आज का पंचाग आपका राशि फल, ढोलदमों : सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक सौगात, २१६ फिट ऊंची संत रामानुजाचार्य की स्वर्ण प्रतिमा का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया लोकार्पण, क्या आप नित्य पूजा पाठ और ज्ञान ध्यान दान करते हैं तब भी सुख-समृद्धि एवं वांछित फल से वंचित हैं?

  ढोल, दमों “सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक सौगात”

श्री गोपीनाथ मंदिर प्रांगण में प्रति दिन भाई चंद्रू और हेमंत को ढोल,दमों की ताल पर नौबत बजाते हुए देखते ही द्वारिका प्रसाद महेश्वरी जी की कविता की ये पंक्तियां:- “यदि होता किन्नर नरेशमैं,,,,,,,,,,,,,,,प्रतिदिन नौबत बजती रहती संध्या और सबेरे” याद आ जाती हैं।और साथ ही इन लोक कलाकारों की स्थिति को देखकर कष्ट भी होता है जो शहर में आजीविका की विपरीत परिस्थितियों में भी आज के दौर में हमारी इस बहुमुल्य सांस्कृतिक और आध्यात्मिक थाती को जीवित रखे हुए हैं। 

ये वाद्य यहाँ की लोक परंपरा के ऐसे अटुट अंग है कि इन्ही के इर्द गिर्द यहाँ की संपूर्ण लोक संस्कृति तथा परंपरा घूमते हुए इनमें इस तरह समायी हुई है, कि इसे देवभूमि में देवताओं से सीधे संवाद स्थापित करने का जरिया भी माना जाता है। 

उत्तराखंड की लोकसंस्कृति में आध्यात्मिक महत्व के ये दो ही ऐसे लोक वाद्य है, जिनके बिना यहाँ का कोई भी मांगलिक और शुभ कार्य सम्पन्न नहीं होते। चाहे विवाह, मुंडन, आदि मांगलिक कार्य हो या देव यात्रा, देव नृत्य यथा मंडाणं,पांडव नृत्य,जागर,कोई भी अन्य धार्मिक कार्य यहाँ तक कि जब मृत्यु शोक होता है तो कहा जाता है की अमुख परिवार का अबाजू है। श्राद्ध के बाद ढोल बजने के उपरांत ही अमुख परिवार में शुभ कार्यो के आयोजन का श्री गणेश होता है।

ढोल और दमों की तालों का संपूर्ण दर्शन ढोल सागर में समाया है।जो परंपरानुसार श्रुति ज्ञान द्वारा अनवरत एक पीढी से दूसरी पीढी तक चला आ रहा है।

ढोल सागर की बात की जाय तो इसके मूर्धन्य विद्वानों के अनुसार यह मूलतःएक काब्यात्मक शैली मे संस्कृत, हिंदी तथा गढ़वाली बोली में श्लोको एवं बोलियों के रूप में संकलित मौखिक ग्रंथ है।कई विशेषज्ञों के अनुसार यह एक शब्द सागर शास्त्र भी हैं। इसकी उत्पति के संबंध में विद्वानों में मतैक्य नहीं है । कई विद्वान इसे नाथ पंथी साहित्य मानते हुए सातवीं से बाहरवी शताब्दी के मध्य सिद्धों द्वारा दी गई सौगात तो कई आदिग्रंथ मानते हैं। संभवतः यह विधा नाथ संप्रदाय के दौर में परिस्कृत हुई होगी।                    ढोल सागर के अनुसार कहा जाता हैं कि सर्वप्रथम भगवान शिव ने माता पार्वती को ढोल सागर सुनाया था।

ढोल्या पार्वती ने बटोल्या, विष्णुनारायण जी ने गड़ाया, । 

बारे जुग ढोल मुंडाया, ब्रह्मा जी ने ऊपरी कंदोटी चढ़ाया।।  

शिव पार्वती के मध्य ढोल सागर पर संवाद के दौरान एक ब्यक्ति द्वारा सुने जाने उपरांत यह ज्ञान उसके द्वारा अग्रेसरित होता हुआ पीढी दर पीढी आगे बड़ा। इसे देवताओं का वाद्य भी बोला जाता हैं और माना जाता हैं कि देवताओं से ही यह परंपरा मानवों में चली आ रही हैं। इस वाद्य यंत्र का आध्यात्मिक पक्ष देखा जाय तो इसके हर भाग मे देवताओं का वास बताया है।

                       आपु पुत्रं भवे ढोलं, 

                      ब्रह्मपुत्रं च डोरिका। 

                      पौनपुत्रं भवे नादम्, 

                    भीम पुत्रं गजा बलम।। 

                      विष्णु पुत्रं भवे पूडम्,

                       नाग पुत्रं कुंडलिका।

                      कुरभ पुत्रं कंदोटिका, 

                       गुणी पुत्रं कस्णिका।। 

मुख्यतःढोल डेढ़ फुट लंबा तथा सवा फुट चौडा तांबे और पीतल का बना वाद्य है। जिसके दोनों छोरों पर बकरी या हिरण की खाल लगी होती है। दमों ढोल के साथ लय बद्ध बजने वाला एक अन्य सहवाद्य है।यह भी तांबे का बना हुआ एक फुट का ब्यास का आठ इंच गहराई लिए हुए कटोरे के समान आकृति का वाद्य है। जिस पर भैंस की खाल मंडी होती हैं।बिना दमो के ढोल की ताल पूरी नही होती हैं। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। 

ढोल,दमों की प्रमुख तालों में:-

बढै,धुयेंल,शबद,रहमानी,धुयाँल,गँदाक्ष,बढ़ै,पिठै,मंढाँण,भौंर,उकाल,उन्यार्,आदि है।इसी प्रकार गढ़वाल क्षेत्र में जागर की 18 तथा कुमाऊँ में 16 ताल बजती है। कहा जाता है कि कभी इस वाद्य के वाद्यक ढोल सागर की विधा में इतने पारंगत थे कि इसकी ताल से उत्पन्न नाद से मकानों की पठाल् तथा पेड़ों के पत्ते भी झड जाते थे। वादक तालों से ही आपस में एक दूसरे को अपना परिचय देने के साथ ही संवाद भी करते थे। एक दूसरे से श्रेष्ठतम् साबित करने के लिए अपनी ताल से दूसरे के ढोल को फोढ देते थे। पहाड़ों मे इनकी उकाल (चढाई)वेलार् उँदयार (उतराई) की ताल से पता चल जाता था की कोई बारात या देव डोली कहाँ पर है। 

कभी तालों से एक दुसरे को अपना परिचय देने वाले वादक आज खुद के परिचय के मोहताज है। आज जहाँ ढोल सागर पर आकदमिक स्तर पर शोध हो रहे है।हम आभासी दुनिया में अपनी क्षेत्रीय अस्मिता,लोक संस्कृति को बचाये रखने की अपील करते हुए अपनी इति श्री कर लेते हैं।वही गिनती के रह गये ये पारंगत कलाकार आज अपने स्तर पर आजीविका के संघर्ष के साथ ही इस विधा को यथार्थ धरातल पर जैसे- तैसे बचाये रखने के जदोजहद में लगे हुए जूझ रहे है । लेकिन इनका कोई पूछन हार नही है।इनकी स्थिति को देखकर अपनी विरासतो के संरक्षण के हमारे दावे यथार्थ धरातल पर तो खोखले ही नजर आते हैं। ✍️विनय सेमवाल, गोपेश्वर चमोली।

भगवान ने हमें जीवन दिया हवा-पनीदे धूप ऋतुवें सब अहेतुक दिया है यानि उसके बदले में भगवान को हम से कुछ नहीं चाहिए। तब भी कुछ लोग अधिक पाना चाहते हैं तो बता दें कि भगवान आपका दिया जितना भोग गृहण करते हैं उसे सौ गुना करके वापस लौटाते हैं। तब भी आज बहुत लोगों का कहना है कि वो बहुत पूजा पाठ करते हैं परन्तु उनका कुछ भी अच्छा नही होता। 
तो भाई जब देवता आपका दिया गृहण ही नहीं करते लौटायेंगे किस बात का? चलो आज आप को बताते हैं कि पहले आप देवों को हवि या प्रसाद चढ़ाने के योग्य तो बने अन्यथा घरों में देव शक्तियां न तो प्रवेश करती हैं ना आपके द्वारा निवेदित कुछ भी स्वीकार करती हैं। अपितु ऐसे लोगों के घर से सभी तरह की सात्विक शक्तियाँ पलायन कर जाती हैं। 

1:- जो घर कुत्ता पालते हैं। कुत्ता, सुअर चांडाल योनि के पशु हैं।
कुत्ता का स्पर्श हो जाने पर उपनयन खण्डित हो जाता है। उपनयन संस्कार समाप्त होने से आप के दैवयोग समाप्त हो जाते हैं। कुत्ता जिस भोजन को देख लेता है वो भोजन ग्रहण करने के योग्य नहीं रहता है। कुत्ता के स्पर्श होते ही वस्त्र सहित स्नान करने पर ही शुद्धि होती है।

1-कुत्ता घर के बाहर पालने का पशु है ना कि घर के भीतर। जिस घर मे कुत्ता हो उस घर मे आप लाख पूजा पाठ कर लीजिए या करवा लीजिये सब बेकार ही जाता है। आज लोग मानवता के नाम पर घर में कुत्ता पालने का समर्थन करते हैं लेकिन गो कसी का विरोध नहीं करते। यह स्थिति न केवल भारतीय संस्कृति के विरुद्ध है अपितु आपकी आध्यात्मिक अवनति का कारक है। 

2:- जिस घर की स्त्री रजस्वला के नियम का पालन नहीं करती वहां भी देवों का वास नहीं रहता। रजस्वला अवस्था सुनिश्चित आराम के लिए है, हर काम के लिए नहीं। लेकिन अब स्त्रियां इस अवस्था में भी भोजन व्यवस्था और भजन सब करने लगी हैं इस अज्ञानता से भी ऐसे घरों में संसाधनों के उपरांत भी सुखशांति नहीं होगी। ऐसे घर में भी देव शक्तियाँ नहीं आती हैं ना ही इन घरों से कुछ भी स्वीकार करती हैं। प्रयास करें कि इस अवस्था में अधिक कार्य नहीं करें विश्राम करें। शुद्ध चित हो कर ही भोजन भजन स्पर्शन करें। यही नियम है। 

3:- जिनके घरों में चाण्डाल मित्र आते हैं खाते पीते हैं घर की ताकझांक करते हैं उनके यहाँ से भी देव शक्तियाँ दूर हो जाती हैं।

4:- यह भी देखा जाता है कि शौचालय के बाद लोग साबुन से एक बार हाथ धो लेते हैं वो भी ठीक से नहीं जबकि उन्हें मिट्टी से ही हाथ पैर आदि धोने चाहिए।
आप साबुन से स्वच्छ हो सकते हैं पवित्र नहीं। पवित्रता के लिए आपको मिट्टी का उपयोग करना चाहिए वो भी शास्त्रों में जिस प्रकार बताया गया है उसी प्रकार अन्यथा देव शक्तियां आपके द्वारा समर्पित कुछ भी स्वीकार नहीं करती। 

ऐसे लोगों का पूजा पाठ अथवा कोई भी देवकर्म या पितृ कर्म करना बेकार ही है क्योंकि न तो देवता न पितृ लोग ही ऐसे घरों में आते हैं ना स्वीकार करते हैं। जिन घरों में पहले देव शक्तियां होती होंगी वो भी ऊपर के नियमों को न मानने के कारण चली गयी होंगी।
हमारे पूर्वज बहुत आचार विचार का पालन करते थे पर आज सब जगह अचार विचार समाप्त हो गया है।

 मेरे जैसा व्यक्ति कही यात्रा करना पसंद नही करता क्योंकि कितने फल खा के रहेंगे?
ऐसे घर ही नही बचे हैं जहाँ कुछ खाया पिया जा सके।

शौचाचार धर्म का एक प्रमुख लक्षण है जो कि अब कहीं नहीं दिखता।

सब आधुनिक हो चुके हैं घरों में कुत्ता पालने लगे हैं। रसोई में चप्पल पहनकर भोजन बनाते हैं कुछ लोग तो भोजन बनाते बनाते मुह चख भी लेते हैं। कुछ लोग बिना नहाए धोए ही रसोई में घुस जाते हैं। आजकल के घरों में चाण्डाल जातियों के यार मित्र आते जाते हैं खाते पीते हैं। शायद ही कोई घर बचा होगा जहाँ रजस्वला के मर्यादा का पालन होता होगा या शौचाचार के नियमों का पालन होता होगा।

दुनिया कितनी भी आधुनिक हो जाये सतोगुणी शक्तियाँ तमोगुणी आचार विचार वालों के यहाँ कभी प्रवेश नहीं करती। ऐसे में सारा समाज ही भ्रष्ट हो चुका है। ऐसे समाज के हित के लिए हमलोग भगवान् की प्रेरणा से कुछ करने का प्रयास कर रहे हैं, यह बातें शौचाचार की हैं यौनाचार और दुराचार प्रच्छन्न विचार वालों भले अच्छी ना लगे लेकिन सत्य यही है।

कल शनिवार को वसंत पंचमी के दिन हैदराबाद में महान संत रामानुजाचार्य की स्वर्ण प्रतिमा का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अनावरण एवं लोकार्पण किया।

216 फ़ीट ऊंची 106 किलो स्वर्ण से निर्मित प्रतिमा मठ द्वारा तैयार कराई गई। भारत में पुनः नव तीर्थ बन रहे हैं। यहां भी अब भारतीय संस्कृति के दर्शनों के लिए विश्व भर से श्रद्धालुओं और पर्यटकों के आने की संभावना बढ़ गयी है।  देश में बहुत कुछ बदल रहा है। ध्यान दीजिए सचमुच बदल रहा है।

*🙏🏻ॐ सूर्यो देवाय नमः🙏🏻*
*पुण्य लाभ के लिए इस पंचांग को औरों को भी अवश्य भेजिए🙏🏻🙏🏻*🌞 ~ *आज का हिन्दू पंचांग* ~ 🌞
⛅ *दिनांक – 06 फरवरी 2022*
⛅ *दिन – रविवार*
⛅ *विक्रम संवत – 2078*
⛅ *शक संवत -1943*
⛅ *अयन – उत्तरायण*
⛅ *ऋतु – शिशिर*
⛅ *मास – माघ*
⛅ *पक्ष – शुक्ल*
⛅ *तिथि – षष्ठी 07 फरवरी प्रातः 04:37 तक तत्पश्चात सप्तमी*
⛅ *नक्षत्र – रेवती शाम 05:10 तक तत्पश्चात अश्विनी*
⛅ *योग – साध्य शाम 04:54 तक तत्पश्चात शुभ*
⛅ *राहुकाल – शाम 05:07 से शाम 08:32 तक*
⛅ *सूर्योदय – 07:15*
⛅ *सूर्यास्त – 18:30*
⛅ *दिशाशूल – पश्चिम दिशा में*
⛅ *व्रत पर्व विवरण – शीतला षष्ठी (बंगाल)*
💥 *विशेष – षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞

🌷 *माघ शुक्ल सप्तमी* 🌷
➡ *07 फरवरी 2022 सोमवार को माघ शुक्ल सप्तमी है ।*
🙏🏻 *माघ शुक्ल सप्तमी को अचला सप्तमी, रथ सप्तमी, आरोग्य सप्तमी, भानु सप्तमी, अर्क सप्तमी आदि अनेक नामों से सम्बोधित किया गया है और इसे सूर्य की उपासना के लिए बहुत ही सुन्दर दिन कहा गया है। पुत्र प्राप्ति, पुत्र रक्षा तथा पुत्र अभ्युदय के लिए इस दिन संतान सप्तमी का व्रत भी किया जाता है।*
🙏🏻 *स्कन्द पुराण के अनुसार*
*यस्यां तिथौ रथं पूर्वं प्राप देवो दिवाकरः॥सा तिथिः कथिता विप्रैर्माघे या रथसप्तमी॥ ५.१२९ ॥*
*तस्यां दत्तं हुतं चेष्टं सर्वमेवाक्षयं मतम्॥ सर्वदारिद्र्यशमनं भास्करप्रीतये मतम्॥ ५.१३० ॥*
🙏🏻 *भगवान सूर्य जिस तिथि को पहले-पहल रथ पर आरूढ़ हुए, वह ब्राह्मणों द्वारा माघ मास की सप्तमी बताई गयी है, जिसे रथसप्तमी कहते हैं। उस तिथि को दिया हुआ दान और किया हुआ यज्ञ सब अक्षय माना जाता है। वह सब प्रकार की दरिद्रता को दूर करने वाला और भगवान सूर्य की प्रसन्नता का साधन बताया गया है।*
🙏🏻 *भविष्य पुराण के अनुसार सप्तमी तिथि को भगवान् सूर्य का आविर्भाव हुआ था | ये अंड के साथ उत्पन्न हुए और अंड में रहते हुए ही उन्होंने वृद्धि प्राप्त कि | बहुत दिनोंतक अंड में रहने के कारण ये ‘मार्तण्ड’ के नामसे प्रसिद्ध हुए |*
🙏🏻 *भविष्य पुराण के अनुसार ही सूर्य को अपनी भार्या उत्तरकुरु में सप्तमी तिथि के दिन प्राप्त हुई, उन्हें दिव्य रूप सप्तमी तिथि को ही मिला तथा संताने भी इसी तिथि को प्राप्त हुई, अत: सप्तमी तिथि भगवान् सूर्य को अतिशय प्रिय हैं |*
🙏🏻 *भविष्य पुराण : श्रीकृष्ण उवाच ॥ शुक्लपक्षे तु सप्तम्यां यदादित्यदिनं भवेत् । सप्तमी विजया नाम तव्र दत्तं महाफलम् ॥*
*स्त्रांन दानं जपो होम उपवासस्तथैव च । सर्वें विजयसप्तम्पां महापातकनाशनम् ॥*
*प्रदक्षिणां यः कुरुते फलैः पुष्पौर्दिवाकरम् । स सर्वगुणसंपन्नं पुव्रं प्राप्नोत्यनुत्तमम ॥*
🙏🏻 *भगवान श्रकृष्ण कहते है– राजन! शुक्ल पक्षकी सप्तमी तिथि को यदि आदित्यवार (रविवार) हो तो उसे विजय सप्तमी कहते है. वह सभी पापोका विनाश करने वाली है .उस दिन किया हुआ स्नान ,दान्, जप, होम तथा उपवास आदि कर्म अनन्त फलदायक होता है. जो उस दिन फल् पुष्प आदि लेकर भगवान सूर्यकी प्रदक्षिणा करता है। वह सर्व गुण सम्पन्न उत्तम पुत्र को प्राप्त करता है।*
🙏🏻 *नारद पुराण में माघ शुक्ल सप्तमी को “अचला व्रत” बताया गया है। यह “त्रिलोचन जयन्ती” है। इसी को रथसप्तमी कहते हैं। यही “भास्कर सप्तमी” भी कहलाती है, जो करोङों सूर्य-ग्रहणों के समान है। इसमें अरूणोदय के समय स्नान किया जाता है। आक और बेर के सात-सात पत्ते सिर पर रखकर स्नान करना चाहिए। इससे सात जन्मों के पापों का नाश होता है। इसी सप्तमी को ‘’पुत्रदायक ” व्रत भी बताया गया है। स्वयं भगवान सूर्य ने कहा है – ‘जो माघ शुक्ल सप्तमी को विधिपूर्वक मेरी पूजा करेगा, उसपर अधिक संतुष्ट होकर मैं अपने अंश से उसका पुत्र होऊंगा’। इसलिये उस दिन इन्द्रियसंयमपूर्वक दिन-रात उपवास करे और दूसरे दिन होम करके ब्राह्मणों को दही, भात, दूध और खीर आदि भोजन करावें।*
🙏🏻 *अग्नि पुराण में अग्निदेव कहते हैं – माघ मासके शुक्लपक्ष की सप्तमी तिथिको (अष्टदल अथवा द्वादशदल) कमल का निर्माण करके उसमें भगवान् सूर्यका पूजन करना चाहिये | इससे मनुष्य शोकरहित हो जाता है |*
🙏🏻 *चंद्रिका में लिखा है “सूर्यग्रहणतुल्या हि शुक्ला माघस्य सप्तमी। अरुणोदगयवेलायां तस्यां स्नानं महाफलम्॥”*
➡ *अर्थात माघ शुक्ल सप्तमी सूर्यग्रहण के तुल्य होती है सूर्योदय के समय इसमें स्नान का महाफल होता है ।*
🙏🏻 *नारद पुराण के अनुसार* *“अरुणोदयवालायां शुक्ला माघस्य सप्तमी ॥ प्रयागे यदि लभ्येत सहस्रार्कग्रहैः समा॥* *अयने कोटिपुण्यं स्याल्लक्षं तु विषुवे फलम् ॥११२॥”*
🙏🏻 *चंद्रिका में भी विष्णु ने लिखा है “अरुणोदयवेलायां शुक्ला माघस्य सप्तमी ॥ प्रयागे यदि लभ्येत कोटिसूर्यग्रहैः समा”*
➡ *अर्थात माघ शुक्ल सप्तमी यदि अरुणोदय के समय प्रयाग में प्राप्त हो जाए तो कोटि सूर्य ग्रहणों के तुल्य होती है ।*
🙏🏻 *मदनरत्न में भविष्योत्तर पुराण का कथन है की “माघे मासि सिते पक्षे सप्तमी कोटिभास्करा। दद्यात् स्नानार्घदानाभ्यामायुरारोग्यसम्पदः॥”*
➡ *अर्थात माघ मास की शुक्लपक्ष सप्तमी कोटि सूर्यों के बराबर है उसमें सूर्य स्नान दान अर्घ्य से आयु आरोग्य संपन्न करते हैं ।*

📖 *हिन्दू पंचांग संपादक ~ अंजनी निलेश ठक्कर*
📒 *हिन्दू पंचांग प्रकाशित स्थल ~ सुरत शहर (गुजरात)*

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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज भी दिन का आधा भाग बेचैनी में बीतेगा। दिन के आरंभ से ही मन में कोई डर रहेगा। आर्थिक उलझने सुलझने की संभावना नही दिखने से मन मे नकारत्मक विचार आएंगे थोड़ा धैर्य रखें जदबाजी में कोई गलत निर्णय ना लें अन्यथा बाद में पछताना पड़ेगा। मध्यान बाद परिस्थिति में सुधार आने लगेगा। किसी परिचित की सहायता से आर्थिक मसले कुछ हद तक सुलझेंगे। कार्य व्यवसाय में आकस्मिक तेजी आएगी लेकिन प्रतिस्पर्धा आज अधिक रहने के कारण शारीरिक एवं बौद्धिक परिश्रम अधिक करना पड़ेगा। संध्या का समय पिछले कुछ दिनों से बेहतर रहेगा मनोरंजन के अवसर मिलने से मानसिक अशांति दूर होगी। आपके कृपण व्यवहार से कोई नाराज भी हो सकता है।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज आपके कारोबार में वृद्धि होगी साथ ही सामाजिक जीवन मे भी चहल पहल बढ़ेगी। समाज के प्रतिष्ठित लोगो के साथ भेंट सार्वजनिक क्षेत्र से सम्मान दिलायेगी लेकिन घर मे इसके विपरीत वातावरण रहेगा। परिजनों को प्रसन्न रखना मुश्किल भरा रहेगा कोई ना कोई सदस्य अकारण ही नाराज होगा। कार्य व्यवसाय को लेकर थोड़ी भागदौड़ करनी पड़ेगी लेकिन दोपहर बाद से परिणाम आपके किये आनंदकारी रहेंगे। धन की आमद आज अच्छी होगी भविष्य के लिए भी नए कार्य मिलेंगे। आज आप मन चाही वस्तुओ पर खर्च कर सकेंगे धन संचय भी होगा। संध्या का समय थकान वाला फिर भी दिन की अपेक्षा बेहतर रहेगा। परिजनों के आगे मौन ही रहें।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज का दिन भाग्योदय कारक रहेगा। लेकिन आज लाभ कमाने के लिए मानसिक परिश्रम अधिक करना पड़ेगा व्यवहारिकता के बल पर आज अन्य लोगो की अपेक्षा ज्यादा फल पाने के हकदार रहेंगे। आज आप हाथ आये काम को किसी भी प्रकार जाने नही देंगे। नौकरी पेशा भी लेदेकर काम अधूरा छोड़ने की जगह पूरा करने के पक्ष में रहेंगे। मध्यान बाद भविष्य के खर्चो को देखते हुए ज्यादा से ज्यादा लाभ कमाने की मानसिकता रहेगी। प्रलोभन के अवसर भी मिलेंगे इनसे बचना ही बेहतर रहेगा अन्यथा भविष्य के लिये नई समस्या खड़ी हो सकती है। नौकरी वाले लोग आरम्भ में लापरवाही दिखाएंगे किसी की फटकार सुनने के बाद ही गंभीरता धारण करेंगे। सेहत कुछ नरम रहेगी

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज दिन के पूर्वार्ध में आपका ध्यान आध्यात्मिक कार्यो में ज्यादा रहेगा अप्रत्यक्ष रूप से इसका लाभ आज आपको अवश्य मिलेगा। मानसिक रूप से स्थिर रहेंगे। परोपकार की भावना आज थोड़ी कम ही रहेगी तंत्र मंत्र दान के कार्य करेंगे लेकिन केवल स्वार्थ के लिए ही। काम काज के प्रति नीरसता रहेगी लेकिन मध्यान बाद सफलता का स्वाद चखने के साथ ही धन कमाने की लालसा बढ़ेगी। सरकारी उलझनों से बचने के लिये कागजी कार्यो को आज दुरुस्त रखें ऋण के लिए आवेदन करना आज शुभ रहेगा। धन लाभ संध्या के समय होगा इसके पूर्वनिर्धारित होने से उत्साह नही रहेगा। अन्य छोटे मोटे लाभ भी लगे रहेंगे लेकिन खर्च अधिक रहने से दिखेंगे नही।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज का दिन मिश्रित फलदायक रहेगा। दिन के आरंभिक भाग में खराब स्वास्थ्य के कारण प्रत्येक कार्यो में विलंब होगा लेकिन धीरे धीरे सुधार आने के बाद कार्य व्यवसाय के प्रति गंभीरता आएगी। मध्यान बाद मेहनत के अनुपात में अधिक लाभ मिलने के योग है व्यवहारिकता पर अधिक ध्यान दें आपके हिस्से का लाभ कोई अन्य ना ले जाये। धन की आमद आज निश्चित नही रहेगी फिर भी आवश्यकता अनुसार हो जाएगी। धार्मिक कार्यो में रुचि बढ़ेगी लेकिन व्यस्तता के चलते ज्यादा समय नही दे सकेंगे देवदर्शन के योग है। परिजन आपका ख्याल रखेंगे लेकिन बदले में कुछ मांग भी की जा सकती है।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज दिन का प्रथम भाग सभी कार्यो में विजय दिलाएगा जिस भी काम को हाथ मे लेंगे उसमे से कुछ ना कुछ लाभ अवश्य कमाएंगे। सरकारी कार्यो में भी आज ले देकर विजय मिलेगी। नौकरी वाले लोग ज्यादा भार उठाने के मूड में नही रहेंगे। व्यवसायी वर्ग भी बड़े कामो में ढील देंगे आगे सरकाने के पक्ष में रहेंगे लेकिन मध्यान बाद स्थिति प्रतिकूल होने लगेगी सेहत भी साथ नही देगी मौसमी बीमारियों का प्रकोप अकस्मात ही जकडेगा आवश्यक कार्यो में मध्यान रहते पूर्ण करने का प्रयास करें। परिजन आपके स्वभाव में आये परिवर्तन से रुष्ट होंगे लेकिन स्वार्थ सिद्धि के कारण दर्शाएंगे नही। लंबी यात्रा से बचे हानिकर रहेगी।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज आप दिन के आरंभिक भाग में संभावित लाभ को लेकर उत्साहित रहेंगे। मध्यान से पहले पुरानी योजनाओं से धन लाभ भी होगा लेकिन आज नए कार्यो में धन ना फसाये भविष्य में हानि होने की संभावना है। अतिआवश्यक कार्य मध्यान से पहले पूर्ण करने का प्रयास करें। मध्यान बाद किसी से धन संबंधित मामलों को लेकर कहासुनी हो सकती है धैर्य का परिचय दे अन्यथा स्थिति गंभीर होते देर नही लगेगी। अनैतिक सरकार विरोधी कार्य से बचें कोर्ट कचहरी के चक्कर लगने की संभावना है। परिजन आपकी भावनाओं की कद्र करेंगे लेकिन अपने स्वार्थ हेतु आज किसी भी दलील को नही मानेंगे। संध्या का समय खर्चीला रहेगा। मानसिक रूप से अशान्त रहने के कारण मनोरंजन में रुचि नही रहेगी।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज के दिन आप की सोची हुई योजनाएं सफल अथवा प्रगति करेंगी। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी लेकिन आप जिस भी कार्य को अथवा जिस किसी भी व्यक्ति का सहयोग करने का विचार करेंगे उसमें परिजन ही बाधक बनेंगे परिवार में छोटे भाई का अमर्यादित आचरण घर में अशांति बना सकता है। कार्यक्षेत्र पर जिस समय लाभ की संभावना रहेगी उस समय ना होकर अकस्मात होगी सार्वजनिक क्षेत्र पर पारिवारिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी इसका कारण भी परिवार के बुजुर्ग रहेंगे। धर्म-कर्म में कम ही रुचि लेंगे इसके विपरीत अनर्गल प्रवृतियों में मन अधिक भटकेगा कार्य क्षेत्र पर स्त्री के सहयोग से कोई नया सौदा मिल सकता है। आंखों में जलन अथवा सर दर्द से कुछ समय के लिए परेशानी होगी।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज आपके स्वभाव में तल्खी रहेगी। व्यवहार में रूखापन एवं बात बात में क्रोध करने की आदत के कारण आसपास का वातावरण खराब होगा साथ ही सरलता से बन रहे कार्यो को खुशामद करके बनाना पड़ेगा। फिर भी मध्यान तक स्थिति आपकी पकड़ में रहेगी महत्त्वपुर्ण कार्य मे ढील ना दें अन्यथा बाद में ग्लानि होगी। सहकर्मियों से मामूली बात पर उलझना भविष्य के लिये अहितकर रहेगा स्वभाव को संभाले देख भाल कर ही अपनी प्रतिक्रिया दें। व्यवसाय में निवेश आज ना करें पुराने वादों को पूर्ण करने पर जोर दें सामाजिक क्षेत्र पर अति आवश्यक होने पर ही योगदान दें। मध्यान बाद परिजन हानि होने से चिंतित रहेंगे।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज का दिन आपको आकस्मिक लाभ देकर जाएगा दिन के पूर्वार्ध में घर एवं कार्य क्षेत्र में तालमेल बैठाने में परेशानी होगी इससे होने वाले लाभ में कुछ कसर भी रह सकती है। नौकरी वाले लोग अधिकांश कार्य बाद के लिए टालेंगे इससे प्रतिष्ठा में कमी आएगी। आर्थिक मामलों को मध्यान पूर्व ही निपटाने के प्रयास करें इसके बाद कार्य तो चलते रहेंगे लेकिन संतोष कम ही होगा। कार्य क्षेत्र पर सहकर्मियों की कमी खलेगी फिर भी विलम्ब नही होने देंगे। घरेलू वातावरण मध्यान तक ठीक रहेगा इसके बाद किसी गलतफहमी अथवा मांग पूरी ना होने पर अशांति हो सकती है। संध्या के आसपास सेहत में नरमी आएगी किसी भी कार्य मे उत्साह नही रहेगा।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज के दिन आप मानसिक रूप से शांत रहेंगे लेकिन धन संबंधित कामनाये अधिक रहेंगी। मध्यान तक कार्य क्षेत्र पर परिश्रम की अधिकता रहेगी इसके बाद मेहनत का फल धन लाभ के रूप में मिलने लगेगा यह क्रम संध्या बाद तक रुक रुक कर चलता रहेगा। संध्या के समय कहीं से अचनाक लाभदायक समाचार मिलने से मन प्रसन्न रहेगा। आज आप लंबी यात्रा की योजना बनाएंगे इसमे विघ्न भी आ सकते है। सहकर्मी कुछ अनैतिक माग कर सकते है इससे थोड़ी देर के लिए दुविधा होगी। मध्यान बाद का समय अधिकांश कार्यो में सफलता दायक रहेगा लेकिन सतर्क रहें हित शत्रु कोई गड़बड़ कर सकते है। पारिवारिक वातावरण स्थिर रहेगा।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज के दिन भी व्यस्तता अधिक रहेगी परन्तु आज आप केवल आवश्यक कार्यो को प्राथमिकता देंगे जिससे मध्यान तक कि गई मेहनत संध्या तक आशाजनक लाभ के रूप में मिलेगी। व्यवसायी वर्ग उन्नति होने से प्रसन्न रहेंगे लेकिन कार्य क्षेत्र पर आज किसी भी प्रकार के बदलाव से बचें। सहकर्मी भी पूर्ण सहयोग करेंगे जिससे अधिकांश कार्य समय से पूर्ण कर लेंगे। धन की आमद पहले से बेहतर रहेगी। पारिवारिक वातावरण में आवश्यकता अनुसार परिवर्तन आता रहेगा। महिलाये खरीददारी की जिद पर अड़ेंगी मांग पूरी होने पर ही शांत बैठेंगी। घर मे सुख के साधनों की वृद्धि की योजना बनेगी शीघ्र ही इसपर खर्च भी करना पड़ेगा। संध्या के समय शुभ समाचार की प्राप्ति प्रसन्न करेगी।

🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
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