आज का पंचाग आपका राशि फल, आज अक्षय तृतीया पर किए गये दान पुण्य यज्ञ हवन अक्षुण रहते हैं उनका कभी क्षय नहीं होता, भगवान परशुराम का प्राकट्य महोत्सव आज, उनके परशु का दर्शन करने मात्र से विपदा कट जाती है

‌‌   *༺ 卐 ༻​​*
*श्री हरिहरौ*
*विजयतेतराम*

*सुप्रभातम*
*आज का पञ्चाङ्ग*
*_शनिवार, २२ अप्रैल २०२३_*
*═══════⊰⧱⊱═══════*

सूर्योदय: 🌄 ०६:०१
सूर्यास्त: 🌅 ०६:४८
चन्द्रोदय: 🌝 ०६:५६
चन्द्रास्त: 🌜२१:१५
अयन 🌖 उत्तरायणे
(उत्तरगोलीय)
ऋतु: 🌡️ग्रीष्म
शक सम्वत:👉१९४५ (शोभकृत)
विक्रम सम्वत:👉२०८० (पिंगल)
मास 👉 वैशाख
पक्ष 👉 शुक्ल
तिथि 👉 द्वितीया (०७:४९
से तृतीया)
नक्षत्र 👉 कृत्तिका (२३:२४
से रोहिणी)
योग 👉 आयुष्मान् (०९:२६
से सौभाग्य)
प्रथम करण👉कौलव(०७:४९तक
द्वितीय करण 👉 तैतिल
(१९:४३ तक)
⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗
॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 मेष
चंद्र 🌟 वृष
मंगल 🌟 मिथुन
(उदित, पश्चिम, मार्गी)
बुध🌟कुम्भ(उदित,पश्चिम,मार्गी)
गुरु🌟मेष(अस्त,पश्चिम,मार्गी)
शुक्र🌟वृष (उदित, पश्चिम)
शनि 🌟 कुम्भ
(उदित, पूर्व, मार्गी)
राहु 🌟 मेष
केतु 🌟 तुला
⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗
शुभाशुभ मुहूर्त विचार
⏳⏲⏳⏲⏳⏲⏳
⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗
अभिजित मुहूर्त 👉 ११:४९ से १२:४२
अमृत काल 👉 २०:५८ से २२:३५
त्रिपुष्कर योग 👉 ०५:४३ से ०७:४९
सर्वार्थसिद्धि योग 👉 २३:२४ से २९:४२
अमृतसिद्धि योग 👉 २३:२४ से २९:४२
रवियोग 👉 २३:२४ से २९:४२
विजय मुहूर्त 👉 १४:२६ से १५:१९
गोधूलि मुहूर्त 👉 १८:४७ से १९:०९
सायाह्न सन्ध्या 👉 १८:४८ से १९:५४
निशिता मुहूर्त 👉 २३:५३ से २४:३७
राहुकाल 👉 ०८:५९ से १०:३७
राहुवास 👉 पूर्व
यमगण्ड 👉 १३:५४ से १५:३२
होमाहुति 👉 सूर्य (२३:२४ से बुध)
दिशाशूल 👉 पूर्व
नक्षत्र शूल 👉 पश्चिम (२३:२४ से)
अग्निवास 👉 पाताल (०७:४९ से पृथ्वी)
चन्द्रवास 👉 दक्षिण
शिववास 👉 गौरी के साथ (०७:४९ से सभा में)
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
☄चौघड़िया विचार☄
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – काल २ – शुभ
३ – रोग ४ – उद्वेग
५ – चर ६ – लाभ
७ – अमृत ८ – काल
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – लाभ २ – उद्वेग
३ – शुभ ४ – अमृत
५ – चर ६ – रोग
७ – काल ८ – लाभ
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
शुभ यात्रा दिशा
🚌🚈🚗⛵🛫
उत्तर-पश्चिम (वायविंडिंग अथवा तिल मिश्रित चावल का सेवन कर यात्रा करें)
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
तिथि विशेष
🗓📆🗓📆
〰️〰️〰️〰️
अक्षय तृतीया (आखा तीज), शिवाजी जयन्ती, भगवान परशुराम, नर – नारायण, एवं हयग्रीव जन्मोत्सव, श्री मातंगी जयन्ती, गृह प्रवेश मुहूर्त प्रातः ०७:३४ से प्रातः ०९:१२ तक आदि।
हृषीकेश पंचागानुसारेण
अक्षय तृतीया रविवार को
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
आज २३:२४ तक जन्मे शिशुओ का नाम कृतिका नक्षत्र के द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (ई, उ, ए) नामक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम रोहिणी नक्षत्र के प्रथम चरण अनुसार क्रमशः (ओ) नामक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
उदय-लग्न मुहूर्त
मेष – २९:२४ से ०६:५८
वृषभ – ०६:५८ से ०८:५३
मिथुन – ०८:५३ से ११:०८
कर्क – ११:०८ से १३:३०
सिंह – १३:३० से १५:४८
कन्या – १५:४८ से १८:०६
तुला – १८:०६ से २०:२७
वृश्चिक – २०:२७ से २२:४६
धनु – २२:४६ से २४:५०
मकर – २४:५० से २६:३१
कुम्भ – २६:३१ से २७:५७
मीन – २७:५७ से २९:२०
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
पञ्चक रहित मुहूर्त
रज पञ्चक – ०५:४३ से ०६:५८
शुभ मुहूर्त – ०६:५८ से ०७:४९
चोर पञ्चक – ०७:४९ से ०८:५३
शुभ मुहूर्त – ०८:५३ से ११:०८
रोग पञ्चक – ११:०८ से १३:३०
शुभ मुहूर्त – १३:३० से १५:४८
मृत्यु पञ्चक – १५:४८ से १८:०६
अग्नि पञ्चक – १८:०६ से २०:२७
शुभ मुहूर्त – २०:२७ से २२:४६
रज पञ्चक – २२:४६ से २३:२४
शुभ मुहूर्त – २३:२४ से २४:५०
चोर पञ्चक – २४:५० से २६:३१
शुभ मुहूर्त – २६:३१ से २७:५७
रोग पञ्चक – २७:५७ से २९:२०
चोर पञ्चक – २९:२० से २९:४२
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन कई कार्यो में लापरवाही दिखाने के बाद भी संतोषजनक रहेगा। दिन का आरंभ आलस्य से होगा दिनचर्या का इसपर प्रभाव पड़ेगा। सभी कार्य आज लगभग विलंब से ही शुरू होंगे। मध्यान के बाद स्थिति सामान्य होने लगेगी फिर भी धन की प्राप्ति आशानुकूल नही रहेगी। व्यवसाय में मंदी के कारण कार्य क्षेत्र पर मन कम ही लगेगा। पारिवारिक वातावरण में खुशी एवं नाराजगी का मिश्रण बना रहेगा फिर भी स्थिति सामान्य ही रहेगी। संध्या के समय किसी समारोह में उपस्थिति देंगे उत्तम भोजन वाहन सुख मिलेगा। महिलाये मन ही मन गुप्त युक्तियां बनाएंगी।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज के दिन आपको घर एवं बाहर मान-सम्मान में वृद्धि कराएगा पारिवारिक सदस्यों की भी इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका रहेगी। कार्य क्षेत्र पर भी आप निसंकोच निर्णय ले सकेंगे इनमे सफलता भी शत प्रतिशत मिलेगी। सुख के साधनों में वृद्धि करने पर खर्च होगा महंगे सामानों की खरीददारी से घरेलू बजट बिगड़ेगा फिर भी आर्थिक लाभ होते रहने से स्थिति संभाल लेंगे। महिलाये घरेलू अव्यवस्था को सुधारने में व्यस्त एवं चिंतित रहेंगी अधिक कार्य करने पर स्वास्थ्य खराब होगा। आज किसी को बेमन से उधार देना पड़ सकता है जिसकी वसूली में परेशानी आएगी सोच कर ही निर्णय लें।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आपके लिए आज का दिन अशुभ फलदायी रहेगा। व्यवसाय एवं पारिवारिक उलझनों के कारण शारीरिक एवं मानसिक स्थिति असंतुलित रहेगी। कार्य क्षेत्र पर आज किसी की सहायता के बिना कार्य करना कठिन होगा। आर्थिक कारणों से भी किसी खास व्यक्ति की खुशामद करनी पड़ेगी फिर भी आशानुकूल परिणाम नही मिलने से मन मे नकारात्मक एवं अनैतिक कार्य करने के भाव आएंगे। आर्थिक स्थिति धीरे धीरे गिरने से व्यक्तिगत खर्च चलाना भारी पड़ेगा। उधारी वालो के कारण अतिरिक्त परेशानी होगी। महिलाये इच्छा पूर्ति ना होने पर किसी कार्य को जान कर बिगाड़ सकती है।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज का दिन आपकी उम्मीदों पर खरा उतरेगा। आपको आज आकस्मिक लाभ के साथ ही सामाजिक क्षेत्र से उत्कृष्ट सेवा के लिए सम्मान भी मिलेगा। कार्य क्षेत्र पर भी अधिकारी वर्ग एवं परिवार में बुजुर्ग कृपा दृष्टि बनाये रखेंगे। सामाजिक जीवन धनवानों जैसा व्यतीत करेंगे थोड़ा दिखावा भी करना पड़ेगा धन खर्च आवश्यकता से अधिक होगा फिर भी अखरेगा नही। व्यवसायी वर्ग आज आंख बंद करके भी निवेश कर सकते है लाभप्रद ही रहेगा। मित्र रिश्तेदारों के साथ आनंद के क्षण व्यतीत करेंगे शुभ समाचार एवं उपहार का आदान प्रदान करेंगे। पारिवारिक स्थिती संतोषजनक रहेगी।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज आप जिस भी कार्य को करेंगे उसके आरम्भ में दुविधा की स्थिति बनेगी बीच मे छोड़ने का मन भी बना सकते है लेकिन एकाग्र होकर लगे रहें तो निश्चित सफलता मिल सकती है। व्यवसाय में बेजीझक होकर निर्णय लें आज का दिन आपके पक्ष में है। नए कार्यो में भी निवेश कर सकते है लेकिन अनुभवियों की सलाह अवश्य लें। कुछ दिनों से चल रही पारिवारिक उलझन सुलझने से मानसिक राहत मिलेगी संबंधों में पड़ी दरार भरेगी। अविवाहितो को विवाह के प्रस्ताव आएंगे लेकिन जल्दबाजी ना करें आगे परिणाम खराब भी हो सकते है। महिलाओ का स्वभाव चंचल रहेगा।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आपके आज के दिन का अधिकांश समय शुभ कर्मों में व्यतीत होगा। आध्यात्म में आज खुल कर रुचि लेंगे दान-पुण्य पर खर्च भी करेंगे। लेकिन घरेलू खर्चो को लेकर संकीर्णता दिखाना भारी पड़ सकता है। कार्य व्यवसाय में सामान्य गति रहेगी धन लाभ रुक रुक कर होता रहेगा फिर भी मन को संतुष्ट करना आज मुश्किल ही रहेगा। महिला मित्रो से समीपता का अहसास होगा लेकिन आने वाले समय मे नई मुसीबत भी खड़ी होगी। संध्या का समय थकान वाला परन्तु अधिक शान्तिप्रद रहेगा। पारिवारिक वातावरण अपने हंसमुख व्यवहार से उल्लासित करेंगे लेकिन स्त्री वर्ग आज किसी ना किसी कारण नाराज ही रहेंगी।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज के दिन आप आवश्यकता से अधिक दिमाग लगाएंगे इसका परिणाम विपरीत ही रहने वाला है। हर किसी को शंका की दृष्टि से देखना व्यवहारिकता में कमी लाएगा। सेहत भी अकस्मात बिगड़ेगी वायु विकार अथवा अन्य गैस संबंधित समस्या छाती में जलन से परेशानी होगी। आर्थिक मामलों में जल्दबाजी नुकसान कराएगी धैर्य से कार्य करें कार्य क्षेत्र पर बुद्धि विवेक से कार्य करने पर भी कोई विशेष लाभ नही होगा केवल आश्वासन से ही काम चलाना पड़ेगा। सरकार विरोधी अनैतिक कार्य सम्मान हानि करा सकते है। संध्या के आसपास धन लाभ होगा। महिलाओ का दिमाग पढ़ना मुश्किल रहेगा।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन धन धान्य में वृद्धि कराएगा खर्च भी आवश्यकता अनुसार रहने पर बचत भी कर सकेंगे। व्यावसायिक क्षेत्र पर आज आप नए प्रयोग करेंगे लेकिन इसका फल शीघ्र नही मिल सकेगा। मध्यान तक आलस्य एवं परिश्रम मिला जुला रहने से आशाजनक परिणाम नही मिलेंगे लेकिन इसके बाद व्यवसाय में आकस्मिक वृद्धि होने से धन आगम शुरू हों जायेगा जोकि संध्या पश्चात तक रुक-रुक कर होता रहेगा। आवश्यकता पड़ने पर किसी की मदद बिन मांगे ही मिल जाएगी। महिलाये आज बुद्धि विवेक का परिचय देंगी बिखरे रिश्तो को एक जुट बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। सेहत सामान्य बनी रहेगी।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आपको आज का दिन शांति एवं धैर्य रख बिताने की सलाह है। ना कुछ लोग भी आज आपकी उपेक्षा करेंगे जिससे स्वभाव दिन भर आवेश में रहेगा। घर एवं बाहर एक जैसा वातावरण रहेगा लोग आपकी बात सुनेगें लेकिन गंभीर नही लेंगे आर्थिक विषयो में भी टालमटोल करेंगे। व्यवसायिक क्षेत्र पर उदासीनता रहेगी बेमन से कार्य करने का नतीजा भी उसी अनुसार रहेगा। घर मे आकस्मिक खर्च नियंत्रण करने पर भी लगे रहेंगे धनाभाव के कारण छोटे मोटे खर्च भी परेशानी बढ़ाएंगे। सेहत की लापरवाही निकट भविष्य में गंभीर रूप ना ले इसका ध्यान रखें। पति-पत्नी में आपसी संवादहीनता के कारण गृहस्थ अस्त-व्यस्त रहेगा।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज का दिन आपकी आशाओ के अनुरूप रहेगा। पूर्वनियोजित कार्यक्रम में किसी आकस्मिक कार्य की वजह से फेरबदल करना पड़ेगा। व्यावसायिक गतिविधिया आरम्भ में थोड़ी सुस्त रहेंगी परन्तु मध्यान के बाद इनमे गति आएगी आर्थिक लाभ होने से मानसिक शांति मिलेगी फिर भी निवेश सोच समझ कर ही करें। सरकारी कार्यो को करने के लिए भी आज का दिन शुभ है बिना किसी की सहायता के पूर्ण कर सकेंगे। पैतृक सम्पति संबंधित मामलों को लेकर दुविधा होगी भाग-दौड़ भी करनी पड़ेगी। महिलाये आज स्वप्न लोक की सैर करेंगी जिससे घर मे थोड़ी अव्यवस्था रहेगी।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज का दिन आपके लिए अशांति से भरा रहेगा। आज जिस भी कार्य को करने का मन बनाएंगे उसमे कुछ ना कुछ व्यवधान अवश्य आएगा। आर्थिक लेन देन में स्पष्टता ना रहने से किसी से झगड़ा हो सकता है। पूर्व नियोजित कार्य जिनसे लाभ की उम्मीद थी वह भी निरस्त होने अथवा अन्य कारण से क्षति ही कराएंगे। मध्यान के समय व्यावसायिक एवं घरेलू कार्यो में किसी की सहायता की आवश्यकता पड़ेगी जो कि आशानुकूल नही मिलेगी। खर्च चलाने के लिए उधार भी लेना पड़ सकता है। महिलाये आज पारिवारिक वातावरण को लेकर ज्यादा परेशान रहेंगी।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का दिन लाभदायक रहेगा प्रातः काल से ही धन लाभ की संभावनाएं लगी रहेंगी इनके पूर्ण होने में दोपहर तक इंतजार करना पड़ेगा। व्यवसायी वर्ग आज अनिश्चितता के दौर से गुजरेंगे फिर भी आकस्मिक लाभ होने से आर्थिक स्थिति बेहतर बनी रहेगी। नए व्यवसाय का आरंभ अभी टालना ही बेहतर रहेगा। अंदरूनी पारिवारिक निर्णय लेने में असहजता अनुभव करेंगे। किसी महत्त्वपूर्ण कार्य को लेकर पल पल में निर्णय बदलेंगे। आध्यात्म में रुचि रहेगी लेकिन समय नही दे पाएंगे। मन में विरक्ति की भावना भी जाग्रत होगी। मोह माया से मन भंग होगा। महिलाये अंतर्मन से सहयोग करेंगी लेकिन अपनी भावनाओं का प्रदर्शन नही करेंगी।
⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗⋗

परशुराम जी भगवान #विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं। अक्षयतृतीया के दिन #परशुरामजयंती भी मनाई जाती है। भगवान परशुराम का नाम लेने मात्र से दुख और  व बिपदाता कट जाती हैं भगवान परशुराम की परशु का दर्शन करने मात्र से विपदा पास भी नहीं फटकती। जय भगवान परशुराम कहने से शत्रुओं में भय व्याप्त हो जाता है। 

परशुराम जयंती पर पढ़ें परशुराम और कर्ण का एक प्रेरक प्रसंग 

महाभारत की कहानियां हमें जीवन में प्रेरणा देती है। महाभारत की एक प्रसिद्ध कथा है जब परशुराम जी ने कर्ण को असत्य बोलने के लिए श्राप दिया था। 

कर्ण धनुर्विद्या प्राप्त करना चाहते थे। गुरु द्रोण ने उसे शिक्षा देने से मना कर दिया क्योंकि वह केवल क्षत्रियों को ही शिक्षा देते थे और कर्ण सूत पुत्र था।

कर्ण शिक्षा ग्रहण करने परशुराम जी के पास चले गए क्योंकि वह केवल ब्राह्मणों को ही शिक्षा देते थे। इसलिए कर्ण ब्राह्मण का रूप धारण कर परशुराम के पास थे और धनुर्विद्या प्राप्त करने लगे। 

 कर्ण ने निष्ठा से धनुर्विद्या परशुराम जी से सीखी और कुछ ही समय में इस विद्या में पारंगत हो गए। एक दिन परशुराम जी और कर्ण वन में धनुर्विद्या का अभ्यास कर रहे थे। अभ्यास के दौरान जब परशुराम जी थक गए तो कर्ण की गोद में सिर रखकर सो गए।

 तभी एक बिच्छू ने कर्ण को काटना शुरू कर दिया। गुरु की निद्रा में कोई विध्न ना हो इसलिए कर्ण उस दर्द को सहता रहा। अपने शरीर के किसी भी हिस्से को हिलाया नहीं।

 उस समय के पश्चात जब महर्षि परशुराम की नींद खुली तो कर्ण के शरीर से खून की धारा बह रही थी। उन्होंने कर्ण से जब पूरा प्रसंग जाना और पूछा कि तुमने इस कीड़े को हटाया क्यों नहीं। कर्ण कहने लगा कि, मैं गुरु की सेवा में किसी तरह का व्यवधान नहीं डालना चाहता था।”

  यह सुनते ही परशुराम जी क्रोधित गए और कहने लगे कि तुमने मुझसे बोलकर शस्त्र विद्या ली है क्योंकि इतनी सहनशक्ति किसी ब्राह्मण में नहीं अपितु क्षत्रिय में ही हो सकती।

उन्होंने कर्ण को अपनी असली पहचान बताने के लिए कहा। करण कहने लगे कि गुरुवर मैं क्षत्रिय नहीं अपितु सुत पुत्र हूं। परशुराम कहने लगे कि,” तुमने झूठ बोलकर शिक्षा प्राप्त की है इसलिए मैं तुम को श्राप देता हूं कि इस जिस समय तुम्हें सबसे ज्यादा जरूरत हो तुम तुम मेरे द्वारा सिखाई की शिक्षा भूल जाओगे और वही तुम्हारी मृत्यु का कारण बनेगा।

 कर्ण ने गुरु के चरणों में गिरकर क्षमा मांगी और कहने लगे कि गुरुदेव मैं तो बस धनुर्विद्या सीखना चाहता था। आप केवल ब्राह्मणों को शिक्षा देते थे इसलिए मैंने आपसे झूठ बोला था।

 परशुराम जी कहने लगे कि,” मैं अपना शाप को वापस तो नहीं ले सकता लेकिन मेरा आशीर्वाद है कि जब भी महान योद्धाओं की बात की जाएगी तो तुम्हारा नाम जरूर आएगा।”

इसी शाप के परिणामस्व रूप जब महाभारत युद्ध के सत्तारवें दिन कर्ण का पहिया जमीन में धस गया था तभी अर्जुन ने दिव्यास्त्र से कर्ण को मार दिया। कर्ण उसका तोड़ तो जानता था लेकिन श्राप के कारण वह का अनुसंधान करना भूल गया। इस तरह कर्ण को अपने गुरु के साथ बोले गए झूठ का परिणाम भुगतना पड़ा।

आज गंगा गोदावरी काबेरी सहित देश की सभी पवित्र नदियों सातों समुद्रों और एक सौ पचपन देशों की पवित्र नदियों के जल से अयोध्या में होगा भगवान राम का जलाभिषेक

अक्षय तृतीया पर सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं ! 

इस देश के जन मानस में प्रेम, भक्ति , ज्ञान , दया , क्षमा , सहिष्णुता , बल , आयु , वीर्य , पापियों के प्रति असहिष्णुता , स्वाभिमान इत्यादि सभी गुण सदा सर्वदा अक्षय रहे और उनमें निरंतर वृद्धि हो ! 

भविष्य पुराण के अनुसार इस तिथि की युगादि तिथियों में गणना होती है, सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ इसी तिथि से हुआ है। भगवान विष्णु ने नर-नारायण, हयग्रीव और परशुराम जी का अवतरण भी इसी तिथि को हुआ था। ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव भी इसी दिन हुआ था।

 इस दिन श्री बद्रीनाथ जी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है और श्री लक्ष्मी नारायण के दर्शन किए जाते हैं। प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बद्रीनारायण के कपाट भी इसी तिथि से ही पुनः खुलते हैं। 

अस्यां तिथौ क्षयमुर्पति हुतं न दत्तं।

 तेनाक्षयेति कथिता मुनिभिस्तृतीया॥

उद्दिष्य दैवतपितृन्क्रियते मनुष्यैः।

 तत् च अक्षयं भवति भारत सर्वमेव॥

आज के दिन किया हुआ दान एवं जप इत्यादि का प्रभाव अक्षुण माना जाता है ! 

आप सभी को अक्षय तृतीया के इस दिवस की हार्दिक शुभकामनायें !

#दक्षिणा #विशेष कृपया पूरी पोस्ट पढ़ें ध्यानपूर्वक पढ़े अक्सर हिन्दू सनातन धर्म समाज में ब्राह्मण दक्षिणा को लेकर चर्चा रहती है यजमान की जितनी श्रद्धा होगी पण्डित जी को दक्षिणा दी जा सकती है कोई जरूरी नहीं ब्राह्मण आचार्य को कितनी दक्षिणा देनी है या नहीं ये बातें वर्तमान समाज में अक्सर कहने सुनने को मिलती हैं काफी समय से मन में #प्रश्न था काफी ढूंढ खोज और किताबों के पन्ने पलटकर आखिर कुछ #शास्त्रीय प्रमाण मिल ही गया ।

एक बहुत ही सुंदर मन्त्र है #श्री #विशाल मणि शर्मा लिखित कर्मकाण्ड भास्कर हवन प्रकरण के अन्तर्गत 

✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️

ब्रतेनदीक्षामाप्नोतिदीक्षयाप्नोति दक्षिणाम्। दक्षिणया श्रद्धामाप्नोति श्रद्धयासत्यमाप्यते ।।

#अर्थात् ब्रह्मचर्य आदि व्रतों से ही दीक्षा प्राप्त होती है बाद ब्रह्मविद्या या किसी अन्य विद्या में प्रवेश मिलता है फिर दीक्षा से दक्षिणा अर्थात् धन समृद्धि आदि प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। 

यहां दक्षिणा मिलने का अर्थ है दक्षिणा देना, वेद ने यही माना है कि जो जितना देता है उसे देवता और अधिक देते हैं। जो नहीं देता है या सामर्थ्य अनुसार कम देता है, मनुष्य के पास वर्तमान में जो है देवता उसका भी हरण कर दानियों को दे देते हैं फिर कहा गया है ।

#दक्षिणा #प्राप्प्नोति #दक्षिणां #श्रद्धा #प्राप्नोति #श्रद्धया 

👉दक्षिणा से श्रद्धा प्राप्त होती है और श्रद्धा से सत्य प्राप्त होता है।

क्रम है, 👉 व्रत #दीक्षा #दक्षिणा श्रद्धा और #सत्य मध्य में दक्षिणा है, एक बार दीक्षित हो गए, मार्ग पर बढ़ गए, और फिर दक्षिणा में लोभ किया तो मार्ग अवरुद्ध नष्ट हो जाता है। इसलिए विद्वानों, गुरु, आचार्य को दक्षिणा और पात्रों को दान देने से ही मार्ग आगे प्रशस्त होता है। दक्षिणा देने से अपने गुरु, आचार्य में श्रद्धा बढ़ती है। गुरु भी अपनी अन्य सांसारिक चिंताओं से मुक्ति पाकर शिष्य या यजमान के कल्याण के लिए और उत्साह से सक्रिय हो जाते हैं और अंततः सत्य से साक्षात्कार कराते हैं।

अब दक्षिणा क्या होनी चाहिए, इस पर भी शास्त्र का स्पष्ट मत है ।

🌹दक्षिणा #यथाशक्ति, #यथासम्भव ही होनी चाहिए न तो अपनी शक्ति से कम और न तो ज्यादा की कोई आवश्यकता नहीं है अखण्ड भारत हिन्दू सनातन धर्म की समाज संरचना किसी काल खण्ड में कुछ इस प्रकार से बनाई गई थी कि #ब्राह्मणों, #पुरोहितों, #ज्योतिष आदि #कर्मकाण्ड के जानकारों का दायित्व समाज के ऊपर होता था। समाज उन्हें अपने सामर्थ्यानुसार दान दक्षिणा द्वारा पोषित करता था। बदले में वे ब्राह्मण, आचार्य, कुलपुरोहित, समाज को अपने ज्ञान से पोषित करते थे लेकिन जैसे ही समय में बदलाव आया #यजमान में कृपणता आई आचार्य को भी लोभ आना स्वाभाविक हो गया फिर यह व्यवस्था टूट गई जिनका कार्य पुरोहित बनकर कर्मकाण्ड कराना था, गुरु बनकर पढ़ाना लिखाना था, ज्योतिषाचार्य बनकर लोगों को जीवन के प्रति सचेत करके मार्ग दिखाना था, उन्हें यजमानों से उचित दान दक्षिणा न मिलने के कारण अपना घर चलाने के लिए अन्य दूसरे व्यवसाय की तरफ पलायन करना पड़ा और इन विद्याओं का नाश होता गया। 

वर्तमान समय में सब लोग #एक #पक्षीय रूप से देखते हैं कि ब्राह्मण पौरोहित्य कार्य‌ ठीक से नहीं करते? लेकिन लोग खुद का दोष नहीं देखते कि क्या उन्होंने स्वयं कभी ठीक से यजमान धर्म का पालन किया? नहीं

क्या #यथाशक्ति, #यथासम्भव वे इन आचार्यों को दक्षिणा देने के योग्य हैं? न

यदि कोई जान पहचान के ज्योतिषी या कर्मकाण्ड सम्बन्धित अन्य विषयों के जानकार हैं तो यजमान चाहते हैं कि उन्हें मुफ्त में या कम दक्षिणा में सम्पूर्ण कुण्डली विश्लेषण या कर्मकाण्ड सम्बन्धित कार्य कर दें । लेकिन जब पण्डित जी अपनी दक्षिणा फिक्स करे तो समाज उसे धर्म का #ठेकेदार या #लालाजी कहने में भी संकोच नहीं करता है ? यह खुद का फोड़ा न देखकर दूसरे की सूजन निहारने वाली बात है?

यजमान पण्डित जी से तो उम्मीद करते हैं कि वह शास्र विधि के अनुसार कार्य‌ सम्पन्न करे लेकिन दक्षिणा न मांगे जब वही शास्त्र ज्योतिष आदि विद्याओं के लिए यथाशक्ति दक्षिणा देने की बात कहते हैं तो उसे नहीं मानते। लेकिन 100/50रु रुपए देकर कहते हैं बिना #दक्षिणा दिए #पाप लगता है पण्डित जी यह रख लीजिए। यथा शक्ति तथा भक्ति दक्षिणा देकर जान पहचान के ज्योतिषियों कर्मकाण्ड करने वाले पुरोहितों को अपमानित करके खुद के सिर पाप चढ़ने के भागी न बने ? 

वेद ने स्पष्ट कहा है, इन्द्र ऐसे कृपण/कंजूस लोगों को पैर से घास फूंस की तरह रौंद देता है। यह नहीं कहा जा सकता कि सभी ज्योतिषी विषयों के बहुत अच्छे जानकार हैं या सारे ही पुरोहित बहुत अच्छे कर्मकाण्डीय हैं लेकिन उनमें कई लोग वास्तव में विषयों के बहुत अच्छे जानकार हैं जिन्हें समाज हतोत्साहित करता है। ऐसे में वे अपने अध्ययन पर ध्यान नहीं दे पाते हैं। उन्हें भी अपनी सांसारिक जरूरतें पूरी करने के लिए दूसरे रास्ते अपनाने पड़ते हैं। #असंतुष्ट होकर आचार्य कभी भी यजमान पर कृपा नहीं कर सकते। सच्चे मन, पूर्ण श्रद्धा और विश्वास से उन्हें संतुष्टि देकर ही उनकी कृपा प्राप्त की जा सकती है। उनके द्वारा बताए गए उपाय भी तभी सफल होते हैं।

 

पुराणों में एक कथा आती है, नारद जी ने श्रीहरि नारायण से प्रश्न किया कि दक्षिणाहीन कर्म का फल कौन भोगता है? तो

भगवान श्रीहरि नारायण ने नारद को उत्तर दिया, 

हे मुने! दक्षिणाहीन कर्म में फल नहीं हो सकता है? क्योंकि फल प्रसव करने की योग्यता तो दक्षिणावाले कर्म में ही है। बिना दक्षिणा वाला कर्म तो बलि के पेट में चला जाता है, अर्थात् नष्ट हो जाता है। आचार्यों से वैदिक विद्याओं का प्रयोग करवाना, पौरोहित्य करवाना आदि यज्ञ का अंग है। #मनुस्मृति में महाराज मनु का स्पष्ट आदेश है।

🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺

प्राजापत्यमदत्त्वाश्वमग्न्याधेयस्य दक्षिणाम् ।

अनाहिताग्निर्भवति ब्राह्मणो विभवे सति ।।

सामर्थ्यवान धनवान होता हुआ भी ब्राह्मण को दक्षिणा न देकर यदि कोई धर्म कर्म हवनादि करे तो अग्न्याधान न होने के बराबर है 

पुण्य कर्मों को करे पर कम धन वाला यज्ञ न करे न्यून/कम दक्षिणा देकर कोई यज्ञ नहीं करना चाहिए। कम दक्षिणा देकर यज्ञ कराने से यज्ञ की इन्द्रियाँ, यश, स्वर्ग, आयु, कीर्ति, प्रजा और पशुओं का नाश होता है।

दक्षिणाहीन यज्ञ दीक्षित को नष्ट कर देता है। वेद में कहा गया है, प्रयत्न से उत्तम कर्म करने वाले के लिए जो योग्य दक्षिणा देता है, अग्नि उस मनुष्य की चारों ओर से सुरक्षा करता है।

कंजूस कभी भी ज्ञानसम्पन्न नहीं हो सकते, वे सदा ही अंधकार में ठोकर खाते फिरते हैं जो यज्ञ के कार्य के लिए अपना धन समर्पित करते हैं, वे उन्नति करते हैं इसलिए वैदिक विद्याओं को बचाने के लिए सनातन धर्म की रक्षा के लिए केवल ब्राह्मण पर दोषारोपण न करें आपके लिए वैदिक विद्या का प्रयोग करने वाले आचार्यों, अन्य योग्य सनातनी संस्थाओं और व्यक्तियों को उचित दान दक्षिणा देने में कंजूसी न करें बहुत सी ऐसी जगहें हैं जहां धन बचा लेते हैं ।

अन्यत्र जगहों खर्च करने पर धन घटेगा ही लेकिन वैदिक विद्या धार्मिक कार्यानुष्ठान में धन खर्च करेंगे तो धन बढ़ता ही है साथ ही आयु आरोग्य की वृद्धि होती है इसमें शास्त्रों का स्पष्ट निर्देश है।

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

पुण्यान्यन्यानि कुर्वीत श्रद्धानो जितेन्द्रिय:।

न त्वल्पदक्षिणैर्यज्ञैर्यजेतेह कथञ्चन् ।।

श्रद्धा से परिपूर्ण होकर अन्य अन्य पुण्य कार्यों को करे किन्तु अल्प कम दक्षिणा देकर यज्ञ नहीं करना चाहिए ।

#नोट :- शादी विवाह शुरू हो गये हैं जिन भी पण्डित जी आचार्य कुल पुरोहित को शादी सम्पन्न कराने के लिए आमन्त्रित करें उनको सम्मान दें जिसकी उनको आवश्यकता है बाकी यजमान की बुद्धि विवेक पर निर्भर है कि वह किसी बिषय के जानकार को आमन्त्रित करें या किसी अन्य को।

पं. श्रीकृष्णानन्द गैरोला