आज का पंचाग आपका राशि फल, धर्म और कर्म की परिभाषा, छट्ठ पूजा की पौराणिक कथा आज करें उगते सूर्य की उपासना, शंकरचार्य को ज्ञान व धन संपन्न होना ही चाहिए, शिव स्तुति श्लोक

​                      𝕝𝕝 🕉 𝕝𝕝

                    श्री हरिहरो 

                   विजयतेतराम

        *🌹।।सुप्रभातम्।।🌹*

        🗓 आज का पञ्चाङ्ग 🗓

*◕◕◕◕◕◕◕◕⊰⧱⊱◕◕◕◕◕◕◕◕*

*सोमवार, ३१ अक्टूबर २०२२*

सूर्योदय: 🌄 ०६:३२

सूर्यास्त: 🌅 ०५:३३

चन्द्रोदय: 🌝 १२:३६

चन्द्रास्त: 🌜२२:५२

अयन 🌖 दक्षिणायने

 (दक्षिणगोलीय)

ऋतु: ❄️ शरद

शक सम्वत:👉१९४४ (शुभकृत)

विक्रम सम्वत:👉२०७९ (नल)

मास 👉 कार्तिक

पक्ष 👉 शुक्ल

तिथि 👉 सप्तमी (२५:११ 

से अष्टमी)

नक्षत्र 👉 उत्तराषाढ 

(२८:१५ से श्रवण)

योग👉धृति(१६:१३से शूल)

प्रथम करण👉गर(१४:१८तक

द्वितीय करण 👉 वणिज 

(२५:११ तक)

॥ गोचर ग्रहा: ॥

🌖🌗🌖🌗

सूर्य 🌟 तुला

चंद्र 🌟 मकर (११:२३ से)

मंगल 🌟 मिथुन

 (उदित, पश्चिम, वक्री)

बुध 🌟 तुला 

(अस्त, पूर्व, मार्गी)

गुरु 🌟 मीन 

(उदित, पूर्व, वक्री)

शुक्र 🌟 तुला (अस्त, पूर्व)

शनि 🌟 मकर

 (उदित, पूर्व, मार्गी)

राहु 🌟 मेष

केतु 🌟 तुला

शुभाशुभ मुहूर्त विचार

⏳⏲⏳⏲⏳⏲⏳

अभिजित मुहूर्त 👉 ११:३८ से १२:२२

अमृत काल 👉 २२:१६ से २३:४६

सर्वार्थसिद्धि योग 👉 २८:१५ से ३०:३१

विजय मुहूर्त 👉 १३:५० से १४:३४

गोधूलि मुहूर्त 👉 १७:२० से १७:४४

सायाह्न सन्ध्या 👉 १७:३१ से १८:४९

निशिता मुहूर्त 👉 २३:३५ से २४:२७

राहुकाल 👉 ०७:५२ से ०९:१५

राहुवास 👉 उत्तर-पश्चिम

यमगण्ड 👉 १०:३८ से १२:००

होमाहुति 👉 शुक्र

दिशाशूल 👉 पूर्व

अग्निवास 👉 पाताल (२५:११ से पृथ्वी)

भद्रावास 👉 पाताल (२५:११ से)

चन्द्रवास 👉 पूर्व (दक्षिण ११:२४ से) 

शिववास 👉 भोजन में (२५:११ से श्मशान में)

☄चौघड़िया विचार☄

*〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰*

॥ दिन का चौघड़िया ॥ 

१ – अमृत २ – काल

३ – शुभ ४ – रोग

५ – उद्वेग ६ – चर

७ – लाभ ८ – अमृत

॥रात्रि का चौघड़िया॥ 

१ – चर २ – रोग

३ – काल ४ – लाभ

५ – उद्वेग ६ – शुभ

७ – अमृत ८ – चर

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।

*〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰*

शुभ यात्रा दिशा

🚌🚈🚗⛵🛫

दक्षिण-पूर्व (दर्पण देखकर अथवा खीर का सेवन कर यात्रा करें)

*〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰*

तिथि विशेष

🗓📆🗓📆

*〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰*

सहस्त्रार्जुन जयन्ती, छठ पर्व सुबह का अर्घ्य, मंगल वक्री (०६:३७) से, गृह प्रवेश मुहूर्त प्रातः ०९:२४ से प्रातः १०:४७ तक आदि।

*〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰*

आज जन्मे शिशुओं का नामकरण

*〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰*

आज २८:१५ तक जन्मे शिशुओ का नाम उत्तराषाढ नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (भे, भो, ज, जी) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम श्रवण नक्षत्र के प्रथम चरण अनुसार (खी) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।

*〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰*

उदय-लग्न मुहूर्त

तुला – २९:३० से ०७:५१

वृश्चिक – ०७:५१ से १०:११

धनु – १०:११ से १२:१४

मकर – १२:१४ से १३:५५

कुम्भ – १३:५५ से १५:२१

मीन – १५:२१ से १६:४५

मेष – १६:४५ से १८:१८

वृषभ – १८:१८ से २०:१३

मिथुन – २०:१३ से २२:२८

कर्क – २२:२८ से २४:५०

सिंह – २४:५० से २७:०९

कन्या – २७:०९ से २९:२६

*〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰*

पञ्चक रहित मुहूर्त

मृत्यु पञ्चक – ०६:३० से ०७:५१

अग्नि पञ्चक – ०७:५१ से १०:११

शुभ मुहूर्त – १०:११ से १२:१४

रज पञ्चक – १२:१४ से १३:५५

शुभ मुहूर्त – १३:५५ से १५:२१

चोर पञ्चक – १५:२१ से १६:४५

रज पञ्चक – १६:४५ से १८:१८

शुभ मुहूर्त – १८:१८ से २०:१३

चोर पञ्चक – २०:१३ से २२:२८

शुभ मुहूर्त – २२:२८ से २४:५०

रोग पञ्चक – २४:५० से २५:११

शुभ मुहूर्त – २५:११ से २७:०९

मृत्यु पञ्चक – २७:०९ से २८:१५

अग्नि पञ्चक – २८:१५ से २९:२६

शुभ मुहूर्त – २९:२६ से ३०:३१

*〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰*

आज का राशिफल

🐐🐂💏💮🐅👩

*〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰*

मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आज का दिन आपके सुख-सौभाग्य में वृद्धि करेगा परन्तु ज्यादा लोभ में पड़ने से बचे अन्यथा शारीरक एवं मानसिक पीड़ा होने की संभावना है। व्यावसायिक क्षेत्र पर सहयोगी वातावरण मिलने का भरपूर लाभ उठा सकेंगे। सहकर्मी आज आपको बिना मांगे सहयोग करेंगे परन्तु अंदर स्वार्थी सिद्धि की भावना भी छुपी होगी। धन लाभ आशानुकूल एवं जरूरत के समय पर होने से योजनाए व्यवस्थित रूप से आगे बढ़ेंगी। सरकार संबंधित कार्य आज ले देकर ही पूर्ण कर पाएंगे। महिलाये आज केवल दिखावे के लिए ही धार्मिक कार्यो पूजा पाठ में समिल्लित होंगी। मित्र-रिश्तेदारों के ऊपर खर्च करना पड़ेगा। सेहत सामान्य रहेगी।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

आज का दिन आपके लिये भगोन्नति कारक रहेगा इसका लाभ उठायें। आज आपका व्यवहार अन्य लोगो के लिए सहायक रहेगा शीघ्र ही किसी की बातों में आने से पहले सोच-विचार अवश्य करें जल्दबाजी में निर्णय लेने से धोखा हो सकता है। व्यवसाय में पुराने अनुबंध के पूर्ण होने पर धन लाभ होगा नए अनुबंध भी शीघ्र ही मिलेंगे। विदेशी वस्तुओ के व्यवसाय अथवा अचल संपत्ति से लाभ की अधिक संभावना है। पारिवारिक वातावरण कुछ समय के लिए अशान्त होगा परिजनों की मांग मान लेने से प्रसन्नता का वातावरण बनेगा। आज खर्च करने के लिए आपको सोचना नही पड़ेगा फिर भी व्यर्थ खर्च ना हो इसका भी ध्यान रखें। सेहत उत्तम रहेगी लेकिन क्रोध आएगा।

 

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आज का दिन आपके लिए अशुभ रहेगा। सेहत में आज भी उतार-चढ़ाव बना रहेगा। पाचन तंत्र अथवा श्वशन संबंधित रोग बढ़ने की संभावना है समय रहते जांच कराए अन्यथा स्थित गंभीर हो सकती है। आज आकस्मिक दुर्घटना के योग बन रहे है वाहन अथवा मशीनरी से सावधानी रखें। व्यवसाय में आज अनमने मन से काम करना पड़ेगा जिसके परिणामस्वरूप धन की आमद कम ही रहेगी उधारी के व्यवहार ना बढ़ाये वसूली में परेशानी आएगी। सार्वजनिक क्षेत्र पर लोग आपके विचारों के विपरीत आचरण करेंगे। नौकरी वाले लोगो का कार्य क्षेत्र पर किसी से झगड़ा हो सकता है। धैर्य से काम लें। महिलाये किसी गुप्त चिंता से व्याकुल रहेंगी।

 

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आज का दिन आपके लिए आनंद के क्षण उपलब्ध कराएगा। आज आप जिस भी कार्य को करने के लिए प्रतिबद्ध होंगे चाहे वो नया हो या पुराना उसमे सफलता अवश्य मिलेगी। व्यवसाय में भी उन्नति होगी धन लाभ के स्त्रोत्र बढ़ेंगे नौकरी पेशा लोग भी अतिरिक्त आय बनाने का प्रयास करेंगे इसमे कुछ हद तक सफल रहेंगे। आज पैतृक अथवा सरकारी कार्यो में धन ना लगाए उधार भी किसी को ना दे धन के फंसने की सम्भवना है परन्तु जोखिम वाले व्यवसाय शेयर सट्टे में निवेश धन को अवश्य ही दुगुना करेगा। महिला वर्ग महत्त्वपूर्ण घरेलू मामलो में मार्गदर्शक बनेगी परन्तु स्वयं के कार्यो में ढील देंगी। बुजुर्गो से लाभ होगा।

 

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

आज के दिन आपको लाभ के अवसर मिलेंगे लेकिन निर्णय लेते समय जल्दबाजी ना करें अन्यथा लाभ हानि में बदल सकता है। कार्य-व्यवसाय अथवा कागजी कार्यो में पारिवारिक प्रतिष्ठा का लाभ मिलेगा। अधिकारी वर्ग की कृपा दृष्टि रहने से काम निकालना आसान बनेगा। सरकारी कार्य मे भी आज ढील ना दें अन्यथा अधूरे लटके रहेंगे। नौकरी वाले जाताक कार्य क्षेत्र बदलने का मन बनायेगे आज बदलना शुभ रहेगा इसके बाद परेशानी होगी। आर्थिक लाभ अनिश्चित रहेगा फिर भी धन संबंधित काम युक्तियो के बल पर बना ही लेंगे। घर के सदस्य आपके किसी निर्णय से असमहत हो सकते है थोड़ी मान-गुहार के बाद सहमत भी हो जाएंगे।

 

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आज के दिन आप लाभ पाने के लिए अपनी योग्यता एवं बुद्धिबल का पूर्ण उपयोग करेंगे इसका परिणाम आशाजनक ही रहेगा लेकिन किसी निकटस्थ व्यक्ति से विचार मेल ना खाने पर मतभेद भी होंगे। आज स्वयं के बल पर लिए निर्णय अन्य लोगो के मार्गदर्शन की अपेक्षा अधिक फलदायी सिद्ध होंगे। धन लाभ थोड़े परिश्रम के बाद जरूरत के अनुसार हो जाएगा लेकिन आज उधारी के कारण दिक्कते भी आएंगी। धन को लेकर किसी से तकरार हों सकती है। नौकरी पेशाओ पर अधिकारी मेहरबान रहेंगे फिर भी सतर्क रहें किसी अन्य की गलती की भरपाई आपको ही करनी पड़ेगी। महिलाओ में अहम की भावना रहेगी व्यवहार में भी स्वार्थ दिखेगा।

 

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आपको आज के दिन धैर्य रखने की आवश्यकता है। आज आपके अधिकांश कार्य बनते बनते बिगड़ने से मन मे नकारात्मक भाव उत्पन्न होंगे। व्यावसायिक क्षेत्र पर जहां लाभ की आशा लगाए है वहां से हानि अथवा अन्य अशुभ समाचार मिलेंगे भागदौड़ के बाद ही निर्वाह योग्य आय बन पाएगी। कारोबार में आज जोखिम भूल कर भी ना लें। पारिवारिक वातावरण भी आज अस्त-व्यस्त ही रहेगा घर मे मौसमी बीमारियों का प्रकोप रहने के कारण दवाओं पर धन खर्च करना पड़ेगा। महिलाये आज शारीरिक रूप से असमर्थ रहेंगी स्वभाव में चिड़चिड़ा पन रहने से छोटी-छोटी बातों पर नाराज हो जाएंगी। 

 

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

आज का दिन आपके साथ कुछ अकस्मात घटनायें घटित होंगी इनमें से अधिकांश आपके लिए फायदेमंद ही रहेंगी। परन्तु आज भागीदारी के कार्यो में हानि अथवा भागीदारों से अनबन होने की संभावना है। व्यावसाय की गति मंद रहेगी फिर भी पुराने व्यवहारों से धन लाभ हो जाएगा। निवेश भविष्य के लिये लाभ देने वाला रहेगा। महिलाये आज छोटी बचत से जमा धन एकत्रित होने से प्रसन्न रहेंगी पारिवारिक आवश्यकताओं की पूर्ति पर खर्च भी करेंगी। धार्मिक अथवा सामाजिक कार्यक्रम में सम्मिलित होने के अवसर मिलेंगे। यात्रा पर्यटन की योजना बनाएंगे परन्तु किसी ना किसी कारण से निरस्त हो जाएंगे।

 

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आज का दिन आपके लिए साधारण ही रहेगा। दिन के आरंभ में व्यक्तिगत अथवा घरेलू कार्य में व्यस्त रहेंगे बेमन से करने के कारण कोई त्रुटि भीं होगी। कार्य क्षेत्र पर भी यही हाल रहेगा मन कही और भटकने के कारण कुछ ना कुछ नुक्स रह जायेगा फिर भी आज आपका व्यक्तित्त्व उच्च कोटि का रहेगा। लोग आपकी गलती को स्वार्थ सिद्धि के कारण अनदेखा करेंगे। रिश्तेदार अथवा पड़ोसी अपनी उलझनों को सुलझाने के लिये आपकी सहायता मागेंगे लेकिन आज किसी को बिन मांगे सलाह ना दे ना ही किसी के कार्यो में दखल दें। धन लाभ मध्यान के बाद ही अल्प मात्रा में होगा। शारीरिक अकडन जोड़ो में दर्द संबंधित व्याधि सताएगी।

 

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आज के दिन आपके मन को प्रसन्न रखने के प्रसंग बनते रहेंगे। दैनिक जीवन की परेशानियों को गंभीर नही लेंगे अपने हास-परिहास के व्यवहार से आस-पास का वातावरण खुशनुमा बनाएंगे। महिलाये भी आज स्नेहीजन मित्रो के साथ समय बिताना अधिक पसंद करेंगी परन्तु ध्यान रहे आज आपके बड़बोलेपन के कारण किसी के दिल की ठेस भी लग सकती है। स्वयं को ऊंचा दिखाने की भावना मित्र मंडली में मतभेद बनाएगी। आर्थिक दृष्टिकोण से दिन शुभ रहेगा जहां से उम्मीद नही रहेगी वहां से भी धन अथवा अन्य लाभ अचानक होने से मन प्रसन्न रहेगा। सेहत में थोड़ा बदलाव आएगा फिर भी कार्य बाधित नही होंगे।

 

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

आज का दिन आपके लिए विविध परेशानियों से भरा रहेगा आर्थिक कारणों से भाग दौड़ लगी रहेगी लेकिन परिणाम विपरीत ही रहेंगे। आज व्यावसायिक उठा-पटक चैन से नही बैठने देंगी ऊपर से घरेलू उलझने बनने से मन अशांत रहेगा। परिवार के सदस्य आपस मे उलझेंगे महिलाओ में भी आज धैर्य की कमी रहेगी बिना तथ्यों को जाने कलह पर उतारू रहेंगी। धन लाभ के लिये किसी की सहायता एवं चापलूसी करनी पड़ेगी फिर भी आशानुकूल नही होगा। आज आप अन्य लोगो के कार्यो को छोड़ अपने कार्यो पर ध्यान दें आज किया परिश्रम निकट भविष्य के लिए लाभदायक रहेगा। सेहत भी आज नरम रहेगी रक्तचाप अथवा अन्य शारीरिक दर्द की समस्या से ग्रस्त होंगे।

 

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आज के दिन आपके अंदर धार्मिक भावनाएं बलवती रहेंगी। सार्वजनिक अथवा धार्मिक कार्यो के लिए अपने काम धंदे की परवाह नही करेंगे। आज आपको आर्थिक ना सही परन्तु आध्यात्मिक लाभ अवश्य होगा मन शांत रहने से आस-पास के लोग आपके समीप रहना चाहेंगे। कार्य-व्यवसाय से आज ज्यादा उम्मीद ना लगाए केवल खर्च निकालने लायक लाभ से ही संतोष करना पड़ेगा धन को लेकर ज्यादा खींच-तान में ना पढ़ें हानि हो सकती है। महिलाओ का मन चंचल रहेगा किसी भी कार्य को एक बार मे पूरा नही कर सकेंगी। बेरोजगार लोगो को आज कोई नई समस्या का सामना करना पड़ेगा। रक्त पित्त की समस्या से परेशानी होगी।

*〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰*

धर्म की परिभाषा में महर्षि कणाद कहते हैं– यतोऽभ्युदयनिःश्रेयस सिद्धिः स धर्मः, अर्थात जिस माध्यम से अभ्युदय याने भौतिक दृष्टि से तथा निःश्रेयस याने आध्यात्मिक दृष्टि से, सभी प्रकार की उन्नति प्राप्त होती है, उसे धर्म कहा जाता है। पहले अभ्युदय और फिर निःश्रेयस।

जब तक व्यक्ति की भौतिक उन्नति नहीं होती, तब तक आध्यात्मिक उन्नति होना भी बहुत कठिन है। बाह्य उन्नति और आंतरिक उन्नति दोनों की ही आवश्यकता है, इसलिये दोनों ही प्रकार के कर्तव्यों का पालन करना होगा। परिवार के लिये, समाज के लिये हमारे कुछ कर्तव्य हैं और स्वयं का उद्धार भी हमें करना है। यह भी हमारा ही कर्तव्य है।

यदि व्यक्ति ने दोनों में में किसी एक कर्तव्य को भी छोड़ा, तो वो व्यक्ति धार्मिक नहीं हुआ। इसलिये हमारे यहाँ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की बात की गयी। ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और सन्यास आश्रम बनाये गये। और यहीं बात कृष्ण ने अर्जुन को समझाई। युद्ध के मैदान में धर्म का पाठ पढ़ा दिया। आध्यात्मिक और भौतिक, दोनों ही उत्थान की बात की।

जब अर्जुन युद्ध करने के बजाय भिक्षा मांगके जीवनयापन करने की बात कर रहा था, तो भगवान ने उसे कहा कि केवल कर्तव्य समझकर युद्ध करो। सम्पूर्ण गीता में कृष्ण ने अर्जुन को धर्म की शिक्षा दी। तृतीय अध्याय के ३५वें श्लोक में यहाँ तक कहा कि अपने धर्म में मरना भी श्रेष्ठ है और दूसरे का धर्म भय को देने वाला है। और फिर १८वें अध्याय के ४७वें श्लोक में भी यहीं कहा– श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात्।

परन्तु इसी अध्याय के ६६वें श्लोक में कह दिया–
“सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।
अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः।।”
सम्पूर्ण धर्मोंका आश्रय छोड़कर तू केवल मेरी शरणमें आ जा। मैं तुझे सम्पूर्ण पापोंसे मुक्त कर दूँगा। चिन्ता मत कर।

कुछ लोग इन दोनों तरह की बातों से भ्रमित हो जाते हैं। क्योंकि पहले कहा कि अपने धर्म का त्याग नहीं करना, भले मरना ही पड़े; परन्तु फिर कहा सब धर्मों का त्याग करके मेरी शरण में आ जाओ। कुछ कहते हैं कि भगवद्गीता का वास्तविक उद्देश्य केवल कृष्ण की शरण ग्रहण करना ही है। यदि ऐसा होता तो कृष्ण यहीं एक श्लोक कहके बात समाप्त कर देते। एक एक बात को समझाने की क्या आवश्यकता थी! परन्तु यहाँ पर समझने की बात यह है कि भगवद्गीता के प्रथम अध्याय में अर्जुन ने कृष्ण को धर्म का पाठ पढ़ाया था। उसने अनेक कारण देके यह साबित करने का प्रयास किया कि अपनों को मारना अधर्म है, चाहे वो कितने भी पापी क्यों न हों। परन्तु कृष्ण ने उसे डाँट दिया था और उसकी किसी बात का समर्थन नहीं किया था। फिर जब अर्जुन ने कृष्ण से प्रार्थना की थी कि वे उसे शिष्य मानके उसका मार्गदर्शन करें तो कृष्ण ने अर्जुन को वास्तविक धर्म समझाया था।

द्वितीय अध्याय के ७वें श्लोक में शिष्यस्तेऽहं शाधि मां त्वां प्रपन्नम् कहकर अर्जुन ने कृष्ण की शरण ग्रहण करने की बात की है और १८वें अध्याय के ६६वें श्लोक में कृष्ण ने उसे अपनी शरण दी है। और पहले उसके सारे संशयों का नाश भी किया है। कृष्ण ने पहले उसे धर्म की शिक्षा दी है अर्थात उसे बताया है कि वो जिसे धर्म समझ रहा था वो धर्म नहीं, केवल युद्ध न करने के बहाने हैं। धर्म तो वहीं है, जो कृष्ण उसे समझा रहे हैं और जब अर्जुन को धर्म और कृष्ण ही परब्रह्म परमात्मा हैं, ये दोनों बातें समझ आ गयीं तो कृष्ण ने उसके समर्पण को स्वीकार कर लिया और उसे अन्य सब धर्मों को छोड़के केवल उनकी ही शरण आने को कहा और अर्जुन ने उनकी बात मानी भी। क्योंकि अर्जुन जान चुका था कि वो जिसे धर्म समझ रहा था, वो धर्म नहीं है। श्रीकृष्ण ही धर्म हैं। और श्रीकृष्ण की शरण ग्रहण करना अर्थात पूर्णतः धर्म का पालन करना।

वास्तव में गुरु वहीं है, जो शिष्य के संशयों का नाश करके, उसके समर्पण को स्वीकार करे। जब तक सम्पूर्ण संशयों का नाश नहीं होगा, तब तक पूर्ण समर्पण भी नहीं हो पायेगा। यदि युद्ध के बाद अर्जुन की ममता जागती तो वो ज़िन्दगी भर इसी पीड़ा में जीता कि उसने अपने ही स्वजनों को मार दिया, और तब गीता का उपदेश भी काम न् करता। परन्तु कृष्ण ने पहले ही उसके सारे संशय दूर करके उससे धर्म का पालन करवाया। इसलिये अर्जुन युद्ध कर पाया और युद्ध के बाद उसे आत्मग्लानि भी नहीं हुई।

परंपरा रक्षित है संस्कारों से संस्कृति.. न्यूज़ एंकर अंजना ओम कश्यप परंपरा निभाते हुए इनके ललाट पर चमक देखो, हमारी परंपराएं हमारी रौनक बढ़ाती है, इसलिए ग्लैमर के नाटक में आकर परंपराओं की जड़ो से कभी नहीं कटना चाहिए, हमारी परंपराएं हमारी धरोहर है हमारी परंपराएं हमारा वजूद है जड़ से कटे हुए लोग लंबे समय तक हरे-भरे नहीं रह सकते वह सूख जाते हैं लेकिन जो परंपराओं की जड़ों से जुड़े रहते हैं वह इतिहास के सारे संघर्ष को झेलने के बावजूद अपने अस्तित्व में रहते हैं क्योंकि उसे अपनी परंपराओं और संस्कृति की जड़ें कभी सूखने नहीं देती हर परिस्थिति में उसे परंपराओं के रूप में हरा भरा रखती है इसलिए कितना ही पढ़ लिख जाओ कितनी ही ऊंचाइयों को छू लो लेकिन किसी भी ऊंचाई पर जाकर परंपराओं की जड़ों से ना कट जाओ इसका हमेशा ध्यान रखना चाहिए। शिक्षा सफलता और ऊंचाइयां आप को जड़ से कटने का नहीं बोलती बल्कि जब हर तरह से सक्षम हैं तब तो फिर हमें परंपराओं को और अधिक मजबूती के साथ निभाना चाहिए दोनों एंकरों के चेहरे पर परंपराओं की छटा तो देखो ललाट पर परम्परा ललाट को कितना तेजस्वी बना देती है।
छठ पर्व की सभी को शुभकामनाएं जय छठी मैया🙏

(( छठी मैय्या की कथा ))

सभी देशवासियों को छठ पूजा की हार्दिक मंगलमय शुभकामनाएं

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, छठी मइया को सूर्य देव की बहन और ब्रह्म देव की मानस पुत्री माना जाता है. इनका नाम षष्ठी मैया है, जिन्हें आम बोलचाल की भाषा में छठी मइया या छठी मैय्या कहते हैं।

छठ पूजा में सूर्य देव के साथ इस देवी का पूजन करते हैं. एक प्रकार से सूर्य देव और छठी मैय्या भाई बहन हुए। 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की तो उन्होंने अपने शरीर से के दो हिस्से किए।

दायां भाग पुरुष और बायां भाग प्रकृति. प्रकृति के छठे भाग से षष्ठी देवी की उत्पत्ति हुई है, इनको देवसेना भी कहा जाता है।

जो व्यक्ति षष्ठी देवी की पूजा करता है, उसके मन की कामना अवश्य पूरी होती है। 

छठ पूजा व्रत कथा :-

एक समय की बात है. एक राजा प्रियंवद थे, जिनकी पत्नी का नाम मालिनी था. विवाह के काफी वर्ष बीतने के बाद भी उनको कोई संतान नहीं हुई।

तब उन्होंने कश्यप ऋषि से इसका समाधान पूछा तो उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ कराने का सुझाव दिया।

कश्यप ऋषि ने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ किया और राजा की पत्नी मालिनी को प्रसाद स्वरूप खीर खाने को दिया।

उसके प्रभाव से रानी गर्भवती हो गईं, जिससे राजा प्रियंवद बड़े खुश हुए. कुछ समय बाद रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया, लेकिन वह भी मृत उत्पन्न हुआ।

यह सुनकर राजा बहुत दुखी हो गए,वे पुत्र के शव को लेकर शवदाह गृह गए और इस दुख के कारण अपना भी प्राण त्यागने का निश्चय कर लिया। 

जब वे अपना प्राण त्यागने जा रहे थे, तभी देवी देवसेना प्रकट हुईं. उन्होंने राजा प्रियंवद से कहा कि उनका नाम षष्ठी है।

हे राजन! तुम मेरी पूजा करो और दूसरों लोगों को भी मेरी पूजा करने को कहो. लोगों को इसके लिए प्रेरित करो। 

देवी देवसेना की आज्ञानुसार राजा प्रियंवद ने कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा की।

उन्होंने यह पूजा पुत्र प्राप्ति का कामना से की थी. छठी मैय्या के शुभ आशीर्वाद से राजा प्रियंवद को पुत्र की प्राप्ति हुई।

तब से हर साल कार्तिक शुक्ल षष्ठी को छठ पूजा की जाने लगी। 

जो व्यक्ति जिस मनोकामना के साथ छठ पूजा का व्रत रखता है और उसे विधि विधान से पूरा करता है, छठी मैय्या के आशीष से उसकी मनोकामना अवश्य ही पूर्ण होती है।

लोग पुत्र प्राप्ति और संतान के सुख जीवन के लिए यह व्रत रखते हैं। 

 ( जय जय श्री राधे )

आज किसी सज्जन ने कहा कि शंकराचार्य जी अरबपति बन कर बैठे हैं। कुछ करते धरते नहीं हैं। उनके लिए प्रत्युत्तर :-

 यदि जगद्गुरु शंकराचार्य जी अरबपति हैं तो उन्हें होना भी चाहिए। वैसे भी वो संपत्ति पीठ की है, उनकी निजी नहीं, और न इसका उपयोग उनके निजी कार्य में हो रहा है। 

शंकराचार्य जी या अन्य सनातनी वास्तविक संतों के पास करोड़ों या अरबों की संपत्ति है तो क्या हुआ ! उन्होंने कोई चोरी डकैती करके थोड़े न इकट्ठा किये हैं । उनकी संपत्ति को देखकर जलने वाले निंदकों या सेकुलरों ने फूटी कौड़ी भी नही दिया है उनको । उलटे उनसे किसी न किसी तरह लाभान्वित हुए हैं । 

जो भी दिया है उनके भक्तों और उनके ट्रस्टियों ने दिया है । दूसरों को उनकी संपत्ति के बारे में अनर्गल बकने का कोई अधिकार नही है । और वो संपत्ति भी उनके नाम नही अपितु उनके ही स्थानीय ट्रस्टियों के नाम में होती है । 

इसका सदुपयोग वे धर्म, समाज और संस्कृति की सेवा के लिए ही करते हैं । दुष्ट व्यक्ति या विधर्मियों की तरह राष्ट्र विरोधी कार्यों में नही खर्चते हैं ।

मठाम्नाय महानुशासन पढ़िए। 

कृते विश्वगुरुर्ब्रह्मा त्रेतायां ऋषि सत्तमः । 

द्वापरे वेदव्यासश्च अहमस्मि कलौयुगे।

महाराज सुधन्वा चौहान को भगवत्पाद आदिशंकर ने कहा था। सत्ययुग में ब्रह्मा, त्रेता में वशिष्ठ, द्वापर में वेदव्यास और कलियुग में मैं ही विश्वगुरु हूँ । शंकराचार्य के लिए छत्र , सिंहासन, चँवर भी अनिवार्य है। शंकर दिग्विजय के बाद इस पद को सनातन का राजा कहा गया। नागा, नाथ पंथी अखाड़ा साधुओं को सैनिक और जनसाधारण को प्रजा। अतः इसका पालन हो। राजा ही कंगाल रहेगा तो हमारा क्या होगा। कांची कामकोटि अधिपति जयेंद्र स्वामी जी हर वर्ष 5000 करोड़ से अधिक धन समाजसेवा में देते हैं। गरीबों का धर्मान्तरण होने से रोकते हैं। यदि उनके पास धन न रहे तो क्या आप अपने घर से देंगे, जब धर्मरक्षा की जरूरत होगी ? कौन शंकराचार्य धन का प्रयोग व्यक्तिगत विलासिता के लिए कर रहे हैं ?

 शंकराचार्य मात्र चार हैं। इसके अलावा यदि कोई इस पद का स्वयं के लिए उपयोग कर रहा है, मिथ्या है। पूर्वाम्नाय, दक्षिणाम्नाय, पश्चिमाम्नाय और उत्तराम्नाय। अर्थात् गोवर्धन, श्रृंगेरी, द्वारिका और ज्योति पीठ। इसके अलावा बाद में कार्य की अधिकता के कारण दक्षिणाम्नाय और पूर्वाम्नाय ने दो उपपीठ की स्थापना अलग से की। जिसमें सर्वाम्नाय कांची कामकोटि और ऊर्ध्वाम्नाय काशी सुमेरु उपपीठ बने। कुछ लोग उपपीठों की मान्यता पर प्रश्न चिन्ह लगाते हैं। पर ऐसा वही करते हैं जिन्हें मठाम्नाय महानुशासन की जानकारी नहीं। हर पीठ अपना एक और उपपीठ सर्वसम्मति से बना सकता है, यदि उसे आवश्यक लगे तो। और रही बात कार्य करने की, तो ऐसा नहीं है कि कार्य नहीं हो रहा। कार्य बहुत हो रहा है। अब जहाँ हो रहा है, वहां आप नहीं देखते और जहाँ आप देखते हैं, वहां वो नहीं देखते। इसमें शासन तंत्र का भी व्यापक दोष है। ईसाई मिशनरी पोषित सरकारें पर्याप्त अमर्यादा से सनातन गतिविधियों पर अंकुश लगाती रही है । साथ ही साईं, निर्मल, रामपाल, आर्य समाज, ब्रह्माकुमारी, स्वामी नारायण आदि के पाखंड के कारण और भी दयनीय स्थिति है।

आप सब थोड़ा सा विचार कीजिए । भगवान शंकर को 

एक बार विष पान करना पड़ा शीतलता के लिए गंगा व चंद्रमा को धारण करना पड़ा। आपके समक्ष भगवान शंकर के स्थान पर 

जो पूज्य शंकराचार्य जी दिखते हैं, उनमे से एक जगद्गुरु पूर्वाम्नाय ऋग्वेदी महामहिम श्री निश्चलानंद सरस्वती जी ने अपने जीवन में तीन बार विषपान किया है 25 बार शीशे का पानी दिया गया है, 5 बार मांत्रिक नागों से डसवाया गया है । अलकायदा उल्फा समेत 

विश्व के सात खूंखार संगठनों के सर्वोच्च श्रेणी के हिट लिस्ट में जगद्गुरु का नाम है । फिर भी सामान्य तरीके से बिना कोई सुरक्षा लिए दहाड़ते हुए ट्रेन में पूरे देश में धर्म की ध्वजा को लेकर अपनी बोटी बोटी गलाते हुए फहरा रहे हैं । हमारे धर्म के सर्वोच्च पद पर विराजमान है ।

13 घंटे लेखन काम करते हैं , दो से 3 घंटे ही निद्रा लेते हैं । 73 वर्ष की भौतिक अवस्था में हजारों युवाओं की उर्जा से समन्वित वाणी बोलते हैं 

ऐसे कोई साधारण व्यक्ति हो सकते हैं क्या ?

साक्षात शिव हैं । शंकरः शंकरः साक्षात्…

कितने वर्ष माह अथवा दिन ही आप प्रात: स्मरणीय शङ्कराचार्यों के साथ रहें हैं, घर में बैठकर वाट्सअप में तो किसी को कुछ भी कह सकते हैं, महत्त्वपूर्ण यह है कि हम कितने वास्तविक धरातल पर अपने धर्म संस्कृति के लिए कार्य कर रहे हैं, यहाँ यही चर्चा दु:खद है कि बिना विचारे किसी भी संत के ऊपर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहे हैं ।

महोदय ! सोच बदलिए । शंकराचार्य के प्रति इस प्रकार सोचना सही नही है ।आप सोच को परिवर्तन करे तो अच्छा रहेगा । शंकराचार्य को केवल अरबों की संपत्ति का संरक्षक कह सकते है। इसके विपरीत सोच ठीक व मान्य नहीं है । ॐ ॐ ॐ

*🦚🌞हर हर महादेव🌞🦚*

*🕉️🔱शिव स्तुति श्लोक🕉️🔱*

*पशूनां पतिं पापनाशं परेशं गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम।*
*जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम।।*

*महेशं सुरेशं सुरारातिनाशं विभुं विश्वनाथं विभूत्यङ्गभूषम्।*
*विरूपाक्षमिन्द्वर्कवह्नित्रिनेत्रं सदानन्दमीडे प्रभुं पञ्चवक्त्रम्।।*

*गिरीशं गणेशं गले नीलवर्णं गवेन्द्राधिरूढं गुणातीतरूपम्।*
*भवं भास्वरं भस्मना भूषिताङ्गं भवानीकलत्रं भजे पञ्चवक्त्रम्।।*

*शिवाकान्त शंभो शशाङ्कार्धमौले महेशान शूलिञ्जटाजूटधारिन्।*
*त्वमेको जगद्व्यापको विश्वरूप: प्रसीद प्रसीद प्रभो पूर्णरूप।।*
*‼️🌞ॐ नमः शिवाय शिवजी सदा सहाय ‼️🌞‼️