आज का पंचाग आपका राशि फल, आज इंदिरा एकादशी के व्रत एवं पूजन से पितरों को मिलती हैं यमदंड से मुक्ति, गरूड़ पुराण :- विभिन्न अपराधों के कारण मिलने वाली योनियां, तंत्र एवं यंत्र साधना, पांच राज्यों में चुनावी युद्ध की घोषणा आदर्श आचार आचार संहिता लागू

‌‌   *༺𝕝𝕝 卐 𝕝𝕝༻​​**श्री हरिहरौ*

       *विजयतेतराम*  *सुप्रभातम*

               *आज का पञ्चाङ्ग*

*_मंगलवार, १० अक्टूबर २०२३_*

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सूर्योदय: 🌄 ०६:२७

सूर्यास्त: 🌅 ०६:०१

चन्द्रोदय: 🌝 ०३:००

चन्द्रास्त: 🌜१५:५१

अयन 🌖 दक्षिणायणे

 (दक्षिणगोलीय)

ऋतु: 🏔️ शरद 

शक सम्वत:👉१९४५ (शोभकृत)

विक्रम सम्वत:👉२०८० (पिंगल)

मास 👉 आश्विन

पक्ष 👉 कृष्ण

तिथि 👉 एकादशी (१५:०८ से

 द्वादशी)

नक्षत्र 👉 मघा (पूर्ण रात्रि) 

योग 👉 साध्य (०७:४७ से शुभ)

प्रथम करण👉बालव(१५:०८तक

द्वितीय करण 👉 कौलव

 (०४:२३ तक)

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॥ गोचर ग्रहा: ॥

🌖🌗🌖🌗

सूर्य 🌟 कन्या

चंद्र 🌟 सिंह

मंगल🌟तुला(अस्त,पश्चिम,मार्गी)

बुध🌟कन्या(अस्त,पूर्व,वक्री)

गुरु🌟मेष (उदित, पश्चिम, वक्री)

शुक्र🌟सिंह(उदित,पश्चिम,मार्गी)

शनि 🌟 कुम्भ

(उदित, पूर्व, वक्री)

राहु 🌟 मेष

केतु 🌟 तुला

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शुभाशुभ मुहूर्त विचार

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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:४० से १२:२७

अमृत काल 👉 ०६:०३ से ०७:५१

विजय मुहूर्त 👉 १४:०० से १४:४६

गोधूलि मुहूर्त 👉 १७:५२ से १८:१७

सायाह्न सन्ध्या 👉 १७:५२ से १९:०७

निशिता मुहूर्त 👉 २३:३९ से ००:२९

ब्रह्म मुहूर्त 👉 ०४:३६ से ०५:२६

प्रातः सन्ध्या 👉 ०५:०१ से ०६:१५

राहुकाल 👉 १४:५८ से १६:२५

राहुवास 👉 पश्चिम

यमगण्ड 👉 ०९:०९ से १०:३७

दुर्मुहूर्त 👉 ०८:३५ से ०९:२१

होमाहुति 👉 केतु

दिशाशूल 👉 उत्तर

अग्निवास 👉 पाताल (१५:०८ से पृथ्वी)

चन्द्रवास 👉 पूर्व

शिववास 👉 कैलाश पर

 (१५:०८ से नन्दी पर)

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☄चौघड़िया विचार☄

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॥ दिन का चौघड़िया ॥ 

१ – रोग २ – उद्वेग

३ – चर ४ – लाभ

५ – अमृत ६ – काल

७ – शुभ ८ – रोग

॥रात्रि का चौघड़िया॥ 

१ – काल २ – लाभ

३ – उद्वेग ४ – शुभ

५ – अमृत ६ – चर

७ – रोग ८ – काल

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। 

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शुभ यात्रा दिशा

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पूर्व-उत्तर (धनिया अथवा दलिया का सेवन कर यात्रा करें)

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तिथि विशेष

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इन्दिरा एकादशी व्रत (सभी के लिए) आदि।

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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण 

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आज ३०:१५ तक जन्मे शिशुओ का नाम मघा नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (मा, मी, मू, मे) नामक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।

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उदय-लग्न मुहूर्त

कन्या – ०४:३६ से ०६:५४

तुला – ०६:५४ से ०९:१५

वृश्चिक – ०९:१५ से ११:३४

धनु – ११:३४ से १३:३८

मकर – १३:३८ से १५:१९

कुम्भ – १५:१९ से १६:४५

मीन – १६:४५ से १८:०८

मेष – १८:०८ से १९:४२

वृषभ – १९:४२ से २१:३७

मिथुन – २१:३७ से २३:५२

कर्क – २३:५२ से ०२:१३

सिंह – ०२:१३ से ०४:३२

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पञ्चक रहित मुहूर्त

शुभ मुहूर्त – ०६:१५ से ०६:५४

मृत्यु पञ्चक – ०६:५४ से ०९:१५

अग्नि पञ्चक – ०९:१५ से ११:३४

शुभ मुहूर्त – ११:३४ से १३:३८

रज पञ्चक – १३:३८ से १५:०८

शुभ मुहूर्त – १५:०८ से १५:१९

चोर पञ्चक – १५:१९ से १६:४५

शुभ मुहूर्त – १६:४५ से १८:०८

शुभ मुहूर्त – १८:०८ से १९:४२

चोर पञ्चक – १९:४२ से २१:३७

शुभ मुहूर्त – २१:३७ से २३:५२

रोग पञ्चक – २३:५२ से ०२:१३

शुभ मुहूर्त – ०२:१३ से ०४:३२

मृत्यु पञ्चक – ०४:३२ से ०६:१६

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आज का राशिफल

🐐🐂💏💮🐅👩

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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आज के दिन आपको व्यवसाय से आर्थिक लाभ पाने के लिये बड़ी जोड़ तोड़ करनी पड़ेगी फिर भी आशाजनक ना होने से मन मे नकारत्मक भाव आएंगे। धन की कमी रहने पर भी आपकी जीवनशैली धनाढ्यों जैसी रहेगी सार्वजनिक क्षेत्र पर आडंबर युक्त दिनचर्या के कारण मान सम्मान मिलेगा। आज किसी दो पक्षो के झगड़े को सुलझाने के लिये मध्यस्थता करनी पड़ेगी इससे बचने का प्रयास करें अति आवश्यक होने पर पक्षपात से बचे अन्यथा बैठे बिठाये दुश्मनी होगी। मध्यान के समय कार्य क्षेत्र पर व्यवसाय मंदा रहेगा फिर भी किसी वादे के पूरे होने पर बैठे बिठाये धन लाभ हो जाएगा। घर मे सुख शांति रहेगी बड़े परिजन आपकी प्रसंशा करेंगे। स्वास्थ्य में कुछ नरमी रहेगी लेकिन अनदेखी करेंगे।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

आज के दिन अपने काम से काम रखना बेहतर रहेगा। दिन भर क्रोध और कलह के प्रसंग बनते रहेंगे। कार्य क्षेत्र पर आज परिश्रम अधिक करना पड़ेगा फिर भी लोगो को आपका काम पसंद नही आएगा लोग अपना काम छोड़ आपके कार्य मे टांग अडायेंगे जिससे पहले से ही परेशान दिमाग और ज्यादा चिड़चिड़ा होगा। अधिकारी वर्ग भी बात-बात पर मीन मेख निकालेंगे। धन लाभ के लिये भी आज दिन विषम रहेगा छोटी मोटी आय बनाने के लिये भी तरसना पड़ेगा। घर मे भी आज किसी न किसी से कहा सुनी होगी महिलाए शकि मिजाज रहने पर बात बात में खोट देखेंगी बेतुकी बातो से बचे अन्यथा बाद में पछताना पड़ेगा। सेहत भी आज नरम-गर्म रहेगी।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आज का दिन उतार चढ़ाव से भरा रहेगा मन मे बड़ी बड़ी योजनाए चलेंगी लेकिन परिस्थितियां इनको साकार रूप देने में बाधक बनेगी। साहस पराक्रम से भरे रहेंगे लेकिन जिस भी कार्य मे हाथ डालेंगे उसमे किसी अन्य व्यक्ति का सहयोग ना मिलने से पूरा नही कर पाएंगे। मध्यान के समय काल्पनिक दुनिया की सैर करेंगे ख्यालो में समय खराब करने से बेहतर कुछ ना कुछ कर्म करते रहे आने वाले दिन में स्थिति बदलने से अवश्य ही धन कमा सकेंगे अगर आज हाथ पर हाथ रख बैठे रहे तो कल का दिन भी आज की ही भांति व्यर्थ जाएगा। घर का माहौल छूट पुट बहस को छोड़ सामान्य बना रहेगा किसी आवश्यक कार्य को आज भी टालने पर परिजनों से बहस होगी। संचित कोष में कमी आएगी। धार्मिक क्षेत्र की यात्रा करेंगे। स्वास्थ्य लगभग ठीक रहेगा।

 

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आज आपके मन मे काफी उलझने रहेंगी कार्य क्षेत्र और घर मे तालमेल बैठाना प्राथमिकता रहेगी एक काम को करने पर दूसरे में विलंब होगा फिर भी मध्यान तक स्थिति को संभाल लेंगे। धन एवं व्यवसाय को लेकर मध्यान तक चिंतित रहेंगे बौखलाहट में कुछ उटपटांग हरकत करने से बचे अन्यथा बाद में स्वयं के लिये नई मुसीबत बढ़ाएंगे। संध्या के आस पास किसी की सहायता से जरूरत की पूर्ति हो जाएगी। घर के बुजुर्ग सामने से बुराई करेंगे जिससे संबंधों में कड़वाहट आ सकती है लेकिन आपके पीछे से आपकी बड़ाई ही करेंगे इसका ध्यान भी रखें। परिस्थिति के अनुसार स्वयं को ढाल लेने से स्त्री संतानों को लेकर आज जरूर संतोष होगा। यात्रा की योजना बनेगी आज की जगह कल करना बेहतर रहेगा। सर्दी जुखाम की शिकायत हो सकती है।

 

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

आज का दिन सुख शांति दायक रहेगा दिन के पूर्वार्ध से ही मजाकिया व्यवहार से घर का वातावरण खुशनुमा बनाएंगे लेकिन बोलने में शब्दों का चयन ठीक ना होने से किसी से नाराजगी भी हो सकती है। कार्य व्यवसाय में आज परिश्रम अधिक करना पड़ेगा फिर भी उसके अनुकूल लाभ नही मिलने से थोड़ी निराशा होगी लेकिन विवेक भी रहने से आगे के लिये अधिक बेहतर करने का प्रयास करेंगे। आज की गई मेहनत खाली नही जाएगी आज नहीं तो कल अवश्य ही धन लाभ होगा। जोखिम वाले कार्यो में निवेश करने से ना डरे भविष्य में अधिक होकर ही मिलेगा। संध्या के समय मन अनैतिक कार्यो में भटकेगा व्यसन पर खर्च होगा। सेहत में भी रात्रि के समय कमी आएगी।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आज के दिन आपको प्रत्येक कार्य मे सावधानी बरतें की आवश्यकता हैं। पूर्व में बनाई योजना अथवा गतिशील कार्यो में नुकसान होने की प्रबल संभावना है। आज पहले अधूरे कार्यो को पूर्ण करें उसके बाद ही नया कार्य आरंभ करें अन्यथा दोनो ही अधूरे रहने से लोगो की खरी-खोटी सुनने को मिलेगी साथ ही धन लाभ की कामना पर भी पानी फिर जाएगा। नौकरी पेशाओ को अतिरिक्त कार्य मिलने से बेमन से करने पर बड़ी गलती होने की संभावना है इसमे सुधार कर लेंगे पर अतिरिक्त परिश्रम करना पड़ेगा। धन की आमद कम व्यर्थ के खर्च या हानि होने से आर्थिक संतुलन नही बन पाएगा। घर का माहौल आपके विपरीत व्यवहार से उदासीन बनेगा। सेहत भी कुछ विकार युक्त रहेगी।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आज का दिन भी सामाजिक क्षेत्र से मान-सम्मान दिलायेगा। स्वभाव अनुसार आज भी क्रोध में रहेंगे लेकिन गुस्सा केवल कमजोरी पर ही उतरेगा। कार्य क्षेत्र पर आज व्यवसाय स्थिर रहेगा उधारी के व्यवहार अधिक परेशान करेंगे किसी से पैसे को लेकर कीच कीच भी होगी फिर भी मामला जल्द ही सुलझ जाएगा लेकिन धन की आमद के लिये संध्या तक इंतजार करना पड़ेगा फिर भी आशाजनक नही होगा। घर मे आपका कड़वा व्यवहार रहने से परिजन दूरी बना कर रखेंगे महिलाए भी व्यर्थ की बातों पर क्रोध कर घर का वातावरण खराब करेंगी। संतान घर का वातावरण शांत बनाने में सहयोग करेंगी। यात्रा के योग बन रहे है आज करना लाभदायक रहेगा लेकिन अधिक बोलने से बचे। शारीरिक कमजोरी बन सकती है।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

आज का दिन आपके लिये कामना पूर्ति वाला रहेगा। स्वयंजन एवं सहकर्मियों से विवेकी व्यवहार रखें अन्यथा इच्छाओं पर पानी फेरते समय नही लगाएंगे। व्यवसायी वर्ग को आज आकस्मिक धन मिलने की सम्भवना है लेकिन पहले दिमागी कसरत भी करनी पड़ेगी इससे घबराए ना धन और सम्मान दोनो मिलेंगे। नौकरी पेशाओ को भी आज अतिरिक्त आय बनाने के अवसर मिलेंगे लेकिन ज्यादा प्रलोभन में ना पढ़ें अन्यथा हानि के साथ किसी से कहा सुनी भी हो सकती है। सहकर्मियो का पूरा ख्याल रखेंगे आज आपसे प्रसन्न रहेंगे जिससे कार्य समय पर पूर्ण कर लेंगे। घर की स्थिति सुख दायक रहेगी परिजनों का स्नेह मिलने से थकान भूल जाएंगे। आरोग्य भी बना रहेगा।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आज के दिन आपकी दिनचर्या पिछले दिनों की अपेक्षा बेहतर रहेगी। दिन के आरंभ में कार्यो के गलत दिशा लेने से गुस्सा आएगा लेकिन स्वतः ही ठीक हो जाएंगे। कई दिनों से जिस कार्य मे लगे है उसकी सफलता के नजदीक पहुचने से उत्साहित होंगे परन्तु आज पूर्ण सफलता संदिग्ध ही रहेगी निष्ठा से लगे रहे निकट भविष्य में धन और सम्मान दोनो मिलने वाले है। नौकरी पेशाओ पर अधिकारियों का भरोसा बढ़ने से अपनी अनैतिक मांगे मनवाने की तिकडम लगाएंगे परिस्थिति अनुसार इसमे आज नही तो कल सफलता मिल जाएगी। आज धन की आमद होते होते कई व्यवधान आएंगे फिर भी खर्च लायक मिल जाएगी। परिवार में मौसमी बीमारी के प्रकोप के कारण परिजन दैनिक कार्यो के लिये एक दूसरे पर आश्रित रहेंगे जिससे थोड़ी अव्यवस्था फैलेगी।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आज आप जान बूझ कर व्यर्थ के झंझट मोल लेंगे। दिन के पूर्वार्ध में ही कोई अप्रिय घटना घटने से या अशुभ समाचार मिलने से परेशान रहेंगे कार्य क्षेत्र पर मेहनत करने के बाद भी लाभ की उम्मीद नही दिखेगी उल्टे खर्च अनियंत्रित होने से जमा पूंजी में कमी आएगी। पुराने उधार को लेकर किसी से कहासुनी होने की संभावना है लेकिन आज भी उधार लेने की आवश्यकता पड़ेगी संभव हो तो आज टाले अन्यथा चुकाना भारी पड़ेगा। आज जल्दी से कोई सहायता करने के लिये तैयार नही होगा जिससे मन राग द्वेष से भरा रहेगा। घर के सदस्य कुछ मामलों में सहयोग करेंगे पर कही कही जिद पर अड़ने से कार्य हानि होगी। धन की आमद ना के बराबर रहेगी। मूत्र अथवा पेट संबंधित समस्या रहेगी।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

आज के दिन परिस्थितियां आपके लिये मार्ग बनाने वाली रहेंगी लेकिन स्वभाव में गरमी रहने से बनते कामो को स्वयं ही बिगाड़ेंगे। दिन के आरंभ में मन शांत रहेगा लेकिन मध्यान के समय किसी काम में विलंब होने से क्रोध आएगा सहकर्मी पर बिना बात बिगड़ना परेशानी में डाल सकता है धैर्य से काम करे तो कुछ ना कुछ धनलाभ अवश्य मिलेगा। जमीन जायदाद संबंधित कार्य आज करना शुभ रहेगा आकस्मिक लाभ के साथ भविष्य के लिये भी रोजगार मिलेगा। घरेलू वातावरण में नोकझोंक लगी रहेगी खास कर पिता का जिद्दी स्वभाव कामना पूर्ति में बाधा डालेगा। संध्या के समय दुविधा में रहेंगे किसी और कि गलती भोगने पर भाग्य को दोष देंगे। सेहत में भी गड़बड़ आने लगेगी।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आज के दिन आप प्रतिकूल परिस्थिति में भी स्वयं को शान्त रखने का प्रयास करेंगे लेकिन महात्त्वकांक्षाये आज बढ़ी हुई रहेंगी आवश्यकता पूर्ति आसानी से हो जाएगी लेकिन संतोष नही होगा ज्यादा पाने के चक्कर मे अनैतिक मार्ग भी अपना सकते है। कार्य क्षेत्र पर आपके विचार पल पल में बदलने से सहकर्मी गुस्से में रहेंगे धन की आमद कही न कही से अवश्य होगी परन्तु हाथ खुला रहने के कारण बचत करने में परेशानी आएगी। संध्या के समय सावधान रहे छोटी मजाक की बात अथवा आवश्यकता से अधिक बोलने पर किसी से झगड़ा होने की संभावना है। घर के सदस्य आज आपकी बातों पर जल्दी से यकीन नही करेंगे ठंड के कारण सेहत में नरमी बनेगी 

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तंत्र रहस्य :———तंत्र साधना ——

      भूत शुद्धि एक महत्वपूर्ण तांत्रिक अनुष्ठान है। इसका अर्थ है उन पांच तत्वों की शुद्धि, जिनसे शरीर बना है। साधक पापमय शरीर को विघटित कर, नया दिव्य शरीर बनाता है। वह शरीर में , देवी के जीवन का संचार करता है।

न्यास ——-

      न्यासा , एक अत्यंत महत्वपूर्ण एवं शक्तिशाली तांत्रिक अनुष्ठान है। इसमें मंत्र के साथ, दाहिने हाथ की अंगुलियों के सिरों को , शरीर के विभिन्न भागों पर लगाना शामिल है।

कवच ——–

      कवच में , शरीर के विभिन्न भागों की रक्षा के लिए, एक ही ब्रह्म को विभिन्न नामों से पुकारा जाता है। उदाहरण के लिए, परब्रह्म को सिर में , सहस्रार पद्म के रूप में माना जाता है। हृदय में , परमेश्वर का ध्यान किया जाता है। जगत के रक्षक विष्णु का आह्वान, गले की रक्षा के लिए किया जाता है, ताकि साधक अपने इष्ट देवता के मंत्रों का उच्चारण कर सके।

मुद्रा ———

      मुद्रा शारीरिक संकेतों का अनुष्ठान है। मुद्रा देवताओं को आनंद प्रदान करती है। मुद्राएं 108 हैं। देवता के स्वागत (आवाहन) में , एक उचित इशारा किया जाता है। अर्घ्य देते समय मत्स्य मुद्रा बनाई जाती है। दाहिना हाथ बाईं ओर के पीछे रखा गया है और दोनों अंगूठे हाथ के दोनों ओर पंख की तरह फैले हुए हैं। इसी प्रकार पूजा के दौरान किये जाने वाले , विभिन्न कृत्यों के लिए भी मुद्राएं होती हैं।

यंत्र ——–

      यंत्र छवि का स्थान ले लेता है। यह पूजा की वस्तु है। यंत्र एक आरेख है, जो कागज पर बनाया गया है। इसे धातु की शीट पर भी, उकेरा गया है। एक यंत्र केवल, एक विशिष्ट देवता को सौंपा जाता है। प्रत्येक देवता के लिए, विभिन्न यंत्र विशिष्ट होते हैं। ये पूजा की वस्तु के अनुसार, विभिन्न डिज़ाइन के होते हैं। यंत्र, देवता का शरीर है। सभी यंत्रों में , एक समान किनारा होता है , जिसे भूपुरा कहा जाता है। उनके पास चार दरवाजों वाली, एक चतुर्भुज आकृति है, जो यंत्र को बाहरी दुनिया से घेरती है और अलग करती है।

साधक ——-

      साधक, पहले देवता या देवता का ध्यान करता है और फिर अपने अंदर देवता को जगाता है। फिर, वह इस प्रकार जागृत दिव्य उपस्थिति को, यंत्र तक संचारित करता है। जब देवता को उचित मंत्र द्वारा, यंत्र में आमंत्रित किया जाता है, तो प्राण प्रतिष्ठा समारोह द्वारा देवता की महत्वपूर्ण वायु (प्राण) को, उसमें प्रवाहित किया जाता है। इस प्रकार देवता को , यंत्र में स्थापित किया जाता है। पूजा में प्रयुक्त सामग्री या किये गये कृत्य को, उपाचार कहा जाता है। वे संख्या में सोलह हैं, अर्थात्, (1) आसन (देवता का बैठना); (2) स्वागत (देवता का स्वागत); (3) पाद्य (पैर धोने के लिए पानी); (4) अर्घ्य (स्नान के लिए जल); (5) आचमन (घूंट लेने के लिए पानी); (6) मधुपर्क (शहद, घी, दूध, और दही); (7) स्नान (स्नान); (8) वस्त्र (कपड़ा); (9) अभरण (आभूषण); (10) गंध (इत्र); (11) पशपा (फूल); (12) धूप (धूप); (13) दीपा (प्रकाश); (14) नैवेद्य (भोजन) और तांबूलम (पान); (15) नीराजना (आरती); और (16) वन्दना (साष्टांग प्रणाम और प्रार्थना)। 

     साधक तीन प्रकार के होते हैं, अर्थात्, पसु (पशुवादी), वीरा (वीरतापूर्ण), और दिव्य (दिव्य)

सम्पूर्ण गरुड़ पुराण (हिन्दी में)

{पाँचवा अध्याय}

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गरुड़ उवाच गरुड़ जी ने कहा – हे केशव ! जिस-जिस पाप से जो-जो चिह्न प्राप्त होते हैं और जिन-जिन योनियों में जीव जाते हैं, वह मुझे बताइए। श्रीभगवानुवाच श्रीभगवान ने कहा – नरक से आये हुए पापी जिन पापों के द्वारा जिस योनि में आते हैं और जिस पाप से जो चिह्न होता है, वह मुझसे सुनो। ब्रह्महत्यारा क्षय रोगी होता है, गाय की हत्या करने वाला मूर्ख और कुबड़ा होता है। कन्या की हत्या करने वाला कोढ़ी होता है और ये तीनों पापी चाण्डाल योनि प्राप्त करते हैं. स्त्री की हत्या करने वाला तथा गर्भपात कराने वाला पुलिन्द(भिल्ल) होकर रोगी होता है। परस्त्रीगमन करने वाला नपुंसक और गुरु पत्नी के साथ व्यभिचार करने वाला चर्म रोगी होता है। मांस का भोजन करने वाले का अंग अत्यन्त लाल होता है, मद्य पीने वाले के दाँत काले होते हैं, लालचवश अभक्ष्य भक्षण करने वाले ब्राह्मण को महोदर रोग होता है। जो दूसरे को दिये बिना मिष्टान्न खाता है, उसे गले में गण्डमाला रोग होता है, श्राद्ध में अपवित्र अन्न देने वाला श्वेतकुष्ठी होता है। गर्व से गुरु का अपमान करने वाला मनुष्य मिरगी का रोगी होता है। वेदशास्त्र की निन्दा करने वाला निश्चित ही पाण्डुरोगी होता है। झूठी गवाही देने वाला गूँगा, पंक्तिभेद करने वाला काना, विवाह में विघ्न करने वाला व्यक्ति ओष्ठ रहित और पुस्तक चुराने वाला जन्मान्ध होता है। गाय और ब्राह्मण को पैर से मारने वाला लूला-लंगड़ा होता है, झूठ बोलने वाला हकलाकर बोलता है तथा झूठी बात सुनने वाला बहरा होता है। विष देने वाला मूर्ख और उन्मत्त (पागल) तथा आग लगाने वाला खल्वाट (गंजा) होता है। पल (माँस) बेचने वाला अभागा और दूसरे का मांस खाने वाला रोगी होता है। रत्नों का अपहरण करने वाला हीन जाति में उत्पन्न होता है, सोना चुराने वाला नखरोगी और अन्य धातुओं को चुराने वाला निर्धन होता है। अन्न चुराने वाला चूहा और धान चुराने वाला शलभ (टिड्डी) होता है। जल की चोरी करने वाला चातक और विष का व्यवहार करने वाला वृश्चिक (बिच्छू) होता है। शाक-पात चुराने वाला मयूर होता है, शुभ गन्धवाली वस्तुओं को चुराने वाला छुछुन्दरी होता है, मधु चुराने वाला डाँस, मांस चुराने वाला गीध और नमक चुराने वाला चींटी होता है। ताम्बूल, फल तथा पुष्प आदि की चोरी करने वाला वन में बंदर होता है। जूता, घास तथा कपास को चुराने वाला भेड़ योनि में उत्पन्न होता है। जो रौद्र कर्मों (क्रूरकर्मों) से आजीविका चलाने वाला है, मार्ग में यात्रियों को लूटता है और जो आखेट का व्यसन रखने वाला, वह कसाई के घर का बकरा होता है। विष पीकर मरने वाला पर्वत पर काला नाग होता है। जिसका स्वभाव अमर्यादित है, वह निर्जन वन में हाथी होता है। बलिवैश्वदेव न करने वाले तथा सब कुछ खा लेने वाले द्विज (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य) और बिना परीक्षण किये भोजन कर लेने वाले व्यक्ति निर्जन वन में व्याघ्र होते हैं। जो ब्राह्मण गायत्री का स्मरण नहीं करता और जो संध्योपासना नहीं करता, जिसका अन्त:स्वरुप दूषित तथा बाह्य स्वरूप साधु की तरह प्रतीत होता है, वह ब्राह्मण बगुला होता है। जिनको यज्ञ नहीं करना चाहिए, उनके यहाँ यज्ञ कराने वाला ब्राह्मण गाँव का सूअर होता है, क्षमता से अधिक यज्ञ कराने वाला गर्दभ तथा बिना आमंत्रण के भोजन करने वाला कौआ होता है। जो सत्पात्र शिष्य को विद्या नहीं प्रदान करता, वह ब्राह्मण बैल होता है। गुरु की सेवा न करने वाला शिष्य बैल और गधा होता है। गुरु के प्रति अपमान के तात्पर्य से हुं या तुं शब्दों का उच्चारण करने वाला और वाद-विवादों में ब्राह्मण को पराजित करने वाला जल विहीन अरण्य में ब्रह्म राक्षस होता है। प्रतिज्ञा करके द्विज को दान न देनेवाला सियार होता है। सत्पुरुषों का अनादर करने वाला व्यक्ति अग्निमुख सियार होता है। मित्र से द्रोह करने वाला पर्वत का गीध होता है और क्रय में धोखा देने वाला उल्लू होता है। वर्णाश्रम की निन्दा करने वाला वन में कपोत होता है। आशा को तोड़ने वाला और स्नेह को नष्ट करने वाला, द्वेष वश स्त्री का परित्याग कर देने वाला बहुत काल तक चक्रवाक (चकोर) होता है। माता-पिता, गुरु से द्वेष करने वाला तथा बहन और भाई से शत्रुता करने वाला हजारों जन्मों तक गर्भ में या योनि में नष्ट होता रहता है। सास-ससुर को अपशब्द कहने वाली स्त्री तथा नित्य कलह करने वाली स्त्री जलौका अर्थात जल जोंक होती है और पति की भर्त्सना करने वाली नारी जूँ होती है। अपने पति का परित्याग करके परपुरुष का सेवन करने वाली स्त्री वल्गुनी (चमगादड़ी), छिपकली अथवा दो मुँह वाली सर्पिणी होती है। सगोत्र की स्त्री के साथ संबंध बनाकर अपने गोत्र को विनष्ट करने वाला तरक्ष (लकड़बग्घा) और शल्लक(साही) होकर रीछ योनि में जन्म लेता है। तापसी के साथ व्यभिचार करने वाला कामी पुरुष मरु प्रदेश में पिशाच होता है और अप्राप्त यौवन से संबंध करने वाला वन में अजगर होता है। गुरु पत्नी के साथ गमन की इच्छा रखने वाला मनुष्य कृकलास (गिरगिट) होता है। राजपत्नी के साथ गमन करने वाला ऊँट तथा मित्र की पत्नी के साथ गमन करने वाला गधा होता है। गुदा गमन करने वाला विष्ठा भोगी सूअर तथा शूद्रागामी बैल होता है। जो महाकामी होता है, वह काम लम्पट घोड़ा होता है। किसी के मरणाशौच में एकादशाह तक भोजन करने वाला कुत्ता होता है। ददेवद्रव्य भोक्ता देवलक ब्राह्मण मुर्गे की योनि प्राप्त करता है। जो ब्राह्मणधम द्रव्यार्जन के लिये देवता की पूजा करता है, वह देवलक कहलाता है। वह देवकार्य तथा पितृकार्य के लिये निन्दनीय है। महापातक से प्राप्त अत्यन्त घोर एवं दारुण नरकों का भोग प्राप्त करके महापातकी व्यक्ति कर्म के क्षय होने पर पुन: इस मर्त्य लोक में जन्म लेते हैं। ब्रह्महत्यारा गधा, ऊँट और महिषी की योनि प्राप्त करता है तथा सुरापान करने वाला भेड़िया, कुत्ता एवं सियार की योनि में जाते हैं। स्वर्ण चुराने वाला कृमि, कीट तथा पतंग कि योनि प्राप्त करता है। गुरु पत्नी के साथ गमन करने वाला क्रमश: तृण, गुल्म तथा लता होता है। परस्त्री का हरण करने वाला, धरोहर का हरण करने वाला तथा ब्राह्मण के धन का अपहरण करने वाला ब्रह्मरा़ास होता है। ब्राह्मण का धन कपट-स्नेह से खानेवाला सात पीढ़ियों तक अपने कुल का विनाश करता है और बलात्कार तथा चोरी के द्वारा खाने पर जब तक चन्द्रमा और तारकों की स्थिति होती है, तब तक वह अपने कुल को जलाता है। लोहे और पत्थरों के चूर्ण तथा विष को व्यक्ति पचा सकता है, पर तीनों लोकों में ऎसा कौन व्यक्ति है, जो ब्रह्मस्व (ब्राह्मण के धन) को पचा सकता है? ब्राह्मण के धन से पोषित की गयी सेना तथा वाहन युद्ध काल में बालू से बने सेतु – बाँध के समान नष्ट-भ्रष्ट हो जाते हैं। देवद्रव्य का उपभोग करने से अथवा ब्रह्मस्वरुप का हरण करने से ब्राह्मण का अतिक्रमण करने से कुल पतित हो जाते हैं। अपने आश्रित वेद परायण ब्राह्मण को छोड़कर अन्य ब्राह्मण को दान देना ब्राह्मण का अतिक्रमण करना कहलाता है। वेदवेदांग के ज्ञान से रहित ब्राह्मण को छोड़ना अतिक्रमण नहीं कहलाता है, क्योंकि जलती हुई आग को छोड़कर भस्म में आहुति नहीं दी जाती। हे तार्क्ष्य! ब्राह्मण का अतिक्रमण करने वाला व्यक्ति नरकों को भोगकर क्रमश: जन्मान्ध एवं दरिद्र होता है, वह कभी दाता नहीं बन सकता अपितु याचक ही रहता है। अपने द्वारा दी हुई अथवा दूसरे द्वारा दी गई पृथ्वी को जो छीन लेता है, वह साठ हजार वर्षों तक विष्ठा का कीड़ा होता है। जो स्वयं कुछ देकर पुन: स्वयं ले भी लेता है, वह पापी एक कल्प तक नरक में रहता है। जीविका अथवा भूमि का दान देकर यत्नपूर्वक उसकी रक्षा करनी चाहिए, जो रक्षा नहीं करता प्रत्युत उसे हर लेता है, वह पंगु अर्थात लंगड़ा कुता होता है। ब्राह्मण को आजीविका देने वाला व्यक्ति एक लाख गोदान का फल प्राप्त करता है और ब्राह्मण की वृत्तिका हरण करने वाला बन्दर, कुत्ता तथा लंगूर होता है। हे खगेश्वर! प्राणियों को अपने कर्म के अनुसार लोक में पूर्वोक्त योनियाँ तथा शरीर पर चिह्न देखने को मिलते हैं। इस प्रकार दुष्कर्म करने वाले जीव नारकीय यातनाओं को भोगकर अवशिष्ट पापों को भोगने के लिये इन पूर्वोक्त योनियों में जाते हैं। इसके बाद हजारों जन्मों तक तिर्यक (पशु-पक्षी) का शरीर प्राप्त करके वे बोझा ढोने आदि कार्यों से दु:ख प्राप्त करते हैं। फिर पक्षी बनकर वर्षा, शीत तथा आतप से दु:खी होते हैं। इसके बाद अन्त में जब पुण्य और पाप बराबर हो जाते हैं तब मनुष्य की योनि मिलती है। स्त्री-पुरुष के संबंध से वह गर्भ में उत्पन्न होकर क्रमश: गर्भ से लेकर मृत्यु तक के दु:ख प्राप्त करके पुन: मर जाता है। इस प्रकार सभी प्राणियों का जन्म और विनाश होता है। यह जन्म-मरण का चक्र चारों प्रकार की सृष्टि में चलता रहता है। मेरी माया से प्राणी रहट (घटी यन्त्र) की भाँति ऊपर-नीचे की योनियों में भ्रमण करते रहते हैं। कर्मपाश बँधे रहकर कभी वे नरक में और कभी भूमि पर जन्म लेते हैं। दान न देने से प्राणी दरिद्र होता है। दरिद्र हो जाने पर फिर पाप करता है। पाप के प्रभाव से नरक में जाता है और नरक से लौटकर पुन: दरिद्र और पुन: पापी होता है। प्राणी के द्वारा किये गये शुभ और अशुभ कर्मों का फल भोग उसे अवश्य ही भोगना पड़ता है, क्योंकि सैकड़ों कल्पों के बीत जाने पर भी बिना भोग के कर्म फल का नाश नहीं होता। 

।।इस प्रकार गरुड़ पुराण के अन्तर्गत सारोद्धार में “पापचिह्ननिरुपण” नामक पाँचवां अध्याय पूर्ण हुआ।।

क्रमश…

अगले लेख में श्री गरुड़ पुराण का पंचम अध्याय

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प्रश्न:– क्या पित्रों के निमित्त दिया गया दान उन्हे

प्राप्त होता है?

उत्तर:– 100% उन्हे प्राप्त होता है, इसमें कोई सन्देह

नही है ।

केसे प्राप्त होता है यह मैं आपको एक उदाहरण देकर

बताता हुँ ।

मान लिजिये आपका कोई रिश्तेदार अमेरिका में रहता है,

वहाँ से वह आपके लिये पैसे भारत मैं भेजता है ,

अमेरिका कि मुद्रा डॉलर है ओर भारत कि मुद्रा रूपया है ।

अमेरिका से आपके नाम पर भेजा गया डॉलर आपको भारत में

रूपया बनकर मिलता है क्यों कि डॉलर आपके कोई नाम

नहीं आयेगा ।

एसें ही पित्रों के निमित्त दिया गया दान उन्हे उनके

काम

कि वस्तु बनकर मिलता है। अगर मरने वाला गाय

कि योनि में गया है तो आपका दिया हुआ उसे गाय के खाने

योग्य भोजन बनकर मिलेगा । अगर मरने

वाला माँसाहारी योनि में गया है तो आपका दिया हुआ

उसे

माँस बनकर मिलेगा। अगर मरने वाला मनुष्य बना है तो उसे

वह सब उसके काम कि वस्तु बनकर प्राप्त होगा। अगर मरने

वाला प्रेत योनि में है तो आप उसके नाम से

जो भी दोगे उस

से वह तृप्त होगा । अगर मरने वाला मोक्ष को गया है

तो आपका दिया हुआ आपके पुण्यों कि सूची में जुड

जायेगा ।

लेकिन कोशिश यही रखे कि जिसे आप दान दे रहे

हो वह

सत्कर्मी ब्राह्मण होना चाहिये ।शास्त्रों में दान

लेने

का अधिकारी सिर्फ ब्राह्मण को बताया गया है । *संकलन :- आचार्य पं़दयानन्द डबराल ऋषिकेश, हरिद्वार (उत्तराखण्ड)*

🌷 *इंदिरा एकादशी व्रत* 🌷
{ *पितृ श्राद्ध एकादशी*}

🙏 *आज आश्विन कृष्ण पक्ष { गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार भाद्र कृष्ण पक्ष } 10 अक्टूबर 2023, मंगलवार ‘इंदिरा एकादशी’ { पितृ श्राद्ध एकादशी } का व्रत रखें* 🙏

👉 *इंदिरा एकादशी का महत्व* 👇

*धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इंदिरा एकादशी का व्रत सभी घरों में करना चाहिए* 🙏 *जो भी व्यक्ति ‘इंदिरा एकादशी’ का व्रत रखता है और उस व्रत पुण्य को अपने पितरों को समर्पित कर देता है,तो इससे उसके पितरों को लाभ होता है। जो पितर यमलोक में यमराज का दंड भोग रहे होते हैं, उनको ‘इंदिरा एकादशी’ व्रत के प्रभाव से मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है* । *ऐसा करने से आपके पितर नरक लोक के कष्ट से मुक्त हो जाते हैं 🙏और उनको श्रीहरि विष्णु के चरणों में स्थान मिलता है। 🙏इससे प्रसन्न होकर पितर सुख, समृद्धि, वंश वृद्धि, उन्नति आदि का आशीष देते हैं।*🙏

👉 *एकादशी व्रत कथा* 👇

🙏 *युधिष्ठिर ने पूछा : हे मधुसूदन ! कृपा करके मुझे यह बताइये कि आश्विन के { गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार भाद्रपद }कृष्णपक्ष में कौन सी एकादशी होती है ❓*

🙏 *भगवान श्रीकृष्ण बोले : राजन् ! आश्विन (गुजरात महाराष्ट्र के अनुसार भाद्रपद) के कृष्णपक्ष में ‘इन्दिरा’ नाम की एकादशी होती है । उसके व्रत के प्रभाव से बड़े बड़े पापों का नाश हो जाता है । नीच योनि में पड़े हुए पितरों को भी यह एकादशी सदगति देनेवाली है ।*

🙏 *राजन् ! पूर्वकाल की बात है । सत्ययुग में इन्द्रसेन नाम से विख्यात एक राजकुमार थे, जो माहिष्मतीपुरी के राजा होकर धर्मपूर्वक प्रजा का पालन करते थे । उनका यश सब ओर फैल चुका था ।*

🙏 *राजा इन्द्रसेन भगवान विष्णु की भक्ति में तत्पर हो गोविन्द के मोक्षदायक नामों का जप करते हुए समय व्यतीत करते थे और विधिपूर्वक अध्यात्मतत्त्व के चिन्तन में संलग्न रहते थे । एक दिन राजा राजसभा में सुखपूर्वक बैठे हुए थे, इतने में ही देवर्षि नारद आकाश से उतरकर वहाँ आ पहुँचे । उन्हें आया हुआ देख राजा हाथ जोड़कर खड़े हो गये और विधिपूर्वक पूजन करके उन्हें आसन पर बिठाया । इसके बाद वे इस प्रकार बोले: ‘मुनिश्रेष्ठ ! आपकी कृपा से मे सर्वथा कुशल हु । आज आपके दर्शन से मेरी सम्पूर्ण यज्ञ क्रियाएँ सफल हो गयीं । देवर्षि ! अपने आगमन का कारण बताकर मुझ पर कृपा करें ।*

🙏 *नारदजी ने कहा : नृपश्रेष्ठ ! सुनो । मेरी बात तुम्हें आश्चर्य में डालनेवाली है । मैं ब्रह्मलोक से यमलोक में गया था । वहाँ एक श्रेष्ठ आसन पर बैठा और यमराज ने भक्तिपूर्वक मेरी पूजा की । उस समय यमराज की सभा में मैंने तुम्हारे पिता को भी देखा था । वे व्रतभंग के दोष से वहाँ आये थे । राजन् ! उन्होंने तुमसे कहने के लिए एक सन्देश दिया है, ….उसे सुनो ।…. उन्होंने कहा है: ‘बेटा ! मुझे ‘इन्दिरा एकादशी’ के व्रत का पुण्य देकर स्वर्ग में भेजो ।’ उनका यह सन्देश लेकर मैं तुम्हारे पास आया हूँ । राजन् ! अपने पिता को स्वर्गलोक की प्राप्ति कराने के लिए ‘इन्दिरा एकादशी’ का व्रत करो ।*

🙏 *राजा ने पूछा : भगवन् ! कृपा करके ‘इन्दिरा एकादशी’ का व्रत बताइये । किस पक्ष में, किस तिथि को और किस विधि से यह व्रत करना चाहिए ।*

🙏 *नारदजी ने कहा : राजेन्द्र ! सुनो । मैं तुम्हें इस व्रत की शुभकारक विधि बतलाता हूँ । आश्विन मास के कृष्णपक्ष में दशमी के उत्तम दिन को श्रद्धायुक्त चित्त से प्रातःकाल स्नान करो । फिर मध्याह्नकाल में स्नान करके एकाग्रचित्त हो एक समय भोजन करो तथा रात्रि में भूमि पर सोओ । रात्रि के अन्त में निर्मल प्रभात होने पर एकादशी के दिन दातुन करके मुँह धोओ । इसके बाद भक्तिभाव से निम्नांकित मंत्र पढ़ते हुए उपवास का नियम ग्रहण करो :*

🙏 *अघ स्थित्वा निराहारः सर्वभोगविवर्जितः ।*
*श्वो भोक्ष्ये पुण्डरीकाक्ष शरणं मे भवाच्युत ॥*

🙏 *हे कमलनयन भगवान नारायण ! आज मैं सब भोगों से अलग हो निराहार रहकर कल भोजन करुँगा । अच्युत ! आप मुझे शरण दें |’*

🙏 *इस प्रकार नियम करके मध्याह्नकाल में पितरों की प्रसन्नता के लिए शालिग्राम शिला के सम्मुख विधिपूर्वक श्राद्ध करो तथा दक्षिणा से ब्राह्मणों का सत्कार करके उन्हें भोजन कराओ । पितरों को दिये हुए अन्नमय पिण्ड को सूँघकर गाय को खिला दो । फिर धूप और गन्ध आदि से भगवान ह्रषिकेश का पूजन करके रात्रि में उनके समीप जागरण करो । तत्पश्चात् सवेरा होने पर द्वादशी के दिन पुनः भक्तिपूर्वक श्रीहरि की पूजा करो । उसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराकर भाई बन्धु, नाती और पुत्र आदि के साथ स्वयं मौन होकर भोजन करो ।*

🙏 *राजन् ! इस विधि से आलस्यरहित होकर यह व्रत करो । इससे तुम्हारे पितर भगवान विष्णु के वैकुण्ठधाम में चले जायेंगे ।*

🙏 *भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं : राजन् ! राजा इन्द्रसेन से ऐसा कहकर देवर्षि नारद अन्तर्धान हो गये । राजा ने उनकी बतायी हुई विधि से अन्त: पुर की रानियों, पुत्रों और भृत्योंसहित उस उत्तम व्रत का अनुष्ठान किया ।*

🙏 *कुन्तीनन्दन ! व्रत पूर्ण होने पर आकाश से फूलों की वर्षा होने लगी । इन्द्रसेन के पिता गरुड़ पर आरुढ़ होकर श्रीविष्णुधाम को चले गये और राजर्षि इन्द्रसेन भी निष्कण्टक राज्य का उपभोग करके अपने पुत्र को राजसिंहासन पर बैठाकर स्वयं स्वर्गलोक को चले गये । इस प्रकार मैंने तुम्हारे सामने ‘इन्दिरा एकादशी’ व्रत के माहात्म्य का वर्णन किया है । इसको पढ़ने और सुनने से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है ।*

👉 *पद्मपुराण के अनुसार* 👇

*एकादशी के दिन यदि एक ही आँवला मिल जाये तो उसके सामने गंगा, गया, काशी और पुष्कर आदि तीर्थ कोई विशेष महत्व नहीं रखते एकादशी के दिन आंवले के रस से स्नान जरूर करें (आंवले के रस को नहाने के पानी में थोड़ा सा मिलाकर स्नान करें) एवं प्रभु श्री हरि विष्णु को आंवला अर्पित करें।*
(आंवले के रस की बोतल पतंजलि आयुर्वेदिक स्टोर पर या अन्य आयुर्वेदिक स्टोर पर आप को मिल जाएगी)

🌷 *विशेष* 🌷

*एकादशी के पूरे दिन एवं रात्रि मे जागरण के लिए जहां तक संभव हो वहां तक टीवी चैनल पर प्रसारित होने वाली सभी धार्मिक- आध्यात्मिक चैनल जैसे कि आस्था टीवी चैनल ,आस्था भजन चैनल, संस्कार चैनल, सत्संग चैनल ,शुभ चैनल, धर्म संदेश चैनल {अरिहंत चैनल} ,साधना चैनल, संतवाणी चैनल, ईश्वर चैनल, दिशा चैनल ,श्रद्धा चैनल , वैदिक चैनल, दिव्य चैनल, शरणम चैनल, आस्था गुजराती चैनल विगेरे…विगेरे… विविध प्रकार की सभी स्वदेशी चैनल ……….जो कि पूरे दिन और रात्रि में यानी कि 24 घंटे आरती,भजन- कीर्तन,श्री हनुमानचालीसा, श्री सुंदरकांड ,श्रीमद् भागवत कथा , श्री गीता ज्ञान, श्री शिव महापुराण कथा, श्री राम कथा, श्री देवी भागवत कथा, भक्तमाल कथा जो कि कई सालों से निरंतर प्रसारित करती है …..हम यही सभी धार्मिक चैनलों के साथ जुड़कर रात्रि जागरण के लिए …या फिर अपने समय के अनुकूल कभी भी सभी धार्मिक चैनलों के साथ जुड़ के भक्ति में लीन हो सकते हैं🙏*

*मेरा🙋‍♂️ निवेदन👏👏 रहेगा कि सभी सनातन प्रेमी हमारी स्वदेशी धार्मिक चैनलों का उपयोग अवश्य करें और भावभक्ति में लीन हो जाए और बाकी लोगों को भी ज्यादा से ज्यादा जोड़ें*

🌷 *एकादशी मंत्र* 🌷

| *राम रामेति रामेति |*
| *रमे रामे मनोरमे |*
| *सहस्त्रनाम ततुल्यं |*
| *राम नाम वरानने |*

एकादशी के दिन इस मंत्र👆 का जप करने से *श्री विष्णु सहस्त्रनाम जप के समान* पुण्य फल प्राप्त होता है🙏

**नामसंकीर्तन यस्य सर्वपापप्रणाशनम्।*
**प्रणामो दुःखशमनस्तं नमामि हरिं परम्*

👉 *मंत्र :-* एकादशी के दिन इनमें👇 से किसी भी मंत्र का 108 बार जाप अवश्‍य करना चाहिए।

1} ॐ विष्णवे नम:🙏

2} ॐ नमो भगवते वासुदेवाय🙏

3} श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारी। हे नाथ नारायण वासुदेवाय🙏

4} ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्🙏

5} ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि🙏

6} ‘हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे’
‘हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे’🙏

🙏 *ओम नमो नारायणाय*🙏

* मध्य प्रदेश में सहित बाकी चार राज्यों में आदर्श आचार संहिता लागू। चुनाव आयोग दोपहर 12:00 बजे तारीखों की घोषणा की। घोषणा के तत्काल बात से ही आदर्श आचार्य संहिता प्रभावी।*

*अब उम्मीदवारों को लेकर प्रतीक्षा की घड़ियां लम्बी नहीं रहेगी। सभी पांचो राज्यों में उम्मीदवारों की घोषणा राजनीतिक दल शीघ्र करेंगे। अब चुनाव प्रशासन चुनाव आयोग के अधीन कार्य करेगा।*