि आप चाहें तो मेरे घर कभी भी आ जाइएगा घर पर जनेऊ बनाकर मैं रखता हूँ जो लोग जानते हैं वो आकर ले जाते हैं |

मेंने उनसे उनके घर का पता लिया और प्रणाम कर वहां से चला आया..!!

शाम को उनके घर पहुंचा तो देखा कि वह अपने दरवाजे पर तखत पर बैठे एक व्यक्ति से बात कर रहे हैं , गाड़ी से उतरकर मैं उनके पास पहुंचा मुझे देखते ही वो खड़े हो गए, और मुझसे बैठने का आग्रह किया अभिवादन के बाद मैं बैठ गया, बातों बातों में पता चला कि वह अन्य व्यक्ति भी पास का रहने वाला ब्राह्मण है तथा उनसे जनेऊ लेने आया है |

ब्राह्मण अपने घर के अन्दर गए इसी बीच उनकी दो बेटियाँ जो क्रमश: 12 वर्ष व 8 वर्ष की रही होंगी एक के हाथ में एक लोटा पानी तथा दूसरी के हाथ में एक कटोरी में गुड़ तथा दो गिलास था, हम लोगों के सामने गुड़ व पानी रखा गया, मेरे पास बैठे व्यक्ति ने दोनों गिलास में पानी डाला फिर गुड़ का एक टुकड़ा उठा कर खाया और पानी पी लिया तथा गुड़ की कटोरी मेरी ओर खिसका दी, पर मैने पानी नहीं पिया, कारण आप सभी लोग जानते होंगे कि हर जगह का पानी कितना दूषित हो गया है कि पीने योग्य नहीं होता है घर पर आर.ओ. लगा है इसलिए ज्यादातर आर.ओ. का ही पानी पीता हूँ बाहर रहने पर पानी की बोतल खरीद लेता हूँ |

इतनी देर में ब्राह्मण अपने घर से बाहर आए और एक जोड़ी जनेऊ उस व्यक्ति को दिए, जो पहले से बैठा था उसने जनेऊ लिया और 21 रुपए ब्राह्मण को देकर चला गया | मैं अभी वहीं रुका रहा इस ब्राह्मण के बारे में और अधिक जानने का कौतुहल मेरे मन में था, उनसे बात-चीत में पता चला कि वह संस्कृत से स्नातक हैं नौकरी मिली नहीं और पूँजी ना होने के कारण कोई व्यवसाय भी नहीं कर पाए, घर में बृद्ध मां पत्नी दो बेटियाँ तथा एक छोटा बेटा है, एक गाय भी है 

वे बृद्ध मां और गौ-सेवा करते हैं दूध से थोड़ी सी आय हो जाती है और जनेऊ बनाना उन्होंने अपने पिता व दादा जी से सीखा है यह भी उनके गुजर-बसर में सहायक है | इसी बीच उनकी बड़ी बेटी पानी का लोटा वापस ले जाने के लिए आई किन्तु अभी भी मेरी गिलास में पानी भरा था उसने मेरी ओर देखा लगा कि उसकी आँखें मुझसे पूछ रही हों कि मेंने पानी क्यों नहीं पिया, मेंने अपनी नजरें उधर से हटा लीं, वह पानी का लोटा गिलास वहीं छोड़ कर चली गयी शायद उसे उम्मीद थी की मैं बाद में पानी पी लूंगा |

अब तक मैं इस परिवार के बारे में बहुत कुछ जान चुका था और मेरे मन में दया के भाव भी आ रहे थे |

खैर ब्राह्मण ने मुझे एक जोड़ी जनेऊ दिया, तथा कागज पर एक मंत्र लिख कर दिया और कहा कि जनेऊ पहनते समय इस मंत्र का उच्चारण अवश्य करूं — |

मैंने सोच समझ कर 500 रुपए का नोट ब्राह्मण की ओर बढ़ाया तथा जेब और पर्स में एक का सिक्का तलाशने लगा, मैं जानता था कि 500 रुपए एक जोड़ी जनेऊ के लिए अधिक है पर मैंने सोचा कि इसी बहाने इनकी थोड़ी सहयोग हो जाएग | ब्राह्मण हाथ जोड़ कर मुझसे बोले कि सर 500 सौ का फुटकर तो मेरे पास नहीं है, मेंने कहा अरे फुटकर की आवश्यकता नहीं है आप पूरा ही रख लीजिए तो उन्हें कहा नहीं बस मुझे मेरी मेहनत भर का 21 रूपए दे दीजिए, मुझे उनकी यह बात अच्छी लगी कि गरीब होने के बावजूद वो लालची नहीं हैं, पर मेंने भी पांच सौ ही देने के लिए सोच लिया था इसलिए मैंने कहा कि फुटकर तो मेरे पास भी नहीं है, आप संकोच मत करिए पूरा रख लीजिए आपके काम आएगा 

उन्होंने कहा, अरे नहीं मैं संकोच नहीं कर रहा आप इसे वापस रखिए जब कभी आपसे दुबारा भेंट होगी तब 21रू. दे दीजिएगा |

इस ब्राह्मण ने तो मेरी आँखें नम कर दीं उन्होंने कहा कि शुद्ध जनेऊ की एक जोड़ी पर 13-14 रुपए की लागत आती है 7-8 रुपए अपनी मेहनत का जोड़कर वह 21 रू. लेते हैं कोई-कोई एक का सिक्का न होने की बात कह कर बीस रुपए ही देता है |

मेरे साथ भी यही समस्या थी मेरे पास 21रू. फुटकर नहीं थे, मेंने पांच सौ का नोट वापस रखा और सौ रुपए का एक नोट उन्हें पकड़ाते हुए बड़ी ही विनम्रता से उनसे रख लेने को कहा तो इस बार वह मेरा आग्रह नहीं टाल पाए और 100 रूपए रख लिए और मुझसे एक मिनट रुकने को कहकर घर के अन्दर गए, बाहर आकर और चार जोड़ी जनेऊ मुझे देते हुए बोले मेंने आपकी बात मानकर सौ रू. रख लिए अब मेरी बात मान कर यह चार जोड़ी जनेऊ और रख लीजिए ताकी मेरे मन पर भी कोई भार ना रहे |

मैंने मन ही मन उनके स्वाभिमान को प्रणाम किया साथ ही उनसे पूछा कि इतना जनेऊ लेकर मैं क्या करूंगा तो वो बोले कि मकर संक्रांति, पितृ विसर्जन, चन्द्र और सूर्य ग्रहण, घर पर किसी हवन पूजन संकल्प परिवार में शिशु जन्म के सूतक आदि अवसरों पर जनेऊ बदलने का विधान है, इसके अलावा आप अपने सगे सम्बन्धियों रिस्तेदारों व अपने ब्राह्मण मित्रों को उपहार भी दे सकते हैं जिससे हमारी ब्राह्मण संस्कृति व परम्परा मजबूत हो साथ ही साथ जब आप मंदिर जांए तो विशेष रूप से गणेश जी, शंकर जी व हनूमान जी को जनेऊ जरूर चढ़ाएं… उनकी बातें सुनकर वह पांच जोड़ी जनेऊ मेंने अपने पास रख लिया और खड़ा हुआ तथा वापसी के लिए बिदा मांगी..!!

उन्होंने कहा कि आप हमारे अतिथि हैं पहली बार घर आए हैं हम आपको खाली हाथ कैसे जाने दो सकते हैं इतना कह कर उनहोंने अपनी बिटिया को आवाज लगाई वह बाहर निकाली तो ब्राह्मण देव ने उससे इशारे में कुछ कहा तो वह उनका इशारा समझकर जल्दी से अन्दर गयी और एक बड़ा सा डंडा लेकर बाहर निकली, डंडा देखकर मेरे समझ में नहीं आया कि मेरी कैसी बिदायी होने वाली है |

अब डंडा उसके हाथ से ब्राह्मण देव ने अपने हाथों में ले लिया और मेरी ओर देख कर मुस्कराए जबाब में मेंने भी मुस्कराने का प्रयास किया | वह डंडा लेकर आगे बढ़े तो मैं थोड़ा पीछे हट गया उनकी बिटिया उनके पीछे पीछे चल रह थी मेंने देखा कि दरवाजे की दूसरी तरफ दो पपीते के पेड़ लगे थे डंडे की सहायता से उन्होंने एक पका हुआ पपीता तोड़ा उनकी बिटिया वह पपीता उठा कर अन्दर ले गयी और पानी से धोकर एक कागज में लपेट कर मेरे पास ले आयी और अपने नन्हें नन्हा हाथों से मेरी ओर बढ़ा दिया उसका निश्छल अपनापन देख मेरी आँखें भर आईं, मैं अपनी भीग चुकी आंखों को उससे छिपाता हुआ दूसरी ओर देखने लगा तभी मेरी नजर पानी के उस लोटे और गिलास पर पड़ी जो अब भी वहीं रखा था इस छोटी सी बच्ची का अपनापन देख मुझे अपने पानी न पीने पर ग्लानि होने लगी, मैंने झट से एक टुकड़ा गुड़ उठाकर मुँह में रखा और पूरी गिलास का पानी एक ही साँस में पी गया, बिटिया से पूछा कि क्या एक गिलास पानी और मिलेगा…. वह नन्ही परी फुदकती हुई लोटा उठाकर ले गयी और पानी भर लाई, फिर उस पानी को मेरी गिलास में डालने लगी और उसके होंठों पर तैर रही मुस्कराहट जैसे मेरा धन्यवाद कर रही हो..!!

मैं अपनी नजरें उससे छुपा रहा था पानी का गिलास उठाया और गर्दन ऊंची कर के वह अमृत पीने लगा पर अपराधबोध से दबा जा रहा था, अब बिना किसी से कुछ बोले पपीता गाड़ी की दूसरी सीट पर रखा, और घर के लिए चल पड़ा, घर पहुंचने पर हाथ में पपीता देख कर मेरी पत्नी ने पूछा कि यह कहां से ले आए तो बस मैं उससे इतना ही कह पाया कि….

एक ब्राह्मण के घर गया था तो उन्होंने खाली हाथ आने ही नहीं दिया……

साभार”करूणा मयी श्री राधे “

एक बार वृन्दावन में एक संत हुए कदम्खंडी जी महाराज। उनकी बड़ी बड़ी जटाएं थी। वो वृन्दावन के सघन वन में जाके भजन करते थे।

एक दिन जा रहे थे तो रास्ते में उनकी बड़ी बड़ी जटाए झाडियो में उलझ गई। उन्होंने खूब प्रयत्न किया किन्तु सफल नहीं हो पाए।

और थक के वही बैठ गए और बैठे बैठे गुनगुनाने लगे।

“हे मुरलीधर छलिया मोहन

हम भी तुमको मन दे बैठे,

विरह पहले से ही कम तो ना थे,

एक और विपदा ले बैठे “

बहुत से ब्रजवासी जन आये और बोले बाबा हम सुलझा देवे आपकी जटाएं तो बाबा ने सबको डपट भगा दिया और कहा की जिसने उलझाई वोही आएगा अब तो सुलझाने।

बहुत समय हो गया बाबा को बैठे बैठे……

“तुम आते नहीं मनमोहन क्यों

इतना हमको तडपाते हो क्यों ।

प्राण पखेरू लगे उड़ने,

तुम हाय अभी शर्माते हो क्यों।”

तभी सामने से 15-16 वर्ष का सुन्दर किशोर हाथ में लकुटी लिए आता हुआ दिखा। जिसकी मतवाली चाल देखकर करोडो काम लजा जाएँ। मुखमंडल करोडो सूर्यो के जितना चमक रहा था। और चेहरे पे प्रेमियों के हृदय को चीर देने वाली मुस्कान थी।

आते ही बाबा से बोले बाबा हमहूँ सुलझा दें तेरी जटा।

बाबा बोले आप कोन हैं श्रीमान जी?

तो ठाकुर जी बोले हम है आपके कुञ्ज बिहारी।

तो बाबा बोले हम तो किसी कुञ्ज बिहारी को नहीं जानते।

तो भगवान् फिर आये थोड़ी देर में और बोले बाबा अब सुलझा दें।

तो बाबा बोले अब कोन है श्रीमान जी ।

तो ठाकुर बोले हम हैं निकुंज बिहारी।

तो बाबा बोले हम तो किसी निकुंज बिहारी को नहीं जानते।

तो ठाकुर जी बोले तो बाबा किसको जानते हो बताओ?

तो बाबा बोले हम तो निभृत निकुंज बिहारी को जानते हैं।

तो भगवान् ने तुरंत निभृत निकुंज बिहारी का स्वरुप बना लिया। ले बाबा अब सुलझा दूँ।

तब बाबा बोले च्यों रे लाला हमहूँ पागल बनावे लग्यो!

निभृत निकुंज बिहारी तो बिना श्री राधा जू के एक पल भी ना रह पावे और एक तू है अकेलो सोटा सो खड्यो है।

तभी पीछे से मधुर रसीली आवाज आई बाबा हम यही हैं। ये थी हमारी श्री जी।

और श्री जी बोली अब सुलझा देवे बाबा आपकी जटा।

तो बाबा मस्ती में आके बोले लाडली जू आपका दर्शन पा लिया अब ये जीवन ही सुलझ गया जटा की क्या बात है।

।। लाडली जी की जय हो ।। साभार।। 

*मणिपुर हिंसा का पूरा सच!! हर भारतीय सच्चाई जानिए… क्या कहानी है!*.

*खासकर सभी दलित भाई और आदिवासियों को पढ़ना चाहिए।*

*म्यांमार से जुड़ा अवैध प्रवासी मणिपुर के कुकी और नागा जनजाति से ताल्लुक रखते हैं, कहा जा रहा है कि सरकार इन्हें सरकारी ज़मीन पर अफ़ीम की खेती करने से रोक रही है, पहला हिंसक विरोध प्रदर्शन 10 मार्च को हुआ था, जब कुकी गाँव से अवैध प्रवासियों को निकाला गया था!*

*पहाड़ी जिलों में नागा और कुकी जनजातियों का वर्चस्व है, हालिया हिंसा चुराचांदपुर पहाड़ी जिलों में ज्यादा देखी गई, यहां पर रहने वाले लोग कुकी और नागा ईसाई धर्म से हैं, बता दें कि चार पहाड़ी जिलों में कुकी जाति का प्रभुत्व है!*

*मणिपुर में 16 जिले हैं, राज्य की जमीन इंफाल घाटी और पहाड़ी जिलों के तौर पर बंटी हुई है। इंफाल घाटी मैतेई बहुल हैं, मैतई जाति के लोग हिंदू समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, मैतेई (हिंदू आदिवासी) समुदाय को अनुसूचित जाति दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में निकाले गए मार्च में हिंसा भड़क गई थी!*

*मणिपुर की आबादी लगभग 28 लाख है, इसमें मैतेई (हिंदू दलित) समुदाय के लोग लगभग 53 फीसद हैं, मणिपुर के भूमि क्षेत्र का लगभग 10% हिस्सा इन्हीं लोगों के कब्जे में हैं, ये लोग मुख्य रूप से इंफाल घाटी में बसे हुए हैं, कुकी (ईसाई) जातीय समुह मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का विरोध कर रही है!*

*कुकी (ईसाई) जनजाति मैतेई (हिंदू आदिवासी) समुदाय को आरक्षण देने का विरोध करती आई है, इन जनजातियों का कहना है कि अगर मैती समुदाय को आरक्षण मिल जाता है तो वे सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले से वंचित हो जाएंगे, कुकी जनजातियों का ऐसा मानना है कि आरक्षण मिलते ही मैतेई लोग अधिकांश आरक्षण को हथिया लेंगे!*

*पिछले 10 सालों से मैतेई समुदाय के लोग जो कि हिंदू आदिवासी धर्म को मानते हैं यह आरक्षण की मांग कर रहे थे लेकिन किसी भी सरकार ने ध्यान नहीं दिया लेकिन तत्कालीन भाजपा सरकार की पहल से और केंद्र सरकार ने सिफारिश किया तब इन्हें आरक्षण का अधिकार मिला!*

*जिसका विरोध कुकी और नागा समुदाय (ईसाई) के लोग कर रहे हैं और यही दो धर्मों के बीच हिंसा की मुख्य वजह है और भाजपा किसके साथ है यह सब कुछ समझ में होना चाहिए भाजपा ने कभी भी हिंदुओं का साथ नहीं छोड़ा है!*

*मैतेई जाति के लोगों का ये कहना है कि ST दर्जे का विरोध सिर्फ एक दिखावा है, कुकी आरक्षित वन क्षेत्रों में बस्तियां बना कर अवैध कब्जा कर रहे हैं, पहाड़ी और कस्बों के इलाके में कई जनजातियों द्वारा कब्जा की गई जमीनों को भी खाली कराया जा रहा है, जमीनों पर ज्यादातर कुकी समूह के लोग रहते हैं, यही वजह है कि चुराचंदपुर इलाके से हिंसा भड़की, यह कुकी बहुल है!*

*उत्तर भारत के ज्यादातर हिंदी भाषी लोगों को नॉर्थ ईस्ट के बारे में जानकारी नहीं है जिस वजह से कुछ राजनेताओं द्वारा लोगों को भड़काया जा रहा है और वह अपने ही हिंदू आदिवासी भाइयों को नहीं पहचान पा रहे हैं, यह जो मैंने पूरा लिखा है पूरा तथ्य के आधार पर है और यही कड़वी सच्चाई है तो कहीं से भी भाजपा को दोष देना उचित नहीं है, भाजपा आज भी अपने हिंदू दलित और आदिवासी भाइयों के साथ खड़ी है और खड़ी रहेगी!*

*आरक्षण जो आपको मिला है मणिपुर में उसका कोई भी हिंदू विरोध नहीं कर रहा है, वहां पर विरोध इसाई कर रहे हैं और आपको मार भी ईसाई रहे हैं, इसलिए अभी भी वक्त है अपनों को पहचानिए और अपनों के साथ रहे!*
.★आँखों में आँसू नहीं, अब खून उतरना चाहिए★

“#गिरिजा_टिक्कू” एक 25 वर्षीय महिला जो कश्मीर के बांदीपोरा में एक शिक्षिका थी को सन 1990 में इसने भी अपना घर आँगन व सारा सामान छोड़ कर भागना पड़ा था। 

कई दिनों बाद जब किसी ने यह बताया कि अब वहां स्थिति सामान्य है तो वह बांदीपोरा अपना सामान लाने गयी, लेकिन वह फिर वापस नहीं आ पायी। वहाँ वह कुछ #बहशी_मुस्लिमों की भीड़ का शिकार बन गयी जिन्होंने उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया।

किन्तु #बहशी_बालात्कारी यहाँ भी नहीं रुके, सामूहिक बलात्कार के बाद उसके शरीर को उसके गुप्तांगो के पास से लेकर, स्तनों को.. और फिर सर तक आरा मशीन चलाकर दो भागों में काट दिया।

 कश्मीर में जनवरी 1990 में मस्जिदों से यह घोषणा की हुई कि कश्मीर के हिन्दू कश्मीर छोड़कर इस्लाम कबूल कर लें या अपनी #औरतों को छोड़ कर कश्मीर से बाहर चले जाएँ।

वे #सैक्युलर जो पत्थरबाजों, हिजाबों, जेएनयू घटनाक्रम (देश के टुकड़े होंगे हजार, इंशाअल्लाह इंशाअल्लाह) और आतंकवादियों की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में ले जाते हैं, और महिला आयोग, मानवाधिकार आयोग और मोमबत्ती गैंग छोटी छोटी घटनाओं को देश विदेश में उछाला करते हैं, लेकिन वे कभी इसकी चर्चा नहीं करते और ना ही #मुन्नी_पप्पू_पिंकी नागिन डांस करते हैं। 

धिक्कार है, जागो…क्या अब भी तुम्हारा खून नहीं खौलता?   #जराहटके✍️प्रदीप पुष्पेन्द्र