आज का पंचाग आपका राशि फल, ज्योतिष्पीठ पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेस्वरानन्द जी कल होंगे देहरादून में, विश्व का सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र (ऋषि मुनियों द्वारा किया गया अनुसंधान)

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(ज्योतिष्पीठ पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेस्वरानन्द जी महाराज शंकरचार्य पीठ पर आसीन होने के बाद पहली बार कल 24 नवम्बर को देहरादून पधार रहे हैं। यहां सेवला कलां त्रिवेणी विहार शंकरचार्य पुरम में ज्योतिषशास्त्र के वैज्ञानिक डाॅ रमेश पांडे आदि के सौजन्य से उनका भव्य स्वागत समारोह का आयोजन किया गया है।✍️हरीश मैखुरी 

𝕝𝕝 🕉 𝕝𝕝
*श्री हरिहरो*
*विजयतेतराम*

*🌹।।सुप्रभातम्।।🌹*

🗓 आज का पञ्चाङ्ग 🗓
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*बुधवार, २३ नवम्बर २०२२*

सूर्योदय: 🌄 ०६:४७
सूर्यास्त: 🌅 ०५:२२
चन्द्रोदय: 🌝 ❌️❌️❌️
चन्द्रास्त: 🌜१६:४७
अयन 🌖 दक्षिणायने
(दक्षिणगोलीय)
ऋतु: 🌳 हेमंत
शक सम्वत:👉१९४४ (शुभकृत)
विक्रम सम्वत:👉२०७९ (नल)
मास 👉 मार्गशीर्ष
पक्ष 👉 कृष्ण
तिथि 👉 चतुर्दशी (०६:५३
से अमावस्या)
नक्षत्र 👉 विशाखा (२१:३७
से अनुराधा)
योग 👉 शोभन (१५:४० से
अतिगण्ड)
प्रथम करण 👉 शकुनि
(०६:५३ तक)
द्वितीय करण 👉 चतुष्पाद
(१७:४३ तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 वृश्चिक
चंद्र 🌟वृश्चिक (१६:०३ से)
मंगल 🌟 वृष
(उदित, पश्चिम, वक्री)
बुध 🌟 वृश्चिक
(अस्त, पूर्व, मार्गी)
गुरु 🌟 मीन
(उदित, पूर्व, मार्गी)
शुक्र 🌟वृश्चिक (अस्त, पूर्व)
शनि 🌟 मकर
(उदित, पूर्व, मार्गी)
राहु 🌟 मेष
केतु 🌟 तुला
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
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अभिजित मुहूर्त 👉 ❌️❌️❌️
अमृत काल 👉 १३:२४ से १४:५४
सर्वार्थसिद्धि योग 👉 २१:३७ से ३०:४९
अमृतसिद्धि योग 👉 २१:३७ से ३०:४९
विजय मुहूर्त 👉 १३:४८ से १४:३०
गोधूलि मुहूर्त 👉 १७:१५ से १७:४२
सायाह्न सन्ध्या 👉 १७:१८ से १८:३९
निशिता मुहूर्त 👉 २३:३६ से २४:३१
राहुकाल 👉 १२:०३ से १३:२२
राहुवास 👉 दक्षिण-पश्चिम
यमगण्ड 👉 ०८:०७ से ०९:२६
होमाहुति 👉 केतु (२१:३७ से सूर्य)
दिशाशूल 👉 उत्तर
अग्निवास 👉 पाताल (०६:५३ से पृथ्वी)
चन्द्रवास 👉 पश्चिम (उत्तर १६:०४ से)
शिववास 👉 शमशान में (०६:५३ से गौरी के साथ, २८:२६ से श्मशान में)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – लाभ २ – अमृत
३ – काल ४ – शुभ
५ – रोग ६ – उद्वेग
७ – चर ८ – लाभ
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – उद्वेग २ – शुभ
३ – अमृत ४ – चर
५ – रोग ६ – काल
७ – लाभ ८ – उद्वेग
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
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उत्तर-पश्चिम (गुड़ अथवा दूध का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
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देवपितृ कार्ये मार्गशीर्ष अमावस्या, गुरु मार्गी २८:३३ से आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज २१:३७ तक जन्मे शिशुओ का नाम
विशाखा नक्षत्र के द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमश (तू, ते, तो) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम अनुराधा नक्षत्र के प्रथम एवं द्वितीय चरण अनुसार क्रमशः (ना, नी) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
वृश्चिक – ३०:२१ से ०८:४०
धनु – ०८:४० से १०:४४
मकर – १०:४४ से १२:२५
कुम्भ – १२:२५ से १३:५१
मीन – १३:५१ से १५:१४
मेष – १५:१४ से १६:४८
वृषभ – १६:४८ से १८:४३
मिथुन – १८:४३ से २०:५८
कर्क – २०:५८ से २३:१९
सिंह – २३:१९ से २५:३८
कन्या – २५:३८ से २७:५६
तुला – २७:५६ से ३०:१७
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पञ्चक रहित मुहूर्त
शुभ मुहूर्त – ०६:४८ से ०६:५३
रज पञ्चक – ०६:५३ से ०८:४०
शुभ मुहूर्त – ०८:४० से १०:४४
चोर पञ्चक – १०:४४ से १२:२५
शुभ मुहूर्त – १२:२५ से १३:५१
रोग पञ्चक – १३:५१ से १५:१४
चोर पञ्चक – १५:१४ से १६:४८
शुभ मुहूर्त – १६:४८ से १८:४३
रोग पञ्चक – १८:४३ से २०:५८
शुभ मुहूर्त – २०:५८ से २१:३७
मृत्यु पञ्चक – २१:३७ से २३:१९
अग्नि पञ्चक – २३:१९ से २५:३८
शुभ मुहूर्त – २५:३८ से २७:५६
शुभ मुहूर्त – २७:५६ से २८:२६
रज पञ्चक – २८:२६ से ३०:१७
शुभ मुहूर्त – ३०:१७ से ३०:४९
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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन आपके लिये थोड़ा उठापटक वाला रहेगा। आज आर्थिक लाभ की संभवनाएं भी रहेंगी परन्तु आप अपने मन के विचार अथवा व्यवसाय का प्रचार संकोची वृति रहने के कारण खुल कर नही कर सकेंगे फिर भी आज आप दिन भर की गतिविधियों से संतोषी रहेंगे। आर्थिक विषयो को लेकर ज्यादा सरदर्दी नही लेंगे आवश्यकता अनुसार हो भी जाएगा। संतोषी स्वभाव रहने के कारण मानसिक रूप से भी शांत ही रहेंगे परन्तु किसी आवश्यक कार्य को करने में हड़बड़ी अवश्य करेंगे उसके बाद भी कार्य लंबित रहने पर निराशा होगी। महिलाये आज अपने मे ही मगन रहेंगी जिससे घरेलू कार्य थोड़े अस्त-व्यस्त होंगे। आकस्मिक कार्य पड़ने पर दिनचार्य में बदलाव करना पड़ेगा।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज का दिन आपके लिये नई खुशिया लाएगा। आज आर्थिक रूप से स्थिति सुदृढ़ बनेगी फिर भी धन संबंधित मामलों में ज्यादा सावधानी बरतें अन्यथा आपके भाग्य का लाभ किसी और के हिस्से में भी जा सकता है। स्वभाव में अकड रहने से किसी से मन की बात नही कर सकेंगे। दोपहर से घर एवं बाहर का वातावरण अनुकूल होगा मन इच्छित कार्य कर सकेंगे। आलस्य रहेगा लेकिन जिम्मेदारियों को समय पर पूर्ण करेंगे। पारिवारिक जिम्मेदारी ज्यादा रहने से व्यवसाय में तालमेल बैठाने में थोड़ी मुश्किल रहेगी फिर भी इनपर विजय पा लेंगे। दैनिक उपभोग की वस्तुओं के साथ ही धार्मिक खर्च भी रहेंगे। महिलाये किसी कारण से नाराज रहेंगी।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज का दिन आपकी बौद्धिक क्षमता में वृद्धि तो कराएगा परन्तु आज धैर्य की कमी रहने के कारण इसका लाभ नही उठा पाएंगे। कार्य क्षेत्र अथवा घर पर किसी गलतफहमी के कारण मन अशांत रहेगा लोगो को संदेह की दृष्टि से देखेंगे।मध्यान बाद महिला एवं पुरुष दोनों ही अपने निखरे हुए व्यक्तित्त्व के बल पर समाज से सम्मान पाने के अधिकारी बनेंगे। आर्थिक लाभ के भी कई अवसर मिलेंगे साथ ही मितव्ययी प्रवृति रहने से बचत भी कर सकेंगे लेकिन आज उधारी भूल से भी ना दें नया ही किसी से लें। स्त्री वर्ग भी आज आर्थिक मामलों में परिवार की मदद करेंगी। शारीरिक दर्द एवं सर्दी जुखाम की संभावना है।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आपका आज का दिन कलह क्लेश की भेंट चढेगा आज घर एवं बाहर के लोगो का अमर्यादित आचरण आपको आवेश में रखेगा आपके अंदर भी धैर्य की कमी रहने के कारण बात बात पर किसी से भी उलझ पड़ेंगे। प्रातः काल मे ही आसपडोसी अथवा पारिवारिक सदस्य से कहासुनी होगी। अहम की भावना भी अधिक रहने से गलती करने पर भी मानेंगे नही करेंगे क्रोध में आकर जो मन मे आये बोल देंगे बाद में इसकी ग्लानि भी होगी। व्यावसायिक स्थिति भी आपके रूखे व्यवहार के चलते उतार चढ़ाव से भरी रहेगी। धन लाभ के लिए स्वभाव में नरमी रखना आवश्यक है अन्यथा भविष्य के लाभ से भी हाथ धो बैठेंगे। महिलाये परिवार के सदस्यों को एकजुट रखने की असफल कोशिश करेंगी।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज भी दिन आपकी आशाओ पर खरा उतरेगा लेकिन आज आप संबंधों को ज्यादा महत्त्व दें अन्यथा धन की लालसा में लोगो से दूरी बना लेंगे आज आर्थिक स्थिति में स्वाभाविक बढ़ोतरी होगी ज्यादा हाथ पैर ना मारें। आज व्यवसाय अथवा अन्य जोखिम वाले कार्यो में निवेश निसंकोच होकर करें विलम्ब से ही सही नतीजे पक्ष में ही रहेंगे। व्यवसाय में दुविधा की स्थिति से बाहर निकलने के लिए किसी अनुभवी का मार्गदर्शन लें धन लाभ आज निश्चित होकर रहेगा। महिलाये आज मानसिक रूप से प्रसन्न रहेगी पारिवारिक वातावरण को भी महकाएंगी। दाम्पत्य जीवन मे भी आत्मीयता रहेगी। बेरोजगार नए कार्य से जुड़ेंगे व्यर्थ बहस वाले प्रसंगों से दूर रहें।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज के दिन आप जितना भी परिश्रम करेंगे निकट भविष्य में शीघ्र ही इसका लाभ धन अथवा अन्य उपहार सम्मान के रूप में मिलेगा। व्यवहारिकता में थोड़ी कमी रहेगी जिससे आपकी छवि अभिमानियों जैसी बनेगी। कार्य क्षेत्र पर आज अधिकारियो का प्रोत्साहन मिलने से उन्नति के मार्ग खुलेंगे। व्यवसाय में लाभ पाने के लिए थोड़ा परिश्रम करना पड़ सकता है इसका फल संध्या के आसपास आश्चर्य में डालने वाला रहेगा। अनैतिक कार्यो में पड़ने से मान हानि के योग बनेंगे इससे दूर रहें। परिजनों से मधुर भावनात्मक सम्बन्ध रहेंगे घरेलू समस्याओ को महिलाये अपने बल पर सुलझा लेंगी। संध्या के समय शुभ समाचार मिलेंगे। उत्तम भोजन वाहन मनोरंजन यात्रा से आनंद मिलेगा थकान भी होगी।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज आपका स्वभाव अन्य दिनों की अपेक्षा शांत रहेगा। हास-परिहास करने से आस-पास का वातावरण हल्का बनाएंगे। लेकिन आज किसी परिजन के विपरीत व्यवहार पर क्रोध आने से कुछ समय के लिए अशांति बनेगी। आप प्रत्येक कार्य को बेहतर करने का प्रयास करेंगे। कार्य व्यवसाय से धन लाभ लेदेकर हो जाएगा। महिलाये आज अकस्मात किसी शुभसमाचार मिलने से आनंदित रहेंगी। बेरोजगार लोग भी आज हतोत्साहित ना हो प्रयास करने पर आशाजनक रोजगार से जुड़ सकते है। आर्थिक दृष्टिकोण से दिन अच्छा रहेगा खर्च भी आज कम रहने से धन संचय कर पाएंगे। स्वास्थ्य थोड़ा नरम रहेगा। आलस्य के कारण नींद आने की बीमारी से ग्रस्त रह सकते है।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन आपके लिये हानिकर है प्रत्येक कार्य सोच समझ कर ही करें धन सम्बन्धित कार्य आज टालना ही बेहतर रहेगा। आज किसी से पुरानी उधारी मांगने पर विवाद भी हो सकता है ज्यादा बहस में ना उतरे डूबने की आशंका है। सेहत प्रातः काल से ही नरम रहेगी बाहर का खान-पान एवं शीतल प्रदार्थ ज्यादा गड़बड़ करेगा इनसे दूर रहेगें। नौकरी पेशा जातको को लापरवाही के कारण अधिकारियों की डांट सुन्नी पड़ेगी। व्यवसायी वर्ग भी समय से वादा पूर्ण ना करने पर अपमानित हो सकते है। व्यवसाय मे लगभग सभी कार्य आपकी सोच के विपरीत ही होंगे नए कार्यो में पैसा ना फ़सायें पहले अधूरे कार्य पूर्ण करें धन लाभ अल्प मात्रा में ही होगा। महिलाये शारीरिक क्षमता कम रहने से मामूली बातो से चिढ़ जाएंगी।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज का दिन हर तरह से पिछले दिन की अपेक्षा बेहतर रहेगा लेकिन आज आप किसी की बातों तो तुरंत उत्तर ना दे ना ही किसी से प्रतिशोध की भावना रखे अन्यथा अनुकूलता का लाभ मिलना मुश्किल रहेगा। बैठे बिठाए राय देने वाले भी आज अधिक मिलेंगे इनको अनदेखा कर अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करें परिश्रम का उचित फल अवश्य मिलेगा। नौकरी वाले लोगो को भाग-दौड़ अधिक रहेगी अधिकारी वर्ग आपके निर्णयों से सहमत रहेंगे आज अधिकारियों से अपना काम निकालने के लिये भी दिन उपयुक्त है। धन लाभ जिस समय उम्मीद नही होगी तब अकस्मात होगा। महिलाये परिवार के लिए सहयोगी रहेंगी सेहत थोड़ी शिथिल होने पर भी कार्य समय पर पूर्ण कर लेंगी।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज के दिन आपकी दिनचार्य आनंद प्रदान करेगी। नौकरी पेशाओ को आज कार्य क्षेत्र पर अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलेगा पद प्रतिष्ठा में शीघ्र ही वृद्धि होने की सम्भवना बनेगी। सरकारी कार्य भी आज जोड़ तोड़ कर आगे बढ़ने से राहत मिलेगी। व्यवसायी वर्ग के मन मे कुछ ना कुछ उथल पुथल लगी रहेगी धन लाभ के लिए जुगाड़ू प्रवृति अपनाएंगे फिर भी सफलता संदिग्ध ही रहेगी। महिलाये ले देकर अपना काम बना ही लेंगी घरेलू साज सज्जा पर खर्च भी करेंगी। मध्यान पश्चात का समय स्नेही जनों के साथ उत्तम भोजन लघु पर्यटन में आनंद से व्यतीत होगा। आपको घर के बुजुर्ग अथवा किसी वरिष्ठ अधिकारी से खरी खोटी भी सुनने को मिलेगी।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज का दिन सुख-समृद्धि दायक रहेगा। व्यवसाय में भी उन्नति होगी साथ ही मित्र परिचितों के बीच सम्मान बढेगा। आज धार्मिक गतिविधियों में हिस्सा लेने से मानसिक रूप से भी हल्कापन अनुभव करेंगे लेकिन नौकरी वाले लोग कार्य क्षेत्र पर अपने दुराचरण के कारण अपमानित हो सकते है। अचानक किसी की सहायता अथवा स्वभाव परिवर्तन देख कर आश्चर्य चकित रह जायेंगे। काम-धंधा आशाजनक रहेगा परन्तु उधारी वाले व्यवहारों से निजात पाना असंभव होगा इसी वजह से धन संचय करने में भी परेशानी आएगी। खर्च आज आसानी से निकाल लेंगे। सरकारी कार्य आगे बढ़ेंगे। महिलाये आज किसी कारण से पुरुषों के ऊपर आश्रित होंगी। सेहत लगभग सामान्य ही रहेगी।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का दिन आपके लिये विषम परिस्थितियों वाला रहेगा। कार्य भार अधिक रहेगा परन्तु सेहत आज भी शाम तक नरम रहेगी। घर एवं कार्य क्षेत्र पर अव्यवस्था अधिक रहेगी। व्यवहार में भी उदासीनता रहेगी आकर्षण की कमी रहने के कारण लोगो से मेल जोल नही बना सकेंगे। लाभ के अवसर हाथ से निकाल देंगे बाद में इसकी ग्लानि भी होगी। पारिवारिक दायित्वों की पूर्ति हेतु धन को लेकर आज ज्यादा चिंतित रहेंगे आपकी परेशानी का हल शीघ्र ही निकल भी जाएगा महिलाये आर्थिक मामलों में मददगार रहेंगी। मित्र परिचित आवश्यकता पड़ने पर सहायता करेंगे जिससे मन को राहत मिलेगी। परिवारक सदस्यों का महत्त्व जानेंगे। सेहत ठीक रहेगी लेकिन फिर भी आलस्य करेंगे।
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विश्व का सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र (ऋषि मुनियों द्वारा किया गया अनुसंधान)

■ काष्ठा = सैकन्ड का 34000 वाँ भाग
■ 1 त्रुटि= सैकन्ड का 300 वाँ भाग
■ 2 त्रुटि= 1 लव
■ 1 लव= 1 क्षण
■ 30 क्षण= 1 विपल
■ 60 विपल= 1 पल
■ 60 पल= 1 घड़ी (24 मिनट )
■ 2.5 घड़ी= 1 होरा (घन्टा )
■ 3 होरा= 1प्रहर व 8 प्रहर 1 दिवस (वार)
■ 24 होरा= 1 दिवस (दिन या वार)
■ 7 दिवस= 1 सप्ताह
■ 4 सप्ताह= 1 माह
■ 2 माह= 1 ऋतू
■ 6 ऋतू= 1 वर्ष ,
■ 100 वर्ष= 1 शताब्दी
■ 10 शताब्दी= 1 सहस्राब्दी
■ 432 सहस्राब्दी= 1 युग
■ 2 युग = 1 द्वापर युग
■ 3 युग = 1 त्रैता युग
■ 4 युग = सतयुग
■ सतयुग + त्रेतायुग + द्वापरयुग + कलियुग = 1 महायुग,
■ 72 महायुग = मनवन्तर
■ 1000 महायुग = 1 कल्प
■ 1 नित्य प्रलय = 1 महायुग (धरती पर जीवन अन्त और फिर आरम्भ)
■ 1 नैमितिका प्रलय = 1 कल्प। (देवों का अन्त और जन्म)
■ महालय = 730 कल्प। (ब्राह्मा जी का अन्त और जन्म)

*सम्पूर्ण विश्व का सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र यहीं है जो हमारे देश भारत में बना हुआ है । ये हमारा भारत जिस पर हमे गर्व होना चाहिये।*
दो लिंग : नर और नारी।
दो पक्ष : शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष।
दो पूजा : वैदिकी और तांत्रिकी (पुराणोक्त)
दो अयन : उत्तरायन और दक्षिणायन।

तीन देव : ब्रह्मा, विष्णु, शंकर।
तीन देवियाँ : महा सरस्वती, महा लक्ष्मी, महा गौरी।
तीन लोक : पृथ्वी, आकाश, पाताल।
तीन गुण : सत्वगुण, रजोगुण, तमोगुण।
तीन स्थिति : ठोस, द्रव, वायु।
तीन स्तर : प्रारंभ, मध्य, अंत।
तीन पड़ाव : बचपन, जवानी, बुढ़ापा।
तीन रचनाएँ : देव, दानव, मानव।
तीन अवस्था : जागृत, मृत, बेहोशी।
तीन काल : भूत, भविष्य, वर्तमान।
तीन नाड़ी : इडा, पिंगला, सुषुम्ना।
तीन संध्या : प्रात:, मध्याह्न, सायं।
तीन शक्ति : इच्छाशक्ति, ज्ञानशक्ति, क्रियाशक्ति।

चार धाम : बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम्, द्वारका।

चार शंकरचार्य मठ : श्रृंगेरी मठ श्रृंगेरी मठ भारत के दक्षिण में चिकमंगलुुुर में स्थित है। …

गोवर्धन मठ गोवर्धन मठ भारत के पूर्वी भाग में ओडिशा राज्य के जगन्नाथ पुरी में स्थित है। …

शारदा मठ शारदा (कालिका) मठ गुजरात में द्वारकाधाम में स्थित है। …

ज्योतिर्मठ उत्तरांचल के बद्रीनाथ में स्थित है ज्योतिर्मठ।

चार मुनि : सनत, सनातन, सनंद, सनत कुमार।
चार वर्ण : ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र।
चार निति : साम, दाम, दंड, भेद।
चार वेद : सामवेद, ॠग्वेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद।
चार स्त्री : माता, पत्नी, बहन, पुत्री।
चार युग : सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग, कलयुग।
चार समय : सुबह, शाम, दिन, रात।
चार अप्सरा : उर्वशी, रंभा, मेनका, तिलोत्तमा।
चार गुरु : माता, पिता, शिक्षक, आध्यात्मिक गुरु।
चार प्राणी : जलचर, थलचर, नभचर, उभयचर।
चार जीव : अण्डज, पिंडज, स्वेदज, उद्भिज।
चार वाणी : ओम्कार्, अकार्, उकार, मकार्।
चार आश्रम : ब्रह्मचर्य, ग्राहस्थ, वानप्रस्थ, सन्यास।
चार भोज्य : खाद्य, पेय, लेह्य, चोष्य।
चार पुरुषार्थ : धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष।
चार वाद्य : तत्, सुषिर, अवनद्व, घन।

पाँच तत्व : पृथ्वी, आकाश, अग्नि, जल, वायु।
पाँच देवता : गणेश, दुर्गा, विष्णु, शंकर, सुर्य।
पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ : आँख, नाक, कान, जीभ, त्वचा।
पाँच कर्म : रस, रुप, गंध, स्पर्श, ध्वनि।
पाँच उंगलियां : अँगूठा, तर्जनी, मध्यमा, अनामिका, कनिष्ठा।
पाँच पूजा उपचार : गंध, पुष्प, धुप, दीप, नैवेद्य।
पाँच अमृत : दूध, दही, घी, शहद, शक्कर।
पाँच प्रेत : भूत, पिशाच, वैताल, कुष्मांड, ब्रह्मराक्षस।
पाँच स्वाद : मीठा, चर्खा, खट्टा, खारा, कड़वा।
पाँच वायु : प्राण, अपान, व्यान, उदान, समान।
पाँच इन्द्रियाँ : आँख, नाक, कान, जीभ, त्वचा, मन।
पाँच वटवृक्ष : सिद्धवट (उज्जैन), अक्षयवट (Prayagraj), बोधिवट (बोधगया), वंशीवट (वृंदावन), साक्षीवट (गया)।
पाँच पत्ते : आम, पीपल, बरगद, गुलर, अशोक।
पाँच कन्या : अहिल्या, तारा, मंदोदरी, कुंती, द्रौपदी।

छ: ॠतु : शीत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, बसंत, शिशिर।
छ: ज्ञान के अंग : शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द, ज्योतिष।
छ: कर्म : देवपूजा, गुरु उपासना, स्वाध्याय, संयम, तप, दान।
छ: दोष : काम, क्रोध, मद (घमंड), लोभ (लालच), मोह, आलस्य।

सात छंद : गायत्री, उष्णिक, अनुष्टुप, वृहती, पंक्ति, त्रिष्टुप, जगती।
सात स्वर : सा, रे, ग, म, प, ध, नि।
सात सुर : षडज्, ॠषभ्, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत, निषाद।
सात चक्र : सहस्त्रार, आज्ञा, विशुद्ध, अनाहत, मणिपुर, स्वाधिष्ठान, मुलाधार।
सात वार : रवि, सोम, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि।
सात मिट्टी : गौशाला, घुड़साल, हाथीसाल, राजद्वार, बाम्बी की मिट्टी, नदी संगम, तालाब।
सात महाद्वीप : जम्बुद्वीप (एशिया), प्लक्षद्वीप, शाल्मलीद्वीप, कुशद्वीप, क्रौंचद्वीप, शाकद्वीप, पुष्करद्वीप।
सात ॠषि : वशिष्ठ, विश्वामित्र, कण्व, भारद्वाज, अत्रि, वामदेव, शौनक।
सात ॠषि : वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र, भारद्वाज।
सात धातु (शारीरिक) : रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा, वीर्य।
सात रंग : बैंगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी, लाल।
सात पाताल : अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, रसातल, पाताल।
सात पुरी : मथुरा, हरिद्वार, काशी, अयोध्या, उज्जैन, द्वारका, काञ्ची।
सात धान्य : उड़द, गेहूँ, चना, चांवल, जौ, मूँग, बाजरा।

आठ मातृका : ब्राह्मी, वैष्णवी, माहेश्वरी, कौमारी, ऐन्द्री, वाराही, नारसिंही, चामुंडा।
आठ लक्ष्मी : आदिलक्ष्मी, धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, गजलक्ष्मी, संतानलक्ष्मी, वीरलक्ष्मी, विजयलक्ष्मी, विद्यालक्ष्मी।
आठ वसु : अप (अह:/अयज), ध्रुव, सोम, धर, अनिल, अनल, प्रत्युष, प्रभास।
आठ सिद्धि : अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, वशित्व।
आठ धातु : सोना, चांदी, ताम्बा, सीसा जस्ता, टिन, लोहा, पारा।

नवदुर्गा : शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कुष्मांडा, स्कन्दमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री।
नवग्रह : सुर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु।
नवरत्न : हीरा, पन्ना, मोती, माणिक, मूंगा, पुखराज, नीलम, गोमेद, लहसुनिया।
नवनिधि : पद्मनिधि, महापद्मनिधि, नीलनिधि, मुकुंदनिधि, नंदनिधि, मकरनिधि, कच्छपनिधि, शंखनिधि, खर्व/मिश्र निधि।

दस महाविद्या : काली, तारा, षोडशी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्तिका, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, कमला।
दस दिशाएँ : पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, आग्नेय, नैॠत्य, वायव्य, ईशान, ऊपर, नीचे।
दस दिक्पाल : इन्द्र, अग्नि, यमराज, नैॠिति, वरुण, वायुदेव, कुबेर, ईशान, ब्रह्मा, अनंत।
दस अवतार (विष्णुजी) : मत्स्य, कच्छप, वाराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध, कल्कि।
दस सति : सावित्री, अनुसुइया, मंदोदरी, तुलसी, द्रौपदी, गांधारी, सीता, दमयन्ती, सुलक्षणा, अरुंधती।
ऐसी जानकारी बार-बार नहीं आती, और आगे भेजें, ताकि लोगों को सनातन धर्म की जानकारी हो सके।

1-अष्टाध्यायी पाणिनी
2-रामायण वाल्मीकि
3-महाभारत वेदव्यास
4-अर्थशास्त्र चाणक्य
5-महाभाष्य पतंजलि
6-सत्सहसारिका सूत्र नागार्जुन
7-बुद्धचरित अश्वघोष
8-सौंदरानन्द अश्वघोष
9-महाविभाषाशास्त्र वसुमित्र
10- स्वप्नवासवदत्ता भास
11-कामसूत्र वात्स्यायन
12-कुमारसंभवम् कालिदास
13-अभिज्ञानशकुंतलम् कालिदास
14-विक्रमोउर्वशियां कालिदास
15-मेघदूत कालिदास
16-रघुवंशम् कालिदास
17-मालविकाग्निमित्रम् कालिदास
18-नाट्यशास्त्र भरतमुनि
19-देवीचंद्रगुप्तम विशाखदत्त
20-मृच्छकटिकम् शूद्रक
21-सूर्य सिद्धान्त आर्यभट्ट
22-वृहतसिंता बरामिहिर
23-पंचतंत्र। विष्णु शर्मा
24-कथासरित्सागर सोमदेव
25-अभिधम्मकोश वसुबन्धु
26-मुद्राराक्षस विशाखदत्त
27-रावणवध। भटिट
28-किरातार्जुनीयम् भारवि
29-दशकुमारचरितम् दंडी
30-हर्षचरित वाणभट्ट
31-कादंबरी वाणभट्ट
32-वासवदत्ता सुबंधु
33-नागानंद हर्षवधन
34-रत्नावली हर्षवर्धन
35-प्रियदर्शिका हर्षवर्धन
36-मालतीमाधव भवभूति
37-पृथ्वीराज विजय जयानक
38-कर्पूरमंजरी राजशेखर
39-काव्यमीमांसा राजशेखर
40-नवसहसांक चरित पदम् गुप्त
41-शब्दानुशासन राजभोज
42-वृहतकथामंजरी क्षेमेन्द्र
43-नैषधचरितम श्रीहर्ष
44-विक्रमांकदेवचरित बिल्हण
45-कुमारपालचरित हेमचन्द्र
46-गीतगोविन्द जयदेव
47-पृथ्वीराजरासो चंदरवरदाई
48-राजतरंगिणी कल्हण
49-रासमाला सोमेश्वर
50-शिशुपाल वध माघ
51-गौडवाहो वाकपति
52-रामचरित सन्धयाकरनंदी
53-द्वयाश्रय काव्य हेमचन्द्र

*वेद-ज्ञान:-*
प्र.1- वेद किसे कहते है?
उत्तर- ईश्वरीय ज्ञान की पुस्तक को वेद कहते है।

प्र.2- वेद-ज्ञान किसने दिया?
उत्तर- ईश्वर ने दिया।

प्र.3- ईश्वर ने वेद-ज्ञान कब दिया?
उत्तर- ईश्वर ने सृष्टि के आरंभ में वेद-ज्ञान दिया।

प्र.4- ईश्वर ने वेद ज्ञान क्यों दिया?
उत्तर- मनुष्य-मात्र के कल्याण के लिए।

प्र.5- वेद कितने है?
उत्तर- चार
1-ऋग्वेद
2-यजुर्वेद
3-सामवेद
4-अथर्ववेद

प्र.6- वेदों के ब्राह्मण।
वेद ब्राह्मण
1 – ऋग्वे- ऐतरेय
2 – यजुर्वेद- शतपथ
3 – सामवेद- तांड्य
4 – अथर्ववेद- गोपथ

प्र.7- वेदों के उपवेद कितने है।
उत्तर – चार।
वेद उपवेद
1- ऋग्वेद – आयुर्वेद
2- यजुर्वेद – धनुर्वेद
3 -सामवेद – गंधर्ववेद
4- अथर्ववेद – अर्थवेद

प्र 8- वेदों के अंग हैं।
उत्तर – छः
1 – शिक्षा
2 – कल्प
3 – निरूक्त
4 – व्याकरण
5 – छंद
6 – ज्योतिष

प्र.9- वेदों का ज्ञान ईश्वर ने किन किन ऋषियो को दिया?
उत्तर- चार ऋषियों को।
वेद ऋषि
1- ऋग्वेद – अग्नि
2 – यजुर्वेद – वायु
3 – सामवेद – आदित्य
4 – अथर्ववेद – अंगिरा

प्र.10- वेदों का ज्ञान ईश्वर ने ऋषियों को कैसे दिया?
उत्तर- समाधि की अवस्था में।

प्र.11- वेदों में कैसे ज्ञान है?
उत्तर- सब सत्य विद्याओं का ज्ञान-विज्ञान।

प्र.12- वेदो के विषय कौन-कौन से हैं?
उत्तर- चार
ऋषि विषय
1- ऋग्वेद – ज्ञान
2- यजुर्वेद – कर्म
3- सामवे – उपासना
4- अथर्ववेद – विज्ञान

प्र.13- वेदों में।

ऋग्वेद में।
1- मंडल – 10
2 – अष्टक – 08
3 – सूक्त – 1028
4 – अनुवाक – 85
5 – ऋचाएं – 10589

यजुर्वेद में।
1- अध्याय – 40
2- मंत्र – 1975

सामवेद में।
1- आरचिक – 06
2 – अध्याय – 06
3- ऋचाएं – 1875

अथर्ववेद में।
1- कांड – 20
2- सूक्त – 731
3 – मंत्र – 5977

प्र.14- वेद पढ़ने का अधिकार किसको है ? उत्तर- मनुष्य-मात्र को वेद पढ़ने का अधिकार है।

प्र.15- क्या वेदों में मूर्तिपूजा का विधान है ?
उत्तर- बिलकुल भी नहीं।

प्र.16- क्या वेदों में अवतारवाद का प्रमाण है ?
उत्तर- नहीं।

प्र.17- सबसे बड़ा वेद कौन-सा है ?
उत्तर- ऋग्वेद।

प्र.18- वेदों की उत्पत्ति कब हुई ?
उत्तर- वेदो की उत्पत्ति सृष्टि के आदि से परमात्मा द्वारा हुई। अर्थात 1 अरब 96 करोड़ 8 लाख 43 हजार वर्ष पूर्व।

प्र.19- वेद-ज्ञान के सहायक दर्शन-शास्त्र ( उपअंग ) कितने हैं और उनके लेखकों का क्या नाम है?
उत्तर-
1- न्याय दर्शन – गौतम मुनि।
2- वैशेषिक दर्शन – कणाद मुनि।
3- योगदर्शन – पतंजलि मुनि।
4- मीमांसा दर्शन – जैमिनी मुनि।
5- सांख्य दर्शन – कपिल मुनि।
6- वेदांत दर्शन – व्यास मुनि।

प्र.20- शास्त्रों के विषय क्या है?
उत्तर- आत्मा, परमात्मा, प्रकृति, जगत की उत्पत्ति, मुक्ति अर्थात सब प्रकार का भौतिक व आध्यात्मिक ज्ञान-विज्ञान आदि।

प्र.21- प्रामाणिक उपनिषदे कितनी है?
उत्तर- केवल ग्यारह।

प्र.22- उपनिषदों के नाम बतावे?
उत्तर-
01-ईश ( ईशावास्य )
02-केन
03-कठ
04-प्रश्न
05-मुंडक
06-मांडू
07-ऐतरेय
08-तैत्तिरीय
09-छांदोग्य
10-वृहदारण्यक
11-श्वेताश्वतर

प्र.23- उपनिषदों के विषय कहाँ से लिए गए है?
उत्तर- वेदों से।

प्र.24- चार वर्ण।
उत्तर-
1- ब्राह्मण
2- क्षत्रिय
3- वैश्य
4- शूद्र

प्र.25- चार युग।
1- सतयुग – 17,28000 वर्षों का नाम ( सतयुग ) रखा है।
2- त्रेतायुग- 12,96000 वर्षों का नाम ( त्रेतायुग ) रखा है।
3- द्वापरयुग- 8,64000 वर्षों का नाम है।
4- कलयुग- 4,32000 वर्षों का नाम है।
कलयुग के 5122 वर्षों का भोग हो चुका है अभी तक। 4,27024 वर्षों का भोग होना है।

पंच महायज्ञ
1- ब्रह्मयज्ञ
2- देवयज्ञ
3- पितृयज्ञ
4- बलिवैश्वदेवयज्ञ
5- अतिथियज्ञ

स्वर्ग – जहाँ सुख है।
नरक – जहाँ दुःख है।

*भगवान_शिव के “35” रहस्य।*
भगवान शिव अर्थात पार्वती के पति शंकर जिन्हें महादेव, भोलेनाथ, आदिनाथ आदि कहा जाता है।

*🔱1. आदिनाथ शिव : -* सर्वप्रथम शिव ने ही धरती पर जीवन के प्रचार-प्रसार का प्रयास किया इसलिए उन्हें ‘आदिदेव’ भी कहा जाता है। ‘आदि’ का अर्थ प्रारंभ। आदिनाथ होने के कारण उनका एक नाम ‘आदिश’ भी है।

*🔱2. शिव के अस्त्र-शस्त्र : -* शिव का धनुष पिनाक, चक्र भवरेंदु और सुदर्शन, अस्त्र पाशुपतास्त्र और शस्त्र त्रिशूल है। उक्त सभी का उन्होंने ही निर्माण किया था।

*🔱3. भगवान शिव का नाग : -* शिव के गले में जो नाग लिपटा रहता है उसका नाम वासुकि है। वासुकि के बड़े भाई का नाम शेषनाग है।

*🔱4. शिव की अर्द्धांगिनी : -* शिव की पहली पत्नी सती ने ही अगले जन्म में पार्वती के रूप में जन्म लिया और वही उमा, उर्मि, काली कही गई हैं।

*🔱5. शिव के पुत्र : -* शिव के प्रमुख 6 पुत्र हैं- गणेश, कार्तिकेय, सुकेश, जलंधर, अयप्पा और भूमा। सभी के जन्म की कथा रोचक है।

*🔱6. शिव के शिष्य : -* शिव के 7 शिष्य हैं जिन्हें प्रारंभिक सप्तऋषि माना गया है। इन ऋषियों ने ही शिव के ज्ञान को संपूर्ण धरती पर प्रचारित किया जिसके चलते भिन्न-भिन्न धर्म और संस्कृतियों की उत्पत्ति हुई। शिव ने ही गुरु और शिष्य परंपरा की शुरुआत की थी। शिव के शिष्य हैं- बृहस्पति, विशालाक्ष, शुक्र, सहस्राक्ष, महेन्द्र, प्राचेतस मनु, भरद्वाज इसके अलावा 8वें गौरशिरस मुनि भी थे।

*🔱7. शिव के गण : -* शिव के गणों में भैरव, वीरभद्र, मणिभद्र, चंदिस, नंदी, श्रृंगी, भृगिरिटी, शैल, गोकर्ण, घंटाकर्ण, जय और विजय प्रमुख हैं। इसके अलावा, पिशाच, दैत्य और नाग-नागिन, पशुओं को भी शिव का गण माना जाता है।

*🔱8. शिव पंचायत : -* भगवान सूर्य, गणपति, देवी, रुद्र और विष्णु ये शिव पंचायत कहलाते हैं।

*🔱9. शिव के द्वारपाल : -* नंदी, स्कंद, रिटी, वृषभ, भृंगी, गणेश, उमा-महेश्वर और महाकाल।

*🔱10. शिव पार्षद : -* जिस तरह जय और विजय विष्णु के पार्षद हैं उसी तरह बाण, रावण, चंड, नंदी, भृंगी आदि शिव के पार्षद हैं।

*🔱11. सभी धर्मों का केंद्र शिव : -* शिव की वेशभूषा ऐसी है कि प्रत्येक धर्म के लोग उनमें अपने प्रतीक ढूंढ सकते हैं। मुशरिक, यजीदी, साबिईन, सुबी, इब्राहीमी धर्मों में शिव के होने की छाप स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। शिव के शिष्यों से एक ऐसी परंपरा की शुरुआत हुई, जो आगे चलकर शैव, सिद्ध, नाथ, दिगंबर और सूफी संप्रदाय में वि‍भक्त हो गई।

*🔱12. बौद्ध साहित्य के मर्मज्ञ अंतरराष्ट्रीय : -* ख्यातिप्राप्त विद्वान प्रोफेसर उपासक का मानना है कि शंकर ने ही बुद्ध के रूप में जन्म लिया था। उन्होंने पालि ग्रंथों में वर्णित 27 बुद्धों का उल्लेख करते हुए बताया कि इनमें बुद्ध के 3 नाम अतिप्राचीन हैं- तणंकर, शणंकर और मेघंकर।

*🔱13. देवता और असुर दोनों के प्रिय शिव : -* भगवान शिव को देवों के साथ असुर, दानव, राक्षस, पिशाच, गंधर्व, यक्ष आदि सभी पूजते हैं। वे रावण को भी वरदान देते हैं और राम को भी। उन्होंने भस्मासुर, शुक्राचार्य आदि कई असुरों को वरदान दिया था। शिव, सभी आदिवासी, वनवासी जाति, वर्ण, धर्म और समाज के सर्वोच्च देवता हैं।

*🔱14. शिव चिह्न : -* वनवासी से लेकर सभी साधारण व्‍यक्ति जिस चिह्न की पूजा कर सकें, उस पत्‍थर के ढेले, बटिया को शिव का चिह्न माना जाता है। इसके अलावा रुद्राक्ष और त्रिशूल को भी शिव का चिह्न माना गया है। कुछ लोग डमरू और अर्द्ध चन्द्र को भी शिव का चिह्न मानते हैं, हालांकि ज्यादातर लोग शिवलिंग अर्थात शिव की ज्योति का पूजन करते हैं।

*🔱15. शिव की गुफा : -* शिव ने भस्मासुर से बचने के लिए एक पहाड़ी में अपने त्रिशूल से एक गुफा बनाई और वे फिर उसी गुफा में छिप गए। वह गुफा जम्मू से 150 किलोमीटर दूर त्रिकूटा की पहाड़ियों पर है। दूसरी ओर भगवान शिव ने जहां पार्वती को अमृत ज्ञान दिया था वह गुफा ‘अमरनाथ गुफा’ के नाम से प्रसिद्ध है।

*🔱16. शिव के पैरों के निशान : -* श्रीपद- श्रीलंका में रतन द्वीप पहाड़ की चोटी पर स्थित श्रीपद नामक मंदिर में शिव के पैरों के निशान हैं। ये पदचिह्न 5 फुट 7 इंच लंबे और 2 फुट 6 इंच चौड़े हैं। इस स्थान को सिवानोलीपदम कहते हैं। कुछ लोग इसे आदम पीक कहते हैं।

रुद्र पद- तमिलनाडु के नागपट्टीनम जिले के थिरुवेंगडू क्षेत्र में श्रीस्वेदारण्येश्‍वर का मंदिर में शिव के पदचिह्न हैं जिसे ‘रुद्र पदम’ कहा जाता है। इसके अलावा थिरुवन्नामलाई में भी एक स्थान पर शिव के पदचिह्न हैं।

तेजपुर- असम के तेजपुर में ब्रह्मपुत्र नदी के पास स्थित रुद्रपद मंदिर में शिव के दाएं पैर का निशान है।

जागेश्वर- उत्तराखंड के अल्मोड़ा से 36 किलोमीटर दूर जागेश्वर मंदिर की पहाड़ी से लगभग साढ़े 4 किलोमीटर दूर जंगल में भीम के पास शिव के पदचिह्न हैं। पांडवों को दर्शन देने से बचने के लिए उन्होंने अपना एक पैर यहां और दूसरा कैलाश में रखा था।

रांची- झारखंड के रांची रेलवे स्टेशन से 7 किलोमीटर की दूरी पर ‘रांची हिल’ पर शिवजी के पैरों के निशान हैं। इस स्थान को ‘पहाड़ी बाबा मंदिर’ कहा जाता है।

*🔱17. शिव के अवतार : -* वीरभद्र, पिप्पलाद, नंदी, भैरव, महेश, अश्वत्थामा, शरभावतार, गृहपति, दुर्वासा, हनुमान, वृषभ, यतिनाथ, कृष्णदर्शन, अवधूत, भिक्षुवर्य, सुरेश्वर, किरात, सुनटनर्तक, ब्रह्मचारी, यक्ष, वैश्यानाथ, द्विजेश्वर, हंसरूप, द्विज, नतेश्वर आदि हुए हैं। वेदों में रुद्रों का जिक्र है। रुद्र 11 बताए जाते हैं- कपाली, पिंगल, भीम, विरुपाक्ष, विलोहित, शास्ता, अजपाद, आपिर्बुध्य, शंभू, चण्ड तथा भव।

*🔱18. शिव का विरोधाभासिक परिवार : -* शिवपुत्र कार्तिकेय का वाहन मयूर है, जबकि शिव के गले में वासुकि नाग है। स्वभाव से मयूर और नाग आपस में दुश्मन हैं। इधर गणपति का वाहन चूहा है, जबकि सांप मूषकभक्षी जीव है। पार्वती का वाहन शेर है, लेकिन शिवजी का वाहन तो नंदी बैल है। इस विरोधाभास या वैचारिक भिन्नता के बावजूद परिवार में एकता है।

*🔱19.* ति‍ब्बत स्थित कैलाश पर्वत पर उनका निवास है। जहां पर शिव विराजमान हैं उस पर्वत के ठीक नीचे पाताल लोक है जो भगवान विष्णु का स्थान है। शिव के आसन के ऊपर वायुमंडल के पार क्रमश: स्वर्ग लोक और फिर ब्रह्माजी का स्थान है।

*🔱20.शिव भक्त : -* ब्रह्मा, विष्णु और सभी देवी-देवताओं सहित भगवान राम और कृष्ण भी शिव भक्त है। हरिवंश पुराण के अनुसार, कैलास पर्वत पर कृष्ण ने शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। भगवान राम ने रामेश्वरम में शिवलिंग स्थापित कर उनकी पूजा-अर्चना की थी।

*🔱21.शिव ध्यान : -* शिव की भक्ति हेतु शिव का ध्यान-पूजन किया जाता है। शिवलिंग को बिल्वपत्र चढ़ाकर शिवलिंग के समीप मंत्र जाप या ध्यान करने से मोक्ष का मार्ग पुष्ट होता है।

*🔱22.शिव मंत्र : -* दो ही शिव के मंत्र हैं पहला- ॐ नम: शिवाय। दूसरा महामृत्युंजय मंत्र- ॐ ह्रौं जू सः। ॐ भूः भुवः स्वः। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्‌। स्वः भुवः भूः ॐ। सः जू ह्रौं ॐ ॥ है।

*🔱23.शिव व्रत और त्योहार : -* सोमवार, प्रदोष और श्रावण मास में शिव व्रत रखे जाते हैं। शिवरात्रि और महाशिवरात्रि शिव का प्रमुख पर्व त्योहार है।

*🔱24.शिव प्रचारक : -* भगवान शंकर की परंपरा को उनके शिष्यों बृहस्पति, विशालाक्ष (शिव), शुक्र, सहस्राक्ष, महेन्द्र, प्राचेतस मनु, भरद्वाज, अगस्त्य मुनि, गौरशिरस मुनि, नंदी, कार्तिकेय, भैरवनाथ आदि ने आगे बढ़ाया। इसके अलावा वीरभद्र, मणिभद्र, चंदिस, नंदी, श्रृंगी, भृगिरिटी, शैल, गोकर्ण, घंटाकर्ण, बाण, रावण, जय और विजय ने भी शैवपंथ का प्रचार किया। इस परंपरा में सबसे बड़ा नाम आदिगुरु भगवान दत्तात्रेय का आता है। दत्तात्रेय के बाद आदि शंकराचार्य, मत्स्येन्द्रनाथ और गुरु गुरुगोरखनाथ का नाम प्रमुखता से लिया जाता है।

*🔱25.शिव महिमा : -* शिव ने कालकूट नामक विष पिया था जो अमृत मंथन के दौरान निकला था। शिव ने भस्मासुर जैसे कई असुरों को वरदान दिया था। शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था। शिव ने गणेश और राजा दक्ष के सिर को जोड़ दिया था। ब्रह्मा द्वारा छल किए जाने पर शिव ने ब्रह्मा का पांचवां सिर काट दिया था।

*🔱26.शैव परम्परा : -* दसनामी, शाक्त, सिद्ध, दिगंबर, नाथ, लिंगायत, तमिल शैव, कालमुख शैव, कश्मीरी शैव, वीरशैव, नाग, लकुलीश, पाशुपत, कापालिक, कालदमन और महेश्वर सभी शैव परंपरा से हैं। चंद्रवंशी, सूर्यवंशी, अग्निवंशी और नागवंशी भी शिव की परंपरा से ही माने जाते हैं। भारत की असुर, रक्ष और आदिवासी जाति के आराध्य देव शिव ही हैं। शैव धर्म भारत के आदिवासियों का धर्म है।

*🔱27.शिव के प्रमुख नाम : -* शिव के वैसे तो अनेक नाम हैं जिनमें 108 नामों का उल्लेख पुराणों में मिलता है लेकिन यहां प्रचलित नाम जानें- महेश, नीलकंठ, महादेव, महाकाल, शंकर, पशुपतिनाथ, गंगाधर, नटराज, त्रिनेत्र, भोलेनाथ, आदिदेव, आदिनाथ, त्रियंबक, त्रिलोकेश, जटाशंकर, जगदीश, प्रलयंकर, विश्वनाथ, विश्वेश्वर, हर, शिवशंभु, भूतनाथ और रुद्र।

*🔱28.अमरनाथ के अमृत वचन : -* शिव ने अपनी अर्धांगिनी पार्वती को मोक्ष हेतु अमरनाथ की गुफा में जो ज्ञान दिया उस ज्ञान की आज अनेकानेक शाखाएं हो चली हैं। वह ज्ञानयोग और तंत्र के मूल सूत्रों में शामिल है। ‘विज्ञान भैरव तंत्र’ एक ऐसा ग्रंथ है, जिसमें भगवान शिव द्वारा पार्वती को बताए गए 112 ध्यान सूत्रों का संकलन है।

*🔱29.शिव ग्रंथ : -* वेद और उपनिषद सहित विज्ञान भैरव तंत्र, शिव पुराण और शिव संहिता में शिव की संपूर्ण शिक्षा और दीक्षा समाई हुई है। तंत्र के अनेक ग्रंथों में उनकी शिक्षा का विस्तार हुआ है।

*🔱30.शिवलिंग : -* वायु पुराण के अनुसार प्रलयकाल में समस्त सृष्टि जिसमें लीन हो जाती है और पुन: सृष्टिकाल में जिससे प्रकट होती है, उसे लिंग कहते हैं। इस प्रकार विश्व की संपूर्ण ऊर्जा ही लिंग की प्रतीक है। वस्तुत: यह संपूर्ण सृष्टि बिंदु-नाद स्वरूप है। बिंदु शक्ति है और नाद शिव। बिंदु अर्थात ऊर्जा और नाद अर्थात ध्वनि। यही दो संपूर्ण ब्रह्मांड का आधार है। इसी कारण प्रतीक स्वरूप शिवलिंग की पूजा-अर्चना है।

*🔱31.बारह ज्योतिर्लिंग : -* सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ॐकारेश्वर, वैद्यनाथ, भीमशंकर, रामेश्वर, नागेश्वर, विश्वनाथजी, त्र्यम्बकेश्वर, केदारनाथ, घृष्णेश्वर। ज्योतिर्लिंग उत्पत्ति के संबंध में अनेकों मान्यताएं प्रचलित है। ज्योतिर्लिंग यानी ‘व्यापक ब्रह्मात्मलिंग’ जिसका अर्थ है ‘व्यापक प्रकाश’। जो शिवलिंग के बारह खंड हैं। शिवपुराण के अनुसार ब्रह्म, माया, जीव, मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार, आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी को ज्योतिर्लिंग या ज्योति पिंड कहा गया है।

दूसरी मान्यता अनुसार शिव पुराण के अनुसार प्राचीनकाल में आकाश से ज्‍योति पिंड पृथ्‍वी पर गिरे और उनसे थोड़ी देर के लिए प्रकाश फैल गया। इस तरह के अनेकों उल्का पिंड आकाश से धरती पर गिरे थे। भारत में गिरे अनेकों पिंडों में से प्रमुख बारह पिंड को ही ज्‍योतिर्लिंग में शामिल किया गया।

*🔱32.शिव का दर्शन : -* शिव के जीवन और दर्शन को जो लोग यथार्थ दृष्टि से देखते हैं वे सही बुद्धि वाले और यथार्थ को पकड़ने वाले शिवभक्त हैं, क्योंकि शिव का दर्शन कहता है कि यथार्थ में जियो, वर्तमान में जियो, अपनी चित्तवृत्तियों से लड़ो मत, उन्हें अजनबी बनकर देखो और कल्पना का भी यथार्थ के लिए उपयोग करो। आइंस्टीन से पूर्व शिव ने ही कहा था कि कल्पना ज्ञान से ज्यादा महत्वपूर्ण है।

*🔱33.शिव और शंकर : -* शिव का नाम शंकर के साथ जोड़ा जाता है। लोग कहते हैं- शिव, शंकर, भोलेनाथ। इस तरह अनजाने ही कई लोग शिव और शंकर को एक ही सत्ता के दो नाम बताते हैं। असल में, दोनों की प्रतिमाएं अलग-अलग आकृति की हैं। शंकर को हमेशा तपस्वी रूप में दिखाया जाता है। कई जगह तो शंकर को शिवलिंग का ध्यान करते हुए दिखाया गया है। अत: शिव और शंकर दो अलग अलग सत्ताएं है। हालांकि शंकर को भी शिवरूप माना गया है। माना जाता है कि महेष (नंदी) और महाकाल भगवान शंकर के द्वारपाल हैं। रुद्र देवता शंकर की पंचायत के सदस्य हैं।

*🔱34. देवों के देव महादेव :* देवताओं की दैत्यों से प्रतिस्पर्धा चलती रहती थी। ऐसे में जब भी देवताओं पर घोर संकट आता था तो वे सभी देवाधिदेव महादेव के पास जाते थे। दैत्यों, राक्षसों सहित देवताओं ने भी शिव को कई बार चुनौती दी, लेकिन वे सभी परास्त होकर शिव के समक्ष झुक गए इसीलिए शिव हैं देवों के देव महादेव। वे दैत्यों, दानवों और भूतों के भी प्रिय भगवान हैं। वे राम को भी वरदान देते हैं और रावण को भी।

*ये पोस्ट सेव करके रख ले।*
*The Key Board Warrior*

*दृष्टि की विडम्बना ये है कि, वह दूसरों में त्रुटियां ढूंढती है। …*
*दिव्यदृष्टि का विशेषता यह है कि, वह स्वयं में सुधार ढूंढती है।*
*जीवन तभी सफल होता है!*
*जब*
*जहां अपना परिचय स्वयं न देना पड़े!!*

यह जानना आवश्यक है की #रामायण के प्रसिद्ध नगर जैसे #अयोध्या, #चित्रकूट, #किष्किंधा इन सभी का बाद में क्या हुआ ?

ऐसा इसलिए ताकि हम भी यहूदियों की तरह खुद पर हुए अत्याचारों को याद रखे…

🔸1. #अयोध्या :- श्री राम और रघुवंश की राजधानी, सन 1270 में इस पर मुस्लिम आक्रमणकारी बलबन ने आक्रमण किया। बलबन ने अयोध्या के सभी मंदिर नष्ट कर दिये, जिस नगरी में रामराज्य की नींव रखी गयी उसी नगरी के बीच चौराहे पर महिलाओ और बच्चों की आपत्तिजनक स्थिति में नीलामी हुई। इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा इन मंदिरों का पुनः निर्माण हुआ।

🔸2. #गंगा_नदी_का_तट :- यह वो तट था जिसके पास श्री राम ने ताड़का वध करके ऋषियों का उद्धार किया था। सन 1760 के समय जब अहमदशाह अब्दाली भारत मे घुस गया और भारत के मुसलमानो ने उसे गंगा नदी तक पहुँचाने में मदद की। तब मराठाओ को जलाने के लिये अब्दाली ने 1 हजार गायों का सिर काटकर इसी गंगा नदी में बहाया।

🔸3. #चित्रकूट :- वनवास के समय श्री राम चित्रकूट में रुके थे जिस पर 1298 में अलाउद्दीन खिलजी ने कब्जा कर लिया। 5 हजार पुरुष मार दिए गए, हजारों स्त्रियों को अलाउद्दीन खिलजी के हरम में भेजा गया और मंदिर नष्ट कर दिए गए। 1731 में राणोजी सिंधिया पुनः इस नगरी का उद्धार किया।

🔸4. #नासिक :- वह स्थान जहाँ लक्ष्मण जी ने शूर्पणखा की नाक काटी थी तथा जो श्री राम की कर्मभूमि थी। इस पर मुहम्मद बिन तुगलक ने हमला किया, तुलगक ने नासिक में स्थित प्रभु श्री राम द्वारा बनाये गए शिवालय में आग लगा दी और 12 दिनों तक भीषण संहार किया। नासिक वासियों से अपील की गयी कि वे इस्लाम अपना ले या मरने को तैयार रहे। बाद में छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी महाराज ने इन मंदिरों को पुनः स्थापित किया।

🔸5. #किष्किंधा :- वानरराज महाराज सुग्रीव का राज्य, जो आगे चलकर विजयनगर साम्राज्य कहलाया। 1565 में तालिकोटा के युद्ध मे विजयनगर साम्राज्य की हार हुई और मुसलमानो ने सारा राज्य जला डाला, आप आज भी गूगल में हम्पी सर्च करे इसका बहुत बड़ा अवशेष आज भी देखने को मिल जाएगा, जो बताता है कि मुसलमानो से पहले भारत कितना भव्य था। मगर मजहबी आग ने सबकुछ जलाकर राख कर दिया। बाद में मैसूर के यदुवंशियों ने इसका पुनः उद्धार किया।

इस तरह हमारी रामायणकालीन नगरिया लूटी और दोबारा बनाई गई।
.आज भी विश्व के हर कोने मे सनातन संस्कृति पर आक्रमण करिये के घाव स्पष्ट दिख जाते हैं, पता कितनी बुजदिली शुरुआत से ही समाई हुई है कि चंद मुठ्ठी भर आताताईयो ने बहुत कुछ बर्बाद कर डाला और हिंदू जनता भगवान आकर बचा लेगे सोचता विचारता अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रहा है !