आज का पंचाग आपका राशि फल, आनलाइन शापिंग ने खुदरा व्यापार की रीढ़ तोड़ दी, कौड़ी के प्रयोग से बनें धन संपन्न, टिहरी का इतिहास

🕉श्री हरिहरौ 🕉
🕉 विजयतेतराम🕉
🌄सुप्रभातम🌄
🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
🌻गुरुवार, ३ नवम्बर २०२२🌻

(जीवन को डिग्री नहीं संस्कार महान बनाते हैं

सूर्योदय: 🌄 ०६:३५
सूर्यास्त: 🌅 ०५:३०
चन्द्रोदय: 🌝 १४:४४
चन्द्रास्त: 🌜२६:१३
अयन 🌖 दक्षिणायने
(दक्षिणगोलीय)
ऋतु: ❄️ शरद
शक सम्वत:👉१९४४ (शुभकृत)
विक्रम सम्वत:👉२०७९ (नल)
मास 👉 कार्तिक
पक्ष 👉 शुक्ल
तिथि 👉 दशमी (१९:३० से
एकादशी)
नक्षत्र 👉 शतभिषा (२४:४९
से पूर्वा भाद्रपद)
योग👉वृद्धि(०७:५० से ध्रुव)
प्रथम करण👉तैतिल(०८:१७तक
द्वितीय करण👉गर(१९:३० तक
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 तुला
चंद्र 🌟 कुम्भ
मंगल 🌟 मिथुन
(उदित, पश्चिम, वक्री)
बुध 🌟 तुला
(अस्त, पूर्व, मार्गी)
गुरु 🌟 मीन
(उदित, पूर्व, वक्री)
शुक्र 🌟 तुला (अस्त, पूर्व)
शनि 🌟 मकर
(उदित, पूर्व, मार्गी)
राहु 🌟 मेष
केतु 🌟 तुला
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:३८ से १२:२२
अमृत काल 👉 १७:५३ से १९:२५
रवियोग 👉 ०६:३२ से २४:४९
विजय मुहूर्त 👉 १३:५० से १४:३३
गोधूलि मुहूर्त 👉 १७:१७ से १७:४१
सायाह्न सन्ध्या 👉 १७:२८ से १८:४७
निशिता मुहूर्त 👉 २३:३४ से २४:२७
राहुकाल 👉 १३:२२ से १४:४४
राहुवास 👉 दक्षिण
यमगण्ड 👉 ०६:३२ से ०७:५४
होमाहुति 👉 शनि
दिशाशूल 👉 दक्षिण
नक्षत्रशूल 👉 दक्षिण (२४:४९ से)
अग्निवास 👉 पृथ्वी (१९:३० तक)
चन्द्रवास 👉 पश्चिम
शिववास 👉 सभा में (१९:३० से क्रीड़ा में)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – शुभ २ – रोग
३ – उद्वेग ४ – चर
५ – लाभ ६ – अमृत
७ – काल ८ – शुभ
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – अमृत २ – चर
३ – रोग ४ – काल
५ – लाभ ६ – उद्वेग
७ – शुभ ८ – अमृत
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
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पश्चिम-दक्षिण (दही का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
🗓📆🗓📆
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आशा दशमी, कंस वध, गृह प्रवेश मुहूर्त प्रातः १०:४७ से दोप. १२:१० तक आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज २४:४९ तक जन्मे शिशुओ का नाम शतभिषा नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (गो, सा, सि, सू) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम पूर्वाभद्रपद नक्षत्र के प्रथम चरण अनुसार (से) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
तुला – २९:१९ से ०७:३९
वृश्चिक – ०७:३९ से ०९:५९
धनु – ०९:५९ से १२:०२
मकर – १२:०२ से १३:४४
कुम्भ – १३:४४ से १५:०९
मीन – १५:०९ से १६:३३
मेष – १६:३३ से १८:०७
वृषभ – १८:०७ से २०:०१
मिथुन – २०:०१ से २२:१६
कर्क – २२:१६ से २४:३८
सिंह – २४:३८ से २६:५७
कन्या – २६:५७ से २९:१५
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पञ्चक रहित मुहूर्त
मृत्यु पञ्चक – ०६:३२ से ०७:३९
अग्नि पञ्चक – ०७:३९ से ०९:५९
शुभ मुहूर्त – ०९:५९ से १२:०२
रज पञ्चक – १२:०२ से १३:४४
शुभ मुहूर्त – १३:४४ से १५:०९
चोर पञ्चक – १५:०९ से १६:३३
रज पञ्चक – १६:३३ से १८:०७
शुभ मुहूर्त – १८:०७ से १९:३०
चोर पञ्चक – १९:३० से २०:०१
शुभ मुहूर्त – २०:०१ से २२:१६
रोग पञ्चक – २२:१६ से २४:३८
शुभ मुहूर्त – २४:३८ से २४:४९
मृत्यु पञ्चक – २४:४९ से २६:५७
अग्नि पञ्चक – २६:५७ से २९:१५
शुभ मुहूर्त – २९:१५ से ३०:३३
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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन आपको सुख एवं सम्मान की प्राप्ति कराएगा आज जिन कामों को करने से अन्य लोग संकोच करेंगे आपको उन्हीं कामों को करने में आनंद आएगा कार्यक्षेत्र पर आज अनिश्चितता रहेगी धन की आमद अचानक एवं आवश्यकता से कम ही होगी लेकिन किसी पुराने कार्य के पूर्ण होने से मन में संतोष होगा निकट भविष्य में आय के नए स्रोत बनेंगे आज सरकारी कार्यों को अविलंब पूरा करने का प्रयास करें अन्यथा बाद में आज ऐसी सुविधा नहीं मिल पाएगी अधिकारी आज आप पर मेहरबान रहेंगे पारिवारिक वातावरण आनंददायक रहेगा किसी मित्र रिश्तेदार के शुभ आयोजन में सम्मिलित होने का अवसर मिलेगा उपहार सम्मान का आदान-प्रदान होगा

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज का दिन आपके लिए शुभ फलदाई है आज दिन के पहले भाग में जिस मनोकामना को लेकर कार्य करेंगे मध्यान्ह बाद उसके पूर्ण होने पर उत्साह बढ़ेगा आज आप को पूर्व में लिए किसी निर्णय पर संतोष होगा कार्य व्यवसाय मैं दिन भर रुक रुक कर धन की आमद होती रहेगी इसकी तुलना में खर्च आज सोच समझकर ही करेंगे लेकिन निकट भविष्य में किसी महत्वपूर्ण कार्य पर अधिक खर्च करने की योजना बनेगी किसी मित्र परिचित के शुभ आयोजनों में सम्मिलित होने का योग बन रहा है लेकिन आज आप स्वयं धर्म एवं आध्यात्मिक कार्य में व्यवहारिकता मात्र ही रखेंगे परिवार का वातावरण रुठा हुआ रहेगा माता-पिता अथवा भाई-बंधुओं से सुख की प्राप्ति अवश्य होगी लेकिन कलह क्लेश के बाद ही छाती अथवा गले में संक्रमण होने से का कफ एवं जलन की समस्या रहेगी।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज का दिन आपको मिला जुला फल देगा दिन का प्रथम भाग तो शांति से व्यतीत हो जाएगा लेकिन मध्यान्ह बाद से विभिन्न प्रकार की मानसिक बेचैनी बनेगी। आज किसी को पूर्व में किए गए वादे के कारण बंधन जैसा अनुभव करेंगे पूर्ण ना कर पाने पर मानहानि का भय अंदर ही अंदर जाएगा दोपहर के बाद स्थिति में सुधार आने लगेगा पराक्रम शक्ति में वृद्धि होगी उलझन को अपने बुद्धि विवेक से धीरे-धीरे कम कर देंगे कारोबारी दशा आज दयनीय ही रहने वाली है आर्थिक लाभ के लिए किसी अन्य के भरोसे बैठना पड़ेगा आज मजबूरी में उधार लेने की नौबत भी आ सकती है संभव हो तो आज की जगह कर लेना ज्यादा ठीक रहेगा शरीर मैं कुछ ना कुछ कमी बनी रहेगी चेहरे का रंग भी फीका नजर आएगा स्त्री वर्ग से बोलचाल में नरमी बरतें अन्यथा मामूली बात करा सकती है।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज दिन के आरंभ से मध्यान्ह तक मन में किसी न किसी कारण से भय बना रहेगा सुख की कमी आज हर क्षेत्र में अनुभव होगी घर में आज शांत रहने का प्रयास करें परिजन आपकी छोटी सी बात को भी बड़ा बनाकर पेश करेंगे कार्य क्षेत्र से भी आज कोई ज्यादा आशा नहीं रखें आर्थिक लाभ थोड़ा बहुत अवश्य होगा लेकिन धन हाथ में रुक नहीं पाएगा व्यवसाई वर्ग जिसका रेकी कुछ दिन से आशा लगाए बैठे थे आज उस में विफलता अथवा अचानक निरस्त होने की संभावना है भाई बंधुओं से आज बनाकर रहना उत्तम होगा परस्पर ईर्ष्या-द्वेष के संबंध होने पर भी किसी आवश्यक कार्य में इनकी ज़रूरत पड़ेगी पति पत्नी कही सुनी बातों पर ध्यान ना दें अन्यथा दिनभर मानसिक रूप से अशांत ही रहेंगे यात्रा के समय अतिरिक्त सावधानी बरतें दुर्घटना में चोट आदि का भय है रक्त पित्त विकार गैस के कारण जलन हो सकती है।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज के दिन आप यदि लक्ष्य बनाकर कार्य करेंगे तो सोची हुई योजनाएं अवश्य ही सफल होंगी आर्थिक लाभ पाने के लिए आज दिन के आरंभ से ही जोड़-तोड़ करना आरंभ करेंगे आज मन में अनैतिक साधनों से धन कमाने के विचार भी आएंगे मार्ग सही हो या गलत हो इस का आपके ऊपर प्रभाव नहीं पड़ेगा दोपहर बाद का समय कार्य व्यवसाय के लिए विशेष अनुकूल है इसका उचित लाभ उठाएं आज भागीदारी के कार्यों की अपेक्षा अपने बल पर किया कार्य तुरंत एवं आशाजनक लाभ देगा भागीदारों अथवा पति पत्नी के बीच किसी गलतफहमी को लेकर झगड़ा होने की संभावना है दुर्व्यसनों से आज दूर ही रहें अन्यथा मानहानि के साथ कोर्ट कचहरी की नौबत भी आ सकती है घुटने कमर अथवा अन्य शरीर के जोड़ों में दर्द के कारण थोड़ी परेशानी होगी।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज का दिन आपके लिए मिश्रित फल दायक है आज किसी भी कार्य को करने से पहले उसके लाभ अथवा हानि के बारे में विचार अवश्य करें जहां उलझन अनुभव हो वहां किसी अनुभवी की सलाह अभिमान त्याग कर लेना बेहतर रहेगा अन्यथा बाद में निर्णय गलत होने पर पछताना पड़ेगा। आज कार्य क्षेत्र पर परिजन अथवा किसी निकटस्थ व्यक्ति का बेवजह दखल देना अमन को अग्रवाल लेकिन बाद में आपके लिए सहायक ही बनेगा वैसे तो आज आप प्रत्येक कार्य देखभाल कर ही करेंगे लेकिन किसी अति महत्वपूर्ण कार्य को लेकर मध्यांत तक परिश्रम का फल ना मिलने पर अधीर हो उठेंगे धैर्य से काम लें संध्या तक धन की आमद संतोषजनक हो ही जाएगी आज कोई ऐसा रोग होने की भी संभावना है जिसका पता बाद में लगेगा इसलिए पहले से ही सतर्क रहें।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज के दिन वैसे तो आप प्रत्येक क्षेत्र में बुद्धि विवेक एवं धैर्य का परिचय देंगे लेकिन कुछेक घरेलू मामलों में धैर्य नहीं रख पाएंगे विशेषकर आज माता से किसी बात पर कहा सुनी हो सकती है सार्वजनिक क्षेत्र पर शक्ति में वृद्धि होगी लेकिन आप बुद्धि विवेक से एवं भाई बंधुओं के सहयोग से इन पर विजय पा लेंगे। कार्यक्षेत्र पर दिन के आरंभ में मंदी रहेगी लेकिन धीरे धीरे गति आने से आवश्यकतानुसार धन लाभ हो जाए आज दिन ठीक-ठाक ही है फिर भी किसी के बहकावे अथवा कही सुनी बातों में ना आएं सरकारी कार्य में अवरोध आएंगे इसलिए आज इन्हें टालने का ही प्रयास करें आशा अधिकारी के कार्य में निवेश से बचें घर परिवार एवं दांपत्य में मिलाजुला फल मिलेगा बाहर की अपेक्षा घर में अधिक शांति अनुभव करेंगे सिर अथवा बदन दर्द की शिकायत हो सकती धारदार हथियारों के प्रयोग में सावधानी बरतें। विपरीतलिंगी आकर्षण अधिक रहेगा।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन आप की आशाओं के विपरीत रहने वाला है दिन के आरंभिक भाग को छोड़ के समय व्यथा भ्रमण आर्थिक कारणों से मानसिक क्लेश एवं प्रियजनों का विरोध देखना पड़ेगा कार्यक्षेत्र पर आज पूर्व में लिए किसी निर्णय तुम्हें हानि हो सकती है जिसके कारण मन कुछ समय के लिए शोक में डूबा रहेगा आज आर्थिक व्यवहार सोच समझकर ही करें उधार किसी को भूलकर भी ना दें अन्यथा वसूली नहीं कर पाएंगे दांपत्य जीवन में आज अधिक उतार-चढ़ाव देखना पड़ेगा आपके उद्दंड व्यवहार के कारण जीवन साथी को कष्ट होगा व्यवहार में नरमी लाएं अन्यथा किसी प्रियजन से संबंध विच्छेद हो सकता है वैष्णो से आज दूर ही रहें अन्यथा लंबे समय के शारीरिक एवं मानसिक कष्ट भोगने पड़ेंगे धन की आमद न्यून रहेगी इसके विपरीत खर्च बड़े चढ़े रहेंगे।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज का दिन आपके लिए शुभ फलदाई है पूर्व में मिली असफलता अथवा किसी पुराने प्रसंग को लेकर दिमाग गरम रहेगा अपनी असफलताओं का ठीकरा परिजनों पर उतारने के कारण घर का वातावरण भी अशांत करेंगे आज किसी कुटुंबी जन्म से लगाई आशा अचानक टूटने पर धैर्य पर नियंत्रण खो सकते हैं महिलाएं आज विशेष करो वाणी एवं व्यवहार पर नियंत्रण रखें अन्यथा बात का बतंगड़ बनते देर नहीं लगेगी कार्यक्षेत्र पर आज कई दिनों की मंदी टूटेगी मध्यान्ह के आस-पास आकस्मिक लाभ होने की संभावना है कारोबारियों को कोई नया लंबे समय तक लाभ देने वाला सौदा हाथ लगने की संभावना है लेकिन दिमाग की गर्मी यहां भी रुकावट डाल सकती है इसका विशेष ध्यान रखें यात्रा आज अति आवश्यक होने पर ही करें अक्समात चोट लगने अथवा अधिक रक्त बहने के कारण कमजोरी आने की संभावना है किसी भी प्रकार की शल्य चिकित्सा आज ना कराएं।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज का दिन आपके लिए विपरीत फलदाई है लेकिन आज स्वभाव से जिद को दूर रखना पड़ेगा अन्यथा आप जिस लाभ के अधिकारी हैं उस में कुछ ना कुछ कमी अवश्य आएगी आज आपके व्यवहार में दिखावा अधिक रहेगा केवल खाना पूर्ति के लिए ही अन्य लोगों से बात करेंगे मंगल एवं केतु गोचर में आपकी राशि से अष्टम है लंबी यात्रा अथवा मशीनरी कार्यों में अतिरिक्त सावधानी बरतें शारीरिक कष्ट होने की संभावना है कार्य क्षेत्र पर आज आप केवल अपने मन की ही करेंगे इसके कारण सहकर्मी को परेशानी होगी धन की आमद परिश्रम के बाद भी सामान्य से कम रहेगी दांपत्य जीवन में उतार चढ़ाव देखना पड़ेगा जीवनसाथी को शारीरिक कष्ट रहने के कारण मानसिक रूप से हिम्मत देने का प्रयास करें। आज क्रोध में आकर आपके द्वारा किसी बड़े बुजुर्ग तापमान हो सकता है क्रोध पर संयम रखें अन्यथा आगे परिस्थितियां मुश्किल भरी होंगी।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज का दिन आर्थिक विषयों को छोड़ अन्य सभी प्रकार से सभी कार्यों में आपकी आशा के अनुकूल रहेगा दिन का आरंभ परिजनों के साथ मौज मस्ती का वातावरण मिलने से मानसिक रूप से शांति भरा रहेगा कार्यक्षेत्र पर पूर्व में की गई मेहनत आज आर्थिक रुप से फलित होगी लेकिन जितना आपने विचार किया था उससे कम ही रहेगी आज कोई पुराना उधार वापस मिलने की संभावना भी है संध्या काल कार्यक्षेत्र पर अक्समात व्यस्तता बढ़ेगी इस कारण अत्यंत थकान अनुभव करेंगे परिवार एवं दांपत्य में छोटी मोटी नोकझोंक लगी रहेगी इसका मुख्य कारण संतान हो सकती है आज यात्रा का मन बना रहे हैं तो इसे एक बार विचार अवश्य करें व्यवसाय की यात्रा को छोड़ अन्य यात्रा हानिकारक ही रहेगी।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज के दिन की परिस्थितियां हानिकारक बनी हुई है आज आप जिस के कार्य को हाथ में लेके अथवा जो भी नया कार्य आरंभ करने का मन बनाएंगे उसमें कोई ना कोई बाधा अवश्य आएगी विशेषकर आज धन की कमी प्रत्येक क्षेत्र में खलेगी मध्यान्ह की बात परिस्थिति में थोड़ा सुधार आएगा दूर रहने वाले परिजन अथवा किसी अन्य व्यवहार से कामना पूर्ति होने पर कुछ राहत अनुभव करेंगे संध्या बाद से परिस्थितियां आप की पकड़ में आने लगेगी मित्र परिचितों से शुभ समाचार की प्राप्ति होती है संतानों से नरमी से पेश आएं अन्यथा मानहानि हो सकती है नेत्रों में जलन पित के कारण खट्टी डकारें अथवा बुखार होने की संभावना है। अजय धन संबंधित वायदे किसी से भी ना करें आवश्यक कार्यों के लिए कल की प्रतीक्षा करना हितकर रहेगा।
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मोदीजी ने व्यापार डुबो दिया
ऐसा लोग बोल रहे है
किन्तु कोई भी समझ नहीं पा रहा,व्यापार कमजोर क्यो होते जा रहे है।
हकिकत मे online business ने सब व्यापार को चोपट कर दिया है,अगर हम नहीं चेते तो और हालत खराब हो जायेगी।
स्वीकार सब कर रहे है,व्यापार कम हो गया,वजह कोई नहीं जानना चाह्ता
हकिकत ये है,आज की new पीढी अपनी जरुरत का अधिकतम सामान online ही purchase कर रहे है,किन्तु इसमे हम जाने अनजाने अपने पैरो पर कुल्हाडी मार रहे है
*आप शिकार बन रहे हैं*

भारत का ऑनलाइन मार्किट है कितना बड़ा??जिसका 30% शेयर अमेज़न के पास है और 20-22% फ्लिपकार्ट और बाकी में बाकी सब कम्पनियां।
अफसोस कि कहीं कोई सीधा जबाब नहीं ढूंढ पाया पर अंदाज़ लगा पाया कि कम से कम 10 लाख रुपये प्रति सेकंड सेल है भारत मे ऑनलाइन कम्पनियों की ।
यानी प्रति मिनट 6 करोड़ रुपये मिनट, यानी 360 करोड़ रुपये प्रति घण्टा और एक दिन में लगभग 4 हज़ार करोड़ रुपये
की बिक्री।
एक साल में लगभग 15 लाख करोड़ की सेल जिसका लगभग 50% सिर्फ 2 कम्पनियां कर रही हैं।
ये पैसा पहले मार्किट में आता था,रोटेट होता था पर अब बस ऑनलाइन सेल में ही जा रहा है
ऊपर से तुर्रा ये की ये बिकता इसीलिए है क्योंकि अक्सर ज्यादा सेल वाली चीजों पर सब्सिडी दे रही है ये कम्पनियां मार्किट से दुकानदार को आउट करने के लिए और इसी हिसाब से अगले 5 साल में कर भी देंगी,फिर अपनी मर्जी के रेट ले लेगी,इनके पास अथाह पैसा है ,जिसका सोर्स कोई नही जान सकता ,

*बडी मुश्किल घड़ी है ये भारत के लिए* …….
गौरतलब है कि कुल gst कलेक्शन एक साल में लगभग 12 लाख करोड़ का है यानी एवरेज 15%( 5/12/18/28 का एवरेज )टेक्स माना जाए तो कुल व्यापार जिस पर gst चार्ज होता है( 0% टेक्स वाली आइटम भी इतनी ही बैठेंगी) वो एक साल में लगभग 80 लाख करोड़ का है,यानी कुल व्यापार का लगभग 20% हिस्सा ऑनलाइन कम्पनियां खींच चुकी हैं

* कहीं ऐसा तो नहीं कि PMC के दिवालिया होने का कारण देश का पैसा विदेश जाना हो ?

* किसी जमाने में ईस्ट इंडिया नाम की विदेशी कम्पनी ने व्यापारी बनकर इस देश में घुसपैठ की थी और हमें गुलाम बना लिया था और आज भी विदेशी ऑनलाइन कम्पनियां हमारे देश के व्यापार पर कब्जा कर रही हैं और हम लोग आने वाले खतरे से अनजान 100 -200- 500 रु की बचत के लालच में अपनी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को दांव पर लगा रहे हैं ।
* पिछले दिनों देश में जहां जहां बाढ़ आई हुई थी वहां किसी भी ऑनलाइन कम्पनी ने आवश्यक सामग्री नहीं पहुंचाई , वहां स्थानीय दुकानदार ही काम आए ।

*भविष्य के खतरे को पहचानो और बन्द करो ऑनलाइन खरीददारी*। या सभी व्यापारी स्थानीय स्तर पर अपनी आनलाइन शाप भी बनायें नहीं तो खुदरा व्यापार मर जायेगा। 

शास्त्रों के अनुसार कौड़ी के विषय में यह मान्यता है कि लक्ष्मी और कौड़ी दोनों सगी बहने है। कौड़ी धारणकर्ता की माँ के रूप में रक्षा करती है। बुरी नजर व संकटो से बचाने की इसमे अदभुत क्षमता होती है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार भवन निर्माण करते समय छत पर पहले कौड़ी डाली जाती है। फिर दरवाजे की चौखट के साथ भी सबसे पहले कौड़ियाँ ही बाँधी जाती है।

कौड़ी विश्वास का प्रतीक है और इसकी अनेक धार्मिक मान्यताएं भी है।

छोटे बच्चों के कंठुले में कौड़ी बांधी जाती है ताकि उसे नजर ना लगे।
विवाह के समय वर तथा वधु के हाथ में जो कंकण बांधे जाते है, कौड़ी उसमे अवश्य होती है।
भारत के दक्षिण क्षेत्रों में विवाह के समय जो संदूक दिया जाता है उसमे एक कौड़ी अवश्य डाली जाती है। ऐसा विश्वास है कि वधु की माँ के रूप में उसे हमेशा मान-सम्मान तथा संतुष्टि दिलाए।

अनेक क्षेत्रों में लक्ष्मी का श्रृंगार कौड़ियों से किया जाता है। कौड़ीओं का प्रयोग केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी किया जाता है। यूनान की देवी वीनस को प्रसन्न करने के लिए वहां के निवासी उस पर कौड़ी ही अर्पण करते है।

वाहन में कौड़ी रखने से ऐसा माना जाता है कि वाहन के स्वामी को वाहन के माध्यम से धन व समृद्धि प्राप्त होगी तथा वाहन दुर्घटना से भी बचा रहता है।

सड़क पर पड़ी हुई कौड़ी मिलना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसी कौड़ी को संभाल कर घर में रखने से बरकत में वृद्धि होती है।

इसे श्री हनुमान जी के सिंदूर से साफ़ व स्वच्छ करने के बाद प्रयोग में लाना चाहिए।

वाहन को बुरी नजर से बचाने के लिए कौड़ी को वाहन में सफ़ेद या काले धागे में बाँध कर सुविधा अनुसार कही भी लटका दें।

वास्तु दोष के निवारण के लिए इसे दरवाजे पर लटकाया जाता है।

घर में आर्थिक सम्पन्नता के लिए इसे अपने धन स्थान पर रखे अथवा घर की उत्तर दिशा में लटका सकते है।

यह ध्यान रखें कि कौड़ी हमेशा तीन या पांच या फिर नौ की संख्या में ही प्रयोग में लानी चाहिए।

टिहरी के बारे मे आप तक कूछ जानकरी
टिहरी सन् 1815 से पूर्व तक एक छोटी सी बस्ती थी।
धुनारों की बस्ती, जिसमें रहते थे 8-10 परिवार। इनका
व्यवसाय था तीर्थ यात्रियों व अन्य लोगों को नदी
आर-पार कराना।
धुनारों की यह बस्ती कब बसी। यह विस्तृत व स्पष्ट रूप से
ज्ञात नहीं लेकिन 17वीं शताब्दी में पंवार वंशीय
गढ़वाल राजा महीपत शाह के सेना नायक रिखोला
लोदी के इस बस्ती में एक बार पहुंचने का इतिहास में
उल्लेख आता है। इससे भी पूर्व इस स्थान का उल्लेख स्कन्द
पुराण के केदार खण्ड में भी है जिसमें इसे गणेशप्रयाग व
धनुषतीर्थ कहा गया है। सत्तेश्वर शिवलिंग सहित कुछ और
सिद्ध तीर्थों का भी केदार खण्ड में उल्लेख है। तीन
नदियों के संगम (भागीरथी, भिलंगना व घृत गंगा) या
तीन छोर से नदी से घिरे होने के कारण इस जगह को
त्रिहरी व फिर टीरी व टिहरी नाम से पुकारा जाने
लगा।
पौराणिक स्थल व सिद्ध क्षेत्र होने के बावजूद टिहरी
को तीर्थस्थल के रूप में ज्यादा मान्यता व प्रचार नहीं
मिल पाया। ऐतिहासिक रूप से यह 1815 में ही चर्चा में
आया जब ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सहायता से गढ़वाल
राजा सुदर्शन शाह गोरखों के हाथों 1803 में गंवा बैठे
अपनी रियासत को वापस हासिल करने में तो सफल रहे
लेकिन चालाक अंग्रेजों ने रियासत का विभाजन कर
उनके पूर्वजों की राजधानी श्रीनगर गढ़वाल व
अलकनन्दा पार का समस्त क्षेत्र हर्जाने के रूप मे हड़प
लिया। सन् 1803 में सुदर्शन शाह के पिता प्रद्युम्न शाह
गोरखों के साथ युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए थे। 12
साल के निर्वासित जीवन के बाद सुदर्शन शाह शेष बची
अपनी रियासत के लिए राजधानी की तलाश में निकले
और टिहरी पहुंचे। किंवदंती के अनुसार टिहरी के काल
भैरव ने उनकी शाही सवारी रोक दी और यहीं पर
राजधानी बनाने को कहा। 28 या 30 दिसम्बर 1815 को
सुदर्शन शाह ने यहां पर विधिवत गढ़वाल रियासत की
राजधानी स्थापित कर दी। तब यहां पर धुनारों के मात्र
8-10 कच्चे मकान ही थे।
राजकोष लगभग खाली था। एक ओर रियासत को
व्यवस्था पर लाना व दूसरी ओर राजधानी के विकास
की कठिन चुनौती। 700 रु. में राजा ने 30 छोटे-छोटे
मकान बनवाये और यहीं से शुरू हुई टिहरी के एक नगर के रूप में
आधुनिक विकास यात्रा। राजमहल का निर्माण भी शुरू
करवाया गया लेकिन धन की कमी के कारण इसे बनने मे
लग गये पूरी 30 साल। इसी राजमहल को पुराना दरबार के
नाम से जाना गया।
टिहरी की स्थापना अत्यन्त कठिन समय व रियासती
दरिद्रता के दौर में हुई। तब गोरखों द्वारा युद्ध के दौरान
रौंदे गये गांव के गांव उजाड़ थे। फिर भी टैक्स लगाये जाने
शुरू हुए। जैसे-जैसे राजकोष में धन आता गया टिहरी में नए
मकान बनाए जाते रहे। शुरू के वर्षों में जब लोग किसी
काम से या बेगार ढ़ोने टिहरी आते तो तम्बुओं में रहते।
सन् 1858 में टिहरी में भागीरथी पर लकड़ी का पुल
बनाया गया इससे आर-पास के गांवों से आना-जाना
सुविधाजनक हो गया।
1859 में अंग्रेज ठेकेदार विल्सन ने रियासत के जंगलों के
कटान का ठेका जब 4000 रु. वार्षिक में लिया तो
रियासत की आमदनी बढ़ गई। 1864 में यह ठेका ब्रिटिश
सरकार ने 10 हजार रु. वार्षिक में ले लिया। अब रियासत
के राजा अपनी शान-शौकत पर खुल कर खर्च करने की
स्थिति में हो गये।
1959 में सुदर्शन शाह की मृत्यु हो गयी और उनके पुत्र
भवानी शाह टिहरी की राजगद्दी पर बैठे। राजगद्दी पर
विवाद के कारण इस दरम्यान राजपरिवार के ही कुछ
सदस्यों ने राजकोष की जम कर लूट की और भवानी शाह
के हाथ शुरू से तंग हो गये। उन्होंने मात्र 12 साल तक गद्दी
सम्भाली। उनके शासन में टिहरी में हाथ से कागज बनाने
का ऐसा कारोबार शुरू हुआ कि अंग्रेज सरकार के
अधिकारी भी यहां से कागज खरीदने लगे।
भवानी शाह के शासन के दौरान टिहरी में कुछ मंदिरों
का पुनर्निर्माण किया गया व कुछ बागीचे भी लगवाये
गये।
1871 में भवानी शाह के पुत्र प्रताप शाह टिहरी की
गद्दी पर बैठे। भिलंगना के बांये तट पर सेमल तप्पड़ में उनका
राज्याभिषेक हुआ। उनके शासन मे टिहरी में कई नये
निर्माण हुए। पुराना दरवार राजमहल से रानी बाग तक
सड़क बनी, कोर्ट भवन बना, खैराती सफाखान खुला व
स्थापना हुई। रियासत के पहले विद्यालय प्रताप कालेज
की स्थापना जो पहले प्राइमरी व फिर जूनियर स्तर का
उन्हीं के शासन में हो गया।
राजकोष में वृद्धि हुई तो प्रतापशाह ने अपने नाम से 1877
मंे टिहरी से करीब 15 किमी पैदल दूर उत्तर दिशा में
ऊंचाई वाली पहाड़ी पर प्रतापनगर बसाना शुरू किया।
इससे टिहरी का विस्तार कुछ प्रभावित हुआ लेकिन
टिहरी में प्रतापनगर आने-जाने हेतु भिलंगना नदी पर झूला
पुल (कण्डल पुल) का निर्माण होने से एक बड़े क्षेत्र (रैका-
धारमण्डल) की आबादी का टिहरी आना-जाना
आसान हो गया। नदी पार के गांवों का टिहरी से जुड़ते
जाना इसके विकास में सहायक हुआ। राजधानी तो यह
थी ही व्यापार का केन्द्र भी बनने लगी।
1887 में प्रतापशाह की मृत्यु के बाद उनका पुत्र
कीर्तिशाह गद्दी पर बैठा। उन्होंने एक और राजमहल
कौशल दरबार का निर्माण कराया। उन्होंने प्रताप
कालेज को हाईस्कूल तक उच्चीकृत कर दिया। कैम्बल
बोर्डिंग हाउस, एक संस्कृत विद्यालय व एक मदरसा भी
टिहरी में खोला गया। कुछ सरकारी भवन बनाए गये,
जिनमें चीफ कोर्ट भवन भी शामिल था। इसी चीफ
कोर्ट भवन मे 1992 से पूर्व तक जिला सत्र न्यायालय
चलता रहा। 1897 में यहां घण्टाघर बनाया गया जो
तत्कालीन ब्रिटिश महारानी विक्टोरिया की हीरक
जयंती की स्मृति में बनाया गया था। इसी दौरान शहर
को नगर पालिका का दर्जा भी दे दिया गया।
सार्वजनिक स्थानों तक बिजली पहुंचाई गई। इससे पूर्व
राजमहल में ही बिजली का प्रकाश होता था।
कीर्तिशाह ने अपने नाम से श्रीनगर गढ़वाल के पास
अलकनन्दा के इस ओर कीर्तिनगर भी बसाया लेकिन तब
भी टिहरी की ओर उनका ध्यान रहा। कीर्तिनगर से उनके
पूर्वजों की राजधानी श्रीनगर चार किमी दूर ठीक
सामने दिखाई दे जाती है।
कीर्तिशाह के शासन के दौरान ही टिहरी में सरकारी
प्रेस स्थापित हुई जिसमें रियासत का राजपत्र व अन्य
सरकारी कागजात छपते थे। स्वामी रामतीर्थ जब (1902
में) टिहरी आये तो राजा ने उनके लिए सिमलासू में गोल
कोठी बनाई यह कोठी शिल्पकला का एक उदाहरण
मानी जाती थी।
सन् 1913 में कीर्तिशाह की मृत्यु के बाद उनका पुत्र
नरेन्द्रशाह टिहरी की गद्दी पर बैठा। 1920 में टिहरी में
प्रथम बैंक (कृषि बैंक) की स्थापना हुई और 1923 में
पब्लिक ‘लाइब्रेरी’ की। यह लाइब्रेरी बाद में सुमन
लाइब्रेरी कें नाम से जानी गई जो अब नई टिहरी में है।
1938 में काष्ट कला विद्यालय खोला गया और 1940 में
प्रताप हाईस्कूल इन्टर कालेज में उच्चीकृत कर दिया
गया।
बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में भारतभर में मोटर
गाडि़यां खूब दौड़ने लगी थी। टिहरी में भी राजा की
मोटर गाड़़ी थी जो राजमहल से मोतीबाग व बाजार में
ही चलती थी। तब तक ऋषिकेश-टिहरी मोटर मार्ग नहीं
बना था इसलिए मोटर गाड़ी के कलपुर्जे अलग-अलग
लाकर टिहरी में ही जोड़े गये थे।
नरेन्द्रशाह ने मोटर मार्ग की सुविधा देखते हुए 1920 में
अपने नाम से ऋषिकेश से 16 किमी दूर नरेन्द्रनगर बसाना
शुरू किया। 10 साल में 30 लाख रु. खर्च कर नरेन्द्रनगर
बसाया गया। इससे टिहरी के विकास मे कुछ गतिरोध आगया। 1926 में नरेन्द्रनगर व 1940 में टिहरी तक सड़क बन गई
और गाडि़यां चलने लगी। पांच साल तक गाडि़यां
भागीरथी पार पुराना बस अड्डा तक ही आती थी।
टिहरी का पुराना पुल 1924 की बाढ़ में बह गया था।
लगभग उसी स्थान पर लकड़ी का नया पुल बनाया गया।
इसी पुल से पहली बार 1945 में राजकुमार बालेन्दुशाह ने
स्वयं गाड़ी चलाकर टिहरी बाजार व राजमहल तक
पहुंचाई। 1942 में टिहरी में एक कन्या पाठशाला भी शुरू
की गई।
1946 को टिहरी में ही नरेन्द्रशाह ने राजगद्दी स्वेच्छा से
अपने पुत्र मानवेन्द्र शाह को सौंप दी जिन्होंने मात्र दो
वर्ष ही शासन किया। 1948 में जनक्रांति द्वारा
राजशाही का तख्ता पलट गया। सुदर्शन शाह से लेकर
मानवेन्द्र शाह तक सभी छः राजाओं का राज तिलक
टिहरी में ही हुआ।
टिहरी के विकास का एक चरण 1948 में पूरा हो जाता है
जो राजा की छत्र-छाया में चला। इस दौरान राजाओं
द्वारा अलग-अलग नगर बसाने से टिहरी की विकास
यात्रा पर प्रभाव पड़ा लेकिन तब भी इसका महत्व बढ़ता
ही रहा। राजमाता (प्रतापशाह की पत्नी) गुलेरिया ने
अपने निजी कोष से बदरीनाथ मंदिर व धर्मशाला बनवाई
थी। विभिन्न राजाओं के शासन के दौरान- मोती बाग,
रानी बाग, सिमलासू व दयारा में बागीचे
लगाये गये। शीशमहल, लाट कोठी जैसे दर्शनीय भवन बने व
कई मंदिरों का भी पुनर्निर्माण कराया गया।
1948 में अन्तरिम राज्य सरकार ने टिहरी-धरासू मोटर
मार्ग पर काम शुरू करवाया। 1949 में संयुक्त प्रांत में
रियासत के विलीनीकरण के बाद टिहरी के विकास के
नये रास्ते खुले ही थे कि शीघ्र ही साठ के दशक में बांध
की चर्चायें शुरू हो गई। लेकिन तब भी इसकी विकास
यात्रा रुकी नहीं। भारत विभाजन के समय सीमांत क्षेत्र
से आये पंजाबी समुदाय के कई परिवार टिहरी में आकर
बसे। मुस्लिम आबादी तो यहां पहले से थी ही।
जिला मुख्यालय नरेन्द्रनगर में रहा लेकिन तब भी कई
जिला स्तरीय कार्यालय टिहरी में ही बने रहे। जिला
न्यायालय, जिला परिषद, ट्रेजरी सहित दो दर्जन जिला
स्तरीय कार्यालय कुछ वर्ष पूर्व तक टिहरी में ही रहे जो
बाद में नई टिहरी में लाये गये।
सत्तर के दशक तक यहां नये निर्माण भी होते रहे व नई
संस्थाएं भी स्थापित होती रही। पहले डिग्री कालेज व
फिर विश्व विद्यालय परिसर, माॅडल स्कूल, बीटीसी
स्कूल, राजमाता कालेज, नेपालिया इन्टर कालेज, संस्कृत
महाविद्यालय सहित अनेक सरकारी व गैर सरकारी
विद्यालय खुलने से यह शिक्षा का केन्द्र बन गया। यद्यपि
साथ-साथ बांध की छाया भी इस पर पड़ती रही। सुमन
पुस्तकालय इस शहर की बड़ी विरासत रही है जिसमें
करीब 30 हजार पुस्तके हैं।
राजनीतिक, सामाजिक व आर्थिक ढ़ांचे के अनुरूप बसते
गये टिहरी शहर के मोहल्ले मुख्य बाजार के चारों ओर
इसकी पहचान को नये अर्थ भी देते गये। पुराना दरवार तो
था ही, सुमन चैक, सत्तेश्वर मोहल्ला, मुस्लिम मोहल्ला,
रघुनाथ मोहल्ला, अहलकारी मोहल्ला, पश्चिमियाना
मोहल्ला, पूर्वियाना मोहल्ला, हाथी थान मोहल्ला,
सेमल तप्पड़, चनाखेत, मोती बाग, रानी बाग, भादू की
मगरी, सिमलासू, भगवत पुर, दोबाटा, सोना देवी सभी
मोहल्लों के नाम सार्थक थे और इन सबके बसते जाने से
बनी थी टिहरी।
मूल वासिंदे धुनारों की इस बस्ती में शुरू में वे लोग बसे जो
सुदर्शन शाह के साथ आये थे। इनमें राजपरिवार के सदस्यों
के साथ ही इनके राज-काज के सहयोगी व कर्मचारी थे।
राजगुरू, राज पुरोहित, दीवान, फौजदार, जागीरदार,
माफीदार, व दास-दासी आदि। बाद में जब राजा
रियासत के किन्हीं लोगों से खुश होते या प्रभावित
होते तो उन्हें जमीन दान करते। धर्मार्थ संस्थाओं को भी
जमीन दी जाती रही।
बाद में आस-पास के गांवों के वे लोग जो सक्षम थे टिहरी
में बसते चले गये। आजादी के बाद टिहरी सबके लिये अपनी
हो गई। व्यापार करने के लिये भी काफी लोग यहां पहुंचे
व स्थाई रूप से रहने लगे। बांध के कारण पुनर्वास हेतु जब
पात्रता बनी तो टिहरी के भूस्वामी परिवारों की
संख्या 1668 पाई गई। अन्य किरायेदार, बेनाप व
कर्मचारी परिवारों की संख्या करीब साढ़े तीन हजार
थी।
बिषेश टिहरी – इतिहास की झलक
पौराणिक काल – टिहरी स्थित भागीरथी, भिलंगना व
घृत गंगा के संगम का गणेश प्रयाग नाम से स्कन्ध पुराण के
केदारखण्ड में उल्लेख। सत्येश्वर महादेव (शिवलिंग) व
लक्षमणकुण्ड (संगम का स्नान स्थल) शेष तीर्थ व धनुष
तीर्थ आदि स्थानों का भी केदारखण्ड में उल्लेख।
17वीं सताब्दी- (1629-1646 के मध्य) पंवार बंशीय
राजा महीपत शाह के सेनापति रिखोला लोदी का
धुनारों के गांव टिहरी में आगमन और धुनारों को खेती के
लिए कुछ जमीन देना।
सन् 1803- नेपाल की गोरखा सेना का गढ़वाल पर
आक्रमण। श्रीनगर गढ़वाल राजधानी पंवार वंश से गोरखों
ने हथिया ली व खुड़बूड़ (देहरादून) के युद्ध में राजा प्रद्युम्न
शाह को वीरगति। प्रद्युम्न शाह के नाबालिग पुत्र
सुदर्शन शाह ने रियासत से पलायन कर दिया।
जून, 1815- ईस्ट इण्डिया कम्पनी से युद्ध में गोरखा सेना
की निर्णायक पराजय, सुदर्शन शाह ने ईस्ट इण्डिया
कम्पनी से सहायता मांगी थी।
जुलाई, 1815- सुदर्शन शाह अपनी पूर्वजों की राजधनी
श्रीनगर गढ़वाल पहुंचा और पुनः वहां से रियासत संचालन
की इच्छा प्रकट की।
नवम्बर, 1815- ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने दून क्षेत्र व
श्रीनगर गढ़वाल सहित अलकनन्दा के पूरब वाला क्षेत्र
अपने शासन में मिला दिया और पश्चिम वाला क्षेत्र
सुदर्शन शाह को शासन करने हेतु वापस सौंप दिया।
29 दिसम्बर, 1815- नई राजधनी की तलाश में सुदर्शन
शाह टिहरी पहुंचे, रात्रि विश्राम किया। किंबदंती के
अनुसार काल भैरव ने उनका घोड़ा रोक दिया था। यह
भी किंबदंती है कि उनकी कुलदेवी राजराजेश्वरी ने सपने
में आकर सुदर्शन शाह को इसी स्थान पर राजधानी बसाने
को कहा था।
30 दिसम्बर, 1815- टिहरी में गढ़वाल रियासत की
राजधनी स्थापित। इस तरह पंवार वंशीय शासकों की
राजधनी का सफर 9वीं शताब्दी में चांदपुर गढ़ से प्रारम्भ
होकर देवल गढ़ व श्रीनगर गढ़वाल होते हुए टिहरी तक
पहुंचा।
जनवरी, 1816- टिहरी में राजकोष से 700 रुपये खर्च कर
एक साथ 30 मकानों का निर्माण शुरू किया गया। कुछ
तम्बू भी लगाये गये।
6 फरवरी, 1820- प्रसिद्ध ब्रिटिश पर्यटक मूर क्राफ्रट
अपने दल के साथ टिहरी पहुंचा।
4 मार्च, 1820- सुदर्शन शाह को ईस्ट इण्डिया कम्पनी के
गर्वनर जनरल ने गढ़वाल रियासर के राजा के रूप में
मान्यता (स्थाई सनद) दी।
1828- सुदर्शन शाह द्वारा सभासार ग्रंथ की रचना की
गयी।
1858- भागीरथी नदी पर पहली बार लकड़ी का पुल
बनाया गया।
1859- अग्रेज ठेकेदार विल्सन ने चार हजार रुपये वार्षिक
पर रियासत में जंगल कटान का ठेका लिया।
तिथि ज्ञात नहीं- सुदर्शन शाह ने टिहरी में
लक्ष्मीनारायण मंदिर का निर्माण करवाया।
4 मई, 1859- सुदर्शन शाह की मृत्यु। भवानी शाह गद्दी
पर बैठे।
तिथि ज्ञात नहीं (1846 से पहले)- प्रसिद्ध कुमाऊंनी
कवि गुमानी पंत टिहरी पहुंचे और उन्होंने टिहरी पर
उपलब्ध पहली कविता- ‘सुरगंग तटी…….’ की रचना की।
1859 (सुदर्शन शाह की मृत्यु के बाद)- राजकोष की लूट।
कुछ राज कर्मचारी व खवास (उपपत्नी) लूट में शामिल।
1861- टिहरी से लगी पट्टी अठूर में नई भू-व्यवस्था लागू
की गयी।
1864- भागीरथी घाटी के जंगलों का बड़े पैमाने पर
कटान शुरू। विल्सन को दस हजार रुपये वार्षिक पर जंगल
कटान का ठेका दिया गया।
1867- अठूर के किसान नेता बदरी सिंह असवाल को
टिहरी में कैद किया गया।
सितम्बर, 1868- टिहरी जेल में बदरी सिंह असवाल की
मौत। टिहरी व अठूर पट्टी में हलचल मची।
1871- भवानी शाह की मृत्यु। राजकोष की फिर लूट हुई।
प्रताप शाह गद्दी पर बैठे।
1876- टिहरी में पहला खैराती दवा खाना खुला।
1877- भिलंगना नदी पर कण्डल झूला पुल का निर्माण।
टिहरी से प्रतापनगर पैदल मार्ग का निर्माण ।
1881- रानीबाग में पुराना निरीक्षण भवन का
निर्माण।
फरवरी 1887- प्रताप की मृत्यु। कीर्तिनगर शाह के वयस्क
होने तक राजामाता गुलेरिया ने शासन सम्भाला।
1892- टिहरी में बद्रीनाथ, केदारनाथ मन्दिरों का
निर्माण राजमाता गुलेरिया ने करवाया।
17 मार्च 1892- कीर्ति शाह ने शासन सम्भाला।
20 जून 1897- टिहरी में ब्रिटेन की महारानी
विक्टोरिया की हीरक जयंती के उपलक्ष्य में घण्टाघर
का निर्माण शुरू।
1902- स्वामी रामतीर्थ का टिहरी आगमन।
1906- स्वामी रामतीर्थ टिहरी में भिलंगना नदी में जल
समाधि।
25 अप्रैल 1913- कीर्ति शाह की मृत्यु। नरेन्द्र शाह गद्दी
पर बैठे।
1917- रियासत के बजीर पंडित हरिकृष्ण रतूड़ी ने नरेन्द्र
हिन्दू लाॅ ग्रंथ की रचना की।
1920- टिहरी में कृषि बैंक की स्थापना। पंडित हरिकृष्ण
रतूड़ी ने गढ़वाल का इतिहास ग्रंथ लिखा।
1923- रियासत की प्रथम पब्लिक लाइब्रेरी की
स्थापना।
1924- बाढ़ से भागीरथी पर बना लकड़ी का पुल बहा।
1938- टिहरी में रियासत का हाईकोर्ट बना। गंगा
प्रसाद प्रथम जीफ जज नियुक्त किये गये।
1940- प्रताप कालेज इण्टरमीडिएट तक उच्चीकृत।
1940- ऋषिकेश-टिहरी सड़क निर्माण का कार्य पूरा।
टिहरी तक गडि़यां चलनी शुरू।
1942- टिहरी में प्रथम कन्या पाठशाला की स्थापना।
1944- टिहरी जेल में श्रीदेव सुमन का बलिदान।
5 अक्टूबर 1946- मानवेन्द्र शाह कर राजतिलक।
1945-48- प्रजा मंडल के नेतृत्व में टिहरी जनक्रांति का
केन्द्र बना।
14 जनवरी 1948- राजतंत्र का तख्ता पलट। नरेन्द्र शाह
को भागीरथी पुल पर रोक कर वापस नरेन्द्र भेजा गया।
जनता द्वारा चुनी गई सरकार का गठन।
अगस्त 1949- टिहरी रियासत का संयुक्त प्रांत में विलय।
1953- टिहरी नगरपालिका के प्रथम चुनाव। डाॅ.
महावीर प्रसाद गैरोला अध्यक्ष चुने गये।
1955- आर्य समाज के प्रवर्तक स्वामी दयानंद सरस्वती
का टिहरी आगमन।
20 मार्च 1963- राजमाता कालेज की स्थापना।
तत्कालीन राष्ट्रपति डाॅ0 राधाकृष्णन टिहरी पहंुचे।
1963- टिहरी में बांध निर्माण की घोषणा।
अक्टूबर 1968- स्वामी रामतीर्थ स्मारक का निर्माण।
उद्घाटन तत्कालीन राज्यपाल डाॅ0 वी0गोपाला
रेड्डी द्वारा किया गया।
1969- टिहरी में प्रथम डिग्री काॅलेज खुला।
1978- टिहरी बांध विरोधी संघर्ष समिति का गठन।
वीरेन्द्र दत्त सकलानी अध्यक्ष बने।
29 जुलाई, 2005- टिहरी शहर में पानी घुसा, करीब सौ
परिवारों को अंतिम रूप से शहर छोड़ना पड़ा।
29 अक्टूबर, 2005- बांध की टनल-2 बन्द, टिहरी में जल
भराव शुरू।(साभार विपुल पैन्यूली)