आज का पंचाग आपका राशि फल, वसंत पंचमी पर सरस्वती कृपा हेतु विशेष पूजा विधि, स्वतंत्रता दिवस पर झंडारोहण और गणतंत्र दिवस पर झंडा फहराने का अंतर!

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।

शिक्षा, ज्ञान और कौशल की अधिष्ठात्री मां सरस्वती की कृपा सभी पर बनी रहे, यही कामना करता हूं।
बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।

*”परिश्रम ही सौभाग्य की जननी है “*
*देने के लिये “दान”*
         *लेने के लिये “ज्ञान”*
              *और*
*त्यागने के लिए “अभिमान”*
   *सर्वश्रेष्ठ है*
🙏वसंत पंचमी एवं गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं🙏✍️ डाॅ0 हरीश मैखुरी 

🌺🙏🏻 महर्षि पाराशर पंचांग 🙏🏻🌺

🌺🙏☾अथ पंचांगम्☽🙏🌺

*दिनाँक : ~*
*26/01/2023, गुरुवार*
पंचमी, शुक्ल पक्ष,
माघ दिल्ली
___________________(समाप्ति काल)

तिथि——-पंचमी 10:27:33 तक
पक्ष————————-शुक्ल
नक्षत्र——-उ.भाद्रपदा 18:55:36
योग————–शिव 15:27:39
करण———–बालव 10:27:33
करण———–कौलव 21:42:21
वार————————गुरूवार
माह—————————माघ
चन्द्र राशि———————मीन
सूर्य राशि———————मकर
रितु————————-शिशिर
सायन————————वसंत
आयन——————-उत्तरायण
संवत्सर——————-शुभकृत
संवत्सर (उत्तर)——————-नल
विक्रम संवत—————-2079
गुजराती संवत————–2079
शक संवत——————1944

दिल्ली
सूर्योदय—————-07:13:44
सूर्यास्त—————-17:53:46
दिन काल————–10:40:02
रात्री काल————-13:19:33
चंद्रोदय—————-10:26:41
चंद्रास्त—————–22:56:51

लग्न—–मकर 11°38′ , 281°38′

सूर्य नक्षत्र——————-श्रवण
चन्द्र नक्षत्र—————–उoभाo
नक्षत्र पाया——————–ताम्र

*🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩*

राहू काल 13:54 – 15:14 अशुभ
यम घंटा 07:14 – 08:33 अशुभ
गुली काल 09:54 – 11: 14अशुभ
अभिजित 12:12 – 12:55 शुभ
दूर मुहूर्त 10:47 – 11:30 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:03 – 15:46 अशुभ
वर्ज्यम 30:39* – 32:14* अशुभ

💮गंड मूल 18:56 – अहोरात्र अशुभ

🚩पंचक अहोरात्र अशुभ

*💮दिशा शूल ज्ञान———-उत्तर*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा केशर खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*

*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*

थ—- उत्तरभाद्रपदा 07:24:02

झ—- उत्तरभाद्रपदा 13:08:19

ञ—- उत्तरभाद्रपदा 18:55:36

दे—- रेवती 24:45:56

दो—- रेवती 30:39:22

*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=मकर 11 : 29 श्रवण , 1 खी
चन्द्र =मीन 09°:23, पू o भा o , 2 थ
बुध =धनु 17°: 34′ पूo षा o ‘ 2 धा
शुक्र=मकर 04°05, धनिष्ठा ‘ 4 गे
मंगल=वृषभ 15°30 ‘ रोहिणी’ 2 वा
गुरु=मीन 10°30 ‘ उ o भा o, 3 झ
शनि=कुम्भ 01°43 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी
राहू=(व) मेष 14°45 भरणी , 1 ली
केतु=(व) तुला 14°45 स्वाति , 3 रो

💮चोघडिया, दिन
शुभ 07:10 – 08:30 शुभ
रोग 08:30 – 09:51 अशुभ
उद्वेग 09:51 – 11:11 अशुभ
चर 11:11 – 12:32 शुभ
लाभ 12:32 – 13:52 शुभ
अमृत 13:52 – 15:13 शुभ
काल 15:13 – 16:33 अशुभ
शुभ 16:33 – 17:54 शुभ

🚩चोघडिया, रात
अमृत 17:54 – 19:33 शुभ
चर 19:33 – 21:13 शुभ
रोग 21:13 – 22:52 अशुभ
काल 22:52 – 24:32* अशुभ
लाभ 24:32* – 26:11* शुभ
उद्वेग 26:11* – 27:51* अशुभ
शुभ 27:51* – 29:30* शुभ
अमृत 29:30* – 31:10* शुभ

💮होरा, दिन
बृहस्पति 07:10 – 08:04
मंगल 08:04 – 08:57
सूर्य 08:57 – 09:51
शुक्र 09:51 – 10:45
बुध 10:45 – 11:38
चन्द्र 11:38 – 12:32
शनि 12:32 – 13:25
बृहस्पति 13:25 – 14:19
मंगल 14:19 – 15:13
सूर्य 15:13 – 16:06
शुक्र 16:06 – 17:00
बुध 17:00 – 17:54

🚩होरा, रात
चन्द्र 17:54 – 19:00
शनि 19:00 – 20:06
बृहस्पति 20:06 – 21:13
मंगल 21:13 – 22:19
सूर्य 22:19 – 23:25
शुक्र 23:25 – 24:32
बुध 24:32* – 25:38
चन्द्र 25:38* – 26:44
शनि 26:44* – 27:51
बृहस्पति 27:51* – 28:57
मंगल 28:57* – 30:03
सूर्य 30:03* – 31:10

*🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩*

मकर > 05:56 से 07:42 तक
कुम्भ > 07:42 से 09:22 तक
मीन > 09: 22 से 10:42 तक
मेष > 10:42 से 12:24 तक
वृषभ > 12:24 से 16:42 तक
कर्क > 16:42 से 18:54 तक
सिंह > 18:54 से 21:08 तक
कन्या > 21:08 से 11:12 तक
तुला > 11:12 से 02:26 तक
वृश्चिक > 02:26 से 03:36 तक
धनु > 03:36 से 05:46 तक

 

*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*

5 + 5 + 1 = 11 ÷ 4 = 3 शेष
स्वर्ग लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

बुध ग्रह मुखहुति

*💮 शिव वास एवं फल -:*

5 + 5+ 5 = 15 ÷ 7 = 1 शेष

कैलाश वास = शुभ कारक

*🚩भद्रा वास एवं फल -:*

*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*

*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*

*वसंत पंचमी (सरस्वती पूजन)

* सरस्वती प्राकट्योत्सव

* गणतंत्र दिवस

* सर्वार्थ सिद्धि योग 18:56 से

*होली डंडा रोपण

*बसंती पोशाक धारण श्री राधावल्लभ जी

* वसंती कमरा दर्शन श्री शाहजी मन्दिर वृन्दावन

*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*

लोकयात्रा भयं लज्जा दाक्षिण्यं त्यागशीलता ।
पञ्च यत्र न विद्यन्ते न कुर्य्यात्तत्र सड्गतिम् ।।
।। चा o नी o।।

बुद्धिमान व्यक्ति को ऐसे देश में कभी नहीं जाना चाहिए जहाँ :
रोजगार कमाने का कोई माध्यम ना हो,
जहा लोगों को किसी बात का भय न हो,
जहा लोगो को किसी बात की लज्जा न हो,
जहा लोग बुद्धिमान न हो,
और जहाँ लोगो की वृत्ति दान धरम करने की ना हो।

*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*

गीता -: विभूति योग अo-10

वृष्णीनां वासुदेवोऽस्मि पाण्डवानां धनञ्जयः ।,
मुनीनामप्यहं व्यासः कवीनामुशना कविः ॥,

वृष्णिवंशियों में (यादवों के अंतर्गत एक वृष्णि वंश भी था) वासुदेव अर्थात्‌ मैं स्वयं तेरा सखा, पाण्डवों में धनञ्जय अर्थात्‌ तू, मुनियों में वेदव्यास और कवियों में शुक्राचार्य कवि भी मैं ही हूँ॥,37॥,

*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

🐏मेष
व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। बेचैनी रहेगी। प्रयास सफल रहेंगे। धनलाभ के अवसर हाथ आएंगे। सामाजिक कार्य करने में रुचि रहेगी। मान-सम्मान मिलेगा। निवेश शुभ रहेगा। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। कार्यसिद्धि होगी। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी।

🐂वृष
यात्रा मनोरंजक रहेगी। स्वादिष्ट भोजन का आनंद प्राप्त होगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता प्राप्त करेगा। कारोबार में वृद्धि के योग हैं। व्यस्तता के चलते स्वास्‍थ्य प्रभावित होगा। धन प्राप्ति सुगम होगी। मित्रों का सहयोग समय पर प्राप्त होगा। रुके कार्यों में गति आएगी। प्रसन्नता रहेगी। जोखिम न उठाएं।

👫मिथुन
जल्दबाजी से चोट लग सकती है। दूर से शोक समाचार मिल सकता है। वाणी पर नियंत्रण रखें। किसी अपने ही व्यक्ति से कहासुनी हो सकती है। थकान व कमजोरी रह सकती है। स्वास्थ्य पर खर्च होगा। चिंता तथा तनाव रहेंगे। नौकरी में कार्यभार रहेगा। भागदौड़ रहेगी। आय होगी। व्यवसाय ठीक चलेगा।

🦀कर्क
कानूनी अड़चन दूर होकर लाभ की स्थिति बनेगी। थकान व कमजोरी रह सकती है। जीवनसाथी से सहयोग प्राप्त होगा। व्यापार-व्यवसाय लाभप्रद रहेगा। निवेश में जल्दबाजी न करें। नौकरी में शांति रहेगी। धन प्राप्ति सुगम होगी। मित्रों का सहयोग रहेगा। कार्य समय पर पूर्ण होंगे।

🐅सिंह
पुराना रोग उभर सकता है। दूर से दु:खद समाचार मिल सकता है। व्यर्थ भागदौड़ रहेगी। किसी व्यक्ति के व्यवहार से अप्रसन्नता रहेगी। अपेक्षित कार्य विलंब से होंगे। प्रयास अधिक करना पड़ेंगे। किसी व्यक्ति विशेष की नाराजी झेलना पड़ेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा।

🙍‍♀️कन्या
जल्दबाजी न करें। कोई समस्या खड़ी हो सकती है। शरीर शिथिल हो सकता है। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। भूमि व भवन इत्यादि की खरीद-फरोख्त की योजना बनेगी। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। आय में वृद्धि होगी। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेगे। प्रमाद न करें।

⚖️तुला
धनहानि संभव है, सावधानी रखें। किसी व्यक्ति के व्यवहार से स्वाभिमान को ठेस पहुंच सकती है। जीवनसाथी के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। विवाद से बचें। शत्रु शांत रहेंगे। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। यात्रा लाभदायक रहेगी। व्यापार मनोनुकूल चलेगा। नौकरी में चैन रहेगा।

🦂वृश्चिक
अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। बात बढ़ सकती है। परिवार के किसी सदस्य के स्वास्‍थ्य की चिंता रहेगी। तनाव रहेगा। पुराना रोग उभर सकता है। लेन-देन में सावधानी रखें। किसी भी व्यक्ति की बातों में न आएं। महत्वपूर्ण निर्णय सोच-समझकर करें, लाभ होगा।

🏹धनु
शत्रु सक्रिय रहेंगे। शारीरिक कष्‍ट संभव है। दूसरों के कार्य में हस्तक्षेप न करें। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। व्यापार-व्यवसाय लाभप्रद रहेगा। निवेश मनोनुकूल लाभ देगा। परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता प्राप्त होगी। भाग्य का साथ मिलेगा। प्रसन्नता रहेगी।

🐊मकर
धन प्राप्ति सुगम तरीके से होगी। नई योजना बनेगी। तत्काल लाभ नहीं होगा। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। सामाजिक कार्य करने में रुझान रहेगा। मान-सम्मान मिलेगा। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड इत्यादि से मनोनुकूल लाभ होगा। कष्ट, तनाव व चिंता का वातावरण बन सकता है। शत्रु पस्त होंगे।

🍯कुंभ
पूजा-पाठ में मन लगेगा। किसी साधु-संत का आशीवार्द मिल सकता है। कोर्ट व कचहरी के कार्य मनोनुकूल रहेंगे। व्यापार-व्यवसाय लाभप्रद रहेंगे। नौकरी में प्रभाव वृद्धि होगी। मातहतों का सहयोग प्राप्त होगा। लंबित कार्य पूर्ण होंगे। प्रमाद न करें।

🐟मीन
घर में अतिथियों का आगमन होगा। व्यय होगा। दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। नौकरी में संतोष रहेगा। निवेश शुभ रहेगा। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। विरोध होगा। विवाद से क्लेश होगा, इससे बचें। पुराना रोग उभर सकता है। परिवार की चिंता रहेगी। जल्दबाजी न करें।

🙏आपका दिन मंगलमय हो🙏

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बसन्त पंचमी विशेष 

बसंत पंचमी की तिथि पूजा विधि, शुभ मुहूर्त व महत्व

बसंत पंचमी भारतीय संस्कृति में एक बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने वाला त्यौहार है जिसमे हमारी परम्परा, भौगौलिक परिवर्तन , सामाजिक कार्य तथा आध्यात्मिक पक्ष सभी का सम्मिश्रण है, हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है वास्तव में भारतीय गणना के अनुसार वर्ष भर में पड़ने वाली छः ऋतुओं (बसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत, शिशिर) में बसंत को ऋतुराज अर्थात सभी ऋतुओं का राजा माना गया है और बसंत पंचमी के दिन को बसंत ऋतु का आगमन माना जाता है इसलिए बसंत पंचमी ऋतू परिवर्तन का दिन भी है जिस दिन से प्राकृतिक सौन्दर्य निखारना शुरू हो जाता है पेड़ों पर नयी पत्तिया कोपले और कालिया खिलना शुरू हो जाती हैं पूरी प्रकृति एक नवीन ऊर्जा से भर उठती है।

बसंत पंचमी को विशेष रूप से सरस्वती जयंती के रूप में मनाया जाता है यह माता सरस्वती का प्राकट्योत्सव है इसलिए इस दिन विशेष रूप से माता सरस्वती की पूजा उपासना कर उनसे विद्या बुद्धि प्राप्ति की कामना की जाती है इसी लिए विद्यार्थियों के लिए बसंत पंचमी का त्यौहार बहुत विशेष होता है।

इस दिन पीले वस्त्र पहनने और खिचड़ी बनाने और बाटने की प्रथा भी प्रचलित है तो इस दिन बसंत ऋतु के आगमन होने से कई प्रदेशों में आकाश में रंगीन पतंगे उड़ने की परम्परा भी बहुत दीर्घकाल से प्रचलन में है।

बसंत पंचमी के दिन का एक और विशेष महत्व भी है बसंत पंचमी को मुहूर्त शास्त्र के अनुसार एक स्वयं सिद्ध मुहूर्त और अनसूज साया भी माना गया है अर्थात इस दिन कोई भी शुभ मंगल कार्य करने के लिए पंचांग शुद्धि की आवश्यकता नहीं होती इस दिन नींव पूजन, गृह प्रवेश, वाहन खरीदना, व्यापार आरम्भ करना, सगाई और विवाह आदि मंगल कार्य किये जा सकते है।

माता सरस्वती को ज्ञान, सँगीत, कला, विज्ञान और शिल्प-कला की देवी माना जाता है।

भक्त लोग, ज्ञान प्राप्ति और सुस्ती, आलस्य एवं अज्ञानता से छुटकारा पाने के लिये, आज के दिन देवी सरस्वती की उपासना करते हैं। कुछ प्रदेशों में आज के दिन शिशुओं को पहला अक्षर लिखना सिखाया जाता है। दूसरे शब्दों में वसन्त पञ्चमी का दिन विद्या आरम्भ करने के लिये काफी शुभ माना जाता है इसीलिये माता-पिता आज के दिन शिशु को माता सरस्वती के आशीर्वाद के साथ विद्या आरम्भ कराते हैं। सभी विद्यालयों में आज के दिन सुबह के समय माता सरस्वती की पूजा की जाती है।

वसन्त पञ्चमी का दिन हिन्दु कैलेण्डर में पञ्चमी तिथि को मनाया जाता है। जिस दिन पञ्चमी तिथि सूर्योदय और दोपहर के बीच में व्याप्त रहती है उस दिन को सरस्वती पूजा के लिये उपयुक्त माना जाता है। हिन्दु कैलेण्डर में सूर्योदय और दोपहर के मध्य के समय को पूर्वाह्न के नाम से जाना जाता है।

ज्योतिष विद्या में पारन्गत व्यक्तियों के अनुसार वसन्त पञ्चमी का दिन सभी शुभ कार्यो के लिये उपयुक्त माना जाता है। इसी कारण से वसन्त पञ्चमी का दिन अबूझ मुहूर्त के नाम से प्रसिद्ध है और नवीन कार्यों की शुरुआत के लिये उत्तम माना जाता है।

वसन्त पञ्चमी के दिन किसी भी समय सरस्वती पूजा की जा सकती है परन्तु पूर्वाह्न का समय पूजा के लिये श्रेष्ठ माना जाता है। सभी विद्यालयों और शिक्षा केन्द्रों में पूर्वाह्न के समय ही सरस्वती पूजा कर माता सरस्वती का आशीर्वाद ग्रहण किया जाता है।

 

नीचे सरस्वती पूजा का जो मुहूर्त दिया गया है उस समय पञ्चमी तिथि और पूर्वाह्न दोनों ही व्याप्त होते हैं। इसीलिये वसन्त पञ्चमी के दिन सरस्वती पूजा इसी समय के दौरान करना श्रेष्ठ है।

 

सरस्वती, बसंतपंचमी पूजा

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1. प्रात:काल स्नान करके पीले वस्त्र धारण करें। 

 

2. मां सरस्वती की प्रतिमा को सामने रखें तत्पश्चात कलश स्थापित कर प्रथम पूज्य गणेश जी का पंचोपचार विधि पूजन उपरांत सरस्वती का ध्यान करें 

ध्यान मंत्र 

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या कुन्देन्दु तुषारहार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता। 

या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना ।। 

या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता। 

सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ।। 

शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमांद्यां जगद्व्यापनीं । 

वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यांधकारपहाम्।। 

हस्ते स्फाटिक मालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम् । 

वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्।।2।।

3. मां की पूजा करते समय सबसे पहले उन्हें आचमन व स्नान कराएं। 

4. माता का श्रंगार कराएं ।

5. माता श्वेत वस्त्र धारण करती हैं इसलिए उन्हें श्वेत वस्त्र पहनाएं। 

6. प्रसाद के रुप में खीर अथवा दुध से बनी मिठाईयों का भोग लगाएं। 

7. श्वेत फूल माता को अर्पण करें।

8. तत्पश्चात नवग्रह की विधिवत पूजा करें। 

सरस्वती पूजा करते समय सबसे पहले सरस्वती माता की प्रतिमा अथवा तस्वीर को सामने रखना चाहिए। इसके बाद कलश स्थापित करके गणेश जी तथा नवग्रह की विधिवत पूजा करनी चाहिए। इसके बाद माता सरस्वती की पूजा करें। सरस्वती माता की पूजा करते समय उन्हें सबसे पहले आचमन एवं स्नान कराएं। इसके बाद माता को फूल एवं माला चढ़ाएं. सरस्वती माता को सिन्दुर एवं अन्य श्रृंगार की वस्तुएं भी अर्पित करनी चाहिए. बसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता के चरणों पर गुलाल भी अर्पित किया जाता है।

देवी सरस्वती श्वेत(सफेद) वस्त्र धारण करती हैं अत: उन्हें श्वेत वस्त्र पहनाएं। सरस्वती पूजन के अवसर पर माता सरस्वती को पीले रंग का फल चढ़ाएं। प्रसाद के रूप में मौसमी फलों के अलावा बूंदिया अर्पित करना चाहिए। इस दिन सरस्वती माता को मालपुए एवं खीर का भी भोग लगाया जाता है।

सरस्वती माता का हवन 

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सरस्वती पूजा करने बाद सरस्वती माता के नाम से हवन करना चाहिए. हवन के लिए हवन कुण्ड अथवा भूमि पर सवा हाथ चारों तरफ नापकर एक निशान बना लेना चाहिए। इसे कुशा से साफ करके गंगा जल छिड़क कर पवित्र करने के बाद। आम की छोटी-छोटी लकडि़यों को अच्छी तरह बिछा लें और इस पर अग्नि प्रजज्वलित करें. हवन करते समय गणेश जी, नवग्रह के नाम से हवन करें। इसके बाद सरस्वती माता के नाम से “ॐ श्री सरस्वत्यै नमः ” इस मंत्र से 108 बार हवन करना चाहिए. हवन के बाद सरस्वती माता की आरती करें और हवन का भभूत माथे कंठ और भुजाओं पर लगायें। 

माघ शुक्ल पंचमी के दिन सरस्वती की पूजा के बाद षष्ठी तिथि को सुबह माता सरस्वती की पूजा करने के बाद उनका विसर्जन कर देना चाहिए। संध्या काल में मूर्ति को प्रणाम करके जल में प्रवाहित कर देना चाहिए।

बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की पूजा के साथ सरस्वती चालीसा पढ़ना और कुछ मंत्रों का जाप आपकी बुद्धि प्रखर करता है। अपनी सुविधानुसार आप ये मंत्र 11, 21 या 108 बार जाप कर सकते हैं।

निम्न मंत्र या इनमें किसी भी एक मंत्र का यथा सामर्थ्य जाप करें

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1. सरस्वती महाभागे विद्ये कमललोचने

विद्यारूपा विशालाक्षि विद्यां देहि नमोस्तुते॥

2. या देवी सर्वभूतेषू, मां सरस्वती रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

3. ऐं ह्रीं श्रीं वाग्वादिनी सरस्वती देवी मम जिव्हायां।

सर्व विद्यां देही दापय-दापय स्वाहा।।

4. एकादशाक्षर सरस्वती मंत्र

ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः।

5. वर्णानामर्थसंघानां रसानां छन्दसामपि।

मंगलानां च कर्त्तारौ वन्दे वाणी विनायकौ।।

6. सरस्वत्यै नमो नित्यं भद्रकाल्यै नमो नम:।

वेद वेदान्त वेदांग विद्यास्थानेभ्य एव च।।

सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने।

विद्यारूपे विशालाक्षी विद्यां देहि नमोस्तुते।।

7. प्रथम भारती नाम, द्वितीय च सरस्वती

तृतीय शारदा देवी, चतुर्थ हंसवाहिनी

पंचमम् जगतीख्याता, षष्ठम् वागीश्वरी तथा

सप्तमम् कुमुदीप्रोक्ता, अष्ठमम् ब्रह्मचारिणी

नवम् बुद्धिमाता च दशमम् वरदायिनी

एकादशम् चंद्रकांतिदाशां भुवनेशवरी

द्वादशेतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेनर:

जिह्वाग्रे वसते नित्यमं

ब्रह्मरूपा सरस्वती सरस्वती महाभागे

विद्येकमललोचने विद्यारूपा विशालाक्षि

विद्या देहि नमोस्तुते”

8. स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए।

जेहि पर कृपा करहिं जन जानि।

कवि उर अजिर नचावहिं वानी॥

मोरि सुधारहिं सो सब भांति।

जासु कृपा नहिं कृपा अघाति॥

9. गुरु गृह पढ़न गए रघुराई।

अलप काल विद्या सब पाई॥

विद्या प्राप्ति में बाधा नाशक टोटके

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👉बसंत पंचमी के दिन प्रातः उठकर, बच्चों को अपनी- अपनी हथेलियां देखनी चाहिए। क्योंकि कहते हैं- “कराग्रे लक्ष्मी बसते, कर मध्ये सरस्वती, कर मूले तू गोविदः प्रभाते कर दर्शनम्।” यानी हथेली में माँ सरस्वती का वास होती है, जिनकों देखना माँ सरस्वती के दर्शन करने के बराबर होती है।

👉 जिन बच्चों में हकलाने या बोलने में परेशानी हो वो बांसुरी के छेद से शहद भरकर, उसे मोम से बंद कराकर, श्रद्धा और विश्वास के साथ उस बच्चों के हाथ से ही वाग्देवी को समर्पण कर, जमीन में गाड़ देना चाहिए। ऐसा करने से बच्चों का बोलने की दिक्कत क्रमशः दूर होती है।।

👉 अपनी किताबों/ लेखन सामग्री के साथ बसंत पंचमी के दिन मोर पंख रखना चाहिए। मान्यता है कि इससे पढ़ने में मन लगता है।

👉 बच्चों की बुद्धि तेज करने के लिए इस बसंत पंचमी के दिन से ही औषधि रूपिणी ब्राह्मी, शंखपुष्पी जैसी मेधावटी को सेवन के लिए देना आरंभ करना चाहिए।

👉 बच्चों के अलावा भी जिन लोगों को बोलने में दिक्कत हो, उन्हें बसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती की सामर्थ्य अनुसार पूजा करने के बाद, पुरोधा की सहायता लेकर जीभ को तालु में लगाकर बीज मंत्र ‘ऐं’ का यथाविधि जाप करना चाहिए।

माँ सरस्वती चालीसा

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दोहा 

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जनक जननि पदम दुरज, निजब मस्तक पर धारि।

बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि।।

पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अनंतु।

दुष्टजनों के पाप को, मातु तुही अब हन्तु।।

 

चौपाई

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जय श्रीसकल बुद्धि बलरासी।जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी।।

जय जय जय वीणाकर धारी।करती सदा सुहंस सवारी।।

रूप चतुर्भुज धारी माता।सकल विश्व अन्दर विख्याता।।

जग में पाप बुद्धि जब होती।तबही धर्म की फीकी ज्योति।।

तबहि मातु का निज अवतारा।पाप हीन करती महितारा।।

बाल्मीकि जी था हत्यारा। तव प्रसाद जानै संसारा।।

रामचरित जो रचे बनाई। आदि कवि की पदवी पाई।।

कालीदास जो भये विख्याता। तेरी कृपा दृष्टि से माता।।

तुलसी सूर आदि विद्वाना। भये जो और ज्ञानी नाना।।

तिन्ह न और रहेउ अवलम्बा। केवल कृपा आपकी अम्बा।।

करहु कृपा सोई मातु भवानी।दुखित दीन निज दासहि जानी।।

पुत्र करई अपराध बहूता। तेहि न धरई चित माता।।

राखु लाज जननि अब मेरी।विनय करऊ भांति बहुतेरी।।

मैं अनाथ तेरी अवलंबा। कृपा करउ जय जय जगदंबा।।

मधुकैटभ जो अति बलवाना। बाहुयुद्ध विष्णु से ठाना।।

समर हजार पांच में घोरा। फिर भी मुख उनसे नहीं मोरा।।

मातु सहाय कीन्ह तेहि काला। बुद्धि विपरीत भई खलहाला।।

तेहि ते मृत्यु भई खल केरी। पुरवहु मातु मनोरथ मेरी।।

चण्ड मुण्ड जो थे विख्याता। क्षण महु संहारे उन माता।।

रक्त बीज से समरथ पापी। सुर मुनि हृदय धरा सब कांपी।।

काटेउ सिर जिम कदली खम्बा। बार बार बिनवऊं जगदंबा।।

जगप्रसिद्ध जो शुंभ निशुंभा। क्षण में बांधे ताहि तूं अम्बा।।

भरत-मातु बुद्धि फेरेऊ जाई। रामचन्द्र बनवास कराई।।

एहि विधि रावन वध तू कीन्हा। सुर नर मुनि सबको सुख दीन्हा।।

को समरथ तव यश गुण गाना। निगम अनादि अनंत बखाना।।

विष्णु रूद्र जस कहिन मारी। जिनकी हो तुम रक्षाकारी।।

रक्त दन्तिका और शताक्षी। नाम अपार है दानव भक्षी।।

दुर्गम काज धरा पर कीन्हा। दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा।।

दुर्ग आदि हरनी तू माता। कृपा करहु जब जब सुखदाता।।

नृप कोपित को मारन चाहे। कानन में घेरे मृग नाहै।।

सागर मध्य पोत के भंजे। अति तूफान नहिं कोऊ संगे।।

भूत प्रेत बाधा या दु:ख में। हो दरिद्र अथवा संकट में।।

नाम जपे मंगल सब होई। संशय इसमें करई न कोई।।

पुत्रहीन जो आतुर भाई। सबै छांड़ि पूजें एहि भाई।।

करै पाठ नित यह चालीसा। होय पुत्र सुन्दर गुण ईसा।।

धूपादिक नैवेद्य चढ़ावै। संकट रहित अवश्य हो जावै।।

भक्ति मातु की करैं हमेशा। निकट न आवै ताहि कलेशा।।

बंदी पाठ करें सत बारा । बंदी पाश दूर हो सारा।।

रामसागर बांधि हेतु भवानी। कीजे कृपा दास निज जानी।।

दोहा 

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मातु सूर्य कान्ति तव, अंधकार मम रूप।

डूबन से रक्षा कार्हु परूं न मैं भव कूप।।

बलबुद्धि विद्या देहु मोहि, सुनहु सरस्वती मातु।

रामसागर अधम को आश्रय तू ही दे दातु।।

माँ सरस्वती वंदना

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वर दे, वीणावादिनि वर दे !

प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव

        भारत में भर दे !

काट अंध-उर के बंधन-स्तर

बहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर;

कलुष-भेद-तम हर प्रकाश भर

        जगमग जग कर दे !

नव गति, नव लय, ताल-छंद नव

नवल कंठ, नव जलद-मन्द्ररव;

नव नभ के नव विहग-वृंद को

        नव पर, नव स्वर दे !

वर दे, वीणावादिनि वर दे।

कुछ क्षेत्रों में देवी की पूजा कर प्रतिमा को विसर्जित भी किया जाता है। विद्यार्थी मां सरस्वती की पूजा कर गरीब बच्चों में कलम व पुस्तकों का दान करें। संगीत से जुड़े व्यक्ति अपने साज पर तिलक लगा कर मां की आराधना करें व मां को बांसुरी भेंट करें।

पूजा समय

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पंचमी तिथि आरंभ 👉 जनवरी 25 को प्रातः 12 बजकर 35 मिनट से।

पंचमी तिथि समाप्त 👉 जनवरी 26 को सुबह 10 बजकर 28 मिनट तक।

सरस्वती पूजा का मुहूर्त 5 फरवरी प्रातः 07 बजकर 11 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक है और इस मुहूर्त की अवधि 5 घंटे 19 मिनट तक रहेगी दोपहर तक इस पूजन को क‍िया जा सकता है। बसंत पंचमी के पूरे दिन आप अपने किसी भी नए कार्य का आरम्भ कर सकते हैं ये एक स्वयं सिद्ध और श्रेष्ठ मुहूर्त होता है।

सरस्वती स्तोत्रम्

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श्वेतपद्मासना देवि श्वेतपुष्पोपशोभिता। 

श्वेताम्बरधरा नित्या श्वेतगन्धानुलेपना॥ 

श्वेताक्षी शुक्लवस्रा च श्वेतचन्दन चर्चिता। 

वरदा सिद्धगन्धर्वैर्ऋषिभिः स्तुत्यते सदा॥  

स्तोत्रेणानेन तां देवीं जगद्धात्रीं सरस्वतीम्। 

ये स्तुवन्ति त्रिकालेषु सर्वविद्दां लभन्ति ते॥ 

या देवी स्तूत्यते नित्यं ब्रह्मेन्द्रसुरकिन्नरैः। 

सा ममेवास्तु जिव्हाग्रे पद्महस्ता सरस्वती॥ 

॥इति श्रीसरस्वतीस्तोत्रं संपूर्णम्॥ 

बसन्त पंचमी कथा

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सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा ने जीवों, खासतौर पर मनुष्य योनि की रचना की। अपनी सर्जना से वे संतुष्ट नहीं थे। उन्हें लगता था कि कुछ कमी रह गई है जिसके कारण चारों ओर मौन छाया रहता है। विष्णु से अनुमति लेकर ब्रह्मा ने अपने कमण्डल से जल छिड़का, पृथ्वी पर जलकण बिखरते ही उसमें कंपन होने लगा। इसके बाद वृक्षों के बीच से एक अद्भुत शक्ति का प्राकट्य हुआ। यह प्राकट्य एक चतुर्भुजी सुंदर स्त्री का था जिसके एक हाथ में वीणा तथा दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। ब्रह्मा ने देवी से वीणा बजाने का अनुरोध किया। जैसे ही देवी ने वीणा का मधुरनाद किया, संसार के समस्त जीव-जन्तुओं को वाणी प्राप्त हो गई। जलधारा में कोलाहल व्याप्त हो गया। पवन चलने से सरसराहट होने लगी। तब ब्रह्मा ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती कहा। सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। ये विद्या और बुद्धि प्रदाता हैं। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण ये संगीत की देवी भी हैं। बसन्त पंचमी के दिन को इनके जन्मोत्सव के रूप में भी मनाते हैं। ऋग्वेद में भगवती सरस्वती का वर्णन करते हुए कहा गया है-

प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु।

अर्थात ये परम चेतना हैं। सरस्वती के रूप में ये हमारी बुद्धि, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका हैं। हममें जो आचार और मेधा है उसका आधार भगवती सरस्वती ही हैं। इनकी समृद्धि और स्वरूप का वैभव अद्भुत है। पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण ने सरस्वती से ख़ुश होकर उन्हें वरदान दिया था कि वसंत पंचमी के दिन तुम्हारी भी आराधना की जाएगी और यूं भारत के कई हिस्सों में वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की भी पूजा होने लगी जो कि आज तक जारी है।

स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में झंडा फहराने में क्या अंतर है ?

*पहला अंतर*

15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर झंडे को नीचे से रस्सी द्वारा खींच कर ऊपर ले जाया जाता है, फिर खोल कर फहराया जाता है, जिसे *ध्वजारोहण कहा जाता है क्योंकि यह 15 अगस्त 1947 की ऐतिहासिक घटना को सम्मान देने हेतु किया जाता है जब प्रधानमंत्री जी ने ऐसा किया था। संविधान में इसे अंग्रेजी में Flag Hoisting (ध्वजारोहण) कहा जाता है।

जबकि

26 जनवरी गणतंत्र दिवस के अवसर पर झंडा ऊपर ही बंधा रहता है, जिसे खोल कर फहराया जाता है, संविधान में इसे Flag Unfurling (झंडा फहराना) कहा जाता है।

*दूसरा अंतर*

15 अगस्त के दिन प्रधानमंत्री जो कि केंद्र सरकार के प्रमुख होते हैं वो ध्वजारोहण करते हैं, क्योंकि स्वतंत्रता के दिन भारत का संविधान लागू नहीं हुआ था और राष्ट्रपति जो कि राष्ट्र के संवैधानिक प्रमुख होते है, उन्होंने पदभार ग्रहण नहीं किया था। इस दिन शाम को राष्ट्रपति अपना सन्देश राष्ट्र के नाम देते हैं।

जबकि

26 जनवरी जो कि देश में संविधान लागू होने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, इस दिन संवैधानिक प्रमुख राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं

*तीसरा अंतर*

स्वतंत्रता दिवस के दिन लाल किले से ध्वजारोहण किया जाता है।

जबकि

गणतंत्र दिवस के दिन राजपथ पर झंडा फहराया जाता है।

*आपसे आग्रह है ये अंतर अपने बच्चों को अवश्य बताएं।*